इस कविता के बारे में :
इस काव्य ‘पापा यार’ को ज़ाकिर खान के लेबल के तहत ‘ज़ाकिर खान’ ने लिखा और प्रस्तुत किया है।*****
डीयर पापा,
आप से कुछ बात करनी थी
मतलब कि ऐसा है न कि
लाइफ में आपको इतनी सारी जगहों पे
इतने सालो से इतना ज्यादा
डिसअप्पोइंटेड किया है कि
***
आपको मैं कोई सलाह दु ऐसी
इतनी हैसियत ही नहीं है मेरी
मतलब मैं समझता हूं कि आपने बहुत
किया है मेरे लिए हम सबके के
लिए पूरे परिवार के लिए
क्युकी मेहनत आप करते हो
जैसे जैसे बड़ा होता जा रहा हू
***
समझ मे आता जा रहा है
कि ऑफिस पालिटिक्स क्या होती है
समझ में आ रहा है कि पैसा कमाना
कितना मुश्किल होता है
अब लग रहा है कि आपकी वो
थकी हुई शक्ल का असली मतलब क्या था
मैं देखता हूं आपकी परेशानियां मुसीबतें
और आपका उनसे लड़ने का तरीका
***
आपने जितना किया आपसे जो हुआ
आप जहा तक भी पहुंच पाए
अपने हालत अपनी कपैसिटी के हिसाब
से ठीक था यार पापा
अच्छा किया आपने सही किया
हम खुश हैं
***
एक शिकायत है पापा आपसे
यार बात नहीं करते हो आप
बताते नहीं हो कुछ आप
आप कोन हो कैसे हो
आपको क्या पसंद है
आपको किस चीज़ से डर लगता है
कभी बताया नहीं आपने
***
अपने डर अपनी परेशानियां अपने
दुख यार आप अपने बारे में कुछ
बताते ही नहीं हो कभी
हम से ही पूछते रहते अब क्या करेगा
आगे क्या करेगा पढ़ाई कर ले ये
कर ले वो कर ले
***
इसके बाद क्या करेगा सुबह से
क्या किया अपना भी तो बताओ
कभी हमको आपने सुबह से क्या
किया आगे क्या सोचते हो
अब क्या करोगे पहले कैसे रहते थे
जब आप मेरी उम्र के थे तो
असल मे आपको क्या लगता था
***
और उसमे से कितना आप कर पाए
कहां पहुचें जैसे मेरे दोस्तों के
साथ होता है मजे मजे के किस्से
तो ऐसे आपके भी होंगे ना शायद कुछ
मेरी गलती है जो मेने पहले नहीं सुनी
पर अब मैं सुनने को तैयार हू
तो मैंने यह फैसला किया कि
***
और मैं
सारी दुनिया के जितने बच्चे है
उनको यह कहूँगा की
संडे को आज 4 बजे का वक्त तय
करते हैं चाय या कॉफी हम
बना देंगे और पापा लोग जो है
वो बस आ जाये अपने किस्से लेकर
दोस्ती कर लो यार पापा हमसे
प्लीज
”Happy father’s day“