QURAN KI BATEN – HINDI क़ुरान की बातें

QURAN KI BATEN – HINDI क़ुरान की बातें


वह्य के जरिये अल्लाह ने जो बातें हमारे प्यारे नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बताई, आप उन बातों की चर्चा अपने सहाबा (साथियों) से करते थे। वह्य का मतलब ये है कि अल्लाह के भेजे गए फ़रिश्ते जिनका नाम हज़रत जिब्राइल अलैहिस्सलाम था वो अल्लाह का सन्देश लेकर हमारे नबी के पास आते थे। क़ुरान अल्लाह के उन्हीं संदेशों का कलेक्शन है। अगर आप कुरान की बातें जानना चाहते हैं तो ये पूरा पोस्ट ध्यान से जरूर पढ़ें।


कुरान की बातें QURAN KI BATEN​

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के विसाल के बाद सहाबा लोगों ने आपकी बताई सभी आसमानी संदेशों को लिखित रूप दिया।अल्लाह के भेजे गए संदेशों का ये कलेक्शन ही क़ुरान है।
क़ुरान में कुल 30 पारा (खंड) हैं। इसमें 114 सूरह हैं।

पहला सूरह का नाम है- अल फ़ातिहा। यह सूरह मक्का में उतरी थी। इसमें कुल 7 आयतें हैं।सूरह फ़ातिहा पूरे क़ुरान का एक तरह से सार है।

क़ुरान या कोई सूरह पढ़ने से पहले बिस्मिल्लाह हिर्रहमानिर्रहीम पढ़ा जाता है जिसका मतलब है-

शुरू करता हूँ मैं अल्लाह के नाम से जो बड़ा रहमान और रहीम (कृपाशील और दयावान ) है।

सूरह फ़ातिहा की सातों आयतें और उनका तर्जुमा ये हैं –

1- अलहम्दोलिल्लाही रब्बिलआलमीन – सारी तारीफ़ें अल्लाह के लिए है, जो सारे आलम (संसार) का रब है।

2- अर्रहमानिर्रहीम – जो बड़ा कृपाशील और दयावान है।

3- मालिकेयौमिद्दीन – उस दिन का मालिक है जिस दिन फैसला (The Day of Judgment) दिया जायेगा

4- यीयाकनाबोदोवइया कनसतईंन – हम तेरी ही बंदगी करते हैं और तुझसे ही सहायता मांगते हैं

5- इह दिनस सेरातल मुस्तकीम – हमें सीधा रास्ता दिखा

6- सिरातल लजीना अन अमता अलैहिम- उन लोगों का रास्ता जो तेरे कृपा पात्र बनें

7- गैरिल मगदूब अलैहिम व लदद्वालीन- जो न प्रकोप के भागी हुए, न रास्ते से भटके।

चूँकि क़ुरान अल्लाह के हुक्मों / संदेशों का कलेक्शन है इसीलिए ये आसमानी क़िताब है, जो अल्लाह की तरफ से भेजी गई है।

आप देख रहे हैं कि क़ुरान की शुरूआत जिस सूरह फातिहा से है उसमें सिर्फ और सिर्फ एक अल्लाह को सारी दुनिया का मालिक मानने की बात लिखा है। और ये बात तो हर धर्म के लोग मानते हैं कि पूरी दुनिया को बनाने वाला कोई एक ही सुपर पावर है। इसी सुपर पावर का नाम क़ुरान में अल्लाह है। पूरी दुनिया के मालिक के लिए इससे ज्यादा अच्छा नाम कोई हो भी नहीं सकता।

अल्लाह सबसे बड़ा है। जिस अल्लाह ने सूरज, चाँद, जमीन, आसमान, हवा, पानी, इंसान, जानवर आदि सब कुछ बनाया क्या उससे भी बड़ा होने लायक कोई है क्या ? हरगिज नहीं। इसी बात को अरबी भाषा में अल्लाहु अकबर (अल्लाह सबसे बड़ा है) कहा जाता है।

इसीलिए क़ुरान के पहली आयत में ही लिखा है – अलहम्दोलिल्लाही रब्बिलआलमीन है- मतलब ये कि सारी तारीफ़ें अल्लाह के लिए है, जो सारे आलम (संसार) का रब (मालिक ) है।


अब आप खुद सोचिये कि जिसने सारी दुनिया बनायी तो तारीफ के लायक वो बनाने वाला होगा कि हम और आप होंगे, कोई इंसान होगा ? बनाई गई चीज महान नहीं होती। बनानेवाला, रचने वाला, पैदा करने वाला महान होता है। सबसे बड़ा होता है।

दूसरी आयत में लिखा है – अर्रहमानिर्रहीम- मतलब ये कि अल्लाह बड़ा कृपाशील और दयावान है।

अब जरा आप ही सोचिये कि आप ने किसी को काम के लिए रखा है. आप उसकी हर जरुरत पूरी करते हैं। अगर वो आप का एहसानमंद न हो, आपकी बात न माने, आप का सम्मान न करे तो क्या आप उसको सब कुछ फिर भी हमेशा देते रहेंगे ? क्या आप बुरा नहीं मानेंगे ? जी हाँ, आप बिलकुल सही सोच रहे हैं- निकाल देंगे उस नाफरमान को, नमक हराम को। लेकिन अल्लाह ऐसा नहीं करता। वो सबको सामान रूप से देता है। चाहे कोई उसकी माने या न माने। कोई उसकी तारीफ, सम्मान करे या न करे। इसीलिए अल्लाह कृपाशील है। अल्लाह दयावान है।

तीसरी आयत में लिखा है – मालिकेयौमिद्दीन -मतलब, अल्लाह मालिक है क़यामत के दिन का जिस दिन सभी को उसके कर्मों का फैसला सुनाया जायेगा।

मालिक ने हमको दुनिया में यूँ ही नहीं भेज दिया। हर चीज के बनाने का कोई न कोई मकसद जरूर होता है। अल्लाह ने इंसान को अपनी इबादत के लिए पैदा किया है। लेकिंग दुनिया में इंसान सामाजिक जीव है। इसलिए अल्लाह की इबादत के साथ-साथ उसको समाज के दूसरे लोगों के साथ भी सम्मान जनक रूप से पेश आना है। अन्य इंसानों को भी अल्लाह ने ही पैदा किया है। अल्लाह की बनाई किसी भी चीज का अपमान नहीं सम्मान किया जाता है। अल्लाह भी यही चाहता है की सभी इंसान आप में प्रेम से रहें।

इंसान जिंदगी कैसे जिए, इसके लिए अल्लाह ने अपने रसूल मुहम्मद सल्लाहु अलैहि वसल्लम के जिंदगी को नमूना बना दिया। अल्लाह ने बता दिया है कि सिर्फ और सिर्फ मेरी इबादत करो क्यों कि मैंने ही तुमको बनाया है और दुनियावी जिंदगी मेरे रसूल मुहम्मद सल्लाहु अलैहि वसल्लम के जैसी जिओ। मरने के बाद इसी बात का हिसाब होगा की कौन किस तरह की जिंदगी जी कर आया है।कौन कुरान-रसूल के अनुसार जिंदगी जिया और कौन अपनी मनमानी से जिंदगी जिया।

अगर आपकी जिंदगी अल्लाह के हुक्मों और नबी के सुन्नत के अनुसार पायी गई तो आपको जन्नत मिलेगा और इसके उल्टा पाई गई तो जहन्नम मिलेगा। जो इंसान अपनी मनमानी जिदगी जी कर जाएगा वो जहन्नम में डाल दिया जाएगा । मतलब ये की इंसानी जिंदगी एक इम्तहान है। रिजल्ट पहले से बता दिया गया है कि क्या करके आओगे तो क्या मिलेगा।

चौथी आयत में लिखाहै – यीयाकनाबोदोवइया कनसतईंन- मतलब हम तेरी ही बंदगी करते हैं और तुझसे ही सहायता मांगते हैं। ये प्रार्थना है, हम सिर्फ तेरी ही इबादत करते है जैसा की तुमने हुक्म दिया। क्यों की तूने ही हमें बनाया, सब कुछ दिया। अब अगर कोई जरुरत पड़ेगी तो तू ही उसे पूरा कर सकता है क्यों की तू ही मेरे बारे सब कुछ जनता है, क्यों की तूने ही मुझे बनाया है। इसलिए मुझे जो कुछ भी चाहिये वो तुझ से ही मंगाते हैं।

पांचवी आयत में लिखा है – इह दिनस सेरातल मुस्तकीम – हमें सीधा रास्ता दिखा –

ऐ अल्लाह, तू ही मेरा रचनाकार है, तूने ही मुझे बनाया, पैदा किया, इसलिए तू ही बेहतर जानता है कि मेरे लिए सीधा, अच्छा रास्ता क्या है। अगर तू मुझे सीधा रास्ता दिखा देगा तो मेरी नैया पार हो जाएगी। आखरत बन जाएगी।

छठी आयत में लिखा है- सिरातल लजीना अन अमता अलैहिम – उन लोगों का रास्ता जो तेरे कृपा पात्र बनें

ऐ अल्लाह, हमें वो रास्ता दिखा जिस पर चलने वालों से तू खुश हुआ। मैं उसी रास्ते पर अपनी जिंदगी गुजारना चाहता हूँ जिस से तेरी ख़ुशनूदी हासिल हो जाये।

सातवीं आयत में लिखा है- गैरिल मगदूब अलैहिम व लदद्वालीन- जो न प्रकोप के भागी हुए, न रास्ते से भटके

ऐ अल्लाह हमें वो रास्ता बता जिस पर चलने से तू गुस्सा नहीं करता, वो रास्ता बता जिस पर चलने वाला भटकता नहीं है। मैं उस मार्ग पर चलना चाहता हूँ, मतलब की ऐसी जिंदगी चाहता हु की न तो मैं सही रास्ते से भटकूं और न ही तेरे गुस्से का कारन बनूँ। अल्लाह के लिए इससे अच्छी प्रार्थना, इबादत हो सकती है क्या? नहीं न ?

तो ये है क़ुरान का सन्छिप्त सार। आप खुद ही देख रहे हैं की क़ुरान के पहले ही सूरह में कितनी अच्छी बातें लिखी हुई है।

कार का बनाने वाला ही जनता है कि कार ठीक तरीके से कैसे चलेगी, उसके लिए कौन सा ईंधन ठीक रहेगा, कार की लाइफ कितने दिनों की होगी।

ठीक इसी तरह आपको पैदा करने वाला ही आप के बारे ठीक ठीक बातें जानता है। इसलिए आपको चाहिए कि अपनी जिंदगी अपने पैदा करने वाले अल्लाह के मुताबिक जीएं। मरना तो आज नहीं तो कल है ही। मर कर वापस अपने मालिक के पास जाना है जहाँ एक दिन आपके कर्मों का हिसाब होगा। तो समझदारी तो इसी में न है की आज से, अभी से अपने मालिक के हुक्मों के अनुसार अपनी जिंदगी जीना शुरू कर दिया जाये।

इस तरह से आपने देखा कि आपको पैदा करनेवाला, आपका पालनहार आपसे सिर्फ दो काम चाहता है –

पहला – अल्लाह के सिवाय कोई इबादत के लायक नहीं है। इसलिए सिर्फ और सिर्फ एक अल्लाह की इबादत कीजिये।

दूसरा – जिंदगी ऐसे जियें जैसे अल्लाह के रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जिया। मतलब कि ऐसी जिंदगी जिसमे बुराई के लिए कहीं कोई जगह न हो।

क़ुरान की बातें अल्लाह के हुक्मों के मुताबिक जिंदगी जीने का रास्ता बताती हैं। ये क़ुरान सिर्फ किसी एक समुदाय के लिए नहीं है, बल्कि इस ज़मीन के हर इंसान के लिए है। क्यों कि हर इंसान को अल्लाह ने ही पैदा किया है चाहे वह जहां भी रहता हो, चाहे कोई भी भाषा बोलता हो, चाहे उसका रूप रंग कुछ भी हो।

हर इंसान को क़ुरान की बातें जानना चाहिये। जानने के बाद उन पर अमल भी शुरू कर देना चाहिए। ऐसा करने से अंत समय में पछताना नहीं पड़ेगा। जिंदगी बड़ी बेवफा है। कभी भी साथ छोड़ सकती है। ये महत्वपूर्ण जानकारी आप के पास पहुँचाना मेरी जिम्मेदारी थी। अब आपकी भी जिम्मेदारी है कि इस पोस्ट को अल्लाह के दूसरे मोमिन बन्दों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि उनको भी फायदा मिले और आप को भी सवाब हासिल हो। आपकी नेकी बढ़े। आप पर अल्लाह की रहमत हो । आमीन !
 
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