कुछ लोग सोचते हैं कि संस्कृत कठिन है। इसका कारण है कि लोग सरल संस्कृत में बातचीत नहीं सुनते हैं। कोई भी यह भाषा सरल या कठिन नहीं होती है, भाषा तो सरल या प्रौढ़भाषा होती है सदैव बोलचाल की भाषा सरल होती है और साहित्य में प्रयोग होने वाली प्रौढ़ होती है। तब संस्कृत भाषा कठिन है यह धारणा कैसे लोगों के मन में घर कर गई ? इसका मुख्य कारण है संस्कृत-भाषा को सिखाने की विधि । गत सौ से भी अधिक वर्षों से भारतवर्ष में प्राथमिक विद्यालय से विश्वविद्यालय तक व्याकरण अनुवाद-विधि से संस्कृत पढ़ाई जा रही है। यह पद्धति भारतीय-पद्धति नहीं है। यह तो यूरोपीय-पद्धति है । संस्कृत भाषा को हिन्दी माध्यम से या अंग्रेजी माध्यम से अथवा अन्य प्रदेशों में प्रादेशिक भाषाओं के माध्यम से सिखाया जाता है, यह भी एक कारण है कि आज संस्कृत की यह दुर्दशा हुई। इसलिए प्राथमिक स्तर से ही संस्कृत को संस्कृत माध्यम से पढ़ाना चाहिए
अब कुछ शुभकामनाए देख लेते है संस्कृत में हम किस तरह से दूसरो को शुभकामनाएं दे सकते हैं।
संस्कृत में हम किस तरह से दूसरो को शुभकामनाएं दे सकते हैं
संस्कृतं वदतु | हिंदी में |
नववर्ष नवोत्साहं ददातु | नया वर्ष नया उत्साह प्रदान करे |
युगादि शुभाशयाः | युगादि शुभकामनाएँ |
दीपावली-शुभाशयाः | दीपावली शुभकामनाएँ |
वैवाहिकजीवनं शुभं भवतु | वैवाहिक जीवन शुभ हो |
सफलतायै अभिनन्दनम् | सफलता के लिए बधाईयाँ |
कार्यक्रमः यशस्वी भवतु | कार्यक्रम यशस्वी हो |
शतं जीव शरदो वर्धमानः | सौ साल जियो |
जन्मदिनस्य शुभाशयाः | जन्मदिन की बधाई |
शिवाः ते पन्थानः सन्तु | आपकी यात्रा मंगलमय हो |
नववर्ष नवहर्षम् आनयतु | नये वर्ष की शुभकामनाएँ |