हम सभी तुलसी को एक सुगंधित जड़ी बूटी के रूप में जानते हैं जो हमारी चाय, पास्ता, पोहा आदि के स्वाद को बेहतर बनाती है।
हिन्दुओं में पूजनीय पौधा होने के कारण यह भारत के लगभग हर घर में पाई जाती है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा में तुलसी को व्यापक रूप से कई बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है।
इसीलिए तुलसी को “जड़ी बूटियों की रानी” या “पवित्र तुलसी” के रूप में जाना जाता है।
चूंकि इसे बहुत अधिक धूप की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए लोगों के लिए इसे घर के अंदर उगाना और इसके चिकित्सीय लाभों को प्राप्त करना काफी आसान है।
2015 में पोलैंड में हुए एक शोध के अनुसार तुलसी की पत्तियों से लेकर फूलों तक, पौधे का हर हिस्सा विभिन्न रासायनिक यौगिकों से समृद्ध होता है, जो बीमारियों को रोकने और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं।
तुलसी का पोषण मूल्य
प्रति 100 ग्राम में केवल 22 कैलोरी के साथ, तुलसी एक कम कैलोरी और उच्च पोषक तत्व वाली जड़ी बूटी है जिसमें कई पोषक तत्व शामिल हैं।
तुलसी के पत्तों का पोषण मूल्य प्रति 100 ग्राम:
पदार्थ | मात्रा |
---|---|
पानी | 92.6 ग्राम |
ऊर्जा | 23 कैलोरी |
प्रोटीन | 3.15 ग्राम |
लिपिड | 0.64 ग्राम |
कार्बोहायड्रेट | 2.65 ग्राम |
डाइटरी फाइबर | 1.6 ग्राम |
कैल्शियम (Ca) | 117 मिलीग्राम |
आयरन (Fe) | 3.17 मिलीग्राम |
मैग्नीशियम | 64 मिलीग्राम |
विटामिन A | 264 माइक्रोग्राम |
विटामिन C | 18 मिलीग्राम |
विटामिन K | 414.8 माइक्रोग्राम |
तुलसी के अधिकांश उपचार लाभों को इसमें मौजूद पॉलीफेनोलिक फ्लेवोनोइड सामग्री के कारण होते हैं।
इन पानी में घुलनशील फ्लेवोनोइड्स, जैसे कि ओरिएंटिन और विसेनिन, में एंटी-ऑक्सीडाइजिंग गुण होते हैं और ये शरीर में फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाली विभिन्न बीमारियों जैसे हाई कोलेस्ट्रॉल, अस्थमा और गठिया से बचाने में मददगार होते हैं।
इसके अलावा, तुलसी आवश्यक एंजाइम-अवरोधक तेलों से समृद्ध होती है, जिसमें यूजेनॉल, सिट्रोनेला और लिनालूल शामिल हैं।
यह एस्पिरिन और आइबूप्रोफेन की तरह ही सूजन और इन्फ्लेमेशन से लड़ने में मदद करते हैं और गठिया व आंतों की सूजन के इलाज में प्रभावी साबित हो चुके हैं।
ये वाष्पशील तेल बैक्टीरिया की एक विस्तृत श्रृंखला के विकास को बाधित करने में भी प्रभावी साबित हुए हैं, जिसमें वे जीवाणु भी शामिल हैं जो पारंपरिक एंटीबायोटिक उपचार के लिए प्रतिरोधी रक्षा प्रणाली विकसित कर चुके हैं।
नोट: यदि आप किसी मेडिकल दवा का सेवन करते हैं, तो अपने आहार में तुलसी को शामिल करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें, क्योंकि यह आपकी नियमित दवाओं के साथ परस्पर प्रतिक्रिया कर सकती है।
तुलसी को अपने आहार में शामिल करने के 10 फायदे
1. सर्दी जुकाम का इलाज करती है
2005 में देहरादून के सीमा डेंटल कॉलेज & हॉस्पिटल में हुए एक शोध के अनुसार तुलसी को व्यापक रूप से बुखार और सामान्य सर्दी के इलाज में एक चमत्कारी औषधि के रूप में स्वीकार किया जाता है।
तुलसी में मौजूद विभिन्न यौगिक फेफड़ों और नाक के बलगम को कम करने में मदद करते हैं, जिससे बंद नाक और खाँसी में राहत मिलती है।
इसलिए यह श्वसन संबंधी कई समस्याओं जैसे ब्रोंकाइटिस और अस्थमा के लिए एक प्रभावी उपचार के रूप में उभरी है।
मानसून सीजन के दौरान जब मलेरिया और डेंगू बड़े पैमाने पर फैलते हैं, तो बुखार के जोखिम से बचने के लिए तुलसी की कोमल पत्तियों को पानी में उबालकर सेवन करने की सलाह दी जाती है।
तेज बुखार होने पर तुलसी के पत्तों को 1 कप पानी में इलायची पाउडर के साथ उबालकर दिन में कई बार सेवन करना चाहिए।
आयुर्वेद में बुखार के उच्च तापमान को कम करने के लिए तुलसी के पत्तों के रस का काफी उपयोग किया जा सकता है।
2. खांसी में राहत प्रदान करती है
ज्यादातर कफ सिरप और एक्सपेक्टोरेंट में तुलसी एक प्रमुख घटक होती है।
लेकिन इन दवाओं को खरीदने के बजाय, जो अक्सर हानिकारक दुष्प्रभावों के साथ आती हैं, आप खाँसी एक तुलसी आधारित घरेलू सिरप बना सकते हैं जो समान फायदेमंद होगा।
एक कप पानी में 8 तुलसी के पत्ते और 5 लौंग डालकर 10 मिनट तक उबालें। स्वाद के लिए आप इसमें थोड़ा नमक मिला सकते हैं।
अब इसे ठंडा होने दें और फिर खांसी से राहत पाने के लिए इसका सेवन करें।
खांसी का सिरप बनाने में तुलसी को काफी इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इस सिरप को बाजार से खरीदने के बजाय आप घर पर ही तैयार कर सकते हैं।
खांसी के कारण होने वाली लगातार गले की खराश से छुटकारा पाने के लिए, तुलसी के पत्तों से उबले पानी से गरारे करना कारगर साबित होता है।
पुणे में हुए एक शोध से पता चलता है कि खांसी होने पर या सर्दी में सादा भाप लेने के बजाय अगर तुलसी मिली भाप ली जाए तो रिकवरी ज्यादा तेजी से होती है।
3. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है
ताजा तुलसी की पत्तियों का नियमित सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
2005 में इजातनगर उत्तरप्रदेश के भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में हुए एक शोध के अनुसार तुलसी में ऐसे कई केमिकल कंपाउंड्स होते हैं जो शरीर की संक्रमण से लड़ने वाली एंटीबाडीज को 20 प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं।
इसके अलावा, अच्छे परिणाम पाने के लिए हमेशा ताजा तुलसी की पत्तियों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
4. तनाव निवारक
तुलसी को एक ‘एडेप्टोजेन’ या एंटी-स्ट्रेस एजेंट के रूप में भी जाना जाता है, जो शरीर को विभिन्न प्रकार के तनाव से निपटने में मदद करता है और साथ ही मानसिक कल्याण को बढ़ावा देता है।
उदाहरण के लिए, चेन्नई के श्री रामचंद्र मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट में हुए एक शोध में तुलसी के पत्तों को शोर के कारण हुए तनाव को कम करने में लाभकारी पाया गया है।
कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञ तनाव महसूस करने और तनाव संबंधी विकारों को विकसित करने से रोकने के लिए दिन में दो बार तुलसी के 10 से 12 पत्ते चबाने की सलाह देते हैं।
आयुर्वेद शरीर और मन के भीतर शांति की भावना लाने के लिए कैफीन युक्त चाय या कॉफी की जगह तुलसी की चाय के सेवन को प्रोत्साहित करता है।
वैकल्पिक रूप से, यदि तुलसी की चाय आपके स्वाद के लिए बहुत कड़वी है, तो आप तुलसी के सप्लीमेंट या पूरक गोली का सेवन कर सकते हैं।
हालांकि, गोली लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लें।
5. आंखों की रोशनी को बढ़ाती है
आंखों की रोशनी को ठीक रखने के लिए विटामिन ए की जरूरत होती है। सिर्फ 100 ग्राम तुलसी की पत्तियों में ही हमारी रोज की विटामिन ए की जरूरत का हिस्सा मौजूद होता है। (स्त्रोत 1, स्त्रोत 2)
ताजा तुलसी का रस आंखों में जलन और रतौंधी के लिए एक प्रभावी उपचार है, जो आमतौर पर विटामिन ए की कमी के कारण होते हैं।
आंखों की जलन से राहत पाने के लिए रोजाना सोने से पहले काली तुलसी के रस की 2 बूंदें प्रभावित आंख में डालें।
6. मुंहासे होने से बचाती है
यह जड़ी बूटी मुंहासों के प्रकोप को रोकती है और उसके घावों की उपचार प्रक्रिया में भी तेजी लाती है।
तुलसी के पत्तों का तेल स्किन से बैक्टीरिया को साफ करने में मदद करता है, जो अक्सर रोमछिद्रों के बंद होने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
रोमछिद्रों का बंद होना ही मुँहासे होने का प्राथमिक कारक होता है।
यदि आपको पहले से ही मुंहासे हैं, तो बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद करने के लिए प्रभावित क्षेत्रों पर तुलसी का रस लगाएं।
तुलसी का उपयोग दाद, सोरायसिस और कीड़े के काटने जैसी स्किन की अन्य समस्याओं के इलाज के लिए भी किया जा सकता है।
ताजा तुलसी के रस के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण स्किन की सूजन को कम करने और अतिरिक्त राहत प्रदान करने का काम करते हैं।
तुलसी स्किन को कोमल, लचीला और स्वस्थ भी बनाती है।
7. मुंह को स्वस्थ रखती है
तुलसी मुंह के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी होती है।
यह सांसों की दुर्गंध, पायरिया, पीलेपन और कई अन्य दाँतों की बीमारियों से भी लड़ सकती है।
तुलसी के कुछ ताजे पत्तों को 1 या 2 दिनों के लिए धूप में रख दें।
एक बार जब पत्तियां सूख जाएं, तो उन्हें पीसकर पाउडर बना लें और अपने दांतों को ब्रश करने के लिए इसका इस्तेमाल करें।
टूथपेस्ट बनाने के लिए आप इस पाउडर में सरसों का तेल भी मिला सकते हैं।
इसके अलावा, आप सांसों की दुर्गंध से छुटकारा पाने के लिए इसे अपने मसूड़ों भी मल सकते हैं।
8. गुर्दे की पथरी को निकालने में मदद करती है
तुलसी का गुर्दे (या किडनी) की कार्यप्रणाली पर एक मजबूत प्रभाव हो सकता है।
हालांकि यह दावा वैज्ञानिक शोधों द्वारा समर्थित नहीं है, लेकिन प्राकृतिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा का अध्ययन करने वाले इसे मददगार मानते हैं।
किडनी के संपूर्ण कार्य को बेहतर बनाने के लिए रोज खाली पेट 5 से 6 तुलसी के ताजे पत्तों को पानी के साथ सेवन करें।
अगर आपको किडनी स्टोन है तो तुलसी के ताजे रस में समान मात्रा में शहद मिलाएं। लगभग 5 से 6 महीने तक इसे हर दिन पियें। यह मूत्र मार्ग के माध्यम से गुर्दे की पथरी के जल्द से जल्द बाहर निकालने की प्रक्रिया में मदद प्रदान करती है और इसे दोबारा बनने से रोकती है।
नोट: हालांकि, आपके लिए इसकी सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए, इनमें से किसी भी तकनीक को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना जरूरी है।
9. पेट की समस्याओं को दूर करती है
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के औषध विज्ञान विभाग में हुए एक शोध के अनुसार तुलसी शरीर को क्षारीय करके पाचन में सहायता करती है।
तुलसी निम्नलिखित तरीकों से भी पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का बढ़ावा देती है:
- जल प्रतिधारण और पेट फूलने की सम्भावना को कम करती है
- शरीर के उचित pH स्तर को पुनर्स्थापित करती है
- पेट में ऐंठन और एसिड रिफ्लक्स को ठीक करती है
- आंतों के भीतर स्वस्थ बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देती है
- बीमारी फैलाने वाले हानिकारक बैक्टीरिया, जर्म और परजीवियों से लड़ती है
- पेट के लिए तुलसी अन्य दवाओं से बेहतर होती है, क्योंकि इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते
पेट दर्द या ऐंठन में तुरंत राहत पाने के लिए 1 चम्मच तुलसी के रस में बराबर मात्रा में अदरक का रस मिलाकर पियें।
पेट की अन्य सामान्य समस्याओं जैसे कब्ज, अपच, बवासीर और एसिडिटी के इलाज के लिए आप तुलसी की चाय भी पी सकते हैं।
10. सिरदर्द में आराम प्रदान करती है
जोधपुर राजस्थान के व्यास डेंटल कॉलेज द्वारा प्रकाशित किये गए एक रिव्यु लेख के अनुसार तुलसी में माँसपेशियों को आराम प्रदान करने वाले गुण होते हैं, इसलिए यह सिरदर्द में राहत प्रदान कर सकती है।
तनाव और मांसपेशियों की जकड़न के कारण होने वाले सिरदर्द से तुरंत राहत पाने के लिए तुलसी के पत्तों को पीसकर और चंदन के लेप में मिलाकर माथे पर लगाएं।
वैकल्पिक रूप से, तुलसी की चाय को दिन में दो बार पिएं।
चाय बनाने के लिए, एक कप उबलते पानी में तुलसी के कुछ ताजे पत्ते डालें और इसे कुछ मिनट के लिए उबलने दें। इस चाय को धीरे-धीरे चुस्की लेकर पियें और आपका सिरदर्द तुरंत ठीक हो जाएगा।
हल्के सिरदर्द में, आप तुलसी के कुछ ताजे पत्तों को चबा सकते हैं, या शुद्ध तुलसी के तेल से अपने सिर की मालिश कर सकते हैं।
यदि आपके घर में पहले से तुलसी का पौधा नहीं है तो इसे आज ही लगा लें, ताकि आपके पास इन सामान्य समस्याओं के इलाज के लिए ताजी तुलसी आसानी से उपलब्ध हो।
नुकसान और एहतियात
- गर्भवती महिलायें या जो निकट भविष्य में गर्भधारण की योजना बना रही हैं उनको तुलसी के सेवन से बचना चाहिए। पशुओं पर हुए अध्ययनों के अनुसार, मुंह से तुलसी का अत्यधिक सेवन गर्भधारण की सम्भावना को कम करता है। इसके अलावा, यह गर्भपात के जोखिम को भी बढ़ा सकती है। हालाँकि यह निर्धारित करने के लिए कि क्या ये दावे मनुष्यों पर भी लागू होते हैं या नहीं, अभी और शोध होना बाकी है।
- हाइपोथायरायडिज्म समस्या में हमारा शरीर थायरोक्सिन नामक हार्मोन के उत्पादन को कम कर देता है। तुलसी थायरोक्सिन के स्तर को और कम कर देती है, जिससे समस्या और ज्यादा बढ़ जाती है।
- निर्धारित सर्जरी होने से 2 सप्ताह पहले तुलसी का सेवन और उपयोग पूरी तरह से बंद कर दें, क्योंकि इसमें रक्त को पतला करने के गुण होते हैं, जो सर्जरी के दौरान और बाद में रक्तस्त्राव के जोखिम को बढ़ा देते हैं।
- तुलसी इंसुलिन और अन्य एंटीडायबिटिक दवाओं के ब्लड शुगर को कम करने वाले प्रभाव को बढ़ा सकती है, और इस तरह आपके ब्लड शुगर को खतरनाक रूप से कम कर सकती है। इसलिए मधुमेह रोगियों को तुलसी का उपयोग करते समय आवश्यक सावधानी बरतनी चाहिए और सेवन शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
दवाओं के साथ पारस्परिक प्रभाव
- चूंकि तुलसी को ब्लड क्लॉटिंग को बाधित करने के लिए जाना जाता है, इसलिए एंटीप्लेटलेट दवाओं के साथ इसका सेवन करना हानिकारक साबित हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप आपको आसानी से चोट लग सकती है और अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है। एस्पिरिन, वारफेरिन, हेपरिन, क्लोपिडोग्रेल, डाल्टेपैरिन, एनोक्सापारिन, टिक्लोपिडीन कुछ सामान्य रक्त-पतला करने वाली दवाएं हैं जिन्हें ब्लड क्लॉटिंग को धीमा करने के लिए जाना जाता है।
- हालांकि निर्णायक रूप से साबित नहीं हुआ है, लेकिन तुलसी के बीज के तेल द्वारा पेन्टोबार्बिटल दवा के शामक प्रभाव को दोगुना करने का संदेह है।