sakhi ri banke bihari se lad gaee ankhiyan सखी री बांके बिहारी से

सखी री बांके बिहारी से – प्रस्तुत गीत बांके बिहारी श्री कृष्ण के प्रेम रस से ओत-प्रोत ग्वालन तथा उनके दिव्य छवि से प्रेम करने वाली और भक्तों के लिए यह गीत है।

जिसे गाकर भक्तों अपने आप को श्री कृष्ण बांके बिहारी के चरणों में समर्पित हो जाता है , जो भक्त अपने आप को बांके बिहारी श्री कृष्ण के चरणों में समर्पित हो जाता है , वह फिर मोह माया आदि के बंधनों से मुक्त हो जाता है।

sakhi ri banke bihari se lad gaee ankhiyan​

सखी री बांके बिहारी से
सखी री बांके बिहारी से
हमारी लड़ गई अखियां।
सखी री बांके बिहारी से , हमारी लड़ गई अखियां।

बचाई हो बचाई बचाई थी बहुत लेकिन
बचाई थी बहुत लेकिन , निगोड़ी लड़ गई अखियां
सखी री बांके बिहारी से , हमारी लड़ गई अखियां
सखी री बांके बिहारी से , हमारी लड़ गई अखियां। ।

न जाने क्या किया जादू , ये तकती रह गई अखियां
न जाने क्या किया जादू , ये तकती रह गई अखियां
चमकती हो चमकती चमकती हाय बरछी सी
चमकती हाय बरछी सी , कलेजे गड़ गई अखियां
चमकती हाय बरछी सी , कलेजे गड़ गई अखियां
सखी री बांके बिहारी से , हमारी लड़ गई अखियां। ।

चहुँ दिस रसभरी चितवन , मेरी आंखों में लाते हो
चहुँ दिस रसभरी चितवन , मेरी आंखों में लाते हो
कहो हो कहो कहो कैसे कहां जाऊं
कहो कैसे कहां जाऊं , ये पीछे पड़ गई अखियां
कहो कैसे कहां जाऊं , ये पीछे पड़ गई अखियां
सखी री बांके बिहारी से , हमारी लड़ गई अखियां। ।

भले तन से ये निकले प्राण , मगर वो छवि ना निकलेगी
भले तन से ये निकले प्राण , मगर वो छवि ना निकलेगी
अंधेरे हो अंधेरे अंधेरे मन के मंदिर में
अंधेरे मन के मंदिर में , मणि सी गड गई अखियां
अंधेरे मन के मंदिर में , मणि सी गढ़ सही अखियाँ
सखी री बांके बिहारी से , हमारी लड़ गई अखियां
बचाई हो बचाई बचाई थी बहुत लेकिन
बचाई थी बहुत लेकिन , निगोड़ी लड़ गई अखियां
सखी री बांके बिहारी से ,
सखी री बांके बिहारी से ,
सखी री बांके बिहारी से ,
हमारी लड़ गई अखियां। ।

 

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