Essay on Diwali in hindi for Class 7: दिवाली भारतवर्ष का सबसे बड़ा त्यौहार है। ये पांच दिन चलने वाला एक अनोखा पर्व है। इसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है।
ये त्यौहार हिन्दुओं के साथ साथ जैन, सिख आदि धर्मो द्वारा भी धूम धाम से मनाया जाता है।
इस त्यौहार की तैयारियां हर घर में लग भग १५ दिन पहले से शुरू होती है। घर की साफ़-सफाई , लीपाई – पुताई, मिठाइयां और पकवान बनाना, नए कपडे खरीदना ऐसे बहोत सारे काम लोग बड़ी ख़ुशी से करते है।
बहोत से घरों में नयी चीज़ें भी खरीदी जाती है। घरों के दिए की मालाओं से सजाया जाता है।
दीवाली के पाँचों दिन घर के बहार आकर्षक रंगोली बनाई जाती है। दरवाजों, खिड़कियों , गैलरी में शाम के समय दिए जलाके रखे जाते है।
इस दिन भगवान श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ १४ वर्ष का वनवास ख़तम कर आयोध्या वापस लौटे थे। उस दिन अयोध्या नगरवासियों ने उनके स्वागत के फलस्वरूप पूरी अयोध्या नगरी को दिए जलाके प्रकाशित किया था।
दिवाली अर्थात दीपों का त्यौहार, हर वर्ष शरद ऋतु में कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। ये त्यौहार पांच दिन मनाया जाता है।
पहला दिन ‘धनतेरस’। इस दिन लोग लक्ष्मी देवी की पूजा करते है। देवी को खुश करने के लिए गीत और आरती गाते है। व्यापारी अपने व्यापार के नए बहीखाते बनाते है।
दूसरा दिन होता है ‘नरक चतुर्दशी’। भगवन श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक असूर का वध किया था। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है।
इस दिन सूर्योदय के पहले स्नान करना शुभ मन जाता है। इसे ‘अभ्यंगस्नान’ कहा जाता है।
तीसरा दिन होता है ‘लक्ष्मीपूजा’ जो अमावस्या के दिन मनाया जाता है। ये दिवाली का मुख्य दिवस है।
इस दिन शाम को बड़ी धूम-धाम से लक्ष्मी देवी की पूजा की जाती है। रिश्तेदारो, पड़ोसियों और आप्तजनों को मिठाई और उपहार भेंट किये जाते है।
बच्चे बड़े सभी लोग नए कपडे पहनते है। पटाखें जलाये जाते है। एकदूसरे को गले मिलकर दीपावली की शुभकामनायें दी जाती है।
ऐसा माना जाता है की इस दिन घर में लक्ष्मी देवी का आगमन होता है। इस दिन देवी को बताशे का प्रसाद चढाया जाता है।
चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने लोगों को मुसलधार वर्षा से बचाने के लिए गोवर्धन पर्बत अपनी एक ऊँगली पर उठा लिया था।
दीवाली का आखरी दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहन भाई को तिलक लगाकर मिठाई खिलाती है और बदले में भाई उनके रक्षा के वचन के साथ साथ एक अच्छा उपहार भी देते है।
सभी धर्म, जाती के लोग इस त्यौहार में शामिल होने के कारण सभी के मन में सामाजिक सद्भावना उत्पन्न होती है।
इस त्यौहार का मुख्य बिंदु पूजा पाठ होने के कारण लोग आध्यात्मिकता से जुड़ते है और उनके मन में अच्छे विचारों का उद्गम होता है।
सिर्फ भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि ये त्यौहार बाकि देश जैसे मलेशिया , नेपाल , सिंगापुर, श्रीलंका में भी बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।
ये एक ख़ुशी प्रदान करनेवाला त्यौहार है।
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ये त्यौहार हिन्दुओं के साथ साथ जैन, सिख आदि धर्मो द्वारा भी धूम धाम से मनाया जाता है।
इस त्यौहार की तैयारियां हर घर में लग भग १५ दिन पहले से शुरू होती है। घर की साफ़-सफाई , लीपाई – पुताई, मिठाइयां और पकवान बनाना, नए कपडे खरीदना ऐसे बहोत सारे काम लोग बड़ी ख़ुशी से करते है।
बहोत से घरों में नयी चीज़ें भी खरीदी जाती है। घरों के दिए की मालाओं से सजाया जाता है।
दीवाली के पाँचों दिन घर के बहार आकर्षक रंगोली बनाई जाती है। दरवाजों, खिड़कियों , गैलरी में शाम के समय दिए जलाके रखे जाते है।
इस दिन भगवान श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ १४ वर्ष का वनवास ख़तम कर आयोध्या वापस लौटे थे। उस दिन अयोध्या नगरवासियों ने उनके स्वागत के फलस्वरूप पूरी अयोध्या नगरी को दिए जलाके प्रकाशित किया था।
दिवाली अर्थात दीपों का त्यौहार, हर वर्ष शरद ऋतु में कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। ये त्यौहार पांच दिन मनाया जाता है।
पहला दिन ‘धनतेरस’। इस दिन लोग लक्ष्मी देवी की पूजा करते है। देवी को खुश करने के लिए गीत और आरती गाते है। व्यापारी अपने व्यापार के नए बहीखाते बनाते है।
दूसरा दिन होता है ‘नरक चतुर्दशी’। भगवन श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक असूर का वध किया था। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है।
इस दिन सूर्योदय के पहले स्नान करना शुभ मन जाता है। इसे ‘अभ्यंगस्नान’ कहा जाता है।
तीसरा दिन होता है ‘लक्ष्मीपूजा’ जो अमावस्या के दिन मनाया जाता है। ये दिवाली का मुख्य दिवस है।
इस दिन शाम को बड़ी धूम-धाम से लक्ष्मी देवी की पूजा की जाती है। रिश्तेदारो, पड़ोसियों और आप्तजनों को मिठाई और उपहार भेंट किये जाते है।
बच्चे बड़े सभी लोग नए कपडे पहनते है। पटाखें जलाये जाते है। एकदूसरे को गले मिलकर दीपावली की शुभकामनायें दी जाती है।
ऐसा माना जाता है की इस दिन घर में लक्ष्मी देवी का आगमन होता है। इस दिन देवी को बताशे का प्रसाद चढाया जाता है।
चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने लोगों को मुसलधार वर्षा से बचाने के लिए गोवर्धन पर्बत अपनी एक ऊँगली पर उठा लिया था।
दीवाली का आखरी दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहन भाई को तिलक लगाकर मिठाई खिलाती है और बदले में भाई उनके रक्षा के वचन के साथ साथ एक अच्छा उपहार भी देते है।
दीपावली का महत्व
दिवाली को आध्यात्मिक, पौराणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व है। ये त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत की ख़ुशी जताने के लिए मनाया जाता है।सभी धर्म, जाती के लोग इस त्यौहार में शामिल होने के कारण सभी के मन में सामाजिक सद्भावना उत्पन्न होती है।
इस त्यौहार का मुख्य बिंदु पूजा पाठ होने के कारण लोग आध्यात्मिकता से जुड़ते है और उनके मन में अच्छे विचारों का उद्गम होता है।
सिर्फ भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि ये त्यौहार बाकि देश जैसे मलेशिया , नेपाल , सिंगापुर, श्रीलंका में भी बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।
ये एक ख़ुशी प्रदान करनेवाला त्यौहार है।
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