QURAN-EK-NAZAR - कुरान एक नजर में

जमीन,आसमान, चाँद, सूरज, तारे, जीव-जंतु पेड़-पौधे, हवा, पानी, इंसान, जिन्नात- इन सब को बनाने वाला एक ही सुपर मैन। वही पूरे यूनिवर्स का निर्माता है। हम सब उसी की रचना हैं। उस सुपर मैन के 99 नामों में सबसे बेहतरीन नाम है ‘अल्लाह’.

QURAN-EK-NAZAR - कुरान एक नजर में


अल्लाह ने अपनी इबादत के लिए दुनिया में इंसान को पैदा किया। इबादत का इनाम देने के लिए जन्नत और गुनहगारों के लिए जहन्नम बनाया। इंसानों को सही रास्ता बताने के लिए हर दौर में अल्लाह नेअपने पैगम्बर भेजे। अलग अलग टाइम पर कुल 1,24,000 पैगम्बर दुनिया में भेजे गए। अल्लाह ने चार पैगम्बरों पर किताब भेजा –

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम पर – तौरात

हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम पर -इंजील

हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम पर – ज़बूर

हज़रत मुहम्मद (स. अ. स. ) पर – क़ुरान


बिना शक ये चारो किताबें आसमानी हैं। जिन्हें अल्लाह ने अपने फ़रिश्ते हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम के जरिये पैगम्बरों के पास भेजा। क़ुरान आखिरी आसमानी किताब है जिसे अल्लाह ने अपने आखिरी पैगम्बर हज़रत मुहम्मद (स. अ. स. ) के पास भेजा।

अल्लाहकी तरफ से अपने पैगम्बरोंके पास इस तरह सेपैगाम भेजने को वह्य कहा जाता है. अलग-अलग समय में, अलग-अलग स्थानों पर, अलग-अलग मौकों पर हज़रत मोहम्मद (सल्लल्लाहोअलेही वसल्लम) के पास अल्लाह ने बहुत सारे वह्य भेजे. कुरान की कुछ आयतें मक्का में उतरीं और कुछ मदीना में.

अल्लाह के पैगम्बर मुहम्मद (स. अ. स. ) के नबूअत मिलने के बाद से वफ़ात होने कीअवधि (करीब 23 साल) में क़ुरान की सभी आयतें वह्य के जरिये उतरीं । वह्य की शुरुआत रमज़ान के महीने में हुई थी। इसलिए भी रमज़ान बहुत ही मुबारक और बरकत वाला महीना है। इन सभी वह्य (पैगामों) का कलेक्शन ही कुरान है.

कुरान में आयतें और सूरतें

पूरेकुरान को 30 हिस्सों में बांटा गया है जिन्हें पाराकहते हैं. तीसो पारों का अलग-अलगनाम भी है.

कुरानमें कुल 114 सूरते (Chapters) हैं. हर सूरा में एक से अधिक आयतें(Verses) हैं.

{ सूरा–Singular , सूरत – plural }

कुरान में हर आयत के अंत में आयत नंबर एक छोटे गोले के अंदर लिखा रहता है.

क़ुरानी आयतों का रिफरेन्स कैसे लिखा जाता है ?

कुरान में लिखी किसी बात को रिफरेंस के रूप में बताने के लिए सूरा नंबर और आयत नंबर का इस्तेमाल किया जाता है . उदाहरण के लिए मान लीजिए किसी स्थान पर लिखा है कुरान 18:2. तो इसका मतलब है कुरान के सुरा नंबर 18 की आयत नंबर 2.

अगर आपको सूरा नंबर 55 के आयत नंबर 26 का जिक्र करना हो तो आप इस तरह से लिखेंगे – कुरान 55:26

क़ुरान में कौन सा सूरा किस पारा में है और उस सूरा में कुल कितनी आयतें है , ये सब निचे दिए टेबल में एक नज़र में आप जान सकते हैं –

सूरा नंबरसूरा का नामआयतों की संख्यापारा नंबर
1अल फातिहा71
2अल बकरा2861,2,3
3अल इमरान2003,4
4अन निशा1764,5,6
5अल माइदा1206,7
6अल अनाम1657,8
7अल अराफ़2068,9
8अल अनफाल759,10
9अत तौबा12910,11
10यूनुस10911
11हूद12311,12
12युसूफ11112,13
13अल राद4313
14इब्राहिम5213
15अल हिज्र9913,14
16अन नहल12814
17बनी इस्राईल11115
18अल कहफ़11015,16
19मरियम9816
20ता हा13516
21अल अंबिया11217
22अल हज7817
23अल मुमिनुन11818
24अन नूर6418
25अल फ़ुरक़ान7718,19
26अश शुअरा22719
27अन नमल9319,20
28अल क़सस8820
29अल अनकाबुत6920,21
30अर रूम6021
31लुक़मान3421
32अस सजदा3021
33अल अहज़ाब7321,22
34सबा5422
35फ़ातिर4522
36या सीन8322,23
37अस सफात18223
38साद8823
39अज़ जुमर7523,24
40अल मोमिन8524
41हा मीम असजदा5425
42अश शूरा5325
43अज़ ज़ुखरुफ़8925
44अद दुखान5925
45अल जासिया3725
46अल अहक़ाफ़3526
47मुहम्मद3826
48अल फतह2926
49अल हुजरात1826
50क़ाफ़4526
51अज ज़रियात6026,27
52अत तूर4927
53अल नजम6227
54अल क़मर5527
55अर रहमान7827
56अल वाक़िया9627
57अल हदीद2927
58अल मुजादिलह2228
59अल हशर2428
60अल मुमतहीन1328
61अस सफ1428
62अल जुमुअ1128
63अल मुनाफ़िक़ून1128
64अत तगाबुं1828
65अत तलाक़1228
66अत तहरिम1228
67अल मुल्क3029
68अल क़लम5229
69अल हक़्क़ह5229
70अल मआरिज4429
71नूह2829
72अल जिन्न2829
73अल मुजम्मिल2029
74अल मुदस्सिर5629
75अल क़ियामह4029
76अद दहर3129
77अल मुरसलात5029
78अन नबा4030
79अन नाज़ियात4630
80अ ब स4230
81अत तकवीर2930
82अल इन्फतार1930
83अल मुतफिफिन3630
84अल इनशिक़ाक़2530
85अल बुरुज2230
86अल तारिक़1730
87अल अला1930
88अल गाशिया2630
89अल फ़ज्र3030
90अल बलाद2030
91अश शम्स1530
92अल लैल2130
93अज जुहा1130
94अश शरः830
95अत तिन830
96अल अलाक़1930
97अल क़दर530
98अल बैइनह830
99अज़ ज़लज़लाह830
100अल अदियात1130
101अल कारियह1130
102अल तकातुर830
103अल असर330
104अल हुमजाह930
105अल फिल530
106क़ुरैश430
107अल माउन730
108अल कौसर330
109अल काफ़िरून630
110अन नस्र330
111तब्बत530
112अल इखिलास430
113अल फ़लक़530
114अन नास630

कुरान का संदेश कुछ गिने-चुने लोगों के लिए नहीं है. यह पूरे मानव जाति के लिए है. कुरान सभी इंसानों के लिए है. क्योंकि एक दिन सबको मरना है और मरने के बाद अपने मालिक, अपने पैदा करने वाले के पास वापस जाना है; जहां दुनिया में किए गए कर्मों का हिसाब किताब होगा और उसी के मुताबिक जन्नत या जहन्नुम में रहना पड़ेगा.

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