Seo क्या है और कैसे करें

Seo क्या है और कैसे करें


क्या आपको पता है कि रोज कितनी ब्लॉग पोस्ट पब्लिश होती हैं?

सिर्फ वर्डप्रेस के उपयोगकर्ता ही हर दिन 20 लाख से ज्यादा ब्लॉग पोस्ट पब्लिश करते हैं। इसका मतलब हुआ हर सेकंड में लगभग 24 पोस्ट।

यानि जब आप यह 5 शब्द पढ़ रहे होंगे, तभी उपयोगकर्ताओं ने लगभग 216 पोस्ट पब्लिश कर दी होंगी।

और यह तो सिर्फ वर्डप्रेस उपयोगकर्ताओं की गिनती है। यदि हम सभी प्लेटफॉर्म के ब्लॉग पोस्टों की गिनती करें, तो निश्चित रूप से यह संख्या अधिक होगी।

कम्पटीशन इतना ज्यादा होने के कारण अपने ब्लॉग की रैंक को अच्छी बनाये रखना काफी मुश्किल हो जाता है। लेकिन आप चाहे कोई भी काम करें, उसमें कम्पटीशन तो होता ही है और ब्लॉगिंग में बने रहने के लिए आपको कम्पटीशन तो करना ही होगा।


हर ब्लॉगर को अपने ब्लॉग को सफल बनाने के लिए SEO को ठीक करना जरूरी होता है। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि Google पर लाखों लोग हर महीने SEO को सर्च करते हैं।

मैं अपनी हर ब्लॉग पोस्ट को लिखने में लगभग 5 से 6 घंटे लगाता हूँ, लेकिन इसमें मैं जो 10 मिनट अपनी पोस्ट के SEO को ठीक करने में लगाता हूँ, वो सबसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट होते हैं।

हर रोज Google पर लगभग 345 करोड़ searches होती हैं 1। यानि हर सेकंड में लगभग 40,000 searches. और यह तो सिर्फ Google का ही आंकड़ा है, अन्य search engines की तो हमने बात ही नहीं की।

इसलिए, हम यह कह सकते हैं कि कोई भी ब्लॉग सफल होगा या निष्फल, यह उसकी पोस्ट्स की Google रैंकिंग से निर्धारित होता है। और Google पर अच्छी रैंकिंग पाने के लिए आपका SEO ठीक होना जरूरी है।

लेकिन सबसे पहले आपको यह जानना जरूरी है कि आखिर SEO वास्तव में होता क्या है?

आपको शायद यह तो पता ही होगा कि SEO का मतलब होता है search engine optimization (सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन)। लेकिन हमको क्या ऑप्टिमाइज़ करना है?

क्या ब्लॉग डिज़ाइन, या कंटेंट या फिर लिंक्स?

इसका उत्तर है हाँ, हाँ और हाँ – आपको इन सबको ऑप्टिमाइज़ करना होता है और कई और चीजों को भी।

लेकिन चलिए इस गाइड को शुरू से शुरू करते हैं।

SEO की परिभाषा: SEO का मतलब होता है सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन। जो कि सर्च इंजन की आर्गेनिक लिस्टिंग (जिसे फ्री लिस्टिंग भी कहा जाता है) में हाई रैंक पाने की कला होती है।

सरल भाषा में इसका मतलब होता है:

सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO) आपके ऑनलाइन कंटेंट को ऑप्टिमाइज़ करने की प्रक्रिया होती है, ताकि सर्च इंजन किसी निश्चित कीवर्ड की सर्च के लिए इसे टॉप रिजल्ट में दिखाना पसंद करे।

चलिए इसे थोड़े और विस्तार से समझते हैं:

SEO की बात करें, तो इसमें आप हैं, सर्च इंजन है और सर्च करने वाला है। यदि आपके पास एक आर्टिकल है जिसमें बैंगन की सब्जी बनाने की जानकारी दी गई है, तो आप चाहेंगे कि सर्च इंजन (जो कि 90% मामलों में Google होता है) इसे “बैंगन की सब्जी” कीवर्ड के लिए टॉप रिजल्ट में दिखाए।

SEO एक ऐसा जादू होता है जो आपको अपने आर्टिकल में करना होता है, ताकि Google आपके आर्टिकल से सम्बंधित किसी भी कीवर्ड के सर्च होने पर आपकी साइट को टॉप पर दिखाए।

अब हम SEO को गहराई से समझेंगें, इस दौरान आप नीचे दी गई लिंक्स पर क्लिक करके किसी भी सेक्शन में सीधे जा सकते हैं:

Overview​

अब समझते हैं कि यह SEO का जादू आखिर होता कैसे है और इसकी क्यों जरूरत होती है?

जैसा कि मैंने पहले कहा था कि ज्यादातर लोग अपनी ऑनलाइन सर्फिंग की शुरुआत सर्च इंजन से करते हैं, और लगभग 75% सर्च Google पर की जाती हैं

इस तथ्य को इस बात से जोड़कर देखें कि Google के टॉप 5 रिजल्ट टोटल क्लिक में से 67% क्लिक प्राप्त करते हैं, तो आप समझ जायेंगे कि SEO इतना जरूरी क्यों होता है।

इंटरनेट के कई वेबमास्टर्स में एक जोक प्रशिद्ध है, जो इस बात को दर्शाता है कि क्यों सर्च इंजन के टॉप रिजल्ट में रैंक करना जरूरी होता है। वो जोक है –

यदि आपको किसी डेड बॉडी को छिपाने की जगह ढूँढ़ने की जरूरत पड़े तो आपको उसको Google सर्च रिजल्ट के दूसरे पेज पर छिपाना चाहिए।

इसका मतलब है – यदि आपका ब्लॉग पोस्ट, आर्टिकल या प्रोडक्ट Google सर्च रिजल्ट के पहले पेज को छोड़कर किसी अन्य पेज पर है तो इसकी रैंक न के बराबर होने जैसी है और आपको कोई ट्रैफिक प्राप्त नहीं होगा।

लेकिन यह समझने के लिए कि सर्च इंजन के पहले पेज में कैसे रैंक किया जाये, सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि सर्च काम कैसे करती हैं।


सर्च कैसे काम करती है:

अब आपको SEO की मूल बातों का अंदाजा तो हो ही गया होगा, अब मैं आपको इसे गहराई से समझाऊँगा।

चूँकि Google अपने search algorithm को छिपाकर रखता है और हमें इसके 200 से भी ज्यादा सर्च को निर्धारित करने वाले कारकों की जानकारी नहीं है। लेकिन Backlinko वेबसाइट ने इसके ज्यादा से ज्यादा कारकों का पता लगाने में काफी अच्छा काम किया है

लेकिन सबसे पहले मुझे एक चीज को आपको बताना बहुत ही जरूरी है। SEO दो तरीकों से किया जाता है, और आपको अपना तरीका अभी चुनना जरूरी है।

White hat SEO और black hat SEO​

जैसा कि आप जानते हैं, मैं ब्लॉगिंग में लम्बी पारी खेलने के लिए आया हूँ, न कि थोड़े समय में खूब पैसा कमाने के लिए।

सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन में भी यह बात सटीक बैठती है, कुछ लोग यहाँ कुछ समय में बड़ा पैसा कमाने आते हैं और कुछ लम्बे समय तक बने रहने के लिए।

यदि आप SEO पर एक जल्दी अमीर बनने की स्कीम की तरह काम करना चाहते हैं, तो आप संभवतः ब्लैक हैट SEO करेंगे।

इस प्रकार के SEO में ब्लॉग कंटेंट को सिर्फ सर्च इंजन के लिए ऑप्टिमाइज़ किया जाता है, अपने विज़िटर्स का बिलकुल भी ख्याल किये बिना। चूँकि अपने ब्लॉग को हाई रैंक दिलाने के लिए सर्च इंजन के नियमो को तोड़ने-मरोड़ने के कई तरीके होते हैं, इन्ही तरीकों को black hat SEO कहा जाता है।

आखिर में, इस तरह का SEO करने से विज़िटर्स के लिए आपके पेज बकवास होते हैं और काफी तेजी से सर्च इंजन में बैन होने लगते हैं। ऐसी स्थिति में अक्सर सर्च इंजन ब्लॉगर को ब्लॉक भी कर देते हैं, जिससे उनकी भविष्य में एक अच्छा ब्लॉग बनाने की उम्मीद भी ख़त्म हो जाती है।

Black hat SEO के जरिये आप थोड़े समय में कुछ पैसे तो छाप सकते हैं, लेकिन आपको लगातार सर्च इंजन की लेटेस्ट अपडेट्स को फॉलो करना होता है, और उसके नए नियमों को तोड़ने के नए-नए तरीके ढूँढ़ना पड़ता है।

अक्सर सर्च इंजन अपनी हर अपडेट की पूरी जानकारी पब्लिक में नहीं बताते, इसलिए इनकी नई अपडेट को जल्दी समझकर उचित कदम उठाना काफी मुश्किल होता है। और Google तो हर रोज अपने algorithm में कई छोटी-मोटी अपडेट करता है और हर महीने एक या दो बड़ी कोर अपडेट करता है, इसलिए black hat SEO के जरिये Google को बेबकूफ बनाना काफी ज्यादा मुश्किल है।

वहीं दूसरी ओर अपने ब्लॉग को लम्बे समय तक लोकप्रिय बनाये रखने के लिए white hat SEO किया जाता है। यदि आप इस तरीके से SEO करते हैं, तो निश्चित रूप से आपका पूरा ध्यान अपने विज़िटर्स पर रहता है।

आप अपने विज़िटर्स को सबसे अच्छा कंटेंट देने का प्रयास करते हैं और उनतक पहुँचने के लिए सर्च इंजन के सभी नियमों का पालन करते हैं।

Black hat SEO की रणनीतियाँWhite hat SEO की रणनीतियाँ
डुप्लिकेट कंटेंटउपयुक्त टाइटल और यूनिक कंटेंट जिसे विजिटर पसंद करें
दिखाई न देने वाला कंटेंटउपयुक्त इमेज का उपयोग
कीवर्ड स्टफिंगसही और पूर्ण शब्दों का उपयोग, जिनमें कोई ग्रामर मिस्टेक न हो
क्लोकिंग (cloaking)सर्च इंजन के निर्देश अनुसार HTML का उपयोग
विजिटर को किसी अन्य पेज पर रिडायरेक्ट करनाउचित बैकलिंक्स का उपयोग
बिना मिली-जुली साइट्स से लिंक प्राप्त करनामिली-जुली साइट्स से लिंक्स प्राप्त करना

यह कहने की तो जरूरत नहीं है कि आप मुझे सिर्फ white hat SEO की तकनीकों के बारे में बात करते देखेंगे।

तो आपको भी अपना पक्ष समझदारी से चुनना है – किल्विष या शक्तिमान

दुर्भाग्य से, यह हमेशा इतना आसान भी नहीं होता।

जैसा कि आप जानते हैं, जिंदगी हमेशा काली या सफ़ेद नहीं होती।

यही बात SEO पर भी लागू होती है। दरअसल, white hat SEO और black hat SEO के बीच में भी एक तरह का SEO होता है जिसे मुझे आपको बताना जरूरी है।

Gray hat SEO, जैसा कि इसका नाम है, इसमें थोड़ा सा white SEO होता है और थोड़ा black seo.

इसका मतलब है कि यह white hat SEO की तरह साफ़-सुधरा तो नहीं होता। लेकिन black hat SEO की तरह पूरा घोटालेबाज भी नहीं होता।

Grey hat SEO में आप किसी को भी धोखा देने की कोशिश नहीं करते और न ही जानबूझकर सर्च इंजन के साथ गेम खेलते हैं। हालाँकि, आप बस थोड़ा जल्दी अपने उचित विज़िटर्स तक पहुँचने की कोशिश करते हैं।

Google के सर्च मानक उतने साफ या क्लियर-कट नहीं हैं, जितना वो चाहते हैं कि आप विश्वास करें। कई बार तो वो कुछ विरोधाभाषी बातें भी करते हैं।

उदाहरण के लिए, Google कहता है कि वो आपके ब्लॉग की लिंक बनाने के लिए गेस्ट ब्लॉगिंग के उपयोग को पसंद नहीं करता

लेकिन तब क्या जब आप अपनी ब्रांड बनाने के लिए गेस्ट ब्लॉगिंग कर रहे हों? तब क्या जब आप अपनी ब्रांड की जागरूकता बढ़ाने, अपने ब्लॉग पर हाई क्वालिटी ट्रैफिक प्राप्त करने और अपने ब्लॉग की इंडस्ट्री के लोगों तक अपनी उचित जानकारी पहुँचाने के लिए गेस्ट ब्लॉगिंग कर रहे हों।

गेस्ट ब्लॉगिंग के यह सभी वैध कारक हैं और मैं आज भी सबको गेस्ट ब्लॉगिंग करने की सलाह देता हूँ।

अन्य लोग इस बात पर मुझसे असहमत हो सकते हैं, और इसमें कोई बुरी बात भी नहीं। इसी कारण से ऑनलाइन मार्केटिंग, खासतौर से SEO इतना मजेदार टॉपिक है। इसमें अलग-अलग प्रतियोगी सफल होने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

SEO हमेशा बदलता रहता है और इसके नियम भी सही ढंग से परिभाषित नहीं हैं। इसके अलावा, हम जिन्हें “SEO के नियम” के रूप में जानते हैं, वो सिर्फ विभिन्न SEO भविष्यवाणियों और डाटा ट्रेंड के आधार पर मान लिए गए होते हैं।

इसी कारण से grey hat SEO करने के हमें बहुत सारे अवसर मिल जाते हैं।

दो साल पहले, WordStream के फाउंडर Larry Kim ने उस साल की कुछ अद्वितीय SEO भविष्यवाणियां की थीं।

और उनमें से एक थी – अपने ब्लॉग का ट्रैफिक बढ़ाने के लिए सर्च इंजन रिजल्ट पेज (SERP) में अपने ब्लॉग की CTR बढ़ाना।

उनके अनुसार इस तरह की ‘engagement hacks’ भविष्य की grey hat SEO तकनीकें होंगी।

चलिए मैं आपको इसे थोड़े विस्तार से समझाता हूँ – जब भी Google पर कोई कीवर्ड सर्च करता है तो जाहिर सी बात है कि सबसे पहले रिजल्ट पर क्लिक सबसे ज्यादा मिलेंगी। अब यह मान लीजिये कि इस कीवर्ड के सर्च रिजल्ट में दूसरे स्थान पर आपकी ब्लॉग पोस्ट है।

यदि बहुत सारे लोग पहले रिजल्ट से ज्यादा दूसरे रिजल्ट को क्लिक करना पसंद करते हैं तो इससे Google को क्या संकेत मिलेगा? उसको संकेत मिलेगा कि इस कीवर्ड के लिए दूसरे नंबर का रिजल्ट पहले वाले से ज्यादा प्रासंगिक है, इसलिए Google दूसरे स्थान के रिजल्ट को पहले वाले से रिप्लेस कर देगा। इसी प्रक्रिया को ‘RankBrain’ भी कहा जाता है।

तो आप कुछ ऐसी तकनीकें अपनाएं जैसे अच्छे टाइटल का उपयोग और अपने ब्लॉग की ट्रस्ट बिल्डिंग करना, जिससे आपकी वेबसाइट को ज्यादा लोग क्लिक करना पसंद करें और आपकी रैंक अपनेआप अच्छी होती जाये।

एक और तरीका है अपनी फेसबुक पोस्ट का engagement बढ़ाना, जिससे आपके आर्गेनिक ट्रैफिक को भी बूस्ट मिलेगा।

मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि grey hat SEO अच्छा है या बुरा। इसका निर्णय तो सिर्फ आपको करना है।

मैं तो सिर्फ SEO के ऐसे तरीकों पर प्रकाश डालने कि कोशिश कर रहा हूँ, जो शायद ही आपने कहीं और सुने हों।

SEO एक Zero-sum game होता है। यानि इसमें सफल होने के लिए आपको निरंतर अपने प्रतियोगियों से प्रतिस्पर्धा करनी होती है।

आपके ज्यादातर प्रतियोगी वो सब कुछ करेंगे जो उन्हें SERP (सर्च इंजन रिजल्ट पेज) के टॉप पर ला सकें। इससे आपकी रैंक गिरेगी और आप SERP में नीचे गिरते चले जायेंगे।

इसलिए आपको यह तय करने की जरूरत है कि आप SEO के किस राश्ते पर जाना चाहते हैं और किस हद तक रिस्क ले सकते हैं।


अपने घर को अंदर और बाहर से साफ़ करना: on-page SEO बनाम off-page SEO​

SEO की दो मुख्य श्रेणियाँ होती हैं: on-page SEO और off-age SEO

On-page SEO, जैसा कि इसका नाम है, google के उन सभी रैंकिंग फैक्टर्स के बारे में होता जो सीधे आपके ब्लॉग पोस्ट को देखकर निर्धारित होते हैं, जैसे आपके पोस्ट का टाइटल, कंटेंट और पेज स्ट्रक्चर।

Off-page SEO उन सभी रैंकिंग फैक्टर्स के बारे में होता है, जो आपके ब्लॉग पोस्ट के बारे में बाहर से सिग्नल देते हैं, जैसे बैकलिंक्स, सोशल शेयर, आपकी इंडस्ट्री के अन्य प्रतियोगियों के कंटेंट की क्वालिटी और सर्च करने वाले की पर्सनल हिस्ट्री।

यह दोनों काफी अलग-अलग हैं, लेकिन आपको अपने SEO को ठीक करने के लिए इन दोनों को सही से करना जरूरी है।

आपको ठीक से समझाने के लिए मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ:

मान लीजिये आपका एक घर है और उसके आगे के हिस्से में एक गार्डन है। गार्डन के बीच में से एक सीधा रास्ता आपके घर के दरवाजे तक जाता है।

अब इन दो परिस्थितियों की कल्पना करें:

परिस्थिति #1: आपका घर अंदर से काफी साफ़ सुधरा और अच्छी तरह से सजाया हुआ है, लेकिन आपका गार्डन काफी गंदा है।

ऐसी स्थिति में क्या होगा? आपका घर अंदर से साफ-सुधरा होते हुए भी यदि आपका गार्डन बेकार है तो पहली बार आया कोई भी व्यक्ति आपके घर को बाहर से देखकर ही अंदर जाना पसंद नहीं करेगा, क्योंकि उसे आपका गार्डन देखकर यही लगेगा कि घर अंदर से भी गंदा ही होगा। और वो बाहर से ही लौट जायेगा।

यही बात on-page SEO पर भी लागू होती है। आपका कंटेंट कितना भी हाई क्वालिटी का क्यों न हो, यदि आप इसके on-page SEO को ठीक नहीं करेंगे तो कोई भी विजिटर इसको पढ़ना पसंद नहीं करेगा और न ही किसी और जगह इसका जिक्र करेगा।

कोई आपके इस मास्टरपीस कंटेंट को कभी नहीं देखेगा, क्योंकि आपको कोई ट्रैफिक ही प्राप्त नहीं होगा।

चलिए अब दूसरी परिस्थिति के बारे में बात करते हैं:

परिस्थिति #2: आपका गार्डन काफी साफ-सुधरा, ट्रिम किया हुआ और काफी सुंदर है, लेकिन आपका घर अंदर से काफी बेकार है।

अब यदि आप चीजों को एकदम उल्टा करके देखेंगे तो पूरी परिस्थिति का परिणाम आपको समझ में आ जायेगा। एक अच्छा गार्डन होने के कारण आप कई लोगों को अपना घर विजिट करने के लिए आकर्षित करेंगे। लेकिन कोई भी व्यक्ति जब आपके घर के अंदर घुसेगा तो अंदर की गंदगी देखकर तुरंत बाहर चला जायेगा।

जब भी कोई विजिटर सिर्फ एक पेज को देखकर आपके ब्लॉग को छोड़ देता है, तो google इसे बाउंस (bounce) मानता है। आपका बाउंस रेट (आपकी साइट को तुरंत छोड़कर जाने वाले विज़िटर्स का प्रतिशत) जितना ज्यादा होगा, आपकी google सर्च रिजल्ट्स में रैंक भी उतनी ही ख़राब होगी।

यही कारण है कि आपको on -page SEO और off-page SEO, दोनों को ठीक से करना जरूरी है।

शुरुआत में आप अपने पेज पर कुछ चीजों को सुधार सकते हैं (on-page SEO), और फिर इसके पब्लिश हो जाने के बाद बाहर से कुछ चीजें कर सकते हैं (off-page SEO)।

हम सबसे पहले on-page SEO के बारे में विस्तार से समझेंगे:

On-Page SEO​

On-page SEO की तीन बड़ी श्रेणियाँ हैं जिनको आपको समझना जरूरी है। इनमें से पहली और सबसे जरूरी श्रेणी है कंटेंट।

कंटेंट (Content)​

आपने शायद पहले इस quote को सुना होगा: “Content is king“. Bill Gates ने 1996 में यह भविष्यवाणी की थी और आज भी यह बात उतनी ही सच है, जितनी पहले थी।

क्यों?

क्योंकि Google पर सर्च करने वाला विजिटर तब खुश होता है जब उसे वह रिजल्ट मिलता है जो उसकी जरूरतों को सबसे अच्छे तरीके से पूरा करता हो।

यदि आप Google पर सर्च करेंगे “गुलाबजामुन बनाने की सरल घरेलू विधि” तो Google अपनी पूरी ऊर्जा लगाकर सम्पूर्ण वेब में से आपके लिए गुलाबजामुन बनाने की सबसे सरल विधियाँ (जो कि घर पर ही उपयोग की जा सकें) ढूँढ़कर देगा।

यह आपके रिजल्ट में सिर्फ सरल विधि, घरेलू विधि या कुछ प्रॉडक्स्ट की लिस्टिंग नहीं देगा, बल्कि आपको वो रिजल्ट देगा जो आपने उससे पूछा है।

Google आपतक हमेशा सबसे अच्छी क्वालिटी का कंटेंट पहुँचाने की कोशिश करता है और जितना हो सके उतना आपके अनुभव को बेस्ट बनाता है।

इसका मतलब यह हुआ कि अपना अपने SEO को ठीक करने का सबसे पहला काम होना चाहिए अच्छा कंटेंट देना।

अच्छा और हाई क्वालिटी का कंटेंट बनाना थोड़ा मेहनत का काम होता है। है न? SEO किसी भी अन्य कला या कौशल की तरह ही होता है, इसमें भी आपको अच्छे रिजल्ट पाने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।

जिस तरह दुनिया की सबसे अच्छी मार्केटिंग भी आपके खराब प्रोडक्ट को बेचने में ज्यादा मदद नहीं कर सकती, उसी प्रकार अगर आपका कंटेंट अच्छा नहीं है तो बेस्ट SEO तकनीकें भी कोई फायदा नहीं देंगी।

यहाँ पर मैं कुछ फैक्टर्स दे रहा हूँ जो Google की नजरों में आपके कंटेंट को बेस्ट बनाते हैं:

क्वालिटी: 2008 में जब मैंने ब्लॉगिंग शुरू की थी, उस समय सिर्फ अच्छी क्वालिटी का कंटेंट लिखने से ही सर्च इंजन में अच्छी रैंकिंग मिल जाती थी। आज भी आपके SEO का सबसे पहला कदम होना चाहिए बेस्ट क्वालिटी का कंटेंट।

लेकिन, अच्छी क्वालिटी का कंटेंट बनाना इतना आसान नहीं होता। आखिरकार, इसका मतलब है कि आपको एक टीचर बनना होगा – और वो भी सबसे अच्छा।

फिर भी, कोई भी एकदम से परफेक्ट नहीं बन सकता है। इसलिए शुरुआत में आप अन्य लोगों के कंटेंट को पढ़कर उसे अपने शब्दों में फिर से लिख सकते हैं। और फिर इसे समय के अनुसार अपडेट करके बेहतर, लम्बा और गहराई से समझाने वाला बना सकते है।

या हो सकता है कि आपके पास पहले से ही अपने आईडिया हों। यदि हाँ, तो इसे आज से ही अच्छे कंटेंट में बदलना शुरू कर दें और पूरा हो जाने के बाद एक आकर्षक और सम्मोहक टाइटल देकर पब्लिश कर दें।

एक बार जब आप लिखना शुरू कर दें, तो यह सुनिश्चित करें कि आपने अपने ब्लॉग पोस्ट में एक अच्छे कंटेंट की सभी जरूरी सामग्रियों को शामिल किया है या नहीं।

यहाँ तक कि आप ब्लॉगिंग में नौसिखिया ही क्यों न हों, तब भी राइटिंग को अपनी रोज की आदत बनाकर एक सफल और लोकप्रिय ब्लॉगर बन सकते हैं और इससे पैसे भी कमा सकते हैं।

कीवर्ड रिसर्च: अपना कंटेंट लिखने से पहले कीवर्ड रिसर्च करना, अच्छे कंटेंट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।

चूँकि आपको अपने पोस्ट के टाइटल और कंटेंट में कीवर्ड को शामिल करना होता है, इसलिए आपको लिखना शुरू करने से पहले एक सही कीवर्ड का चुनाव करना जरूरी होता है।

मैं कीवर्ड रिसर्च के बारे में अपनी किसी अन्य पोस्ट में गहराई से बात करूँगा।

सभी on-page SEO फैक्टर्स में से यह सबसे महत्वपूर्ण होता है, इसलिए इसे सीखने में आपको सबसे ज्यादा समय देना चाहिए। आपको इसे सीखने के लिए कोई किताब पढ़ने की भी जरूरत नहीं है, हमारी कीवर्ड रिसर्च की फुल स्टेप-बाय-स्टेप गाइड आपको सबकुछ सीखा देगी।

कीवर्ड का उपयोग: Google पिछले कुछ सालों में काफी स्मार्ट हो गया है। मुझे अपनी ब्लॉगिंग के पुराने दिन आज भी याद हैं, जब अपनी पोस्ट में कीवर्ड को बार-बार इस्तेमाल करके आसानी से टॉप रैंक प्राप्त की जा सकती थी। लेकिन अब ऐसा बिलकुल भी नहीं है, अब Google आपके कंटेंट को समझने भी लगा है। इसलिए बिना जरूरत के कीवर्ड को बार-बार इस्तेमाल करने से आपकी रैंक सुधरने के वजाय और ज्यादा बिगड़ सकती है। इसलिए आपको भी अब स्मार्ट बनने की जरूरत है।

आज के समय में कीवर्ड स्टफिंग करना पूरी तरह से मना है और इसका इस्तेमाल पूरी तरह से अर्थ विज्ञान (कीवर्ड के मतलब) पर आधारित हो गया है।

अब Google खोजकर्ताओं के कीवर्ड का मतलब समझने लगा है और उसके अनुसार अपने रिजल्ट दिखाता है।

उदाहरण के लिए यदि आप Google पर “काला बकरा” सर्च करेंगे, तो वह आपको “काला बकरा” जगह से सम्बंधित रिजल्ट दिखायेगा और उसी से सम्बंधित suggested queries बताएगा।

Google को पता होता है कि आप शायद काले रंग के बकरे के बारे में नहीं खोज रहे हैं, बल्कि वह अनुमान लगाता है कि आप “काला बकरा” जगह के बारे में खोज रहे हैं। इसलिए वह उस जगह से सम्बंधित चीजें जैसे “काला बकरा स्टेशन”, “मौसम”, “मंडी” आदि suggest भी करेगा।

इसलिए अपने कीवर्ड को सिर्फ ब्लॉग के टाइटल, URL और कंटेंट की कुछ महत्वपूर्ण जगहों में ही इस्तेमाल करें। इसको बार-बार इस्तेमाल करने की कोई जरूरत नहीं है।

आप बस अपना पूरा ध्यान अपने पाठकों पर केंद्रित करें और उस हिसाब से अपने कीवर्ड का इस्तेमाल करें।

कंटेंट का नयापन: नियमित रूप से नया और हाई क्वालिटी का कंटेंट पोस्ट करने से भी Google रैंक अच्छी होती है।

आप अपनी पुरानी पोस्ट्स को नियमित अपडेट करके और समय अनुसार उनमें सुधार करके भी Google को कंटेंट के नयेपन का सिग्नल दे सकते हैं।

उदाहरण के लिए Backlinko वेबसाइट के संस्थापक Brian Dean ने पिछले दो साल में सिर्फ 30 पोस्ट पब्लिश की हैं, लेकिन वो अपनी सभी पोस्ट को नियमित रूप से अपडेट करते रहते हैं और उनमें नई जानकारी डालते रहते हैं। इसलिए उनकी हर एक पोस्ट सदाबहार है और Google पर काफी अच्छी रैंक प्राप्त करती है।

चूँकि नियमित रूप से नई पोस्ट पब्लिश करते रहना महत्वपूर्ण होता है, लेकिन आप महीने में सिर्फ एक पोस्ट पब्लिश करके भी ब्लॉगिंग में सफल हो सकते हैं, यदि आप अपनी सभी पोस्ट्स को अप-टू-डेट रखें तो।

सीधे उत्तर (Direct answers): Google कभी-कभी SERP में खोजकर्ताओं को सीधे उत्तर प्रदान करता है। यदि आप अपने कंटेंट को इतना स्पष्ट रूप से लिखते हैं कि Google उसे किसी प्रश्न के उत्तर के रूप में पहचान सके, तो यह सीधे सर्च बार के नीचे दिखाई देगा।

Google की स्पैम टीम के पूर्व हेड Matt Cutts ने कहा था कि “क्लियर, सरल भाषा में व्याख्या करने वाला और आसानी से समझने योग्य कंटेंट लिखने से लोग उसे ध्यान से पढ़ते हैं, और Google इसे आसानी से पिक कर लेता है।”

इसी कारण आजकल किसी भी विषय पर सरल भाषा में in-depth guides काफी लोकप्रिय होती जा रही हैं। इसलिए अपनी राइटिंग को क्लियर बनायें। बहुत ज्यादा फैंसी और जटिल वाक्यों का इस्तेमाल करने से न तो आप अधिक स्मार्ट लगेंगे और न ही आपको SEO में कोई मदद मिलेगी।

यदि आप direct answers में अपनी पोस्ट को शामिल करना चाहते हैं, तो moz वेबसाइट ने इसके सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में काफी अच्छी जानकारी दी है

कीवर्ड का चुनाव​

मैंने ऊपर आपको कीवर्ड के बारे में कुछ शुरुआती जानकारी दी थी।

लेकिन यह इतना बड़ा और महत्वपूर्ण विषय है कि इसका एक अतिरिक्त सेक्शन बनाना भी जरूरी था।

इसका कारण यह है कि अक्सर 90% SEO कीवर्ड्स चुनाव के आसपास ही घूमता रहता है।

कीवर्ड्स ही निर्धारित करते हैं कि आपका कंटेंट किस बारे में है।

इन्हीं के जरिये आप अपनी वेबसाइट और ऑनलाइन बिज़नेस के बारे में वर्णन करते हैं।

यहाँ तक कि आपकी बैकलिंक्स (इंटरनल और एक्सटर्नल) के anchor text में भी कीवर्ड्स का होना काफी महत्वपूर्ण होता है।

एक और आम गलती जो लोग अक्सर करते हैं, वो है कीवर्ड रिसर्च बंद कर देना। वो अक्सर इसे एक या दो हफ्ते के लिए करते हैं और फिर रुक जाते हैं। उन्हें लगता है कि कीवर्ड रिसर्च एक बार की जाने वाली प्रक्रिया है।

हो सकता है कि वो अपनी वेबसाइट को प्रमोट करने के किसी अन्य तरीके को फॉलो करने लगे हों।

लेकिन बेस्ट ब्लॉगर्स और मार्केटर्स लगातार कीवर्ड रिसर्च करते रहते हैं, लोगों द्वारा अक्सर खोज किये जाने वाले कीवर्ड्स खोजते रहते हैं और मौजूदा रुझान (trends) के अनुसार अपने कंटेंट में बदलाव करते रहते हैं। ऐसा करने से उनका कंटेंट लम्बे समय तक लोकप्रिय बना रहता है।

वो अक्सर अपने मौजूदा कीवर्ड्स का मूल्यांकन भी करते रहते हैं कि क्या वो अब भी उनके कंटेंट के लिए उचित हैं या नहीं।

चलिए मैं आपको बताता हूँ कि कैसे अक्सर स्मार्ट ब्लॉगर्स भी कीवर्ड के चुनाव में गलतियाँ कर बैठते हैं:

कीवर्ड चुनाव की गलती #1: गलत कीवर्ड चुनना

मान लीजिये आप बिज़नेस बढ़ाने की कंसल्टिंग सर्विस (परामर्श सेवाएँ) बेचते हैं।

आप अपने हर एक ग्राहक से साल भर के परामर्श के लिए 2 लाख रूपए की कीमत बसूलते हैं।

यानी आप एक महीने में लगभग 16,666 रूपए चार्ज करते हैं, और यह कोई छोटी-मोटी राशि नहीं।

अब यदि आप “बिज़नेस बढ़ाने की फ्री टिप्स” कीवर्ड के लिए टॉप पर रैंक करते हैं, तो आपको किस प्रकार के विज़िटर्स मिलेंगे?

जाहिर सी बात है, आपको वही विज़िटर्स मिलेंगे जो फ्री सेवाओं की तलाश कर रहे हैं। इसलिए उनके द्वारा आपकी सर्विस खरीदने की सम्भावना न के बराबर है।

यह एक कीवर्ड आपकी वेबसाइट पर महीने में हजारों विज़िटर्स भेज सकता है। लेकिन आपके बिज़नेस के लिए शायद यह गलत विज़िटर्स होंगे। इसलिए इस कीवर्ड के लिए रैंक करने से आपको कोई फायदा नहीं होगा।

आपको ऐसे कीवर्ड को खोजना होगा जो आपकी साइट तक सही विज़िटर्स भेज सके, फिर चाहे आपको इससे महीने में सिर्फ 100 विज़िटर्स ही क्यों न प्राप्त हों।

एक बार सोचकर देखिये, यदि आप इन 100 विज़िटर्स में से 3-4 को भी अपनी सर्विस बेचने में सफल होंगे तो आपका बिज़नेस सफल हो जायेगा।

हालाँकि यह एकमात्र आम गलती नहीं है जो अक्सर लोग करते हैं।

यहाँ तक कि अगली वाली गलती तो और भी ज्यादा आम है।

कीवर्ड चुनाव की गलती #2: कम्पटीशन को नजरअंदाज करना

आपने एक सही कीवर्ड का चुनाव कर लिया है, और यह आप तक सही विज़िटर्स पहुंचाने में पूरी तरह से मदद करेगा।

अब आप आगे क्या करेंगे?

आप निश्चित रूप से Google Keyword Planner खोलेंगे और उसमें अपने कीवर्ड की सर्च वॉल्यूम देखेंगे।

स्वाभाविक रूप से, आप सबसे अधिक सर्च वॉल्यूम वाले कीवर्ड के साथ आगे बढ़ना चाहेंगे।

लेकिन यहीं तो आप गलती कर देते हैं।

किसी भी कीवर्ड के लिए रैंक करने की आपकी सम्भावना उसके कम्पटीशन पर निर्भर करती है।

किसी भी लोकप्रिय कीवर्ड के लिए पहले से ही कई हाई अथॉरिटी वेबसाइट्स टॉप पर होती हैं।

अब आप सोचकर देखिये, इन वेबसाइट्स को रिप्लेस करने के आपके चान्सेस कितने होंगे? शायद न के बराबर।

तो फिर आगे क्या?

यदि आप long-tail कीवर्ड्स में अपना ध्यान केंद्रित करें तो आपको ज्यादा फायदा होगा। हो सकता है कि इनकी सर्च वॉल्यूम काफी कम हो, लेकिन इनमें कम्पटीशन भी काफी ज्यादा कम होता है आप इनमें आसानी से रैंक प्राप्त कर सकते हैं।

लेकिन ध्यान रखें, कुछ long-tail कीवर्ड्स का कम्पटीशन भी काफी ज्यादा हाई होता है, इसलिए आपको हर एक कीवर्ड के कम्पटीशन का सबसे ज्यादा ध्यान रखना है।

तो आपको कीवर्ड रिसर्च करते समय निम्न तीन बातों का ध्यान रखना है:
  • कीवर्ड आपके बिज़नेस के लिए सही होना चाहिए
  • इसमें बहुत ज्यादा कम्पटीशन नहीं होना चाहिए
  • इसकी सर्च वॉल्यूम कम से कम इतनी तो होनी ही चाहिए, जो आपकी मेहनत को सफल बना सके
कीवर्ड रिसर्च में सफ़ल होने के लिए आपको out-of the box thinking रखने की जरूरत है। चलिए इसे कुछ टिप्स के जरिये समझते हैं –

कीवर्ड रिसर्च टिप #1: अपना ध्यान सर्च इंटेंट (खोज के प्रयोजन) पर फोकस करें

ज्यादातर लोग सिर्फ कीवर्ड्स पर ही फोकस करते हैं।

विजिटर कीवर्ड के जरिये क्या खोजने का प्रयास कर रहा है, आपको इस बात पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। इसे ही कहते हैं कीवर्ड इंटेंट।

और यही छोटा सा अंतर ऑनलाइन मार्केटिंग में सफल और असफल होने वाले लोगों को अलग करता है।

चलिए इस अंतर को समझाने के लिए मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ:

आप एक जॉब लिस्टिंग वेबसाइट के मालिक हैं। आप विभिन्न कंपनियों की जॉब्स को अपनी वेबसाइट पर लिस्ट करके पैसे कमाते हैं।

इसका मतलब यह हुआ कि आपको सफल होने के लिए अपने जॉब लिस्टिंग के पेजों को सर्च इंजन अच्छी रैंक कराना जरूरी है।

इन पेजों पर जितने ज्यादा जॉब खोजने वाले लोग आएंगे, आप उतने ही ज्यादा पैसे कमाएंगे।

चलिए अब देखते हैं कि “engineering jobs” जैसे कीवर्ड में हमें क्या प्राप्त होता है।

रिजल्ट में आपको IT, mechanical, civil आदि बहुत सारी लिस्टिंग दिखाई देंगी। लेकिन सर्च करने वाला उसी लिस्टिंग पर क्लिक करेगा जो वो वास्तव में ढूँढ रहा है (जैसे mechanical engineering jobs)

यही चीज है जो आपको ध्यान में रखना है। किसी भी कीवर्ड के जरिये व्यक्ति क्या ढूँढ़ने का प्रयास कर रहा है, उसे समझने की कोशिश करें।

सौभाग्य से, यह समस्या इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे हम अंततः अच्छे और कम कम्पटीशन वाले कीवर्ड्स को खोजकर इसे हल कर सकते हैं।

इस कीवर्ड के लिए अभी बहुत सारी high authority वाली वेबसाइट्स कम्पटीशन में हैं, इसलिए आपको अन्य नए कीवर्ड ढूँढने की जरूरत है।

नए कीवर्ड ढूँढ़ने के लिए आपको सबसे पहले खुद Google द्वारा इस query के लिए सुझाई गई searches को देखना चाहिए।

ये अन्य सामान्य searches हैं जो लोग अक्सर करते हैं।

और यदि आप थोड़ा और गहराई से सोचें तो पहले से ही आपके पास कई अवसर मौजूद होंगें।

जैसे “mechanical”, “civil” और “industrial” जैसे कीवर्ड पहले से ही बहुत ज्याद कॉम्पिटिटिव हो सकते हैं, लेकिन “environmental”, “audio” “aerospace”, “robotic” आदि जैसे कीवर्ड्स का क्या।

इन कीवर्ड्स का कम्पटीशन काफी कम होगा, और “aerospace” और “robotic” जैसे कीवर्ड्स का भविष्य में स्कोप बढ़ने की काफी उम्मीद है।

चलिए कीवर्ड इंटेंट के एक और उदाहरण को समझते हैं। इसे एक प्रश्न के साथ शुरू करते हैं –

जब कोई व्यक्ति सर्च इंजन में “best marketing automation tool” टाइप करता है, तो इसके पीछे उसका क्या इंटेंट होता है?

वह marketing के सभी टूल्स की तुलना देखना चाहता है और उसके अनुसार एक best marketing automation tool का चुनाव करना चाहता है।

चलिए अब देखते हैं कि इस कीवर्ड को google पर सर्च करने पर हमें क्या प्राप्त होता है:

मैं पहले एक paid ad और फिर एक organic result को highlight किया है। क्योंकि यह दोनों ही रिजल्ट कीवर्ड इंटेंट को समझकर काम कर रहे हैं।

वह यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि व्यक्ति इस कीवर्ड के जरिये क्या खोजने की कोशिश कर रहा है, और उस अनुसार उसे कंटेंट प्रदान कर रहे हैं।

बीच में एक अन्य paid result सिर्फ आपको एक टूल बेचने की कोशिश कर रहा है, बिना इस बात को समझे कि लोग इस कीवर्ड के जरिये टूल्स तुलना को खोज रहे हैं।

यह वो कंपनियां होती हैं जो किसी कीवर्ड टूल का इस्तेमाल करके कीवर्ड्स की एक लिस्ट तैयार कर लेती हैं और खोजकर्ता के इंटेंट को जाने बिना सबसे अधिक वॉल्यूम वाले कीवर्ड्स में advertise करने लगती हैं।

यह काम अँधेरे में तीर चलाने जैसा होता है। जिसमें तीर निशाने पर लगने की सम्भावना काफी काम होती है।

इसलिए आपको कीवर्ड रिसर्च में सफल होने के लिए खोजकर्ताओं के इंटेंट को समझकर सही कंटेंट देना है और कम कम्पटीशन वाले नए-नए कीवर्ड्स को खोजना है।


HTML​

जब आप सुनिश्चित हो जाएँ कि आपका कंटेंट काफी अच्छा है, तो अगली बड़ी चीज जिसपर आपको ध्यान देना है वो है HTML.

आपको इसके लिए professional coder या web designer होने की जरूरत नहीं है। लेकिन, HTML की मूल बातें जाने बिना एक ऑनलाइन ब्लॉग या वेबसाइट चलाना वैसा ही होता है जैसे ट्रैफिक लाइट के रंगों का मतलब जाने बिना ड्राइविंग करना।

अच्छी बात यह है कि ऑनलाइन कई ट्यूटोरियल्स और वीडियो मौजूद हैं जिनके जरिये आप आसानी से HTML के बारे में सीख सकते हैं। आप चाहें तो सिर्फ इस एक पेज को पढ़कर भी HTML के basics समझ सकते हैं।

चलिए अब HTML के उन चार भागों पर नजर डालते हैं जिनको आपको अपने हर एक पेज में ऑप्टिमाइज़ करना है:

टाइटल टैग्स (Title tags): टाइटल टैग्स समाचार पत्रों के शीर्षक की तरह ही होते हैं। जब भी आप इंटेरनेट पर कोई भी पेज खोलते हैं तो यही बड़े अक्षरों में सबसे ऊपर दिखाई देते हैं।

इनके HTML टैग को title कहा जाता है। लेकिन जब ब्लॉग की बात आती है तो यह अक्सर h1-tag के जरिये दर्शाये जाते हैं।

हर एक पेज में सिर्फ एक ही h1-tag होना चाहिए, ताकि Google इसे टाइटल के रूप में स्पष्ट रूप से पहचान सके।

Meta description: गूगल सर्च रिजल्ट में URL के नीचे जो summary होती है, वह आमतौर पर पेज के meta description से ली जाती है।

गूगल सर्च रिजल्ट्स में यह पता लगाना काफी आसान है कि किसने अपना meta description ऑप्टिमाइज़ किया है और किसने नहीं, क्योंकि ऑप्टिमाइज़ न करने करने वाले पेज के description के अंत में अक्सर ट्रिपल डॉट (…) लगा होता है।

यदि आप अपने meta description को ऑप्टिमाइज़ करते हैं (यानि इसे डालते हैं), तो गूगल इसे कभी भी ट्रिपल डॉट नहीं दिखायेगा।

नोट: meta description 155-160 अक्षरों से ज्यादा नहीं होना चाहिए, नहीं तो फिर गूगल इसे भी ट्रिपल डॉट में दिखायेगा।

मेरी ब्लॉग पोस्ट में इन दोनों टैग्स को ऑप्टिमाइज़ करने का मेरा पसंदीदा तरीका है Yoast SEO plugin का इस्तेमाल करना।

यह वर्डप्रेस का सबसे अच्छा SEO plugin है। यह सबसे लोकप्रिय है, इसके author लगभग हर हफ्ते इसे अपडेट करते हैं, और इसमें कई टाइम को बचाने वाले features हैं।

यह सिर्फ आपके title और metadata को ही जल्दी एडिट करने में मदद नहीं करेगा, बल्कि इसके कई और फायदे भी हैं:
  • यह आपको हर एक सोशल मीडिया साइट जैसे Facebook, Twitter आदि के metadata को सेट करने की सुविधा भी देगा, जिससे आपके सोशल शेयर rich data जैसे images, description आदि के साथ होंगे।
  • जैसे-जैसे आपकी साइट evolve होगी, यह आपके XML sitemap को dynamically update करेगा।
  • आप title और metadata की default settings को set कर सकते हैं। Category और tags जैसे archive pages को customize कर सकते हैं।
  • और बहुत कुछ।
यहाँ तक कि आप इसमें एक्स्ट्रा फीचर भी जोड़ सकते हैं। इसमें मेरे दो सबसे पसंदीदा फीचर हैं Readability और Keyword analysis tools जो कि आपको हर पोस्ट में क्या-क्या सुधार करना चाहिए इसको analyse करके बताते हैं।

Schema (स्कीमा): Schema को विभिन्न सर्च इंजन ने मिलकर बनाया है। यह मूल रूप से कुछ HTML टैग्स का subset होता है जो सर्च रिजल्ट्स में आपके पेज को प्रदर्शित करने के तरीके को सुधारता है।

उदाहरण के लिए, यदि आपके पेज पर लोगबाग ratings देते हैं तो schema के जरिये आप इसे गूगल सर्च रिजल्ट्स में भी दर्शा सकते हैं।

मैं जल्द ही वर्डप्रेस में schema को ठीक से प्रदर्शित करने की फुल गाइड प्रदान करूँगा। Moz वेबसाइट ने schema के बारे में काफी सरल गाइड प्रदान की है। Schema को अपने पोस्ट्स में लागू करने के बाद आप इसे Google के structural data testing tool में टेस्ट कर सकते हैं।

Subheads: विभिन्न subheadings (h2, h3, h4 आदि) न सिर्फ आपके पेज को ठीक से व्यवस्थित करने में मदद करती हैं, बल्कि यह SEO के लिए भी फायदेमंद होती हैं।

आपके h1-tag की तुलना में, h2, h3, h4 और आगे के subheads की SEO पावर कम होती है। लेकिन यह अभी भी मायने रखते हैं, इसलिए आपको इसका उपयोग करना चाहिए।

साथ ही, यह आपकी राइटिंग को SEO फ्रेंडली बनाने की सबसे मुख्य चीजों में से एक है।

Architecture (आर्किटेक्चर)​

On-page SEO का तीसरा और सबसे आखिरी भाग जो मैं इस पोस्ट में कवर करूँगा, वो है वेबसाइट का आर्किटेक्चर। हालाँकि SEO का यह हिस्सा काफी सुपर-टेक है, लेकिन इसमें भी कुछ साधारण चीजें हैं जिनको सुधारकर आप अपने SEO को ठीक कर सकते हैं।

एक अच्छे आर्किटेक्चर वाली वेबसाइट को नेविगेट करते समय उपयोगकर्ताओं का अनुभव अच्छा होता है। आमतौर पर इसका मुख्य फोकस fast loading time, secure connection और एक mobile-friendly design पर होता है।

आदर्श रूप से आपको अपनी वेबसाइट बनाने का प्लान करने के दौरान ही आर्किटेक्चर की एक तस्वीर अपने दिमाग में बना लेना चाहिए और बाद में इसमें जरूरत अनुसार बदलाव करते रहना चाहिए। ऐसा करने से आपको भविष्य के ट्रेंड्स के साथ चलने में मदद मिलेगी।

आपको अपनी वेबसाइट को सर्च इंजन के लिए भी ऑप्टिमाइज़ करना चाहिए। Google जितने अच्छे से आपकी वेबसाइट को देख पायेगा, आपकी रैंकिंग उतनी से अच्छी होगी।

Crawl करना आसान हो: Google का स्पाइडर बोट हर इंटरनेट को उसकी लोकप्रियता और बैकलिंक्स के आधार पर रेगुलरली crawl करता है।

यह स्पाइडर जितनी अच्छी तरह से आपकी वेबसाइट के आर्किटेक्चर को crawl कर पाएंगे, google पर अच्छी रैंक प्राप्त करने की सम्भावना भी उतनी ही ज्यादा बढ़ जाएगी।

आपके विभिन्न पेजों की लिंक्स एक दूसरे से जितना ज्यादा अच्छे से जुडी होंगी, स्पाइडर को हर एक पेज तक पहुँचने में उतनी ही ज्यादा आसानी होगी और सर्च इंजन को आपकी वेबसाइट के बारे में बेहतर समझ मिलेगी।

आप अपनी साइट का एक sitemap बनाकर google के लिए इस प्रक्रिया को और आसान बना सकते हैं। वर्डप्रेस में अपनेआप sitemap बनाने के लिए आप Yoast SEO या Google XML Sitemaps plugins का इस्तेमाल कर सकते हैं। Manually sitemap generate करने के लिए इस वेबसाइट पर जाएँ

डुप्लीकेट कंटेंट (Duplicate Content): SEO कम्युनिटी में डुप्लीकेट कंटेंट और इसके कारण आपकी वेबसाइट पर पढ़ने वाले नकारात्मक प्रभावों के बारे में काफी भ्रांतियां फैली हुई हैं। इनमें सबसे कॉमन गलती है यह सोचना कि आपके पेज का हर एक कंटेंट ओरिजिनल होना चाहिए। क्योंकि सच तो यह है कि सर्च इंजन डुप्लीकेट कंटेंट के लिए किसी भी वेबसाइट को दंडित नहीं करता।

अन्य वेबसाइटों पर अपने कंटेंट को फिर से पोस्ट करना या अपनी किसी गेस्ट पोस्ट अपनी खुद की साइट पर फिर से पब्लिश करना आपकी साइट के SEO को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है, जब तक कि आप इसे गलत (स्पैम) तरीके से नहीं करते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि आप अपनी किसी पोस्ट को medium वेबसाइट पर सेम-टू-सेम पोस्ट करते हैं तो ऐसा करने से google आपको दंडित नहीं करेगा लेकिन आपके ओरिजिनल आर्टिकल की रैंकिंग में गिरावट आ सकती है क्योंकि medium वेबसाइट की authority ज्यादा होने के कारण गूगल इसे पहले इंडेक्स करेगा।

SEO में अक्सर इसे “canonicalization” प्रॉब्लम के रूप में जाना जाता है।

और कई मामलों में यह प्रॉब्लम बिना आपके ध्यान में आये पहले से ही आपकी वेबसाइट पर हो रही होती है।

चलिए इसे एक उदाहरण से समझते हैं –

मान लीजिये मेरी एक पोस्ट का URL है – https://domain.com/blog-kaise-banaye/, अब मान लीजिये मुझे किसी वेबसाइट से इस पोस्ट के लिए कोई बैकलिंक प्राप्त होती है लेकिन थोड़े बदलाव के साथ https://domain.com/blog-kaise-banaye/?share=facebook&nb=1.

किसी भी वेबसाइट के URL में question mark (?) के साथ इस तरह के suffix जुड़ना काफी आम है। और गूगल इसे अलग पेज के रूप में इंडेक्स करता है। ऐसे में आपकी वेबसाइट के एक ही कंटेंट के कई सारे पेज गूगल में इंडेक्स हो जायेंगे और डुप्लीकेट कंटेंट की समस्या उत्पन्न होने लगेगी।

इसके अलावा यदि आपकी वेबसाइट www और non-www या फिर http और https में उपलब्ध है तो भी यह समस्या उत्पन्न होगी।

इसका समस्या का उपाय है गूगल को अपने ओरिजिनल URL के बारे में बताना। इसके लिए पेज के HTML में </head> टैग के अंदर canonical टैग का उपयोग किया जाता है।

<rel='canonical; href='https://domain.com/blog-kaise-banaye/' />

सौभाग्य से, Yoast SEO जैसे plugin इसे काफी सरल बनाते हैं। आपको बस इस plugin को activate करना है, आगे की प्रक्रिया यह खुद व खुद कर देगा और आपके ब्लॉग के हर एक पेज और पोस्ट में canonical टैग डाल देगा।

वैकल्पिक रूप से, आप इसे हर एक पोस्ट या पेज में Yoast SEO की advanced settings में जाकर manually भी सेट कर सकते हैं।

Canonical URL सेट करने के बाद गूगल (या अन्य सर्च इंजन) को आपकी पोस्ट्स के हर एक irregular URL (साथ ही www या non www और http या https) का रियल URL जानने में आसानी होगी और वह उसी को रैंक करेगा।

Mobile-friendliness: आप माने चाहे न माने, यदि आपकी वेबसाइट mobile friendly नहीं है तो आप पहले ही आधी जंग हार चुके हैं।

आजकल लगभग हर व्यक्ति मोबाइल पर वेब ब्राउज़िंग करने लगा है। इसलिए आप इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते।

सबसे पहले आप अपनी वेबसाइट को गूगल के Mobile-Friendly testing tool पर चेक करें।

यदि आप वर्डप्रेस पर हैं तो आपको mobile-friendliness के बारे में ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वर्डप्रेस की लगभग हर एक थीम mobile friendly होती है। और यदि न हो तो आप WPtouch plugin का इस्तेमाल करके इसे mobile friendly बना सकते हैं।

यदि आप किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर हैं तो tool के द्वारा दिए गए suggestions को अपनी साइट पर implement करें या किसी प्रोफेशनल व्यक्ति से मदद लें।

पेज स्पीड (Page Speed): याद करें जब आपके इंटरनेट ने किसी पेज को खोलते समय 20 सेकंड से ज्यादा समय लगाया था आपको कितना गुस्सा आया था।

आज के समय, में हम अपने समय को किसी भी चीज से ज्यादा महत्त्व देते हैं। आपकी वेबसाइट लम्बे समय तक लोड होने पर आपका ट्रैफिक, टाइम ऑन साइट और conversion rate काफी कम होगा और बाउंस रेट बढ़ेगा।

हाल ही में गूगल की एक टीम ने रिसर्च के जरिये इस बात को साबित किया। उनकी रिसर्च बताती है कि “आपकी साइट की स्पीड का लोडिंग टाइम 6 सेकंड से ज्यादा होने पर किसी भी व्यक्ति का इससे बाउंस करने की सम्भावना 106% बढ़ जाती है। यानि आपके ओरिजिनल बाउंस रेट से दो गुना ज्यादा लोग अब आपकी साइट से बाउंस करेंगे।

और उनकी इस रिपोर्ट में यह बात भी पता चली कि इंटरनेट की सभी वेबसाइट्स का एवरेज लोडिंग 22 सेकंड्स है, यानी 3 गुना ज्यादा।

आप गूगल के Test My Site टूल पर अपनी वेबसाइट की स्पीड के बारे में पता लगा सकते हैं, और उनकी रिपोर्ट के अनुसार अपनी साइट की लोडिंग स्पीड ठीक कर सकते हैं।

साइट स्पीड की जाँच करने का मेरा एक और पसंदीदा टूल्स हैं – WebPageTest

इसमें आप विजिटर के लोकेशन और ब्राउज़र को भी सेलेक्ट कर सकते हैं, जिससे आपको हर एक लोकेशन से अपनी साइट की स्पीड की जाँच मिल सकती है।

यहाँ पर हम पेज स्पीड बढ़ाने की कुछ जनरल टिप्स दे रहे हैं –

सबसे पहले गूगल द्वारा recommend की गई 50 number of average requests से कम करने की कोशिश करें।

जब भी कोई आपकी वेबसाइट को ब्राउज़र में टाइप करता है तो आपके पेज का पूरा डाटा उसके ब्राउज़र में लोड होता है।

यह डाटा जितना ज्यादा कम होगा, आपकी server उतनी ही तेजी से इस डाटा को सेंड करेगी।

आप वर्डप्रेस में Autoptimize plugin का इस्तेमाल करके अपनी CSS, JavaScript, images आदि को ऑप्टिमाइज़ कर सकते हैं।

आजकल ज्यादातर वेबसाइट्स में बहुत सारी high resolution images होती हैं, तो इनकी साइज भी बहुत ज्यादा होती है। Autoptimize plugin या Jetpack के lazy load feature का इस्तेमाल करके आप इन्हें वेबसाइट डाटा लोड होने के बाद लोड कर सकते हैं। फिर यह तभी लोड होंगी जब विजिटर पेज को scroll करके इन तक पहुंचेगा।

इसे अलावा WP Smush.it जैसे image optimization plugin भी images को compress करके छोटा करने में मदद कर सकते हैं।

यदि आपके विज़िटर्स पूरे ग्लोब से आते हैं तो CloudFlare जैसी फ्री या Amazon CloudFront जैसी paid CDN services का इस्तेमाल करके आप पूरे ग्लोब में अपनी साइट की स्पीड को ऑप्टिमाइज़ कर सकते हैं।

URL में कीवर्ड का इस्तेमाल: अपने ब्लॉग पोस्ट के URL में अपने कीवर्ड को शामिल करना जरूरी होता है। गूगल के Matt Cutts के अनुसार URL में कीवर्ड होने से वह पोस्ट के कंटेंट का विवरण देने में मदद करते हैं और searcher की उसपर क्लिक करने की सम्भावना बढ़ जाती है। इसलिए या आपके SEO के लिए भी फायदेमंद हैं।

HTTPS और SSL: 2014 में गूगल ने घोषणा की थी कि वेबसाइट की सिक्योरिटी भी अब उनके algorithm में रैंकिंग सिग्नल का काम करेगी

और तो और गूगल यहीं नहीं रुका, अब वो chrome में http (या non-secure) वेबसाइट्स को विजिट करने वाले लोगों के address bar में एक चेतावनी भी देने लगा है। खासतौर से login, signup या payment pages पर।

यह चेतावनी अनिवार्य रूप से विजिटर को बताती है कि “वेबसाइट का कनेक्शन सिक्योर नहीं है, इसलिए आपको अपनी पर्सनल जानकारी (नाम, एड्रेस, क्रेडिट कार्ड आदि) की जानकारी इसको नहीं देना चाहिए”।

इंटरनेट पर अधिकतर लोग chrome पर ही ब्राउज़िंग करते हैं, इसलिए आपको अपनी वेबसाइट को भरोसेमंद बनाये रखने के लिए इसको https पर ले जाना जरूरी है।

वर्डप्रेस को https पर ले जाने की फुल गाइड हम जल्द ही आपको प्रदान करेंगे।

Off-Page SEO​

चलिए, अब समय है अपने घर से बाहर आने का और अपने गार्डन को साफ-सुधरा बनाने का। मैं आपको off-page SEO के चार सबसे बड़े फैक्टर्स की जानकारी दूँगा।

Trust (भरोसा)​

2008 से 2014 के बीच जब मैं ब्लॉगिंग करता था, तब गूगल PageRank के जरिये वेबसाइट को trust प्रदान करता था।

लेकिन अब वेबसाइट की trust और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है, और हाल की लगभग सभी Google updates ने spammy और obscure वेबसाइट्स को दंड दिया है।

अब गूगल TrustRank के जरिये यह चेक करता है कि आपकी वेबसाइट भरोसेमंद है या नहीं। उदाहरण के लिए, यदि आपकी वेबसाइट काफी लोकप्रिय है और कई लोग आपकी वेबसाइट को नाम से पहचानते हैं, तो Google को आप पर भरोसा करने की संभावना भी ज्यादा होगी।

बड़ी ब्रांडेड वेबसाइट्स से क्वालिटी बैकलिंक पाने से भी वेबसाइट की TrustRank बढ़ती है।

Authority: गूगल दो तरह की चीजों को देखकर आपकी वेबसाइट की authority को निर्धारित करता है:
  1. Domain authority: आपका domain कितना लोकप्रिय है। जैसे colgate.com की authority काफी ज्यादा क्योंकि लगभग सभी इसके बारे में जानते हैं।
  2. Page authority: आपके पेज (या ब्लॉग पोस्ट) का कंटेंट कितना authoritative है, यह page authority से निर्धारित होता है।
आप अपनी authority को इस टूल के जरिये जाँच सकते हैं।

इस टूल के जरिये आपको अपनी वेबसाइट के Moz authority metrics भी देखने को मिलेंगे, जो भी काफी लोकप्रिय हैं।

तो अपनी authority बढ़ाने का सबसे सरल तरीका क्या है?

हाई-क्वालिटी की बैकलिंक्स प्राप्त करना हमेशा ही सबसे ज्यादा जरूरी होता है।

उदाहरण के लिए एक ऐसा ब्लॉग बनाना जिसके बारे में कई न्यूज़ मीडिया साइट्स न्यूज़ देना पसंद करें।

हालाँकि यह करना इतना आसान नहीं, और इसमें काफी मेहनत लगती है।

लेकिन यही एक सबसे अच्छा तरीका होता है बिना किसी चीटिंग के authoritative backlinks प्राप्त करने का।

याद करें जब हमने बात की थी कि किस प्रकार गेस्ट ब्लॉगिंग आपके उपयोग करने के तरीके के आधार पर white, grey या black SEO की श्रेणी में आ सकती है।

यही बात न्यूज़ मीडिया पर भी लागू होती है। आप बिना किसी चीटिंग के जितनी अधिक न्यूज़ साइट्स से लिंक्स प्राप्त करेंगे, आपकी साइट की रैंकिंग उतनी ही ज्यादा अच्छी होगी।

Bounce Rate (बाउंस रेट): आपकी वेबसाइट का बाउंस रेट इस बात को बताता है कि कितने प्रतिशत लोगों ने आपकी साइट के एक ही पेज को पढ़कर तुरंत छोड़ दिया।

बाउंस रेट कम करने के लिए अच्छा कंटेंट, लोडिंग स्पीड, आसानी से नेविगेट होने डिज़ाइन, इंटरनल लिंक्स का सही उपयोग और सही विज़िटर्स को अपनी साइट तक लाना सबसे ज्यादा जरूरी होता है। यह गणित काफी आसानी से समझने योग्य है – सही विज़िटर्स आपकी वेबसाइट पर ज्यादा समय बिताएंगे यदि वह जल्दी लोड होती है, जिसे नेविगेट करना आसानी होता है और जिसपर अच्छा पढ़ने योग्य कंटेंट होता है।

अपनी वेबसाइट के बाउंस रेट और टाइम ऑन साइट को बढ़ाने का एक और अच्छा तरीका होता है वीडियो का इस्तेमाल। यदि आप अपने कंटेंट के बीच में एक सही जानकारीपूर्ण वीडियो डालेंगे तो जाहिर सी बात है विजिटर इसे देखना पसंद करेंगे ताकि उन्हें आपकी बात अच्छे से समझ आ सके।

विज़िटर्स आपकी वेबसाइट को सर्च रिजल्ट में किस तरीके से ट्रीट करते हैं, यह भी गूगल को आपकी authority निर्धारित करने में मदद करता है।

उदाहरण के लिए, मान लीजिये आप गूगल के जरिये अपने आसपास कोई “pizza” शॉप ढूँढ़ने की कोशिश करते हैं। आप तुलना करने के लिए टॉप के तीन सर्च रिजल्ट्स को एक के बाद एक क्लिक करके देखते हैं।

आपको दूसरे और तीसरे नंबर का रिजल्ट अच्छा लगता है इसलिए आप थोड़ी देर के लिए इनको ब्राउज करते हैं। आपने लगभग 5 मिनट इन पेजों पर बिताये।

लेकिन सबसे पहले वाला रिजल्ट आपको पसंद नहीं आया और आप 5-10 सेकंड्स के अंदर ही back बटन दबाकर दूसरे सर्च रिजल्ट्स देखने लगते हैं।

आपका यह व्यवहार गूगल को उस सर्च रिजल्ट्स के बारे में कुछ बताता है। वो इस डाटा को सहेजकर रखेंगे।

इस तरीके से वो विज़िटर्स को ख़राब अनुभव देने वाले रिजल्ट्स की रैंकिंग को कम करते जाते हैं और अच्छे अनुभव वाले पेज ऊपर आते जाते हैं।

यही कारण है कि आजकल SERP में आपके पेज का CTR और बाउंस रेट SEO के लिए काफी ज्यादा मायने रखता है।

Domain age: आपके domain की age, इसकी authority का निर्धारण करने वाले महत्वपूर्ण कारकों में से एक है।

चाहे कोई बी कंपनी हो, जो लम्बे समय से पब्लिक में एक्टिव रहती है, हम उसपर ज्यादा भरोसा करते हैं। आप मार्केट में कोई भी चीज खरीदते समय ब्रांडेड चीजों को ज्यादा तबज्जो देते हैं क्योंकि आपको इनपर ज्यादा भरोसा होता है। यह भरोसा कैसे बनता है? जाहिर सी बात है अगर आप आज कोई कंपनी खोलें और अगले दिन से ही सब इसपर 100 प्रतिशत भरोसा करने लगें, यह तो संभव नहीं। लोगों का भरोसा बनाने में महीनो और सालों लग जाते हैं।

यदि बात domain पर भी लागू होती है। आपकी वेबसाइट जितने लम्बे समय से इंटरनेट पर एक्टिव है, उतने ही ज्यादा लोग उसपर भरोसा करेंगे। इसलिए गूगल domain age के अनुसार भी उसकी authority को बढ़ाता है।

पहचान (ब्रांड): आज के समय में ऑनलाइन पर्सनल ब्रांड या पहचान होना सर्च इंजन के लिए एक बहुत बड़ा trust signal होता है। लेकिन इसको बनाने में भी मेहनत और समय लगता है।

अपनी ब्रांड (या ब्लॉग नाम) को गूगल पर सर्च करने पर यदि आपको इस तरह का रिजल्ट मिले तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपकी ब्रांड लोकप्रिय हो रही है:

किसी भी प्रोडक्ट की क्वालिटी और कीमत से भी ज्यादा उसकी ब्रांड इम्पॉटेंट होती है।

एक सेकंड के लिए इस परिस्थिति के बारे में सोचकर देखिये।

आपको अपनी गाड़ी (बाइक या कार) के टायर बदलने की जरूरत है। आपको अच्छी क्वालिटी के टायर ही चाहिए, क्योंकि सड़क पर आपकी व्यक्तिगत सुरक्षा दाव पर लगी है।

तो आप किस कंपनी का टायर चुनेंगे। निश्चित रूप से आप उसी कंपनी का टायर चुनेंगे जिसके बारे में आपने सुना हो, न कि किसी नई कंपनी का।


Links (लिंक्स)​

मेरी इस गाइड को पढ़कर आपको यह बात तो समझ में आ गई होगी कि “बैकलिंक्स ही सबकुछ होता है” की धारणा गलत है। बैकलिंक्स मेरे द्वारा शेयर किये गए अन्य भागों की तरह ही SEO का एक भाग होती हैं।

एक बात ध्यान रखें कि कोई भी खुद से आपकी नई और अलोकप्रिय साइट को बैकलिंक्स नहीं देगा। इसलिए शुरुआत में आपको खुद ही उनसे बैकलिंक्स देने के लिए पूछना चाहिए।

बैकलिंक्स लेते समय निम्न तीन मुख्य बातों का ध्यान रखें:

लिंक्स की क्वालिटी (Links quality): चूँकि SEO में लिंक्स सबकुछ नहीं होतीं और सिर्फ क्वालिटी बैकलिंक्स ही फायदेमंद होती हैं। आपकी हर एक लिंक्स की क्वालिटी, लिंक्स की संख्या से ज्यादा मायने रखती है।

क्वालिटी बैकलिंक प्राप्त करने के लिये आपको सही वेबसाइट्स का पता लगाना और उनसे लिंक के बदले में कुछ और देने का सौदा करना होता है। मैं अपनी बैकलिंक बनाने की एडवांस गाइड में इन सभी तरीकों के बारे में गहराई से चर्चा करूँगा।

ज्यादातर लोगों को लगता है कि उनकी वेबसाइट पर जितनी ज्यादा संख्या में बैकलिंक्स होंगी, उनको उतना ही ज्यादा फायदा होगा।

और यह बहुत ही बड़ी गलती होती है, क्योंकि:
  1. सर्च इंजन लो क्वालिटी और स्पैमी (spammy) दिखने वाली ज्यादातर बैकलिंक्स को नजरअंदाज कर देते हैं।
  2. एक ही साइट से कई सारी लिंक्स प्राप्त करने के मुक़ाबले अलग-अलग साइट्स से कम लिंक्स प्राप्त करना ज्यादा फायदेमंद होता है।
  3. अपनी ही साइट से लिंक्स (internal link) प्राप्त करने के मुकाबले अन्य साइट्स से प्राप्त लिंक की ज्यादा अहमियत होती है।
इन सब बातों को ध्यान में रखकर ही अपनी बैकलिंक्स पाने की रणनीति तैयार करें।

Anchor text: जब भी कोई आपके पेज को लिंक करता है तो जिन शब्दों पर वो लिंक होती है उन्हें anchor text कहा जाता है। और हाँ, यह मायने रखता है।

Anchor text जितना ज्यादा नेचुरल और आपके कंटेंट से संबंधित होगा, आपकी रैंकिंग को उतना ही ज्यादा फायदा मिलेगा।

बैकलिंक्स की संख्या (number of backlinks): अंत में, लिंक्स की संख्या भी मायने रखती है और आपको जितनी ज्यादा हाई क्वालिटी बैकलिंक्स मिलेंगी, आपकी वेबसाइट की अथॉरिटी उतनी ही ज्यादा होगी।

और यह भी इम्पोर्टेन्ट है कि आपके किन-किन पेजों पर बैकलिंक्स मिल रही हैं।

चलिए मैं इसे गहराई से समझाता हूँ।

आपकी वेबसाइट के होमपेज की लिंक्स अच्छी तो होती हैं। हालाँकि ज्यादातर नेचुरल लिंक्स आपके होमपेज पर नहीं होंगी, जबतक कि वो विशेष रूप से आपकी ब्रांड (या वेबसाइट) का उल्लेख न कर रहे हों।

आप देखेंगे कि आपको ज्यादातर नेचुरल लिंक्स अपने पोस्ट्स पर मिल रही होंगी, जहाँ पर उपयोगी कंटेंट है।

तो लिंक लेते समय भी आपको ध्यान रखना है कि आपकी ज्यादातर लिंक्स सही पोस्ट्स पर हों और सही anchor text के साथ।

Personal (पर्सनल)​

Off-page SEO की तीसरी श्रेणी जिसके बारे में हमें पता होना चाहिए, वो है personal factors.

हालाँकि इनमें से ज्यादातर factors हमारे कंट्रोल से बाहर होते हैं, लेकिन ऐसी चीजें हैं जिनको करके आप एक निश्चित पाठकों के ग्रुप तक अपने ब्लॉग को पहुंचा सकते हैं।

Country और location: गूगल पर सर्च की जाने वाले सभी सर्च के रिजल्ट, सर्च करने वाले की country और location के आधार पर होते हैं।

जैसे यदि आप “pizza near me” सर्च करेंगे तो आपके शहर के आसपास के सभी pizza shop की लिस्ट गूगल मैप के साथ खुल जाएगी, और लिंक रिजल्ट्स में भी आपके शहर का जिक्र होगा।

मैं विदिशा शहर में रहता हूँ, इसलिए मुझे निम्न रिजल्ट मिले –

साथ ही, लिंक रिजल्ट्स में भी विदिशा से संबंधित पेज आ रहे हैं।

जाहिर सी बात भारत के किसी और location से शहर सर्च करने वाले व्यक्ति को यह रिजल्ट्स नहीं मिलेंगे। इसलिए Google SERP में सर्च करने वाले व्यक्ति की country और location का भी प्रभाव होता है।

Search करने वाले की browsing history: यदि सर्च करने वाला पहले आपके पेज को विजिट कर चुका हो या रेगुलरली आपकी साइट को विजिट करता हो, तो इस व्यक्ति के SERP में आपके पेज की रैंक हाई होने की संभावना ज्यादा होती है, क्योंकि गूगल को लगता है कि सर्चकर्ता आपकी साइट से जानकारी प्राप्त करना पसंद करता है।

इसी प्रकार, यदि बहुत सारे लोग एक ही पेज को विजिट करना पसंद करते हैं तो इस पेज की रैंकिंग सभी सर्चकर्ताओं के लिए बढ़ जाती है, क्योंकि इस स्थिति में गूगल को लगता है कि आपका पेज ज्यादातर लोगों को पढ़ना पसंद है इसलिए यह लगभग सभी के लिए relevant होगा।

Social (सोशल)​

अंत में, चलिए बात करते हैं off-page SEO के social factors के बारे में।

गूगल आपके पेज के बारे में विभिन्न social media sites से मिलने वाले quality data को भी अच्छे सिग्नल के रूप में लेता है।

इसलिए social sites पर अपने पजों के engagement और sharing को बढ़ाकर भी आप SERP की रैंक बढ़ा सकते हैं।

Social engagement के कई सिग्नल होते हैं, जिनमें में से दो सबसे प्रमुख निम्न हैं –

Share की quality: Backlinks की तरह ही, shares की संख्या से ज्यादा share करने की quality ज्यादा मायने रखती है। Google के data में influencers की लिस्ट पहले से ही होती है, और जब यह लोग आपके पेज को share करते हैं तो आपके पेज को SERP में ज्यादा boost मिलता है।

Influencers को अपनी पोस्ट को share करने के लिए प्रोत्साहित करने का सबसे अच्छा तरीका होता है, अपनी पोस्ट को पब्लिश करने के तुरंत बाद उनको इसकी जानकारी देना और रेगुलरली उनसे जुड़े रहना।

Shares की संख्या: अंत में shares की संख्या भी मायने रखती है, यदि यह बहुत ज्यादा हो। अपने कंटेंट का वायरल होना हर एक ब्लॉगर का सपना होता है।

अपने कंटेंट को वायरल करने के बहुत सारे तरीके और सुझाव हो सकते हैं।

लेकिन सब में एक चीज कॉमन होती है – कमाल का कंटेंट लिखें।

इसका मतलब अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है।

उदाहरण के लिए, ज्यादातर हेल्प ब्लॉगिंग और कंटेंट मार्केटिंग के क्षेत्र में मैंने पाया कि लम्बी और सरल ब्लॉग पोस्ट छोटी ब्लॉग से हमेशा बेहतर परफॉर्म करती हैं।

लेकिन हर एक क्षेत्र में यह बात सही नहीं होती। कुछ छोटे कंटेंट भी काफी वायरल हो जाते हैं।

कुछ साल पहले अमेरिका के एक प्रोफेशर Jonah Berger ने Journal of Marketing Research में एक स्टडी पब्लिश की थी, जिसका निष्कर्ष निम्न है:

“कई मामलों में virality लोगों को मानसिक रूप से उत्तेजित करने वाले कंटेंट में होती है। जो कंटेंट लोगों की सकारात्मक (positive) या नकारात्मक (negative) भावना को उकसाता है, वो आसानी से वायरल हो जाता है।”

यही कारण है कि आजकल जब आप न्यूज़ चैनल्स देखते हैं तो वहाँ पर ज्यादातर उकसाने वाले या वायरल मुद्दों पर ही चर्चा हो रही होती है।

जब मैंने यह पोस्ट शुरू की थी तभी आपसे कहा था कि ब्लॉगिंग के क्षेत्र में बहुत ज्यादा कम्पटीशन है और रोज लाखों ब्लॉग पोस्ट पब्लिश होती हैं।

इसलिए आपको इसमें सफल होने के लिए और लम्बे समय तक ठीके रहने वाला कंटेंट देने के लिए नियमित रूप से उसे लोगों से जुड़ने वाला, यूनिक, in-depth और सरल बनाये रखना होता है।

यदि आप अपने पाठकों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने में सफल हो जाते हैं, तो आपको ब्लॉगिंग में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।

निष्कर्ष​

मुझे उम्मीद है कि आपको यह गाइड पढ़कर समझ आ गया होगा कि ब्लॉगिंग और कंटेंट मार्केटिंग में सफल होने के लिए SEO कितना जरूरी होता है।

हालाँकि SEO की कुछ बेसिक चीजों को सही करने के लिए आपको ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती, लेकिन यदि आप इन्हें करते हैं तो निश्चित रूप से आपको सर्च इंजन में ज्यादा रैंकिंग नहीं मिलेगी।

यदि आप पहले से ही अपनी साइट पर कुछ गलत SEO तकनीकों का इस्तेमाल कर चुके हैं, तो भी चिंता न करें।

आज ही से अपने SEO को सुधारने की प्रक्रिया को शुरू कर दें और इसे सफल होने के लिए कम से कम महीने का इंतजार तो करें ही करें, क्योंकि SEO में सफल होने के लिए धैर्य सबसे ज्यादा जरूरी होता है जो ज्यादातर लोगों में नहीं होता।

अपनी कोई भी ब्लॉग पोस्ट लिखने से पहले ठीक से कीवर्ड रिसर्च करें। फिर इन कीवर्ड्स को अपनी पोस्ट के टाइटल और कंटेंट में नेचुरल भाषा में इस्तेमाल करें।

और क्या पता कि अगली बार जब आप अपनी ब्लॉग पोस्ट पब्लिश करें तो वो SERP में टॉप पर रैंक करे।

इस गाइड को पढ़ने के बाद आपका SEO के प्रति कितना दृष्टिकोण बदला, आपने क्या नया सीखा, आपको क्या समझ में नहीं आया या आप कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल​

SEO क्या है?

SEO का मतलब होता है सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन। जो कि सर्च इंजन की आर्गेनिक लिस्टिंग (जिसे फ्री लिस्टिंग भी कहा जाता है) में हाई रैंक पाने की कला होती है।

SEO को काम करने में कितना समय लगता है?

यदि आप competitive keyword को target कर रहे हैं, तो SEO में 6 महीने से लेकर एक साल तक का समय लग सकता है।

क्या डुप्लिकेट कंटेंट आपके SEO को नुकसान पहुँचाता है?

सर्च इंजन डुप्लीकेट कंटेंट के लिए penalize नहीं करता।

लिंक बिल्डिंग में कौन-कौन से चीजें सबसे ज्यादा मायने रखती हैं?

सर्च इंजन आपकी साइट को लिंक करने वाली साइट की relevancy, authority और anchor text को सबसे ज्यादा ध्यान में रखता है।

SEO क्यों जरूरी होता है?

इंटरनेट पर ज्यादातर लोग सर्च इंजन के जरिये ही किसी भी कंटेंट को खोजते हैं (लगभग 75%), इसलिए ऑनलाइन सफल होने के लिए सर्च इंजन में अच्छी रैंक होना जरूरी है और अच्छी सर्च पाने के लिए SEO ठीक होना जरूरी होता है।
 
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