जैतून के तेल की कीमतों में भारी उछाल! क्या आप नकली तेल खरीद रहे हैं?
आजकल बाजार में हर चीज़ के दाम आसमान छू रहे हैं, खासकर खाने-पीने की चीज़ों के. आलू से लेकर टमाटर तक, हर चीज़ महंगी हो गई है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस महंगाई के पीछे मौसम का भी बड़ा हाथ है? यूरोप में आलू की फसल खराब होने से लेकर मध्य पूर्व में टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी तक, सब कुछ मौसम की मार का नतीजा है.
पिछले कुछ समय में जैतून के तेल की कीमतों में हुई बेतहाशा बढ़ोतरी ने तो आम आदमी की कमर ही तोड़ दी है. ऐसा लगता है जैसे यह “लिक्विड गोल्ड” अब आम आदमी की पहुँच से बाहर होता जा रहा है. इस बढ़ोतरी का कारण है भूमध्य सागर में पड़ा सूखा और भीषण गर्मी, जो कि जलवायु परिवर्तन का ही एक नतीजा है.
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती. जैतून के तेल की बढ़ती कीमतों का फायदा मिलावटखोर भी उठा रहे हैं. ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि आप जो “एक्स्ट्रा वर्जिन” जैतून का तेल खरीद रहे हैं, वह असल में “लैम्पांटे” हो, जो कि खाने के लायक नहीं होता.
गार्जियन को मिले आंकड़ों के मुताबिक, इस साल की शुरुआत में जब जैतून के तेल की कीमतें चरम पर थीं, तब यूरोपीय संघ में जैतून के तेल से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी गई. हालांकि, ये आंकड़े सिर्फ यूरोपीय संघ के स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा निदेशालय को रिपोर्ट किए गए मामलों के हैं, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि असलियत में यह आंकड़ा कहीं ज़्यादा होगा.
मिलावटखोर कई तरीकों से लोगों को चूना लगाते हैं. कभी उच्च गुणवत्ता वाले जैतून के तेल में मिलावट की जाती है, तो कभी सस्ते तेल को मिलाकर उसे “एक्स्ट्रा वर्जिन” जैसा दिखाने की कोशिश की जाती है. जुलाई में इटली की पुलिस ने करीब 10 लाख डॉलर मूल्य का नकली जैतून का तेल जब्त किया था, साथ ही 623 लीटर क्लोरोफिल भी बरामद हुआ, जिसका इस्तेमाल घटिया किस्म के तेल को रंग देने के लिए किया जा रहा था.
यहाँ तक कि जैतून की चोरी और पेड़ काटने की घटनाएं भी सामने आई हैं. इसी महीने स्पेन की पुलिस ने 465 किलोग्राम जैतून की चोरी होने से रोका. पुलिस को ऐसे नकली दस्तावेज़ भी मिले जिनका इस्तेमाल चोरी के माल को बेचने के लिए किया जाना था.
जैतून के तेल में मिलावट कोई नई बात नहीं है. सीरिया के प्राचीन राज्य एब्ला की मिट्टी की गोलियों में भी 2,400 ईसा पूर्व में जैतून के तेल में मिलावट की जाँच करने वाले शाही निरीक्षकों का ज़िक्र मिलता है.
यह भी ध्यान रखना ज़रूरी है कि खाद्य पदार्थों में मिलावट का सही आंकड़ा मिल पाना मुश्किल है क्योंकि यह एक ऐसा धंधा है जिसमें कामयाब लोग पकड़े ही नहीं जाते. ब्रिटेन में अनुमान है कि नकली खाद्य पदार्थों से उपभोक्ताओं, व्यवसायों और सरकार को हर साल लगभग 500 मिलियन से 2 बिलियन पाउंड (670 मिलियन से 3.6 बिलियन डॉलर) का नुकसान होता है.
ज़ाहिर है कि जब किसी चीज़ की कमी होती है और उसकी कीमतें बढ़ती हैं, तो मिलावटखोरों के लिए यह मौका होता है कि वे इस कमी का फायदा उठाकर मुनाफा कमाएँ. ब्रिटेन की खाद्य मानक एजेंसी की 2024 की रणनीतिक रिपोर्ट में भीषण मौसम को खाद्य अपराध को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में से एक बताया गया है.
हालांकि ब्रिटेन में मिलावट की संभावना कम है, लेकिन जलवायु परिवर्तन, भू-राजनीतिक तनाव और बदलती सीमा व्यवस्था के कारण खतरे बढ़ रहे हैं.
यह खतरा सिर्फ जैतून के तेल तक ही सीमित नहीं है. संतरे का रस पहले से ही मिलावटखोरों के निशाने पर है और ब्राजील में सूखे और एक बीमारी के कारण इसकी कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई हैं.
जितना ज़्यादा प्रोसेस्ड कोई खाद्य पदार्थ होता है, उसमें मिलावट करना उतना ही आसान होता है. ऐसे में जब कॉफी, चॉकलेट और चाय की खेती पर भीषण मौसम का खतरा मंडरा रहा है, तो यह कल्पना करना मुश्किल नहीं है कि मिलावटखोर जलवायु संबंधी मुद्रास्फीति और आपूर्ति के झटकों का फायदा उठाएंगे.
ऐसे अपराध सिर्फ पैसे के नुकसान का मामला नहीं हैं, बल्कि ये जनता के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा पैदा करते हैं. 1981 में स्पेन में जहरीले तेल सिंड्रोम का प्रकोप इसका एक उदाहरण है, जिसमें मिलावटी तेल के सेवन से लगभग 300 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग बीमार हो गए थे.
जब हम जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में सोचते हैं, तो अक्सर हमारे दिमाग में सीधे प्रभाव ही आते हैं. लेकिन सरकारों और व्यवसायों को इसके अप्रत्यक्ष प्रभावों के लिए भी तैयार रहना होगा, जिसमें अपराध पर नज़र रखना भी शामिल है.