आवारगी ही मेरी मेरे काम आई है
दोस्ती कहाँ किसी ने निभायी है,
इस मतलब की दुनियादारी ने
हमेशा अपनी औकात दिखाई है.।
मेरी आवारगी बहुत हदसे बढ़ गयी
दूर जब से मुझसे होकर बेवफा वो गयी,
मुझे अब खुद की कोई फ़िक्र कहाँ
वो दर्द कुछ इस तरह देके गयी.।
आवारगी के सिवा अब कोई काम नहीं है
मेरे दिल को एक पल भी आराम नहीं है,
ढूंढता हूँ खुद को ही मैं हर जगह
खो गयी मेरी पहचान कहीं है.।
हम गली गली भटकते हैं
हम को और कोई काम नहीं है,
तुमको देखे बिना दिल को जरा भी
हमारे आज कल आराम नहीं है.।
आवारा पंछी की तरह हो गए हम
ना कोई मंजिल है न कोई साथी ,
भटकते है बस यूँही दिन रात हम
मिलने की उसकी अब कोई आस नहीं है.।
दिल मेरा अब आवारा हो चला
प्यार में तुम्हारे मनचला हो चला,
अब मुझको जमाने की फ़िक्र कहाँ
अब हर कोई मेरा दुश्मन हो चला.।
मुझको आवारगी से फुर्सत नहीं मिलती
दिल में एक आग सी है मेरे जलती,
मुझको अब दुनिया से क्या वास्ता
मुझको मुझ से ही अब फुरसत नहीं मिलती.।
लोग आज कल हमसे बहुत जलते हैं
हम भी आज कल लोगों से कहाँ मिलते है,
हमें लोगों ने आवारा नाम दिया है
मोहब्बत में हमारी फिर अच्छा काम किया है.।
आवारापन अकेलापन बहुत अच्छा है
हमें अब किसी की जरुरत नहीं है,
मतलब से रिश्ता रखने वालों की
अब हमें बिलकुल भी जरुरत नहीं है.।
आवारगी मेरी अब कहाँ लेके जायेगी
पता नहीं अब किससे मुलाकात करवायेगी,
मुझे अब तनहा रहने की आदत है
कहीं फिर किसी और के करीब तो नहीं लेजायेगी.।
आवारा हमें रहने दो
हमें किसकी परवाह है,
जीते है ज़िन्दगी शान से
हमें दुनिया से क्या लेना देना है.।
आवारगी में हम अपनी ज़िन्दगी गुज़ारते है
हर जगह हम आज भी तुझ को तलाशते है.।
आवारगी ने हमको बहुत कुछ सिखाया है
अच्छे बुरे लोगों का फर्क समझाया है.।
मैं तो हूँ आवारा, अपनी माँ का दुलारा
दोस्तों को जान से प्यारा, पापा की आँखों का तारा।
आवारा हूँ सब को बहुत प्यारा हूँ
रहता हूँ लोगो के दिल में बस आवारा हूँ.।
मेरी आवारगी मुझे लेचल पड़ी फिर नए सफ़र पर
रास्तों का पता नहीं मंजिल से भी है ये बेख़बर ।
आवारा लड़का हूँ सब ये कहते है
बात बात पे मेरी ना जाने क्यों मुझसे जालते है.।
हम अपने बाप के पैसों से घूमते है
लोग आवारा बोल बोल के हमें अपनी औकात भूलते है.।
आवारापन मुझे बहुत पसंद है
आवारगी का अपना मजा ही अलग है.।
बहुत तनहा गुज़ारे दिन और रात
बस हमेशा थी आवारगी मेरे साथ.।
मैं और मेरी आवारगी दोनों
एक दूसरे की साथी है,
अब और कोई तीसरा
हमारे बीच नहीं बाकी है।
आवारगी छोड़ दी हमने कब से
हम दिन तन्हाई में गुज़ारते हैं,
रहते है ख़ामोश बहुत ज्यादा
याद में तुम्हारी ज़िंदगी काटते हैं.।
छोड़ दी आवारगी मैंने तो क्या हुआ
परिन्दे की तरह अपने ही घर में कैद मैं हुआ,
पागल समझने लगी ये नादान दुनिया
थोड़ा मैं ज़रा शरीफ क्या हुआ.।
हम दिल फेंंक आशिक़ है
कहाँ किसी की सुनते है,
जो चाहता है दिल हमारा
हम बस उसकी ही सुनते है.।
हमें आवारगी शहर की गली गली घूमाती है
हमें आवारगी ही दुनिया से अलग बनाती है.।
दिल बेचारा था, प्यार का मारा था
घूमता था गलियोंं में,क्यों की वो आवारा था.।
उम्र प्यार की है तो प्यार करेंगे
लोग आवारा बोल कर हमें यूँही बदनाम करेगे.।
दिल फेंंक आशिक़ हो गए
हम हर किसी के हो गए,
जब हुए न वो प्यार से हमारे
हम भी आवारा पंछी हो गए.।
दिल है हमारा प्यार का मारा नहीं है
शौक है हमें घूमने का , हम आवारा नहीं है.।
हम दिल के बाज़ीगर है, दिल के सौदे करते है
आवारगी भी बस, अपने शौक के लिए करते है.।
हमें ज़माना सारा कभी भूल नहीं पायेगा.।
आवारगी हमारी तरह कोई नहीं कर पायेगा.।
बात कम दिमाग गरम रखते है
हम अपने दिल को नरम रखते है.।
आवारा हूँ आवारगी करता हूँ
लेकिन लोगो के दिल पे राज करता हूँ.।
हम लेकर चले है तन्हाई साथ में अपने
आवारा थे और अब आवारा ही रहेंंगे.।
शहर की भीड़ से, गांव की तन्हाई प्यारी है
ज़िन्दगी हमने अपनी आवारगी में गुज़री है.।
सफ़र पर ज़िंदगी के है अपने हम
लोग हमें यहाँ आवारा समझते है,
जिसको जो समझना है वो समझे
हम अपनी राह खुद चुनते है.।
आवारापन मेरे दिल के अंदर है
आवरगी से मैं बहुत प्यार करता हूँ,
छोड़ दे कोई जब, मुझे बीच राह में
मैं उसका इन्तिज़ार नहीं करता हूँ.।
फालतू शोर से, ख़ामोशी अच्छी है
झूठी शराफत से,आवारगी अच्छी है.।
ज़िंदगी जीते है नवाबों वाली
हम चाय पीते है प्याली वाली,
ज़िंदगी जीते है शान से अपनी
हम तनहा और आवरगी वाली.।
दोस्ती कहाँ किसी ने निभायी है,
इस मतलब की दुनियादारी ने
हमेशा अपनी औकात दिखाई है.।
मेरी आवारगी बहुत हदसे बढ़ गयी
दूर जब से मुझसे होकर बेवफा वो गयी,
मुझे अब खुद की कोई फ़िक्र कहाँ
वो दर्द कुछ इस तरह देके गयी.।
आवारगी के सिवा अब कोई काम नहीं है
मेरे दिल को एक पल भी आराम नहीं है,
ढूंढता हूँ खुद को ही मैं हर जगह
खो गयी मेरी पहचान कहीं है.।
हम गली गली भटकते हैं
हम को और कोई काम नहीं है,
तुमको देखे बिना दिल को जरा भी
हमारे आज कल आराम नहीं है.।
आवारा पंछी की तरह हो गए हम
ना कोई मंजिल है न कोई साथी ,
भटकते है बस यूँही दिन रात हम
मिलने की उसकी अब कोई आस नहीं है.।
दिल मेरा अब आवारा हो चला
प्यार में तुम्हारे मनचला हो चला,
अब मुझको जमाने की फ़िक्र कहाँ
अब हर कोई मेरा दुश्मन हो चला.।
मुझको आवारगी से फुर्सत नहीं मिलती
दिल में एक आग सी है मेरे जलती,
मुझको अब दुनिया से क्या वास्ता
मुझको मुझ से ही अब फुरसत नहीं मिलती.।
लोग आज कल हमसे बहुत जलते हैं
हम भी आज कल लोगों से कहाँ मिलते है,
हमें लोगों ने आवारा नाम दिया है
मोहब्बत में हमारी फिर अच्छा काम किया है.।
आवारापन अकेलापन बहुत अच्छा है
हमें अब किसी की जरुरत नहीं है,
मतलब से रिश्ता रखने वालों की
अब हमें बिलकुल भी जरुरत नहीं है.।
आवारगी मेरी अब कहाँ लेके जायेगी
पता नहीं अब किससे मुलाकात करवायेगी,
मुझे अब तनहा रहने की आदत है
कहीं फिर किसी और के करीब तो नहीं लेजायेगी.।
आवारा हमें रहने दो
हमें किसकी परवाह है,
जीते है ज़िन्दगी शान से
हमें दुनिया से क्या लेना देना है.।
आवारगी में हम अपनी ज़िन्दगी गुज़ारते है
हर जगह हम आज भी तुझ को तलाशते है.।
आवारगी ने हमको बहुत कुछ सिखाया है
अच्छे बुरे लोगों का फर्क समझाया है.।
मैं तो हूँ आवारा, अपनी माँ का दुलारा
दोस्तों को जान से प्यारा, पापा की आँखों का तारा।
आवारा हूँ सब को बहुत प्यारा हूँ
रहता हूँ लोगो के दिल में बस आवारा हूँ.।
मेरी आवारगी मुझे लेचल पड़ी फिर नए सफ़र पर
रास्तों का पता नहीं मंजिल से भी है ये बेख़बर ।
आवारा लड़का हूँ सब ये कहते है
बात बात पे मेरी ना जाने क्यों मुझसे जालते है.।
हम अपने बाप के पैसों से घूमते है
लोग आवारा बोल बोल के हमें अपनी औकात भूलते है.।
आवारापन मुझे बहुत पसंद है
आवारगी का अपना मजा ही अलग है.।
बहुत तनहा गुज़ारे दिन और रात
बस हमेशा थी आवारगी मेरे साथ.।
मैं और मेरी आवारगी दोनों
एक दूसरे की साथी है,
अब और कोई तीसरा
हमारे बीच नहीं बाकी है।
आवारगी छोड़ दी हमने कब से
हम दिन तन्हाई में गुज़ारते हैं,
रहते है ख़ामोश बहुत ज्यादा
याद में तुम्हारी ज़िंदगी काटते हैं.।
छोड़ दी आवारगी मैंने तो क्या हुआ
परिन्दे की तरह अपने ही घर में कैद मैं हुआ,
पागल समझने लगी ये नादान दुनिया
थोड़ा मैं ज़रा शरीफ क्या हुआ.।
हम दिल फेंंक आशिक़ है
कहाँ किसी की सुनते है,
जो चाहता है दिल हमारा
हम बस उसकी ही सुनते है.।
हमें आवारगी शहर की गली गली घूमाती है
हमें आवारगी ही दुनिया से अलग बनाती है.।
दिल बेचारा था, प्यार का मारा था
घूमता था गलियोंं में,क्यों की वो आवारा था.।
उम्र प्यार की है तो प्यार करेंगे
लोग आवारा बोल कर हमें यूँही बदनाम करेगे.।
दिल फेंंक आशिक़ हो गए
हम हर किसी के हो गए,
जब हुए न वो प्यार से हमारे
हम भी आवारा पंछी हो गए.।
दिल है हमारा प्यार का मारा नहीं है
शौक है हमें घूमने का , हम आवारा नहीं है.।
हम दिल के बाज़ीगर है, दिल के सौदे करते है
आवारगी भी बस, अपने शौक के लिए करते है.।
हमें ज़माना सारा कभी भूल नहीं पायेगा.।
आवारगी हमारी तरह कोई नहीं कर पायेगा.।
बात कम दिमाग गरम रखते है
हम अपने दिल को नरम रखते है.।
आवारा हूँ आवारगी करता हूँ
लेकिन लोगो के दिल पे राज करता हूँ.।
हम लेकर चले है तन्हाई साथ में अपने
आवारा थे और अब आवारा ही रहेंंगे.।
शहर की भीड़ से, गांव की तन्हाई प्यारी है
ज़िन्दगी हमने अपनी आवारगी में गुज़री है.।
सफ़र पर ज़िंदगी के है अपने हम
लोग हमें यहाँ आवारा समझते है,
जिसको जो समझना है वो समझे
हम अपनी राह खुद चुनते है.।
आवारापन मेरे दिल के अंदर है
आवरगी से मैं बहुत प्यार करता हूँ,
छोड़ दे कोई जब, मुझे बीच राह में
मैं उसका इन्तिज़ार नहीं करता हूँ.।
फालतू शोर से, ख़ामोशी अच्छी है
झूठी शराफत से,आवारगी अच्छी है.।
ज़िंदगी जीते है नवाबों वाली
हम चाय पीते है प्याली वाली,
ज़िंदगी जीते है शान से अपनी
हम तनहा और आवरगी वाली.।