मोहि लेलकिन सजनी मोरा मनवा – यह गीत शारदा सिन्हा द्वारा गया है | यह मैथिली विवाह गीत भी है | mohi lelkhin sajni mora manwa geet lyrics
मोहि लेलकिन सजनी मोरा मनवा , पहुनवा राघो। ।
एहो पहुनवा राघो , सिया के सजनवा राघो ,
राजा दशरथ के दुलरवा ,पहुनवा राघो
मोहि लेलकिन सजनी मोरा मनवा , पहुनवा राघो
अखियन में कारी काजल , होठवा में पान के लाली ,
अखियन में कारी काजल , होठवा में पान के लाली ,
लाले – लाल सिर पर है पगड़ीया, पहुनवा राघो
मोहि लेलकिन सजनी मोरा मनवा , पहुनवा राघो
चलु -चलु परीक्षन सखी है , दूल्हा चूमावन सखी है ,
चलु -चलु परीक्षन सखी है , दूल्हा चूमावन सखी है ,
चम चम चमके है मउरिया, पहुनवा राघो
मोहि लेलकिन सजनी मोरा मनवा , पहुनवा राघो
कि मेरी सिया का मन मोहने वाला संबंधी / पाहुन अवध नगर के राजकुमार राम है। वही राम है जो सिया के सजन होने वाले है। जो राजा दशरथ के दुलारे हैं , अयोध्या के दुलारे हैं। उन्ही राम ने मेरी सिया का मन मोह लिया है , उन्होंने मेरे सिया का मन हर लिया है।
फागुन के आंख में काले – काले काजल है , और होंठ पर पान की लाली और उस पाहुन ने सिर पर लाल रंग की पगड़ी पहनी हुई है। यहां पाहून के छवि को दृश्य रूप में उपस्थित किया है। सखी कहती है उसी राघव ने मेरी सखी सिया का मन हर लिया है , जिसकी आंखों में काले काजल होठ पर पान की लाली और सिर पर लाल रंग की पगड़ी है।
सखी गाते हुए कहती है चलो सखी अब शादी की रस्म की जाय। सिया और दूल्हा राम को रस्म अदायगी कर विद – व्यवहार किया जाये। उस सिया – राम को जिसके सिर पर मोरिया ( विवाह के लिए विशेष तैयार किया गया पगड़ी)शोभायमान है।
‘मोहि लेलकिन सजनी मोरा मनवा’
शारदा सिन्हा मैथिली विवाह गीत
मोहि लेलकिन सजनी मोरा मनवा , पहुनवा राघोमोहि लेलकिन सजनी मोरा मनवा , पहुनवा राघो। ।
एहो पहुनवा राघो , सिया के सजनवा राघो ,
राजा दशरथ के दुलरवा ,पहुनवा राघो
मोहि लेलकिन सजनी मोरा मनवा , पहुनवा राघो
अखियन में कारी काजल , होठवा में पान के लाली ,
अखियन में कारी काजल , होठवा में पान के लाली ,
लाले – लाल सिर पर है पगड़ीया, पहुनवा राघो
मोहि लेलकिन सजनी मोरा मनवा , पहुनवा राघो
चलु -चलु परीक्षन सखी है , दूल्हा चूमावन सखी है ,
चलु -चलु परीक्षन सखी है , दूल्हा चूमावन सखी है ,
चम चम चमके है मउरिया, पहुनवा राघो
मोहि लेलकिन सजनी मोरा मनवा , पहुनवा राघो
कठिन शब्द सरल हिंदी में
पहुनवा राघो – अतिथि राम , दुलरवा – दुलारा , परीक्षन -विवाह का एक रस्म , मउरिया – विवाह के लिए विशेष दूल्हा के लिए तैयार किया गया मुकुट ,गीत का हिंदी में अनुवाद
सिया का स्वयंवर है , चारों तरफ मिथिला नगरी सज – धज कर विवाह समारोह देखने के लिए व्याकुल है। क्योंकि यह दिव्य राजकुमार जो राजा दशरथ के राजकुमार हैं। उनका संबंध मिथिला नगरी से जुड़ने वाला है। अतः इन दिव्य कुमारों को देखकर पुरी मिथिला नगरी खुशी मना रही है साथ ही सिया अर्थात सीता की सखियां भी उन चारों राजकुमार से मोहित है और वह सिया को कहती हैं –कि मेरी सिया का मन मोहने वाला संबंधी / पाहुन अवध नगर के राजकुमार राम है। वही राम है जो सिया के सजन होने वाले है। जो राजा दशरथ के दुलारे हैं , अयोध्या के दुलारे हैं। उन्ही राम ने मेरी सिया का मन मोह लिया है , उन्होंने मेरे सिया का मन हर लिया है।
फागुन के आंख में काले – काले काजल है , और होंठ पर पान की लाली और उस पाहुन ने सिर पर लाल रंग की पगड़ी पहनी हुई है। यहां पाहून के छवि को दृश्य रूप में उपस्थित किया है। सखी कहती है उसी राघव ने मेरी सखी सिया का मन हर लिया है , जिसकी आंखों में काले काजल होठ पर पान की लाली और सिर पर लाल रंग की पगड़ी है।
सखी गाते हुए कहती है चलो सखी अब शादी की रस्म की जाय। सिया और दूल्हा राम को रस्म अदायगी कर विद – व्यवहार किया जाये। उस सिया – राम को जिसके सिर पर मोरिया ( विवाह के लिए विशेष तैयार किया गया पगड़ी)शोभायमान है।