वज़ू क्या है ?
इस्लाम धर्म में नमाज , हर इबादत, यामजहबी एक्टिविटी के पहले बतायेगए तरीके से पानी सेहाथ, मुंह, पैर धोकर खुद को पाक साफ करने को वजूकरना कहते हैं।वज़ू क्यों जरुरी है ?,
पाकीको आधा ईमान कहा गया है। इसीलिए हर इबादत केपहले जिस्मानी पाकी को जरुरी करारदिया गया। सारे जहाँ के रब कीइबादत करने, उसके सामने खड़े होने, उसके दरबारमें हाजिर होने से पहले वजूकिया जाता है। नमाज अदा करने के पहले सहीतरीके से वजू करनाजरुरी है। बिना वजू या गलत तरीकेसे अगर वजू करने से नमाज याइबादत नहीं होती है।वज़ू के फ़र्ज़
वजूमें कुल चार फ़र्ज़ हैं। अगरएक भी फ़र्ज़ छूटातो वजू नहीं होगा। वजू नहीं तो नमाज भी नहीं।- तीनबार दोनों हाथों को केहुनियों समेतधोना
- तीनबार चेहरा को धोना
- सरका मसह करना
- तीनबार दोनों पैरों को टखनों समेत
वज़ू कीसुन्नतें
वज़ू में कुल चौदह सुन्नतें हैं –- वज़ू की नियत करना, मतलब ये कि अल्लाह का हुक्म मानने की नियत मन में रख कर वज़ू करना
- बिस्मिल्लाह पढ़ना
- दोनों हाथ धोना
- मिस्वाक करना
- तीन बार कुल्ली करना ,रोजा न हों तो गरारा करना
- तीन बार नाक में दाहिने हाथ से पानी डालना
- बांये हाथ से नाक साफ करना
- दाढ़ी हो तो खिलाल करना
- हाथ की उँगलियों का खिलाल करना
- पैर की उँगलियों का खिलाल करना
- सर का मसह करना,दोनों भींगे हाथों को सर पर आगे से पीछे की ओर फेरना
- कानों का मसह करना
- तरतीब से वजू करना
- वज़ू में धुलने वाले हिस्सों को पै दर पै धोना, मतलब ये कि एक हिस्सा सूखने से पहले दूसरे हिस्से को धो लेना
वजू करने का बाद की दुआ
अश्शहदु अल्ला इलाह इल्लल्लाहु वहदहू लाशारिकालहू व अश्शहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दहु व रसूलहु .
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