विवाह गीत राजा जनक जी के बाग में अलबेला रघुवर आयो जी | यह गीत शारदा सिन्हा द्वारा गया गया है | इसे पढ़ें और आनद लें | raja janak ji ke baag mein geet lyrics
राजा जनक जी के बाग में
अलबेला रघुवर आयो जी
राजा जनक जी के बाग में , अलबेला रघुवर आयो जी ,
राजा जनक जी के ………………
सोने के थाली में बिड़िया लगावल ,
सोने के थाली में बिड़िया लगावल
बिड़िया चाभन आवो जी
राजा जनक जी के बाग में , अलबेला रघुवर आयो जी
राजा जनक जी के बाग में …………………………………….
हाथ में कमंडल रेशम डोरी
हाथ कमंडल रेशम डोरी
गिरिजा पूजन आयो जी
राजा जनक जी के बाग में , अलबेला रघुवर आयो जी
राजा जनक जी के ………………………………………..
सोने के झारी गंगाजल पानी
सोने के झारी गंगाजल पानी
पनिया पीवन आओ जी
राजा जनक जी के बाग में , अलबेला रघुवर आयो जी
राजा जनक जी के ………………………………………….
उस रघुवर के लिए स्वागत के लिए पूरी मिथिला नगरी उपस्थित है। उस रघुवर के लिए सोने के थाली में पान का बीड़ा लगाया गया है , उसको खाले उसको ग्रहण करने के लिए सखियां रघुवर को बुला रही है।
प्रसंग है राम और लक्ष्मण को गुरुवर विश्वामित्र पुष्प वाटिका में पुष्प लेने के लिए भेजते हैं , जहां राम और सीता का मिलन होता है , उस पुष्प वाटिका में स्थित गिरिजा माता का मंदिर है। जिसकी पूजा करने के लिए सीता निरंतर आया करती थी।
सखिया कहती है हे रघुवर आपके लिए सोने के पात्र में गंगाजल का पानी रखा गया है , जो परम पवित्र इस भू – धरा पर है उस जल को ग्रहण करने के लिए आप आइए।
भोजपुरी गीत
राजा जनक जी के बाग में – शारदा सिन्हा
राजा जनक जी के बाग में ………………….राजा जनक जी के बाग में
अलबेला रघुवर आयो जी
राजा जनक जी के बाग में , अलबेला रघुवर आयो जी ,
राजा जनक जी के ………………
सोने के थाली में बिड़िया लगावल ,
सोने के थाली में बिड़िया लगावल
बिड़िया चाभन आवो जी
राजा जनक जी के बाग में , अलबेला रघुवर आयो जी
राजा जनक जी के बाग में …………………………………….
हाथ में कमंडल रेशम डोरी
हाथ कमंडल रेशम डोरी
गिरिजा पूजन आयो जी
राजा जनक जी के बाग में , अलबेला रघुवर आयो जी
राजा जनक जी के ………………………………………..
सोने के झारी गंगाजल पानी
सोने के झारी गंगाजल पानी
पनिया पीवन आओ जी
राजा जनक जी के बाग में , अलबेला रघुवर आयो जी
राजा जनक जी के ………………………………………….
सरल शब्द हिंदी में
राजा जनक – मिथला के राजा और सीता के पिता , अलबेला – अनोखा , बिड़िया – पान का बीड़ा ग्रास , चाभन – चबाना / खाना , गिरिजा – देवी गिरिजा नाम , झारी – पानी पिने का पात्रअनुवाद हिंदी में
सीता की सखी के रूप में गायिका कहती है कि , मिथिला के राजा जनक जी के बाग में अलबेला , अनोखा जो देखने में दुर्लभ है , वह रघुवर आए हुए हैं। जैसा की सभी को पता है कि सीता का स्वयंवर का प्रसंग है।उस रघुवर के लिए स्वागत के लिए पूरी मिथिला नगरी उपस्थित है। उस रघुवर के लिए सोने के थाली में पान का बीड़ा लगाया गया है , उसको खाले उसको ग्रहण करने के लिए सखियां रघुवर को बुला रही है।
प्रसंग है राम और लक्ष्मण को गुरुवर विश्वामित्र पुष्प वाटिका में पुष्प लेने के लिए भेजते हैं , जहां राम और सीता का मिलन होता है , उस पुष्प वाटिका में स्थित गिरिजा माता का मंदिर है। जिसकी पूजा करने के लिए सीता निरंतर आया करती थी।
सखिया कहती है हे रघुवर आपके लिए सोने के पात्र में गंगाजल का पानी रखा गया है , जो परम पवित्र इस भू – धरा पर है उस जल को ग्रहण करने के लिए आप आइए।
भोजपुरी गीत