मोहतरम हजरात, अस्सलामअलेकुम वरहमतुल्लाहीव बरकातहू
जुमा की नमाज की बड़ी फजीलत है. जुम्मे के दिन को हफ्ते की ईद भी कही जाती है.
जुम्मे का दिन सभी दिनों का सरदार है. हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया की जो शख्स जुम्मे के दिन मुझ पर दरूद भेजेगा, कयामत के दिन हम उसकी गवाही देंगे और उसकी शफाअत करेंगे. जुमे की नमाज रोज दिनों की तरह ही होती है लेकिन इसमें थोड़ा फर्क है.
आइए जानते हैं की जुमा की नमाज पढ़ने का तरीका क्या है.
जुमे की नमाज में कुल 14 रकात है. इसमें सबसे पहले चार 4 रकात सुन्नत, 2 रकात फर्ज, 4 रकात सुन्नत, 2 रकात सुन्नत, फिर अंत में 2 रकात नफिल नमाज पढ़ी जाती है.
इन 14 रकातओं में 2 रकात फर्ज जुम्मे की मुख्य नमाज है.
जुमे की नमाज पढ़ने के लिए ठीक तरीके से गुसल करें, मिस्वाक करके वजू करें, कपड़े पहने, इत्र लगाएं और मस्जिद जाएं.
खुत्बा के बाद इमाम के पीछे सफ में सभी लोग खड़े हो जाते हैं।
इसके बाद जुमे की दो तो 2 रकात फर्ज नमाज पढ़ी जाएगी. जुमा का 2 रकात फ़र्ज़ नमाज खुद नहीं पढ़ी जाती बल्कि इमाम पढ़ाते हैं। जिनको बिलकुल नमाज पढ़ने नहीं आता वो भी जमात अपनी नमाज पढ़ सकते हैं। हर मोमिन पर नमाज का पढ़ना फ़र्ज़ है। इसलिए हर मोमिन को नमाज पढ़ने आना चाहिए। जिनको नहीं आता जरूर सीख लें।
खुत्बा के बाद जब नमाज के लिए सभी लोग खड़े हो जाते तो इमाम के पीछे खड़ा कोई आदमी तकबीर पढ़ता है। तकबीर एक तरह से पूरी अज़ान ही होती है. तकबीर पूरी होने पर सभी लोग नमाज की नीयत करते हैं, बिना आवाज किये। आहिस्ता से।
नियत करके आप खड़े रहेंगे।
इमाम भी नियत करके अल्लाहु अकबर कहते हुए दोनों हाथ कानों की लौ तक ले जाकर वापस नाभि के ऊपर हाथ बांध लेंगे। जब इमाम अपनी नियत करके अल्लाहु अकबर कहेंगे उसी टाइम आप भी
नियत करके दोनों हाथ कानों तक ले जाकर वापस नाभि के ऊपर
हाथ बांध लेंगे। मतलब ये की इमाम के साथ साथ ही हाथ कानों तक ले जाकर वापस नाभि के ऊपर बांध लेना है। बाएं हाथ पर दाहिने हाथ की हथेली रखें।
दाहिने हाथ की बिच वाली तीनों उंगलियां बाएं हाथ की कलाई पर हो.
जमात के साथ नमाज में नमाजी वही करते हैं जो इमाम करते हैं।
हाथ बांध लेने के बाद आहिस्ता आवाज में सना पढ़िए –
“सुभान कल्लाहुम्मा, वबे हमदिका। वतबारा कस्मोका, वत आला जद्दोका। व लाइलाह गैरोका”।
अब इमाम साहब बुलंद आवाज़ में सूरह फातिहा और उसके बाद कलाम पाक का कोई सूरह पढ़ेंगे। इस दौरान आपको पढ़ना नहीं है। चुपचाप खड़े रह कर इमाम को सुनना है।
सूरह पढ़ने के बाद, अल्लाहु अकबर कहते हुए इमाम के साथ रुकू में जाएँ (आगे की तरफ झुकें, दोनों हाँथ पैर के घुटने पर रखें) रुकू में ये पढ़ें – सुबहान रब्बियल अज़ीम -3 बार. समियल्लाह हुलिमनहमिद कहते हुए इमाम के साथ खड़े हो जाएँ .
पढ़ें – ‘रब्बना लक़ल हम्द’ फिर इमाम ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए सजदे में जायेंगे आप भी साथ साथ सजदा में जाएँ ( पंजे के बल बैठ कर माथा ज़मीन पर रखें, नाक ज़मीन से सटी रहे, हाथ की पांचों उंगलियां आपस में सटी रहें, दोनों हाथ की हथेली ज़मीन पर सटी रहें )
सज़दे में ये
आप भी पढ़ें – ‘सुबहान रब्बियल आला’ – ( 3 बार )इमाम सजदे से उठ कर अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जायेंगे। आप भी उठ कर बैठ जाएँ। सीधा बैठें।
दोनों हाथों की हथेली सामने जांघ पर रखें। कुछ सेकंड रुक कर इमाम अल्लाहु अकबर कहते हुए फिर सजदा में जायेंगे। आप भी साथ में सजदे में जाएँ और 3 बार “सुभान रब्बियल आला”
पढ़ें , इमाम अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े होंगे। आप भी साथ साथ खड़े होकर दोनों हाथ बांध लें ।
(नमाज की पहली रकात पूरी हो गई। इसी तरह दूसरी रकत पढ़ें)
इमाम सूरह फातिहा के बाद कोई सूरह पढ़ेंगे। रुकू में जायेंगे। आप भी साथ में रुकू में जाये और 3 बार पढ़ें –सुबहान रब्बियल अज़ीम
रुकू के बाद इमाम अल्लाहु अकबर कहते हए खड़े होंगे. आप भी खड़े हो जाएँ। फिर इमाम अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे में जायेंगे। आप भी साथ में सजदा करें। सजदा में तीन बार पढ़े -“सुभान रब्बियल आला”
फिर इमाम के साथ दूसरा सजदा करें। दूसरा सजदा से उठ कर अल्लाहु अकबर कहते हुए वापस बैठ जाएँ। दोनों हाथ की हथेली घुटने के पास जांघ पर रखें। उँगलियाँ सटी रहें।
अल्ला हुम्मा बारीक, अला मुहम्मदीव व अल्ला आले मुहम्मदिन कमा बारकता अला इब्राहिम व आला आले इब्राहिम इन्नका हमीदुम्मजीद.
ये दुआ पढ़ने के बाद आप बैठे रहें। इमाम भी दरूद शरीफ और दुआ पढ़ कर पहले
दाहिनी तरफ सलाम फेरते हुए कहेंगे -अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह.
आप भी दाहिनी तरफ देखते हुए धीरे से कहें -अस्सलाम अलेकुम रहमतुल्लाह
इसी तरह इमाम के साथ बायीं तरफ भी सलाम फेरें आपकी दो रकात जुम्मे की नमाज पूरी हो गई।
सलाम फेर कर इमाम दुआ मांगेंगे।
आप भी दोनों हाथ उठा लीजिये और दुआ मांगिये।
जो भी दुआ अल्लाह से करना चाहते हैं करें. जो भी मांगना हो मांगें।
मोमिन की दुआ कभी रद्द नहीं होती। अब इसके बाद 4 रकात सुन्नत , 2 रकात सुन्नत , 2 रकत नफिल पढ़ें। इस तरह से अब आप की 14 रकत जुमा की नमाज पूरी हो गई।
जुमा की नमाज का तरीका आप समझ गए। मैंने अपनी जिम्मेदारी निभा दी। अब आप भी अपनी जिम्मदेदारी निभाएं। इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा अल्लाह के मोमिन बन्दों के साथ शेयर करें जिससे कि उन्हें भी जानकारी हासिल हो और आप सवाब पाएं।
अल्लाह हाफ़िज़
जुमा की नमाज की बड़ी फजीलत है. जुम्मे के दिन को हफ्ते की ईद भी कही जाती है.
जुम्मे का दिन सभी दिनों का सरदार है. हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया की जो शख्स जुम्मे के दिन मुझ पर दरूद भेजेगा, कयामत के दिन हम उसकी गवाही देंगे और उसकी शफाअत करेंगे. जुमे की नमाज रोज दिनों की तरह ही होती है लेकिन इसमें थोड़ा फर्क है.
आइए जानते हैं की जुमा की नमाज पढ़ने का तरीका क्या है.
जुमा की नमाज और दूसरी रोज की नमाजो में अंतर
- पहला- जुमे की नमाज जमात के साथ ही पढ़ी जाती है. दूसरी नमाजें अकेले भी पढ़ी जा सकती है.
- दूसरा- जुमे की नमाज में पहले इमाम खुत्बा पढ़ते हैं. दूसरी रोज की नमाजों में खुत्बा नहीं पढ़ा जाता है
- तीसरा- औरतें जुमे की नमाज की जगह ज़ोहर नमाज घर में पढ़ती हैं.
जुमा की नमाज का टाइम JUMA KI NAMAZ KA TIME
ये नमाज ज़ुहर के नमाज के टाइम पर ही पढ़ी जाती है। मतलब ये कि दोपहर में एक डेढ़ बजे लगभग।जुमा की नमाज की रकातें JUMA KE NAMAZ KI RAKAT
जुमे की नमाज में कुल 14 रकात है. इसमें सबसे पहले चार 4 रकात सुन्नत, 2 रकात फर्ज, 4 रकात सुन्नत, 2 रकात सुन्नत, फिर अंत में 2 रकात नफिल नमाज पढ़ी जाती है.
सुन्नत | फर्ज | सुन्नत | सुन्नत | नफिल |
4 | 2 | 4 | 2 | 2 |
इन 14 रकातओं में 2 रकात फर्ज जुम्मे की मुख्य नमाज है.
जुमे की नमाज पढ़ने के लिए ठीक तरीके से गुसल करें, मिस्वाक करके वजू करें, कपड़े पहने, इत्र लगाएं और मस्जिद जाएं.
जुमा की नमाज का तरीका JUMA KI NAMAZ KA TARIKA
सबसे पहले 4 रकात सुन्नत पढ़ें. खुत्बा का टाइम होने पर इमाम खुत्बा पढ़ेंगे.खुत्बा के बाद इमाम के पीछे सफ में सभी लोग खड़े हो जाते हैं।
इसके बाद जुमे की दो तो 2 रकात फर्ज नमाज पढ़ी जाएगी. जुमा का 2 रकात फ़र्ज़ नमाज खुद नहीं पढ़ी जाती बल्कि इमाम पढ़ाते हैं। जिनको बिलकुल नमाज पढ़ने नहीं आता वो भी जमात अपनी नमाज पढ़ सकते हैं। हर मोमिन पर नमाज का पढ़ना फ़र्ज़ है। इसलिए हर मोमिन को नमाज पढ़ने आना चाहिए। जिनको नहीं आता जरूर सीख लें।
खुत्बा के बाद जब नमाज के लिए सभी लोग खड़े हो जाते तो इमाम के पीछे खड़ा कोई आदमी तकबीर पढ़ता है। तकबीर एक तरह से पूरी अज़ान ही होती है. तकबीर पूरी होने पर सभी लोग नमाज की नीयत करते हैं, बिना आवाज किये। आहिस्ता से।
जुमा की नमाज़ की नीयत JUMA KE NAMAZ KI NIYAT
नीयत की मैंने 2 रकात फर्ज नमाज़ जुम्मा की, वास्ते अल्लाह ताला के, पीछे इस इमाम के, मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ.नियत करके आप खड़े रहेंगे।
इमाम भी नियत करके अल्लाहु अकबर कहते हुए दोनों हाथ कानों की लौ तक ले जाकर वापस नाभि के ऊपर हाथ बांध लेंगे। जब इमाम अपनी नियत करके अल्लाहु अकबर कहेंगे उसी टाइम आप भी
नियत करके दोनों हाथ कानों तक ले जाकर वापस नाभि के ऊपर
हाथ बांध लेंगे। मतलब ये की इमाम के साथ साथ ही हाथ कानों तक ले जाकर वापस नाभि के ऊपर बांध लेना है। बाएं हाथ पर दाहिने हाथ की हथेली रखें।
दाहिने हाथ की बिच वाली तीनों उंगलियां बाएं हाथ की कलाई पर हो.
जमात के साथ नमाज में नमाजी वही करते हैं जो इमाम करते हैं।
हाथ बांध लेने के बाद आहिस्ता आवाज में सना पढ़िए –
“सुभान कल्लाहुम्मा, वबे हमदिका। वतबारा कस्मोका, वत आला जद्दोका। व लाइलाह गैरोका”।
अब इमाम साहब बुलंद आवाज़ में सूरह फातिहा और उसके बाद कलाम पाक का कोई सूरह पढ़ेंगे। इस दौरान आपको पढ़ना नहीं है। चुपचाप खड़े रह कर इमाम को सुनना है।
सूरह पढ़ने के बाद, अल्लाहु अकबर कहते हुए इमाम के साथ रुकू में जाएँ (आगे की तरफ झुकें, दोनों हाँथ पैर के घुटने पर रखें) रुकू में ये पढ़ें – सुबहान रब्बियल अज़ीम -3 बार. समियल्लाह हुलिमनहमिद कहते हुए इमाम के साथ खड़े हो जाएँ .
पढ़ें – ‘रब्बना लक़ल हम्द’ फिर इमाम ‘अल्लाहु अकबर’ कहते हुए सजदे में जायेंगे आप भी साथ साथ सजदा में जाएँ ( पंजे के बल बैठ कर माथा ज़मीन पर रखें, नाक ज़मीन से सटी रहे, हाथ की पांचों उंगलियां आपस में सटी रहें, दोनों हाथ की हथेली ज़मीन पर सटी रहें )
सज़दे में ये
आप भी पढ़ें – ‘सुबहान रब्बियल आला’ – ( 3 बार )इमाम सजदे से उठ कर अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जायेंगे। आप भी उठ कर बैठ जाएँ। सीधा बैठें।
दोनों हाथों की हथेली सामने जांघ पर रखें। कुछ सेकंड रुक कर इमाम अल्लाहु अकबर कहते हुए फिर सजदा में जायेंगे। आप भी साथ में सजदे में जाएँ और 3 बार “सुभान रब्बियल आला”
पढ़ें , इमाम अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े होंगे। आप भी साथ साथ खड़े होकर दोनों हाथ बांध लें ।
(नमाज की पहली रकात पूरी हो गई। इसी तरह दूसरी रकत पढ़ें)
इमाम सूरह फातिहा के बाद कोई सूरह पढ़ेंगे। रुकू में जायेंगे। आप भी साथ में रुकू में जाये और 3 बार पढ़ें –सुबहान रब्बियल अज़ीम
रुकू के बाद इमाम अल्लाहु अकबर कहते हए खड़े होंगे. आप भी खड़े हो जाएँ। फिर इमाम अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे में जायेंगे। आप भी साथ में सजदा करें। सजदा में तीन बार पढ़े -“सुभान रब्बियल आला”
फिर इमाम के साथ दूसरा सजदा करें। दूसरा सजदा से उठ कर अल्लाहु अकबर कहते हुए वापस बैठ जाएँ। दोनों हाथ की हथेली घुटने के पास जांघ पर रखें। उँगलियाँ सटी रहें।
तहियात पढ़िए-
“अत्तहिय्यतो लिल्लाहि वस्सलवातो , वत्तैय्याबातो। अस्सलामो अलैका अइय्योहन्नबियो। वरहमतुल्लाहि व बराकातहु। अस्सलामो अलैना व आला ऐबादिस्सालेहींन। अश्हदु अल्ला इलाह इल्ललाहु ( कहते हुए शहादत की उंगली इंडेक्स फिंगर ऊपर सीधा सामाने की तरह इशारा करते हुए उठायें ) व अश्हदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुह व रसूलुहु” .फिरदरूद शरीफ पढ़ें
अल्ला हुम्मा सल्ले, आला मुहम्मदिव व आला आले मुहम्मदिन कमा सल्लैता अला इब्राहिम व आला आले इब्राहिम इन्नका हमीदुम्मजीद।अल्ला हुम्मा बारीक, अला मुहम्मदीव व अल्ला आले मुहम्मदिन कमा बारकता अला इब्राहिम व आला आले इब्राहिम इन्नका हमीदुम्मजीद.
दरूद पढ़ने के बाद ये दुआ पढ़ें
अल्लाहुम्मा इन्नी जलमतो नफ्सी जुलमन कसिरौं व ला एगफिरुज़्ज़ुनूब इल्ला अंत फगफिरली मग्फ़िरतम्मिन इंदेका वरहमनी इन्नका अतल ग़फ़ूरुर्रहीम।ये दुआ पढ़ने के बाद आप बैठे रहें। इमाम भी दरूद शरीफ और दुआ पढ़ कर पहले
दाहिनी तरफ सलाम फेरते हुए कहेंगे -अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह.
आप भी दाहिनी तरफ देखते हुए धीरे से कहें -अस्सलाम अलेकुम रहमतुल्लाह
इसी तरह इमाम के साथ बायीं तरफ भी सलाम फेरें आपकी दो रकात जुम्मे की नमाज पूरी हो गई।
सलाम फेर कर इमाम दुआ मांगेंगे।
आप भी दोनों हाथ उठा लीजिये और दुआ मांगिये।
जो भी दुआ अल्लाह से करना चाहते हैं करें. जो भी मांगना हो मांगें।
मोमिन की दुआ कभी रद्द नहीं होती। अब इसके बाद 4 रकात सुन्नत , 2 रकात सुन्नत , 2 रकत नफिल पढ़ें। इस तरह से अब आप की 14 रकत जुमा की नमाज पूरी हो गई।
जुमा की नमाज का तरीका आप समझ गए। मैंने अपनी जिम्मेदारी निभा दी। अब आप भी अपनी जिम्मदेदारी निभाएं। इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा अल्लाह के मोमिन बन्दों के साथ शेयर करें जिससे कि उन्हें भी जानकारी हासिल हो और आप सवाब पाएं।
अल्लाह हाफ़िज़
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