Dadi Amma Ki Kahani: सुंदर स्त्री [दादी अम्मा की कहानी]

Dadi Amma Ki Kahani का अंश:

एक मादा भैंस नदी के किनारे पानी पीने आती है। उसे देखकर एक युवा शिकारी तीर उठाता है और धनुष खींचता है। पर जब वह दुबारा देखता है तो उसे पानी में झुकती एक सुन्दर स्त्री दिखाई देती है।

स्त्री उस युवा के लिए एक भेंट है, क्योंकि वह युवा बहुत सहृदय है और हमेशा भैंसों का शुक्रिया अदा करता है।शिकारी को तुरंत उस स्त्री से प्रेम हो जाता है। उनकी शादी होती है और एक बेटा होता है। पर शिकारी का परिवार, माँ-बेटे के साथ क्रूरता से पेश आते हैं…।

Dadi Amma Ki Kahani: सुंदर स्त्री [दादी अम्मा की कहानी]


एक यूवक था जो कम उम्र में ही एक बेहतरीन तीरंदाज़ और शिकारी बन गया था। जहाँ भी शिकारी जाता-जंगली कत्ते, कौंवे ओर मैगपाई भी उसका पीछा करती जिससे उन्हें शिकार के बचे-खचे ट्रकड़े खाने को मिल जाएँ।

शिकारी को भैंसों के साथ सुकन मिलता था। लोगों को पता था कि जब कभी उन्हें की ज़रुरत होगी तब वह शिकारी, भैसों के झुण्ड को खोज निकालेगा।

शिकार करने के बाद वह युवा शिकारी भैंसों की मेहरबानी के लिए उनके झण्ड का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता था।

एक दिन सुबह को युवा शिकारी नदी के पास उस स्थान पर गया जहाँ पर भैंसे पानी पीने आते थे। वह झाड़ियों में बैठा भैंसों के आने का इंतज़ार करता रहा।

इस बीच वह तितलियों को निहार रहा था जो सबह की धूप में इठलाती हुई अपने पंखों को सेंक रही थीं।

कछ देर के बाद यवा शिकारी को एक मादा भैंस आती हुई दिखी। भैंस, ऊंची-ऊंची खरपतों को अपने पैरों से कुचलती हुई धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। शिकारी ने तीर को धनुष पर चढ़ाया।

मादा भेंस बहुत धीमे-धीमे आगे बढ़ रही थी।

युवा शिकारी को मालूम नहीं पड़ा कि क्‍या हआ। पर जब उसने दुबारा देखा तो भैंस गायब थी। उसकी जगह एक सुन्दर स्त्री खरपत में से बाहर निकली और वह नदी में पानी पीने के लिए झुकी।

वो स्त्री शिकारी के अपने लोगों में से नहीं थी। उसके कपड़े अलग थे और उसके बाल चोटियों में नहीं बंधे थे। उसकी ख़ुशबू जंगली फूलों के जैसी थी।

शिकारी को तुरंत उससे प्रेम हो गया।

“मैं भेंसों के देश से आई हूँ,” उसने शिकारी से कहा। ” मेरे लोगों ने मझे तम्हारे पास भेजा है क्योंकि तमने हमेशा मेरे लोगों से प्रेम किया है।

उन्हें पता है तूम एक अच्छे और सज्जन इंसान हो। में तुम्हारी पत्नी बनूँगी। मेरे लोगों की बस एक इच्छा है-कि हम दोनों का प्रेम दूसरों के लिए एक मिसाल बने।”

फिर शिकारी और उस सन्दर स्त्री की शादी हुई. उनका एक बेटा हुआ जिसका नाम था “काफ बॉय” , उनका जीवन अच्छी तरह

बीत रहा था।

पर शिकारी के परिवार के लोगों ने उस स्त्री को स्वीकार नहीं किया। वह अक्सर उसके बारे में उल्लटी-पलटी बातें कहते। “उसने एक ऐसी स्त्री से शादी की है जिसका कोई परिवार ही नहीं है लोग कहते।” उस स्त्री के तौर-तरीके अलग हैं। वह कभी भी हमारे लोगों में घुलमिल् नहीं पाएगी।”

एक दिन जब शिकारी बाहर शिकार पर गया था, तो उसके रिश्तेदार आए और उन्होंने उसकी पत्नी से कहा, “तूम्हें यहाँ कभी नहीं आना चाहिए था। तम जहाँ से आई हो, वहीं वापिस वहीँ चली जाओ. तम एक जानवर के सिवा ओर कछ नहीं हो।”

यह ताने सनकर वह स्त्री अपने बेटे “काफ बॉय” को लेकर तरंत अपना घर छोड़कर चली गई.

शिकारी घर वापस आ रहा था। उसने अपनी पत्नी ओर बेटे को घर छोड़कर जल्दी से भागते हुए देखा।

जब उसे पूरी बात मालूम पड़ी तो उसे बहुत गुस्सा आया। वह उन्हें वापिस लाने के लिए पीछे-पीछे चल पड़ा।

वो जिस पगडण्डी से गया वह कई गांवों से होकर गज़रती थी। वह दिन भर उस पर चलता रहा, ओर दोनों तरफ़ की झाड़ियों में अपनी पत्नी और बेटे को बुलाता रहा। शाम होते-होते उसे दूर एक रंगीन तम्ब्‌ दिखाई दिया। तम्बू के अन्दर खाना पक रहा था ऊपर से धुआं बाहर निकल रहा था।

शिकारी को यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ जब उसने अपने बेटे को तम्बू के बाहर खेलते हुए देखा। जब “कॉफ बॉय” ने अपने पिता

को देखा तो वह दौड़कर उनसे मिलने गया। “मैं बहुत खुश हूँ कि आप आए पिताजी. माँ आपके लिए खाना तैयार कर रही हैं।” वह अपने

पिता को तम्बू में अन्दर ले गया। अन्दर अच्छे खाने की खशबू थी। पत्नी ने उसे एक प्याले में गर्म सूप पीने को दिया। “अब में अपने लोगों के पास वापिस जा रही हूँ।” उसने कहा। “में अब आपके लोगों के साथ नहीं रह सकती हूँ। हमारा पीछा मत करना नहीं तो तुम खतरे में पड़ोगे।”

“मैं तुम्हे बेहद प्यार करता हूँ।” शिकारी ने कहा। तुम और मेरा बेटा जहाँ भी जाओगे, में भी वहीं जाऊँगा।”

अगले दिन सुबह जब शिकारी उठा और उसने आसमान की तरफ़ देखा। तम्बू गायब था! वहाँ कोई भी नहीं था। ऐसा लगा जैसे पिछली

शाम का अनुभव कोई सपना हो। पर जहाँ तम्बू खड़ा था वहाँ की ज़मीन उसे कुछ नम लगी। उसे अपनी पत्नी और बेटे के पदचाप भी दिखे।

शिकारी उनके पदचापों के पीछे-पीछे चला। अंत में उसे फिर तम्बू दिखा। उसका बेटा उससे मिलने बाहर आया।

” माँ चाहती हैं कि आप हमारे पीछे अब बिलकुल भी न आयें। कल माँ सभी नदियों को सुखा देगी। अगर आपको प्यास लगे तो आप पानी को मेरे पदचिन के निचे खोजना वहाँ मिल जायेगा।

उस शाम को उसकी पत्नी ने शिकारी से कहा: ” मेरे लोग उस पहाड़ी के पीछे रहते हैं। उन्हें पता है कि मैं आ रही हूँ। वह गुस्सा हैं क्योंकि तुम्हारे रिश्तेदारों ने मुझसे ग़लत व्यव्हार किया है।

यहाँ के आगे मेरा पीछा बिलकुल मत करना, नहीं तो वह तुम्हें मर डालेंगे।”

तब शिकारी ने जवाब दिया, “मैं मारा जाऊ उससे कोइ फ़र्क़ नहीं पड़ेगा। पर मैं हरगिज़ वापिस नहीं जाऊंगा। मैं तुम दोइनो से बहेड प्यार करता हूँ।”

जब उसकी पत्नी सो रही थी तो उसने बेल्ट की मदद से ख़ुद को पत्नी से बाँधा। उसने पत्नी के लम्बे बालों को अपनी बाँहों में लपेटा।

अगली सुबह, फिर दुबारा वह युवा शिकारी अकेला रह गया। ओस पर केवल एक भैंस और उसके बछड़े के खरों के पदचिन्ह थे। जब वह उन पदचिन्हों को ग़ौर से देख रहा था तभी एक चिड़ियों का झण्ड उसके आसपास चहचहाता हुआ उड़ा: ” वो अपने घर चले गए हैं, वो अपने घर चले गए हैं! “

इससे शिकारी को पता चला कि वह खुरों के पदचिन्ह उसकी पत्नी और बेटे के ही थे.

वे पदचिन्ह एक ऊंचे टीले की ओर जा रहे थे। उस तरफ़ जो नदियाँ थीं वह अब सूख गई थीं और उनके किनारों की सिर्फ़ झाड़ियाँ ही दिखाई दे रही थीं। जैसे “काफ बॉय” ने उसे बताया था उसे सूखी नदी की तलहटी में अपने बेटे के खर के पदचाप के निसान के नीचे पानी मिला।

उस ऊँचे टीले के ऊपर से उस य॒वा शिकारी ने भैंसों के राज्य के विस्तार को बड़े अचरज से देखा। जैसे ही वह उनकी तरफ़ बढ़ा एक बछड़ा उसकी तरफ़ दौंड़ा हआ आया। “पिताजी आप वापिस जाओ! वह आपको मार डालेंगे! वापिस जाओ!”

इसपर युवा शिकारी ने इसका उतर दिया: “नहीं बेटा। में हमेशा त॒म्हारी माँ और तुम्हारे साथ ही रहूँगा।”

‘ फिर आप बेहद बहादुरी से काम लें, “” काफ बॉय”ने कहा।” मेरे दादाजी भैंसों के राज्य के सरगना हैं। आप बिल्कल नहीं डरें, कोई भय न दिखाएँ नहीं तो वह आपको पक्का मार डालेंगे।

दादाजी आपसे, माँ ओर मझे खोजने और पहचानने को कहेंगे। पर इतने सारे भैंसों में आप हमें कैसे ढूँढेंगे? सभी भैंसे आपको एक जैसे लगेंगे।

आपकी मदद एक लिए मेँ अपने बाएँ कान को झटका दूंगा और मैं माँ की पीठ पर एक काँटों वाला बीज चिपका दूंगा। अगर आपने हमें ठीक-ठीक खोजा तो फिर आप सरक्षित रहेंगे। आप पूरा ध्यान रखें!

शिकारी चुपचाप ओर शांत खड़ा रहा। उसने किचित मात्र डर भी नहीं दिखाया।

थोड़े ही समय में वहाँ बैलों का एक बड़ा झुण्ड आ गया। कुछ देर बाद एक बूढ़ा भैंसा झुण्ड में से निकला और वह शिकारी की तरफ़ तेज़ी से बढ़ा।

उसके खुरों की आवाज़ से ज़मीन कांपने लगी। वह सीधा शिकारी के सामने आकर खड़ा हुआ। उसने अपने, खुरों को ज़मीन पर पटका जिससे की धूल के बादल बनने लगे। उसने गस्से में अपने सींगों से झाड़ियों को उखाड़ा। शिकारी चुपचाप और शांत खड़ा रहा। उसने किंचित मात्र डर भी नहीं दिखाया।

“यह आदमी पक्के कलेजे वाला लगता है,” बूढ़े भैंसे ने कहा। ” अपनी हिम्मत के कारण तुम बच गए हो। अब मेरे पीछे-पीछे आओ.” ।

“यह आदमी पक्‍के कलेजे वाला लगता है,” बढ़े भैसे ने कहा। “अपनी हिम्मत के कारण तूम बच गए हो। अब मेरे पीछे-पीछे आओ.”

बढ़ा भेंसा आगे-आगे चला। सैकड़ों भैंसे उसके पीछे-पीछे चले। सब एक बड़े गोले में खड़े हुए बीच में एक रंगीन तम्बू था। भैंसों का पूरा कुनबा अलग-अलग साइज़ कै गोलों में खड़ा, हुआ। सबसे छोटा गोला बछड़ों का था, उसके ही बाद बड़े और उनसे भी बड़े भैस थे।

“देखो आदमी,” बूढ़े भैंसे ने ऊंची आवाज़ में कहा, जिससे वह सबको सुनाई दे। तुम हमारे बीच इसलिए आए हो क्योंकि तुम अपनी पत्नी और बेटे से प्रेम करते हो। अब तुम उन्हें ढूँढो! अगर तुम उन्हें नहीं पहचान पाए तो हम तुम्हें अपने खुरों से कुचल डालेंगे! “

युवा शिकारी पहले सबसे छोटे बछड़ों के पास गया। देखने में वे सभी एक-जैसे थे। पर उसमें से एक बछड़ा अपना बायाँ कान झटक रहा था जैसे वह किसी मक्खी को उड़ा रहा हो। शिकारी ने उस बछड़े के सर पर अपना हाथ रखा।

“मेरे बेटे” उसने कहा। फिर सभी भैंसों ने एक साथ अपनी ख़ुशी का इज़हार किया। ” वो ज़रूर एक नेकदिल और

अच्छा इंसान होगा, ” उन्होंने कहा।

फिर उसने उस बड़े गोले का चक्‍कर लगाया जहाँ पर मादा भैंसें ख़ड़ी थीं। दुबारा फिर-वे सभी देखने में लगभग एक-समान थीं। पर सिर्फ़ एक की पीठ पर काँटों वाला बीज चिपका था।

शिकारी ने उसके सर पर हाथ रखा और कहा, “मेरी पत्नी!

एक बार फिर से सभी भैंसों ने कहा, “देखो, वह अपनी पत्नी को पहचान लिया!”

“वो आदमी अपनी पत्नी और बेटे से ज़रूर प्रेम करता है,” बुढ़े भैंसे ने अंत में कहा। ” वो उनके लिए अपनी जान

देने को तैयार था। अब हम उसे अपना बना लेंगे। ऐसा करते समय हम सभी उन्हें आशीर्वाद देंगे।”

उसके बाद उस युवा शिकारी को तम्बू के अन्दर ले जाया गया। उसका दरवाज़ा बाहर से बंद कर दिया गया।

उसे पहनने के लिए सिर्फ़ एक चोगा दिया गया जिसमें भैंस के सींग और खुर लगे थे।

उसके बाद तीन दिन और तीन रातों तक बाक़ी भैंसे तम्बू को घेरे रहे। वह कूदते रहे, चीखते-चिल्लाते रहे।

चाौँथे दिन भैंसों ने बाहर से तम्ब्‌ को धक्का देकर गिरा दिया। उन्होंने युवा शिकारी को धूल में बार-बार लोटने दिया

जिससे अंत में उसका पूरा शरीर धूल से लथपथ हो गया। उन्होंने उसके शरीर के अन्दर की सांस बाहर खींची और

उसमें नई सांस भरी।

उन्होंने उसके शरीर को बाहर से चाटा। अंत में उसमें इंसान की बू पूरी तरह चली गई. फिर उसने खड़े होने की कोशिश की पर वो उसमें सफल नहीं हुआ. कपड़े का चोगा अब उसके शरीर का एक हिस्सा बन गया था. जब भैंसों ने उसे घुरघुराते हुए सुना फिर उन्होंने उसे धूल में और लोटने दिया.

उसके बाद वो अपने खुद के चारों पैरों पर खड़ा हो गया वो एक युवा भैंसा बन गया था.
 

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