भगवान विष्णु के दस अवतार

हैलो फ्रेंड्स कैसे हो आप सब ? आज हम बात करने वाले हैं भगवान विष्णु के अवतारों के बारे में भगवान विष्णु सृष्टि के निर्माण के समय से सृष्टि में है। भगवान विष्णु समय – समय पर जब – जब धरती पर पाप बढ़ा है तब – तब भगवान विष्णु सृष्टि का संरक्षण करने के लिए अवतरित हुए हैं। जैसा की हम जानते हैं धरती मैं अब तक चार युग हो चुके हैं सत्य युग, त्रेता युग, द्वापर युग ओर कालीयुग जोकि अभी चल रहा है प्रत्येक युग में भगवन विष्णु सृष्टि के लिए अवतार लेते रहे हैं तो चलिए जान लेते हैं भगवान विष्णु के मुख्य दस अवतारों के बारे में

1. मत्स्य अवतार​

मत्स्य अवतार


मत्स्यावतार भगवान विष्णु के मुख्य 10 अवतारों में से एक अवतार है। भगवान विष्णु ने यह अवतार संसार को बचने के लिए लिया था। सत्य व्रत मनु नाम का एक राजा हुआ करता था जोकि भगवान विष्णु का परम भक्त हुआ करते थे उनकी सदैव यह इच्छा थी वह भगवान विष्णु के दर्शन कर सकें उन्होंने काफी लम्बे समय तक भगवान विष्णु के तपस्या भी थी। एक दिन वह नदी के किनारे तपस्या मैं मगन थे तभी अचानक से नदी से एक छोटी सी मछली उनके कमंडल मैं आ गिरी उसके बाद राजा सत्य व्रत मनु उसे अपने राज-महल में अपने साथ ले गए थे।


अगले दिन वह मछली बड़ी हो गयी थी की उसे तालाब में छोड़कर आना पड़ा। अगले दिन जब वो मछली तालाब से भी बड़ी हो तो राजा को समझ आ चुका था की यह कोई सामान्य मछली नहीं है फिर राजा ने मछली से पूछा की आप अपना परिचय दीजिये की कौन है आप ? उसके बाद मछली में से भगवान विष्णु प्रकट हुए उन्होंने बताया की आने वाले सात दिनों में संसार में भीषण प्रलय आने वाली है इससे बचने के लिए मैंने स्वयं अवतार लिया है। भगवान विष्णु ने बताया की प्रलय आने से पूर्व मैं एक नाव भेजूंगा जिसमे तुम बीज,वनस्पति एवं प्राणी एकत्रित कर लेना तथा उस नाव मैं सवार हो जाना जिससे तुम नए युग में जाने के लिए सफल हो जाओगे तुम बस मेरा इंतज़ार करना। सात दिन बीत गए ओर भीषण प्रलय का आवागमन हुआ सब लोग दर गए ओर भगवान विष्णु को याद करने लगे तभी एक विशालकाय नाव दिखाई देने लगी सत्य व्रत सभी लोगों को लेकर उस नाव मैं सवार हो गए उसके बाद एक मछली नाव के सामने आ गयी मछली ने बताया की इस प्रलय से बचने की लिए नाव को मेरे शरीर से बाँध लो जिससे तुम बचने मैं सफल हो जाओगे। तो इस प्रकार भगवान विष्णु ने अपने मत्स्य अवतार में सृष्टि को संहार होने से बचाया था।

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2. कूर्म अवतार​

कूर्म अवतार


कूर्म अवतार भगवान विष्णु के मुख्य 10 अवतारों में से दूसरा अवतार था। यह अवतार भगवान विष्णु ने सतयुग में लिया था। इस अवतार भगवान विष्णु ने कछुए बनके जन्म लिया था। यह अवतार भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के समय लिया था इस अवतार का मुख्य कारण था सभी देवता ओर देव राज इंद्र जब मुश्किल के समय में थे तब लिया गया था उस समय सभी देवता असुरों के सामने कमज़ोर पड़ने लगे थे भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन की सलाह देव राज इंद्र को दी थी इसके बाद देव राज इंद्र असुरों के राजा से संधि के लिया जा पहुंचे उन्होंने मंदार पर्वत को देवताओं एवं असुरों ने मिलकर समुद्र के बीच ले आये थे इसके बाद इस पर्वत में वासुकि को बाँधकर समुद्र मंथन की शुरूआत की गयी थी लेकिन उसके कुछ ही समय बाद वह पर्वत समुद्र मैं नीचे की ओर जाता जा रहा था तभी भगवान विष्णु ने कछुए में अवतार लिया ओर पर्वत के नीचे जा बैठे जिससे समुद्र मंथन दोबारा शुरू हो सका था। तो इस प्रकार भगवान विष्णु ने अपने कूर्म अवतार में सृष्टि के सभी देवताओं का संहार होने से बचाया था।

3. वराह अवतार​

वराह अवतार


वराह अवतार भगवान विष्णु के मुख्य 10 अवतारों में से तीसरा अवतार था। यह अवतार भगवान विष्णु ने सतयुग में लिया था। इस अवतार भगवान विष्णु भगवान ब्रम्हा जी की नाक से जन्म लिया था। भगवान विष्णु ने यह अवतार हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु नाम के दो असुर जो अधिक शक्तिशाली हुआ करते थे उन्हें मारने के लिया था। उन्होंने देवताओं पर भी कई बार आक्रमण करके देवताओं को भी परस्त कर दिया था। उन्होंने यह भी बोल दिया था की अब से सारे यज्ञ उनके ही नाम पर होंगे। देवताओं को कोई यज्ञ में भाग नहीं लेने दिया जायेगा। किसी भी देवी-देवता या भगवान की पूजा के बदले उनकी ही पूजा की जाये। भगवान विष्णु ने सभी देवताओं तथा ऋषियों को विश्वास दिलवाया की जब – जब पृथ्वी पर पाप बढ़ेगा तब में संसार में अवतार लेता रहूँगा।सभी देवताओं के चले जाने के दौरान भगवान विष्णु ने नीचे पृथ्वी की ओर देखा। फिर तो भगवान वाराह के रूप में प्रकट हुए और समुद्र में कूद गए।उसके बाद एक भयंकर ग्रज की आवाज़ हुई उसमें से भगवान विष्णु ने पृथ्वी को अपने हाथ में पकड़ा हुआ था यह देखकर हिरण्याक्ष परेशान हो गया था कि किसने उसको किसने ललकारा है। भगवान विष्णु को देखते ही उनसे लड़ने के लिए आ खड़ा हुआ। परन्तु उसकी हर शक्ति वराह के समीप जाते ही कमजोर पद जाती थी। कुछ समय युद्ध के बाद वराह ने हिरण्याक्ष का वध कर दिया था। तो इस प्रकार भगवान विष्णु ने अपने वराह अवतार में सृष्टि का संहार होने से बचाया था।

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4. नरसिंह अवतार​

नरसिंह अवतार


नरसिंह अवतार भगवान विष्णु के मुख्य 10 अवतारों में से चौथा अवतार था। यह अवतार भगवान विष्णु ने सतयुग में लिया था। इस अवतार में भगवान विष्णु नरसिंह अवतार इसलिए लिया था। हिरण्यकश्यप ने भगवान ब्रह्मा से ऐसा वरदान प्राप्त किया था जिसके द्वारा वोह न तो दिन में मारा जाये न रात में मारा जाये न कोई इंसान उसे मार सके न कोई भगवान उसे मार सके इसी कारण हिरण्यकश्यप अधिक शक्तिशाली होता जा रहा था। उसने एक बार देवताओं पर आक्रमण कर दिया था जिसमे वह हार गया था। उसका एक पुत्र भी था जिसका नाम प्रह्लाद था जोकि भगवान् विष्णु का भक्त था। एक बार उसने आपने पुत्र को मरने के लिए जलती आग में छोड़ दिया था लेकिन वोह भगवान विष्णु की आराधना करते हुए जीवित बता रहे गया था। एक दिन हिरण्यकश्यप ने क्रोध में आकर एक खम्बे पे वार करने लगा फिर अचानक खम्बे में से उसे कुछ दिखाई दिया जिसका आधा शरीर शेर का आधा शरीर इंसान का था उसने पूछा कौन हो तुम तब उन्होंने बताया की में नरसिंह हूँ में विष्णु का अवतार हूँ और तुम्हे मरने के लिए मैंने इस अवतार में जन्म लिया है इतना कहते हुए नरसिंह उसे दरवाजे के पास ले गये और उसे हवा में रखते हुए उसे मारा बिना किसी शास्त्र के अपने पंजो से उसका वध किया था। तो इस प्रकार भगवान विष्णु ने अपने नरसिंह अवतार में सृष्टि का संहार होने से बचाया था।


5. वामनावतार​

वामनावतार


वामन अवतार भगवान विष्णु के मुख्य 10 अवतारों में से पांचवा अवतार था। यह अवतार भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में लिया था। इस अवतार में भगवान विष्णु वामन अवतार इसलिए लिया था। इस अवतार में भगवान विष्णु देव राज इंद्र की शक्तियां लौटने के लिए अवतरित हुए थे। एक बलि नाम के राजा हुआ करते थे जिन्होंने देव लोक पर आक्रमण कर दिया था परन्तु वह युद्ध मैं हार गए थे एवं उनकी सभी शकितियाँ भी जा चुकी थी। फिर वोह महर्षि शुक्राचार्य के पास जा पहुंचे तो महर्षि शुक्राचार्य ने उन्हें यज्ञ करने के सलाह दी उसके बाद वह यज्ञ मैं सफल हुए तो वह सर्वशक्तिशाली बने राजा बलि एक दान वीर व्यक्ति थे एक दिन भगवान विष्णु अपने वामन अवतार में महर्षि शुक्राचार्य जी के आश्रम पे जा पहुंचे जहाँ राजा बलि भी मौजूद थे राजन ने उनका स्वागत किया कुछ समय बाद राजन ने उनसे उनकी इच्छा पूछी तो उन्होने बताया की वह सिर्फ तीन पग ज़मीन के आशा रखते है तो राजन ने कहा की में आपकी यह इच्छा अवश्य ही पूर्ण करूँगा तभी वामन आपने असली रूप में आये और उन्होंने अपना एक पैर पूरी सृष्टि पर रख दिया एवं दूसरा पैर स्वर्ग में रख दिया अब वामन ने राजन से तीसरा पैर रखने के लिए जगह मांगी तो राजन ने कहा की तीसरा पैर आप मेरे सर पर रख दीजिये जैसे ही वामन ने तीसरा पांव रखा राजन पातल में चले गए उसके बाद राजा बलि को पाताललोक राजा घोषित कर दिया गया तो इस प्रकार भगवान विष्णु ने अपने वामन अवतार में सृष्टि का संहार होने से बचाया था।

6. परशुराम​

परशुराम


परशुराम अवतार भगवान विष्णु के मुख्य 10 अवतारों में से छठा अवतार था। यह अवतार भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में लिया था। इस अवतार में भगवान विष्णु परशुराम अवतार इसलिए लिया था। इस अवतार में परशुराम जी ने समस्त क्षत्रियों का सर्वनाश के लिए जन्म लिया था इस अवतार में उन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रियों से मुक्त करवाया था।परशुराम जी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था उनके पिता का नाम जमदग्नि तथा माता का नाम रेणुका था। अर्जुन नाम के राजन हुआ करते थे उनके हज़ारों हाथ भी हुआ करते थे। एक बार परशुराम जी के आश्रम में कुछ क्षत्रिये राजा अर्जुन की ओर से आये थे और उनकी कामधेनु जोकि एक चमत्कारी गाय थी उसे उसके बछड़े के साथ आश्रम से राजा अर्जुन के पास ले गए उस समय परशुराम जी आश्रम में मौजूद नहीं थे परन्तु जब उन्हें इस बात का पता लगा वे उसी षंड निकल गए ओर राजा अर्जुन के महल के समीप जा पहुंचे राजा अर्जुन ने उनसे युद्ध के लिए विशाल सेना भेज दी इसके परिणाम स्वरुप परशुराम जी ने अपने फरसे से समस्त सेना का परास्त कर दिया उसके बाद स्वयं राजा अर्जुन को युद्ध के लिए आगे आना पड़ा लें परशुराम जी ने राजन को भी परास्त कर दिया और अपनी कामधेनु गाय को लेकर अपने आश्रम वापिस लोटे उसके बाद राजा अर्जुन के पुत्रों ने अपने पिता के मृत्यु का प्रतिशोध लेने की ठान ली एवं वे परशुराम जी के आश्रम में जाकर जमदग्नि की हत्या कर देते है जब इस बात का पता परशुराम जी को चलता है तो वे समस्त क्षत्रियों को वध कर देते है जिससे ब्राह्मणो को क्षत्रियों बिना किसी भैय का जीवन यापन कर सके। तो इस प्रकार भगवान विष्णु ने अपने परशुराम अवतार में सृष्टि का संहार होने से बचाया था।

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7. रामअवतार​

रामअवतार


राम अवतार भगवान विष्णु के मुख्य 10 अवतारों में से सातवां अवतार था। यह अवतार भगवान विष्णु ने त्रेतायुग के समय में लिया था। इस अवतार में भगवान विष्णु राम अवतार इसलिए लिया था। इस अवतार में भगवान विष्णु ने रावण नाम के असुर को मरने के लिया राजा दशरत के पुत्र के रूप में जन्म लिया था राम अवतार में भगवान विष्णु ने रावण नाम के असुर को मरने के लिए अवतरित हुए थे जोकि भगवान शिव का परम भक्त था जिससे भगवान शिव ने यह वरदान दिया था की उसे न कोई देव,दानव ,नाग,किनार,गधर्व कोई भी उसे मार नहीं सकता था जिस कारण उसे किसी का भय नहीं था। इस अवतार में उन्होंने मर्यादा पालन करते हुए अपना जीवन यापन किया इस अवतार में उन्होंने अपने जीवन काल में १४ वर्ष का बन वास काट जिसमे उनके साथ माता सीता जोकि लक्ष्मी की अवतरित थी एवं उनके भाई लक्ष्मण जोकि शेषनाग के अवतरित थे उनके साथ गए थे बन-वास के समय में उनकी पत्नी को रावण नाम का असुर हर कर ले आता है एवं भगवान राम हनुमान एवं उनकी सेना की सहायता से रावण के सेना से युद्ध कर पाते है ओर भगवान राम रावण का वध कर देते है। तो इस प्रकार भगवान विष्णु ने अपने राम अवतार में सृष्टि का संहार होने से बचाया था।


8. कृष्णावतार​

कृष्णावतार


कृष्णा अवतार भगवान विष्णु के मुख्य 10 अवतारों में से आठवां अवतार था। यह अवतार भगवान विष्णु ने द्वापरयुग के समय में लिया था। इस अवतार में भगवान विष्णु में कृष्णा के रूप में जन्मे थे। इस अवतार में भगवान विष्णु कृष्णा अवतार इसलिए लिया था क्योंकि कंस नाम के असुर को मरने के लिया वासुदेव के पुत्र के रूप में जन्म लिया था। कंस को यह बात का ज्ञात हो चुका था की उसकी बहन का आठवीं संतान ही उसकी मौत का कारण सिद्ध होगा जिसके चलते उसने बहन व जीजा को कारागार में बंद कर दिया था इसी प्रकार उसने अपनी बहन की सभी संतानों की एक-एक करके हत्या कर दी थी साथ संतानों के हत्या करने के बाद कृष्णा का जन्म हुआ। कृष्णा के पिता वासुदेव अपने मित्र नन्द के पास छोड़ आये थे एवं अपने मित्र नन्द की पुत्री को बदले में ले आये जिसे कंस मरने में सफल हो गया था।कुछ वर्षों बाद कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर दिया।कृष्णा ने अपने जीवन काल मैं महाभारत के समय भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था वे अर्जुन के सारथी भी बने थे। तो इस प्रकार भगवान विष्णु ने अपने कृष्णा अवतार में सृष्टि का संहार होने से बचाया था।

9. बुद्धअवतार​

बुद्धअवतार


बुद्धावतार भगवान विष्णु के मुख्य 10 अवतारों में से नोवां अवतार था। यह अवतार भगवान विष्णु ने कलियुग के समय में लिया था। इस अवतार में भगवान विष्णु में सिद्धार्थ के रूप में जन्मे थे। बुद्धा का जन्म क्षत्रिय कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था।बुद्धा का जन्म से पूर्व की गौतम बुध की माता मायादेवी को यह स्वप्न आया था की उनका पुत्र या तो एक बड़ा राजा बनेगा या फिर सन्यासी बन जायेगा ओर अपने ज्ञान से पुरे विश्व मैं प्रसीद होगा इसके उपरांत उनके घरवालों ने उन्हें राजा बनाने का निर्णय लिया था। उनके परिवार जानो ने उनकी विवाह करवा दिया। परन्तु एक दिन उन्होंने सांसारिक मोह को त्यागने का फैसला किया एवं वह अपने पुत्र राहुल एवं अपनी पत्नी यशोधरा को छोड़कर चले गए। उन्होंने एक नए धर्म की स्थापना की जिसे बोध धर्म के नाम से जाना जाता है, उन्होंने बोधगया नामक स्थान पर घोर तपस्या की जोकि आज बिहार मं स्तिथ है। गौतम बुध के उपदेश अनुसार बलि दान ,अहिंसा ,यज्ञे न करना की सलाह दी। तो इस प्रकार हमने जाना की की किस प्रकार भगवान विष्णु ने अपने बुध अवतार में क्या-क्या कार्य किये थे।

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10. कल्किअवतार​

कल्किअवतार


कल्किअवतार भगवान विष्णु के मुख्य 10 अवतारों में से दसवां अवतार है। यह अवतार भगवान विष्णु ने कलियुग के अन्तसमय में लेंगे। कल्कि अवतार भगवान विष्णु भगवान् विष्णु का अंतिम अवतार होगा जब कलियुग में अत्यधिक पाप बढ़ जायेगा तो भगवान विष्णु कल्कि में जन्मेंगे कल्किअवतार भगवान विष्णु उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद के पास स्थित संभल गांव नमक स्थान वह जगह जहां भगवान विष्णु का 10वां अवतार होना है। वे एक ब्राह्मण परिवार मैं जन्म लेंगे उनके पिता का नाम विष्णु यश और माता का नाम सुमति होगा इस अवतार में वे अपनी माता-पिता की पांचवी संतान होंगे इस अवतार के बाद सतयुग का प्रारंभ होगा। कल्कि अवतार में देवदत्तप नमक श्वेत अशव में दुष्टोंअ का संहार अपने दोनों हाथों तलवार लेकर युद्ध करते नज़र आएंगे। इसके बाद ही सतयुग का प्रारम्भ होगा। इस अवतार में भगवान विष्णु का निष्कलंक नाम से पूरे विश्व में पहचाने जायेंगे। ये भगवान विष्णु का पहला ऐसा अवतार है जोकि जन्म से पूर्व की समस्त विश्व मैं विख्यात हो चुका है।

तो दोस्तों कैसी लगी भगवान विष्णु के दस अवतार इन हिंदी हमें जरूर बतायें। धन्यवाद
 
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