आठ ही काठ के कोठरिया aath hi kaath ke kothariya lyrics with video. One of the best bhajans of bhajpuri specially for chhath puja sung by sharda sinha.
आठ ही काठ के कोठरिया हो दीनानाथ , रूपे छा~ने लागल केवाड़।।
ताहि ऊपर चढ़ी सुतले हो दीनानाथ बांझी केवडूवा धइले ठाड़।
ताहि ऊपर चढ़ी सुतले हो दीनानाथ बांझी केवडूवा धइले ठाड़।
चदर उघारी जब देखले हो दीनानाथ , कौन संकट पडल तोहार।
चदर उघारी जब देखले हो दीनानाथ , कौन संकट पडल तोहार।
पुत्र संकट पडल , मोरा हो दीनानाथ ओहिला केवडूवा धईले ठाड़।
पुत्र संकट पडल , मोरा हो दीनानाथ ओहिला केवडूवा धईले ठाड़।
चदर उघारी जब देखले हो दीनानाथ , कौन संकट पडल तोहार।
चदर उघारी जब देखले हो दीनानाथ , कौन संकट पडल तोहार।
नैना संकट पड़ल मोरा हो दीनानाथ ओहिला केवडुआ धईले ठाड़।
नैना संकट पड़ल मोरा हो दीनानाथ ओहिला केवडुआ धईले ठाड़।
चदर उघारी जब देखले हो दीनानाथ , कौन संकट पडल तोहार।
चदर उघारी जब देखले हो दीनानाथ , कौन संकट पडल तोहार।
काया संकट पडल मोरा हो दीनानाथ ,ओहिला केवडुआ धईले ठाड़।
काया संकट पडल मोरा हो दीनानाथ ,ओहिला केवडुआ धईले ठाड़।
बांझीनी के पुत्र जब , दिहले हो दीनानाथ खेलत-कुदत घर जात।
बांझीनी के पुत्र जब , दिहले हो दीनानाथ खेलत-कुदत घर जात।
अन्हरा के आंख दिहले कोढ़िया के कायावा , हसत – बोलत घर जात।
अन्हरा के आंख दिहले कोढ़िया के कायावा, हसत – बोलत घर जात।
आठ ही काठ के कोठरिया हो दीनानाथ , रूपे छा~ने लागल केवाड़।
आठ ही काठ के कोठरिया हो दीनानाथ , रूपे छा~ने लागल केवाड़।।
उसके ऊपर चढ़ के आप सोए हुए हैं , इसी कारण से निसंतान बाँझिन आपकी किवाड़ पकड़े खड़ी है। भगवान आदित्य आप जब चद्दर उठाकर देखे तो आपका ही संकट इस बाँझिन पर पड़ा है। वह संकट है पुत्र संकट इसीलिए यह भक्त आपके कोठारिया के बाहर किवाड़ पकड़ कर पुत्र संकट को दूर करने की भीख मांग रही है।
चदर उधार कर देखिए दिनानाथ के कौन सा संकट तुम्हारे भक्तों पर पड़ा है। नैना संकट तुम्हारे भक्तों पर पड़ा है , जिसके कारण वह जग को नहीं देख पा रहा है। इसी कारण से तुम्हारी कोठरी के बाहर किवाड़ पकडे आस लगाए खड़ा है।
चादर उठा कर देखिए दीनानाथ इस जगत में कौन सा संकट आपका पड़ा हुआ है , जिसको आप दूर कर सकते हैं। काया संकट शरीर मलिन पड़ा है जो संकट आपके द्वारा ही दिया गया है। उसको आप ही दूर कर सकते हैं , इसी आस से दुखी आपके कोठारी के बाहर किवाड़ पकड़ कर खड़ा है।
हे दीनानाथ आपने जब आंख खोली और इन दुखी जनों को देखा तो बांझ इनको पुत्र दिया , जिसका पुत्र खेलते कूदते घर गया और नेत्रहीन को आंख दिया और कोड़ी व्यक्ति को उसका सुंदर शरीर दिया जिसके कारण वह हंसते – खेलते अपने घर में गए। हे भगवान इसी प्रकार आप सभी दुखी जनों पर कृपा बनाए रखें जिसके कारण सब निरोगी व दुख रहित हो।
आठ ही काठ के कोठरिया
आठ ही काठ के कोठरिया हो दीनानाथ , रूपे छा~ने लागल केवाड़।आठ ही काठ के कोठरिया हो दीनानाथ , रूपे छा~ने लागल केवाड़।।
ताहि ऊपर चढ़ी सुतले हो दीनानाथ बांझी केवडूवा धइले ठाड़।
ताहि ऊपर चढ़ी सुतले हो दीनानाथ बांझी केवडूवा धइले ठाड़।
चदर उघारी जब देखले हो दीनानाथ , कौन संकट पडल तोहार।
चदर उघारी जब देखले हो दीनानाथ , कौन संकट पडल तोहार।
पुत्र संकट पडल , मोरा हो दीनानाथ ओहिला केवडूवा धईले ठाड़।
पुत्र संकट पडल , मोरा हो दीनानाथ ओहिला केवडूवा धईले ठाड़।
चदर उघारी जब देखले हो दीनानाथ , कौन संकट पडल तोहार।
चदर उघारी जब देखले हो दीनानाथ , कौन संकट पडल तोहार।
नैना संकट पड़ल मोरा हो दीनानाथ ओहिला केवडुआ धईले ठाड़।
नैना संकट पड़ल मोरा हो दीनानाथ ओहिला केवडुआ धईले ठाड़।
चदर उघारी जब देखले हो दीनानाथ , कौन संकट पडल तोहार।
चदर उघारी जब देखले हो दीनानाथ , कौन संकट पडल तोहार।
काया संकट पडल मोरा हो दीनानाथ ,ओहिला केवडुआ धईले ठाड़।
काया संकट पडल मोरा हो दीनानाथ ,ओहिला केवडुआ धईले ठाड़।
बांझीनी के पुत्र जब , दिहले हो दीनानाथ खेलत-कुदत घर जात।
बांझीनी के पुत्र जब , दिहले हो दीनानाथ खेलत-कुदत घर जात।
अन्हरा के आंख दिहले कोढ़िया के कायावा , हसत – बोलत घर जात।
अन्हरा के आंख दिहले कोढ़िया के कायावा, हसत – बोलत घर जात।
आठ ही काठ के कोठरिया हो दीनानाथ , रूपे छा~ने लागल केवाड़।
आठ ही काठ के कोठरिया हो दीनानाथ , रूपे छा~ने लागल केवाड़।।
काठी शब्द सरल हिंदी शब्द में
कोठारिया – कोठरी/कुटिया , केवाड़ – दरवाजा , बांझी – निःसंतान ,गीत का हिंदी अनुवाद
व्रती कहती है कि आपकी जो काट की कोठारिया है , भगवान दीनानाथ उसका किवाड़ को पकडे मैं दुखियारी खड़ी हूं। आपके रूप का दर्शन की अभिलाषा लिए प्रतीक्षा में हूं।उसके ऊपर चढ़ के आप सोए हुए हैं , इसी कारण से निसंतान बाँझिन आपकी किवाड़ पकड़े खड़ी है। भगवान आदित्य आप जब चद्दर उठाकर देखे तो आपका ही संकट इस बाँझिन पर पड़ा है। वह संकट है पुत्र संकट इसीलिए यह भक्त आपके कोठारिया के बाहर किवाड़ पकड़ कर पुत्र संकट को दूर करने की भीख मांग रही है।
चदर उधार कर देखिए दिनानाथ के कौन सा संकट तुम्हारे भक्तों पर पड़ा है। नैना संकट तुम्हारे भक्तों पर पड़ा है , जिसके कारण वह जग को नहीं देख पा रहा है। इसी कारण से तुम्हारी कोठरी के बाहर किवाड़ पकडे आस लगाए खड़ा है।
चादर उठा कर देखिए दीनानाथ इस जगत में कौन सा संकट आपका पड़ा हुआ है , जिसको आप दूर कर सकते हैं। काया संकट शरीर मलिन पड़ा है जो संकट आपके द्वारा ही दिया गया है। उसको आप ही दूर कर सकते हैं , इसी आस से दुखी आपके कोठारी के बाहर किवाड़ पकड़ कर खड़ा है।
हे दीनानाथ आपने जब आंख खोली और इन दुखी जनों को देखा तो बांझ इनको पुत्र दिया , जिसका पुत्र खेलते कूदते घर गया और नेत्रहीन को आंख दिया और कोड़ी व्यक्ति को उसका सुंदर शरीर दिया जिसके कारण वह हंसते – खेलते अपने घर में गए। हे भगवान इसी प्रकार आप सभी दुखी जनों पर कृपा बनाए रखें जिसके कारण सब निरोगी व दुख रहित हो।