पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसकी सतह पर तरल पानी है। पृथ्वी की सतह का लगभग 71 प्रतिशत भाग जल से आच्छादित है और महासागरों में पृथ्वी का लगभग 96 प्रतिशत जल है, केवल 2.5 प्रतिशत जल ही हम अपनी आवश्यक वस्तुओं के लिए उपयोग कर सकते हैं। मानव शरीर को प्रतिदिन निकटतम 3 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। जल हमारे जीवन और पर्यावरण के अत्यंत महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है।
मनुष्य के जीवन में पानी यानि जल का अनन्यसाधारण महत्व है। ऐसा एक भी दिन नहीं बीतता जिस दिन हम पानी का इस्तेमाल न करें। जिस जल को हमें जीवन मानते है यदि वही जल प्रदूषित हो जाए तो क्या हमारा अस्तित्व रहेगा?
जो पानी हम रोज पीते हैं वह साफ दिखता है; हालाँकि, यह सूक्ष्म प्रदूषकों से दूषित है।
जल प्रदूषित होने कई सारे कारण है। उनमे से सबसे बड़ा कारण है उद्योंगों और कारखानों से बाहर पड़ने वाला रासायनिक कचरा। ये कचरा किसी भी प्राथमिक प्रक्रिया बिना नदियों में और आसपास के जल स्त्रोतों में छोड़ा जाता है। जिसके वजह से पानी प्रदुषण होता है।
दूसरा कारण है घरों से फेका जाने वाला कचरा। बहोत बार मनुष्य द्वारा घर का कचरा जैसे भी आसपास के जल स्त्रोतों के पास फेक दिया जाता है। भगवान को चढ़ाये गए फूल , प्लास्टिक , कागज और भी बहोत कुछ। इसमें से कुछ चीज़ें वहां पर पड़ी पड़ी सड़ जाती है और गन्दगी पैदा करती है।
खेती में इस्तेमाल किये जाने वाले रासायनिक द्रव्य जैसे कीटकनाशक, किडनाशक पानी के साथ बहकर आसपास के नदी नालियों में घुल जाते है जिससे वह पानी प्रदूषित हो जाता है।
पालतू जानवर, बरतन , कपड़ें आदि को नदीयों में धोना ये भी और एक कारण है जिससे जल प्रदूषित होता है। इतना ही नहीं कई लोग हमें नदियों में नहाते हुए भी दिखाई देते है।
समुद्र के जल मार्ग से खनिज तेल लेके जाने वाले जहाज कई बार दुर्घटनाग्रस्त होते है। उनके द्वारा ले जाने वाला तेल समुद्र के पानी में फ़ैल जाता है जो पानी के ऊपर तेल की परत बना देता है।
आम्ल वर्षा भी जल प्रदुषण का एक सबसे महत्वपूर्ण कारण है। इस वर्षा का दूषित पानी जल स्त्रोतों में मिल जाने के कारन जल दूषित होने की संभावनाए बढ़ती है।
यूट्रोफिकेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जल निकायों में पोषक तत्वों के बढ़े हुए स्तर के परिणामस्वरूप पानी में शैवाल की वृद्धि होती है। यह पानी में ऑक्सीजन की कमी करता है। यह विनाशकारी रूप से पानी की गुणवत्ता, मछली और अन्य जलीय निवासियों को प्रभावित करता है।
प्रदूषित हुआ जल आसपास के सारे जीवित घटकों के पिने के योग्य नहीं रहता। इससे अनेक बिमारियों का सामना करना पड़ता है जैसे कॉलरा , टाईफाइड, पीलिया, हैजा, गैस्ट्रिक, उदर से सम्बंधित बीमारियां इत्यादि।
जलचरों के लिए भी ऐसा पानी हानिकारक ही होता है। इतना ही नहीं बल्कि प्रदूषित पानी में ऑक्सीजन की मात्रा भी कम होती है अत: जल में रहने वाले सारे प्राणीयों और पौधों के लिए विपुल मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं रहता।
प्रदूषित और रसायन से युक्त पानी खेती के लिए भी हानिकारक होता है। इससे फसल पर बहोत बुरा असर पड़ता है। खेतों में लगे अनाज के पौधों को भी अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे पानी के इस्तेमाल से कृषि भूमि की उपजता भी कम होने लगती है।
कारखानों और उद्योगों से बहार छोड़ा जाने वाला रासायनिक पानी प्रक्रिया कर के छोड़ा जाना चाहिए।
घरेलु कूड़ा कचरा, मल आदि जल के स्त्रोतों फेकना टालना चाहिए। जानवरों को धोना , नहाना, कपडे या बरतन धोना ये सारी गतिविधियां टालनी चाहिए।
कृषि, खेतों, बगीचों में कीटनाशक एवं अन्य रासायनिक पदार्थों को कम से कम उपयोग करने के लिए उत्साहित करना चाहिए। जिससे कि यह पदार्थ जल स्त्रोतों में नहीं मिल सकें और जल को कम प्रदूषित करें।
तालाब, नदी और बाकि जल स्त्रोतों की नियमित जांच एवं परिक्षण करना फायदेमंद है। शासन के लगाए गए नियमों का कठोर पालन करना चाहिए।
मनुष्य के जीवन में पानी यानि जल का अनन्यसाधारण महत्व है। ऐसा एक भी दिन नहीं बीतता जिस दिन हम पानी का इस्तेमाल न करें। जिस जल को हमें जीवन मानते है यदि वही जल प्रदूषित हो जाए तो क्या हमारा अस्तित्व रहेगा?
जल प्रदुषण के कारण
जल प्रदूषण विभिन्न मानवीय गतिविधियों और विकासात्मक कारकों के परिणामस्वरूप होता है।जो पानी हम रोज पीते हैं वह साफ दिखता है; हालाँकि, यह सूक्ष्म प्रदूषकों से दूषित है।
जल प्रदूषित होने कई सारे कारण है। उनमे से सबसे बड़ा कारण है उद्योंगों और कारखानों से बाहर पड़ने वाला रासायनिक कचरा। ये कचरा किसी भी प्राथमिक प्रक्रिया बिना नदियों में और आसपास के जल स्त्रोतों में छोड़ा जाता है। जिसके वजह से पानी प्रदुषण होता है।
दूसरा कारण है घरों से फेका जाने वाला कचरा। बहोत बार मनुष्य द्वारा घर का कचरा जैसे भी आसपास के जल स्त्रोतों के पास फेक दिया जाता है। भगवान को चढ़ाये गए फूल , प्लास्टिक , कागज और भी बहोत कुछ। इसमें से कुछ चीज़ें वहां पर पड़ी पड़ी सड़ जाती है और गन्दगी पैदा करती है।
खेती में इस्तेमाल किये जाने वाले रासायनिक द्रव्य जैसे कीटकनाशक, किडनाशक पानी के साथ बहकर आसपास के नदी नालियों में घुल जाते है जिससे वह पानी प्रदूषित हो जाता है।
पालतू जानवर, बरतन , कपड़ें आदि को नदीयों में धोना ये भी और एक कारण है जिससे जल प्रदूषित होता है। इतना ही नहीं कई लोग हमें नदियों में नहाते हुए भी दिखाई देते है।
समुद्र के जल मार्ग से खनिज तेल लेके जाने वाले जहाज कई बार दुर्घटनाग्रस्त होते है। उनके द्वारा ले जाने वाला तेल समुद्र के पानी में फ़ैल जाता है जो पानी के ऊपर तेल की परत बना देता है।
आम्ल वर्षा भी जल प्रदुषण का एक सबसे महत्वपूर्ण कारण है। इस वर्षा का दूषित पानी जल स्त्रोतों में मिल जाने के कारन जल दूषित होने की संभावनाए बढ़ती है।
यूट्रोफिकेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जल निकायों में पोषक तत्वों के बढ़े हुए स्तर के परिणामस्वरूप पानी में शैवाल की वृद्धि होती है। यह पानी में ऑक्सीजन की कमी करता है। यह विनाशकारी रूप से पानी की गुणवत्ता, मछली और अन्य जलीय निवासियों को प्रभावित करता है।
जल प्रदुषण का प्रभाव
जल प्रदूषण का पहला और सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव पानी की कमी है। प्रदूषित पानी मनुष्यों के उपयोग के लिए अत्यधिक अनुपयुक्त है और इसके लिए प्रसंस्करण की आवश्यकता होगी। पानी में कुछ विषाक्त पदार्थ प्रमुख जलीय जीवन को मारते हुए जलीय खरपतवारों के विकास को बढ़ा सकते हैं।प्रदूषित हुआ जल आसपास के सारे जीवित घटकों के पिने के योग्य नहीं रहता। इससे अनेक बिमारियों का सामना करना पड़ता है जैसे कॉलरा , टाईफाइड, पीलिया, हैजा, गैस्ट्रिक, उदर से सम्बंधित बीमारियां इत्यादि।
जलचरों के लिए भी ऐसा पानी हानिकारक ही होता है। इतना ही नहीं बल्कि प्रदूषित पानी में ऑक्सीजन की मात्रा भी कम होती है अत: जल में रहने वाले सारे प्राणीयों और पौधों के लिए विपुल मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं रहता।
प्रदूषित और रसायन से युक्त पानी खेती के लिए भी हानिकारक होता है। इससे फसल पर बहोत बुरा असर पड़ता है। खेतों में लगे अनाज के पौधों को भी अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे पानी के इस्तेमाल से कृषि भूमि की उपजता भी कम होने लगती है।
जल प्रदूषण रोकने के उपाय
नालों की नियमित रूप से सफाई करना जलप्रदूषण रोखने के लिए बहोत आवश्यक है।कारखानों और उद्योगों से बहार छोड़ा जाने वाला रासायनिक पानी प्रक्रिया कर के छोड़ा जाना चाहिए।
घरेलु कूड़ा कचरा, मल आदि जल के स्त्रोतों फेकना टालना चाहिए। जानवरों को धोना , नहाना, कपडे या बरतन धोना ये सारी गतिविधियां टालनी चाहिए।
कृषि, खेतों, बगीचों में कीटनाशक एवं अन्य रासायनिक पदार्थों को कम से कम उपयोग करने के लिए उत्साहित करना चाहिए। जिससे कि यह पदार्थ जल स्त्रोतों में नहीं मिल सकें और जल को कम प्रदूषित करें।
तालाब, नदी और बाकि जल स्त्रोतों की नियमित जांच एवं परिक्षण करना फायदेमंद है। शासन के लगाए गए नियमों का कठोर पालन करना चाहिए।
मॉडरेटर द्वारा पिछला संपादन: