Ek Shakhs Mera Hokar Bhi Mera Nahi Tha | Goonj Chand | Poetry

Ek Shakhs Mera Hokar Bhi Mera Nahi Tha | Goonj Chand | Poetry


इस कविता के बारे में :

इस काव्य ‘एक शख्स मेरा होकर भी मेरा नहीं था’ को G Talks के लेबल के तहत ‘गूँज चाँद’ ने लिखा और प्रस्तुत किया है।

शायरी..

के दो कदम पे मौत थी

पर मुझे ज़िन्दगी से प्यार था

और उसे लगता था उसके

बिना में मर जाउंगी

अरे हटो मिया उसके अलावा

भी मेरा घर बार था


***

के उस लड़के में है खामिया

इस बात से इंकार करती हु

और शायद इसीलिए में उससे

आज तक प्यार करती हु


***

एक ज़माने से तरसी हु एक

ज़माने के लिए

मोहब्बत नहीं किसी ने मुझसे

निभाने के लिए


पोएट्री..
*****

वो हाथो में तो था मेरे

लकीरो में नहीं था

जिसे में अपना समझती रही

वो मेरे मुकद्दर में नहीं था

और एक शख्स मेरा होकर

भी मेरा नहीं था


***

वो कंगन में तो था मेरे

पर चूड़े में नहीं था

और पायल में था मेरी

बिछिए में नहीं था

और एक शख्स मेरा होकर

भी मेरा नहीं था


***

वो गले के धागे में तो था मेरे

पर मंगलसूत्र में नहीं था

और वो बिंदी में था मेरी

सिंदूर में नहीं था

और एक शख्स मेरा होकर

भी मेरा नहीं था


***

सोमबार के व्रत में था मेरे

करवाचौत में नहीं था

और बॉयफ्रेंड था वो मेरा

पति परमेश्वर नहीं था

और एक शख्स मेरा होकर

भी मेरा नहीं था


***

वो हाथो में तो था मेरे

लकीरो में नहीं था

जिसे में अपना समझती रही

वो मेरे मुकद्दर में नहीं था

और एक शख्स मेरा होकर

भी मेरा नहीं था
 

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