Tere Ishq Main Bina Phero Ke Suhaagan Ho Gye By Lovely Sharma | Tps Poetry

Tere Ishq Main Bina Phero Ke Suhaagan Ho Gye By Lovely Sharma | Tps Poetry


इस कविता के बारे में :

इस काव्य ‘तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन फेरो के सुहागन हो गई’ को The Pomedian Show के लेबल के तहत Lovely Sharma ने लिखा और प्रस्तुत किया है।

*****


जो लफ़्ज़ों में तोली जाए वो मोहब्बत

नहीं होती
इश्क़ तो एक पाक एहसास है


***

तुझ तक पहुंचे जो रह मैं

उस रह की बंजारन हो गई,

तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन

फेरो के सुहागन हो गई,,


***

पूजूँ तुझे नमाज की तरह

आरती के जैसे पड़ा है,

मैं अपनी हर सांस को तेरी

सांस से लेते सुना है,,


***

मैं रब की अरदास मैं अली

की अज़ान हो गई,,

मैं हर पीर दरगाह की बिखरन हो गयी,,

तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन

फेरो के सुहागन हो गई,,


***

सिया जैसे राम की राधा बानी जो

शाम की शक्ति शिव की महारानी हो गई,,

मैं हर उसे इश्क़ की कहानी हो गई,,

बनाया ताजमहल जिसने मैं

वह यद् पुराणी हो गई,,

मैं तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन

फेरो के सुहागन हो गई,,


***

यह जिस्म से उभर कर मेरी

मोहब्बत रूहानी हो गई,,

तेरे दिल के महल में जैसे

राजा की रानी हो गई,,

तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन

फेरो के सुहागन हो गई,,


***

मैं तेरी सारी बालयो से

रखवाली हो गई,,

मैं तेरे इश्क़ में यारा बिन

फेरो के सुहागन हो गई,,


***

न लाल लिहाफ को उदा मैंने

न गुलाल मांग में सजाया,,

न लाल लिहाफ को उदा मैंने

न गुलाल मांग में सजाया,,


***

न हे सुतार गले में तेरे नाम का बंदवाया,,

मैं हर बंधन से पराई हो गई,

तेरे इश्क़ में यारा बिन

फेरो के सुहागन हो गई,,


*****

 

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