इस कविता के बारे में :
इस काव्य ‘तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन फेरो के सुहागन हो गई’ को The Pomedian Show के लेबल के तहत Lovely Sharma ने लिखा और प्रस्तुत किया है।*****
फ़क़त तेरी आहट से,
बुझे से दिए मैं जैसे एक रोशनी सी आ गई,
बंजर सी बस्ती थी मानो,
बरसो बाद कोई बहार आ गई,
तेरे इश्क़ मैं यारा,
मैं बिन फेरों के,सुहागन हो गई।
***
मैं गंगा सी पावन,
मैं यमुना का बहता पानी हो गईं,
बरसो बाद हो जो महासंगम ,
उस संगम मैं रवानी हो गई,
तेरे इश्क़ मैं यारा,
मैं बिन फेरों के,
सुहागन हो गई।
***
सब कुछ कह कर भी,
कुछ बात अधूरी रह गईं,
कुर्बत मैं रह कर भी,
वो रात अधूरी रह गई,ना चाहते हुए भी,
मेरी ख़ुशबू तेरे जैसी हो गई,
तेरे इश्क़ मैं यारा,
मैं बिन फेरों के,
सुहागन हो गई।
***
मशहूर शहर मैं,
ढाई अक्षर की कहानी हो गई,
तेरे इश्क़ मैं यारा,
मैं बिन फेरों के,
सुहागन हो गई।
***
तुझ तक पहुँचे जो राह,
मैं हर उस राह की बंजारिन हो गई,
तेरे इश्क़ मैं यारा,
मैं बिन फेरों के,
सुहागन हो गई।
***
पुजू तुझे नमाज़ की तरह,
आरती के जैसे पढ़ा है,
मैंने अपनी हर सास को,
तेरा नाम लेते सुना है,
मैं रब की अरदास,
मैं अली की अज़ान हो गई,
मैं हर पीर दरबार की भिखारन हो गई,
तेरे इश्क़ मैं यारा,मैं बिन फेरों के,
सुहागन हो गई।
***
सिया जैसे राम की,राधा बनी जो श्याम की,
शक्ति शिव की महारानी हो गई,
मैं हर उस इश्क़ की ,
कहानी हो गई,
तेरे इश्क़ मैं यारा,
मैं बिन फेरों के,
सुहागन हो गई।
***
बनाया ताजमहल जिसने,
मैं वो याद पुरानी हो गई,
तेरे इश्क़ मैं यारा,
मैं बिन फेरों के,
सुहागन हो गई।
***
ये जिस्म से उभर कर ,
मेरी मोहब्बत रूहानी हो गई,
तेरे दिल के महल मैं,
जैसे राजा की रानी हो गई,
तेरे इश्क़ मैं यारा,
मैं बिन फेरों के,
सुहागन हो गई।
***
मैं तेरी सारी बालाओ से,
तेरी रखवाली हो गई,
तेरे इश्क़ मैं यारा,
मैं बिन फेरों के,
सुहागन हो गई।
***
ना लाल लिहाफ़ को औढ़ा मैंने,
ना गुलाल मांग मैं सजाया ,
ना ही कोई सूत्र गले मैं,
तेरे नाम का बँधवाया,
मैं हर बन्धन से पराई हो गई,
तेरे इश्क़ मैं यारा,
मैं बिन फेरों के,
सुहागन हो गई।