दोस्तों आज हम आप को इस्लाम के Nabiyo Ke Nam Aur Unki list के बारे मे बताने वाले है। और इस पोस्ट मे हम nabiyo ki umar के बारे मे भी बताएंगे। अगर अपको हमारी पोस्ट Nabiyo Ke Nam Aur Unki list पसंद आए तो कमेन्ट करना मात भूलना दोस्तों।
इस्लाम के मान्यता के अनुसार हज़रत आदम पहेले दुनिया के मर्द है। तथा इन्हे सभी मनुष्य का बाप भी कहा जाता है। कुरान मे आदम की कहानी बार बार धौराई भी गई है। और अल्लाह ने इन्हे पहेले नबी का दर्ज भी दिया है। नबी आदम की पत्नी जीने बीबी हवा कहा जाता है वो दुनिया की माता के रूप मे कुरान मे उल्लेखित है।
हज़रत आदम और बीवी हवा दोनों ही धर्म इस्लाम और अल्लाह के प्रति बोहोत ईमानदार थे। और उसका पालन भी करते थे। पर व्यक्त के साथ जब उनकी मृत्यु हुई तब उनके बच्चे उनकी मान्यता को ब्रशट करते चले गए। यहूदी (इसराईल ) और ईसाई (christian) धर्म के अनुसार आदम और हवा की जन्नत (स्वर्ग) से निकले जाने की कहानी का उलेख होता है। और इसी कहानी का उलेख कुरान मे भी बोहोत बार हुआ है।
जैसे की ऊपर हमने अपको बताया की हज़रत आदम सब इंसानों के बाप है। कुरान मे ये भी कहा गया है। की उनके आने के बाद वाले भी इंसान उनके बच्चे है। इसलिए ही इंसानों को आदमी भी कहा जाता है। इस्लाम के अनुसार जब अल्लाह दुनिया के पहेले इंसान को बनाने वाला था तो उसने अपने फरिश्तों से कहा की वो अपना एक दूत को बना रहा है। आदम से पहेले दुनिया मे शैतान की हुकूमत थी और जिन्नात भी रहेते थे। और इस्लाम मे माना जाता है की आदम की कोई भी बात करने से पहेले शैतान की बात करना जरूरी है। क्यू की शैतान का इस पूरे कहानी से बोहोत गहरा तलूख है।
मुसलमानी मान्यता के अनुसार इद्रीस कुरान मे उल्लेखित दूसरे नबी है। इदरीस को बाइबिल हनोक के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन कल के लोग तो इदरीस को हर्मीस ट्रिस्मेगिस्टस से जोड़ते है और मानते ही ऑनो एक ही व्यक्ति थे।
”कुरान मे उन्हे भरोसेमंद” का दर्ज भी दिया गया है। इस्लाम के हिसाब से नबी इदरीस की पीढ़ि आदम के बाद की पीढ़ि मतलब शूरवाती पीढ़ी मे गिनते है। उन्हे सबसे पुरानी पैगम्बरों मे भी देखा जाता है।
मलिक इब्न अनस द्वारा सुनाई गई और साहिबा मुस्लिम में पाई गई एक हदीस के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि मुहम्मद साहब की नाइट जर्नी में उन्होंने चौथे स्वर्ग में इदरीस से मिले थे।
नूह इब्राहीम में श्रद्धा रखने वाले धर्मों के एक प्रमुख नबी और पूर्वज थे। इनको दुनिया के बड़े जल प्रलय के समय प्राणियों को बचाने के लिए जाना जाता है। जिस नाव से इन्होंने सबको बचाया उन नाव को ”कश्ती ए नूह भी कहा जाता” है। जो इनके द्वारा खुद बनाई गई थी।
नूह ने अपनी पूरी ज़िंदगी अल्लाह के इबादत मे निकाल दी। वो बस अल्लाह के ध्यान मे रहेते और लोगों को इस्लाम के बारे मे बताते। अपकी जानकारी के लिए बतादु की नूह को तीन पुत्र हुए थे। जिनका नाम शेम, हाम और येपेत था। आदम के बाद अल्लाह ने देखा की उनकी बनाई गई दुनिया इंसानों द्वारा नष्ट की जा रही है। पाप का स्थर बोहोत जाद बाद गया है। लोग अल्लाह की जगह किसी और को पूज रहे है।
अल्लाह ने नूह से एक दिन कहा की मेरी बनाई गई दुनिया को इंसानों ने पूरी तरह से नष्ट कर दिया है। इंसानों के गुनाह बाद गए है। जो इंसान मेरी राह पर नहीं चल रहे है। मेरी ना फार्मनी कर रहे है। अब उनको दुनिया से हटाने का समय आ गया है। तुम गोपेर की लकड़ी का इस्तेमाल करो और अपने लिए एक बड़ी नाव का निर्मन करो जिसकी लंबाई तीन सौ हाथ लंबी होंगी। पचास हाथ चौड़ी होंगी। तीस हाथ की उचाई होंगी। जहाज मे तीन मंजिले होंगी।
अल्लाह ने नूह को ये इसलिए बनाए को कहा था की क्यू की वो दुनिया मे बोहोत बड़ी बाढ़ लाने वाला था। जिसमे वो दुनिया के सभी प्राणियों को नष्ट करने वाला था। बस वो सिर्फ नूह की बात मानने वाले जनवेर और इंसानों को बचाने वाला था। अल्लाह ने नूह के परिवार कोभी जहाज मे सवार होने का हुकंम दिया।
साथ ही हुक्म दिया की दुनिया के सारे जानवर पशु-पक्षियों को भी साथ मे ले लेना। चाहे फिर उन्हे खोजना ही क्यू ना पड़े। हर तरह का खाना भी साथ ले लो। इस भोजन का उपयो तुम्हारे खाने के लिए और जानवरों के खाने के लिए होंगा। अब नूह ने कई सालों तक इस काम को अंजाम दिया।
अंत मे नूह ने अल्लाह से दुआ की और अल्लाह ने भयानक जल प्रलय को अंजाम दिया उसके ना फर्माणी करने वाले हर इंसान को उसने नष्ट कर दिया।
हूद भी प्राचीन नबियों मे आते है। इस्लामिक मान्यता की किताब कुरान भी हूद ये नाम पर कुरान का ग्यारवा पारा भी है। कुरान मे हूद का उलेख बोहोत छोटे से हिस्से मे किया गया है।
नूह की पीड़ी का चौथा वंशज हूद था। बोहोत बार नूह को एबर कर साथ भी जोड़ा जाता है।
हजरत इब्राहीम को तीनों धर्म के लोग मानते है। जिसमे यहूदी, ईसाई, और इस्लाम शामिल है। कुछ हिन्दू धर्म के लोग उन्हे प्रजापति के नाम से भी जानते है। इब्राहीम की कहानी शुरू होती है। बाड़ के 350 साल के बाद। हमने नूह के कहानी मे जो बाढ़ बताई ये वो ही बाढ़ है। नूह को इस दुनिया से जाके 2 साल हो गए है। तब इब्राहीम का जन्म हुआ था।
अब इब्राहीम बड़े हो गाएं थे। एक दिन अल्लाह ने उनसे कहा अपना सब कुछ छोड़ दो और उस देश या जगह जाओ जो तुम्हें दिखा रहा हू। हजरत इब्राहीम ने सब कुछ छोड़ कर वाह जाने का फैसला किया पर उनके कुछ परिवार के लोगों ने भी साथ जाने का फैसला किया था। और यही से उनका सफर शुरू हुआ था।
इस्माईल को भी तीनों धर्म का नबी (पैगमबर) माना जाता है। जिसमे यहूदी, इस्लामिक, और ईसाई धर्म शामिल है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार इस्माईल हजरत इब्राहीम के बेटे थे। अल्लाह इब्राहीम के बोहोत बड़े भक्त थे, अल्लाह से बड़ी मोहोबत थी उनको। अपनी मोहबत साबित करने के लिए उन्होंने बोहोत सी कुर्बानिया दी थी। जिसमे एक बार उन्होंने अपने बेटे सहित अपि बीवी को साफा मरवा नाम की कहानी पर छोड़ के आगए।
तब इस्माईल की उम्र दूध पीते शिशु जितनी ही थी। अब इस्माईल को पनि की प्यास सता रही थी। उनकी मा इस पहाड़ से उस पहाड़ पर भागती फिरती रहेटी पनि की तलाश मे पर पनि नसीब नहीं हो रहा था। अल्लाह ने उनकी तकलीफ देख इस्माईल की एडी रगड़ने की जगह से पनि के फ़ौवारे पैदा कर दिए जिस का नाम जम जम पड गया था।
अपको बता दु की बकरा ईद मनाने की वजह भी हजरत इस्माईल और इब्राहीम से जुड़ी है।
जानिए क्यू मानते है बकरा ईद :
हजरत इशहाक की भी मान्यता तीनों धर्मों मे है। पर उन्हे यहूदी और ईसाई धर्म मे भगवान का दर्ज दिया गया है। पर इस्लामिक मान्यता मे भगवान यानि अल्लाह सिफ़ एक है। और हाजत इशहाक को नबी यानि पैगमबर का दर्ज दिया गया है। इनका उल्लेख कुरान मे 15 मर्तबा अलग अलग कारणों मे आया है।
हजरत याकूब की चार शादियां हुई थी। और उनकी चारो बीवियां उनके मामा की बेटियां थीं जिनका नाम लायान था। इन औरतों से हजरत याकूब के 14 बच्चे हुए थे।
क़ुरान के अनुसार हजरत युसुफ का किस्सा बोहोत अच्छा किस्सा बताया गया है बाकी किस्से में से। आपको बतादू की ऊपर जो हजरत याकूब की बात हम कर रहे थे उन्हीं के बेटे है हजरत युसुफ। युसुफ उनके पिता के चहेते बेटे थे। हजरत युसुफ को अल्लाह ने ख्वाब ताबीर का इल्म अता किया था। युसुफ के चहेते होने के कारण उनके भाइयों में जलन पैदा हुई।
इस कारण उनके भाइयों ने उन्हें जंगल में ले जा कर एक कुवे में गिरा दिया। और उनके कपड़े पर एक बकरी का खून लगा कर के सपने पिता को कहा एक भेड़िया ने उनके भाई युसुफ को मार दिया। पर हजरत याकूब नबी थे समज चुके थे। युसुफ की मौत से वे बोहोत रोए और रोने के कारण उनकी आंखे चली गई। उनके भाई रोज वाह जाके देखते की युसुफ बाहर तो नहीं आ गए। वो कुल तीन दिनों तक कूवे में रहे थे।
अनस के बेटे थे हजरत अय्यूब हज़रत इस्हाक़ के ईश की औलादों में से है। हजरत अय्यूब की माता हजरत लुत की वंशज है। हजरत अय्यूब बड़े खूबसूरत थे। उनके बाल घुंघराले थे। वो उचाई में लंबे थे और अच्छे खासे फुर्तीले थे। हज़रत अय्यूब को 14 बच्चे थे जिनमें 7 बेटे और 7 बेटीया थी।
हजरत अय्यूब बड़े अदब वाले मिज़ाज के थे। लोगों के साथ हमेशा अदब से पेश आते थे। लोगों की मदद करते उनके साथ तरीके से रहेते। किसी की बेईजती उन्होंने कभी नहीं की।
हजरत शोएब का कुरान में ग्यारह बार नाम लिया गया है। हजरत शोएब को पुराने नबियों में से भी कहा गया है। उन्हें एक समुदाय को सुधारने और अल्लाह की बताए नेक रस्ते पर चलाने भेजा गया उन्होंने उस समुदाय को समझाया चेतावनी दी पर वो नहीं माने। अल्लाह ने उस समुदाय पर बड़ा जलजला नाजिल कर दिया।
उन्हें इस समुदाय ने बहुत कष्ट दिया परेशान किया अल्लाह की ना फर्मनी की बुत की पूजा की आखिर में अल्लाह ने उन्हें जमीन ने धसा दिया।
हजरात मूसा को भी तीनों धर्म में मान्यता दी जाती है यहूदी, इस्लाम और ईसाई। जहा उन्हें प्रमुख नबियों में से एक कहा गया है। उन्होंने यहूदी धर्म को बनाया या उसकी शुरुवात की थी। इनकी कहानी का वर्णन इस्लामिक ग्रंथ और ईसाई ग्रंथ दोनों में दिया गया है। मूसा ने यहूदियों को अल्लाह द्वारा “दस आदेश” दिये जो आज भी यहूदी धर्म में प्रमुख है। उनकी परवरिश भी उनके दुश्मन के घर हुई जिसको वो खत्म करने आए थे। उनका गहरा तालुक फिरोंन और उसकी मौत से है।
क़ुरान और इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत हारून इस्लाम के पैगंबरों में से एक है। हजरत हारून हजरत मूसा के मौसी के बेटे थे। हजरत मूसा जब बोहोत बड़ी परेशानी से गुजरे तो हजरत हारून ने उनका साथ कभी नहीं छोड़ा था। उन्होंने यहूदी धर्म की बोहोत से गीत भी लिखे। उन्हें यहूदी धर्म में योद्धा भी कहा गया है और भवन निर्माता भी। इस्लाम धर्म में भी, दाऊद को एक नबी माना गया है।
दाउद इसराईलियों के राजा और इस्लाम के नबी है। तीनों धर्म इस्लाम ईसाई और यहूदी धर्म मे दाऊद को एक अल्लाह का भक्त माना जाता है। दाउद ने बहुत से यहूदी धर्म के गीत लिखे है। जिसे वो आज भी अपनी पूजा मे पढ़ करते है। यहूदी उन्हे एक महान योद्धा के रूप मे भी देखते है। और उन्होंने जो भवन निर्माण किया था। उस कारण से उन्हे भवन बनाने वाला भी कहा जाता है। इस्लाम और कुरान के हिसाब से उन्हे एक नबी भी कहा जाता है। बोहोत सी कहानिया इस्लाम और यहूदी धर्म मे दाउद के लिए ली गई है।
हजरत सुलेमान हजरत दाऊद के बेटे थे। इस्लाम के अनुसार सुलेमान एक नबी थे। सुलेमान ने यरूशलेम के बड़े मंदिरों के निर्माण किए। और महेलो के भी निर्माण किए। उन्होंने फराऊन की बेटी के साथ साथ और बहुत सी विदेशी राजकुमारियों के साथ भी शादी की।
Adss
इस्लामिक मान्यता के अनुसार जिस दिन हजरत याह्या पैदा हुआ तो अल्लाह ने उनके आने के साथ शांति भी भेजी। मतलब वे शांति के प्रतीक थे। और कुरान के हिसाब से वे बाकी नबियों के साथ ही उठाए जाएंगे।
हजरत ईसा को इस्लाम और ईसाई धर्म में मान्यता मिली थी। ईसा मरियम के बेटे थे। और इस्लाम के अनुसार वे दुनिया में भेजे गए नबियों में से एक है। और ईसाई धर्म में उन्हें ईसा मसीह के नाम से जाना गया है। ईसाई धर्म में वे भगवान के रूप में गए है। मोहम्मद के बाद दूसरे सबसे जादा मान्यता दिए जाने वाले नबी है हजरत ईसा। ईसा के द्वारा बाइबिल आई है। जो मनुष्य को दी गए चार पवित्र किताबो में से एक है। हजरत ईसा का जिक्र बोहोत बार क़ुरान में किया गया है। जितना मोहम्मद का भी नहीं किया गया है।
हजरत मोहम्मद इस्लाम के इस्लाम के आखरी नबी और सबसे जड़ा मान्यता वाले नबी में से है। वो अमेना के बेटे है। उनका जन्म अरब में 570ई में लगभग हुआ था। अलख ने उन्हें नबुवत 40 साल की उम्र में दी थी। उनके माता पिता बचपन में ही गुजर गए। उन्होंने इस्लाम का प्रचार किया और इस्लाम को सबसे जदा फैलाया है। बुत पूजा को ख़तम करने का काम हजरत मोहम्मद ने करवाया था।
- हजरत आदम
- हजरत इदरिस
- हजरत नूह .
- हजरत हूद
- हजरत सालेह
- हजरत इब्राहिम
- हजरत उम्र
- हजरत लूत
- हजरत इस्माइल
- हजरत इशहाक
- हजरत याक़ूब
- हजरत यूसुफ
- हजरत अयूब
- हजरत शुऐब
- हजरत मूसा
- हजरत हारून
- हजरत जुल्किफली
- हजरत सुलेमान
- हजरत इल्यास
- हजरत ऐलयास
- हजरत यूनुस
- हजरत जकारिया
- हजरत याह्या
- हजरत ईसा
- हजरत मोहम्मद मुस्तफा
1. आदम : Adam
उम्र (हयात) – 960 सालइस्लाम के मान्यता के अनुसार हज़रत आदम पहेले दुनिया के मर्द है। तथा इन्हे सभी मनुष्य का बाप भी कहा जाता है। कुरान मे आदम की कहानी बार बार धौराई भी गई है। और अल्लाह ने इन्हे पहेले नबी का दर्ज भी दिया है। नबी आदम की पत्नी जीने बीबी हवा कहा जाता है वो दुनिया की माता के रूप मे कुरान मे उल्लेखित है।
हज़रत आदम और बीवी हवा दोनों ही धर्म इस्लाम और अल्लाह के प्रति बोहोत ईमानदार थे। और उसका पालन भी करते थे। पर व्यक्त के साथ जब उनकी मृत्यु हुई तब उनके बच्चे उनकी मान्यता को ब्रशट करते चले गए। यहूदी (इसराईल ) और ईसाई (christian) धर्म के अनुसार आदम और हवा की जन्नत (स्वर्ग) से निकले जाने की कहानी का उलेख होता है। और इसी कहानी का उलेख कुरान मे भी बोहोत बार हुआ है।
जैसे की ऊपर हमने अपको बताया की हज़रत आदम सब इंसानों के बाप है। कुरान मे ये भी कहा गया है। की उनके आने के बाद वाले भी इंसान उनके बच्चे है। इसलिए ही इंसानों को आदमी भी कहा जाता है। इस्लाम के अनुसार जब अल्लाह दुनिया के पहेले इंसान को बनाने वाला था तो उसने अपने फरिश्तों से कहा की वो अपना एक दूत को बना रहा है। आदम से पहेले दुनिया मे शैतान की हुकूमत थी और जिन्नात भी रहेते थे। और इस्लाम मे माना जाता है की आदम की कोई भी बात करने से पहेले शैतान की बात करना जरूरी है। क्यू की शैतान का इस पूरे कहानी से बोहोत गहरा तलूख है।
2. इदरिस : Idris
उम्र (हयात) -356 सालमुसलमानी मान्यता के अनुसार इद्रीस कुरान मे उल्लेखित दूसरे नबी है। इदरीस को बाइबिल हनोक के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन कल के लोग तो इदरीस को हर्मीस ट्रिस्मेगिस्टस से जोड़ते है और मानते ही ऑनो एक ही व्यक्ति थे।
”कुरान मे उन्हे भरोसेमंद” का दर्ज भी दिया गया है। इस्लाम के हिसाब से नबी इदरीस की पीढ़ि आदम के बाद की पीढ़ि मतलब शूरवाती पीढ़ी मे गिनते है। उन्हे सबसे पुरानी पैगम्बरों मे भी देखा जाता है।
मलिक इब्न अनस द्वारा सुनाई गई और साहिबा मुस्लिम में पाई गई एक हदीस के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि मुहम्मद साहब की नाइट जर्नी में उन्होंने चौथे स्वर्ग में इदरीस से मिले थे।
3. नूह : Nuh
उम्र – 950 सालनूह इब्राहीम में श्रद्धा रखने वाले धर्मों के एक प्रमुख नबी और पूर्वज थे। इनको दुनिया के बड़े जल प्रलय के समय प्राणियों को बचाने के लिए जाना जाता है। जिस नाव से इन्होंने सबको बचाया उन नाव को ”कश्ती ए नूह भी कहा जाता” है। जो इनके द्वारा खुद बनाई गई थी।
नूह ने अपनी पूरी ज़िंदगी अल्लाह के इबादत मे निकाल दी। वो बस अल्लाह के ध्यान मे रहेते और लोगों को इस्लाम के बारे मे बताते। अपकी जानकारी के लिए बतादु की नूह को तीन पुत्र हुए थे। जिनका नाम शेम, हाम और येपेत था। आदम के बाद अल्लाह ने देखा की उनकी बनाई गई दुनिया इंसानों द्वारा नष्ट की जा रही है। पाप का स्थर बोहोत जाद बाद गया है। लोग अल्लाह की जगह किसी और को पूज रहे है।
अल्लाह ने नूह से एक दिन कहा की मेरी बनाई गई दुनिया को इंसानों ने पूरी तरह से नष्ट कर दिया है। इंसानों के गुनाह बाद गए है। जो इंसान मेरी राह पर नहीं चल रहे है। मेरी ना फार्मनी कर रहे है। अब उनको दुनिया से हटाने का समय आ गया है। तुम गोपेर की लकड़ी का इस्तेमाल करो और अपने लिए एक बड़ी नाव का निर्मन करो जिसकी लंबाई तीन सौ हाथ लंबी होंगी। पचास हाथ चौड़ी होंगी। तीस हाथ की उचाई होंगी। जहाज मे तीन मंजिले होंगी।
अल्लाह ने नूह को ये इसलिए बनाए को कहा था की क्यू की वो दुनिया मे बोहोत बड़ी बाढ़ लाने वाला था। जिसमे वो दुनिया के सभी प्राणियों को नष्ट करने वाला था। बस वो सिर्फ नूह की बात मानने वाले जनवेर और इंसानों को बचाने वाला था। अल्लाह ने नूह के परिवार कोभी जहाज मे सवार होने का हुकंम दिया।
साथ ही हुक्म दिया की दुनिया के सारे जानवर पशु-पक्षियों को भी साथ मे ले लेना। चाहे फिर उन्हे खोजना ही क्यू ना पड़े। हर तरह का खाना भी साथ ले लो। इस भोजन का उपयो तुम्हारे खाने के लिए और जानवरों के खाने के लिए होंगा। अब नूह ने कई सालों तक इस काम को अंजाम दिया।
अंत मे नूह ने अल्लाह से दुआ की और अल्लाह ने भयानक जल प्रलय को अंजाम दिया उसके ना फर्माणी करने वाले हर इंसान को उसने नष्ट कर दिया।
4. हूद : Hud
उम्र – 165 सालहूद भी प्राचीन नबियों मे आते है। इस्लामिक मान्यता की किताब कुरान भी हूद ये नाम पर कुरान का ग्यारवा पारा भी है। कुरान मे हूद का उलेख बोहोत छोटे से हिस्से मे किया गया है।
नूह की पीड़ी का चौथा वंशज हूद था। बोहोत बार नूह को एबर कर साथ भी जोड़ा जाता है।
5. सालेह : Shaleh
इस्लामिक मानयता के अनुसार और उनकी पवित्र ग्रंथ कुरान मे सालेह को सच्चा मन गया है। कुरान मे सालेह का वर्णन है। जिसमे सालेह को समुद भेजने का हुक्म दिया गया था।6. इब्राहिम : Ibrahim
उम्र (हयात)-195 सालहजरत इब्राहीम को तीनों धर्म के लोग मानते है। जिसमे यहूदी, ईसाई, और इस्लाम शामिल है। कुछ हिन्दू धर्म के लोग उन्हे प्रजापति के नाम से भी जानते है। इब्राहीम की कहानी शुरू होती है। बाड़ के 350 साल के बाद। हमने नूह के कहानी मे जो बाढ़ बताई ये वो ही बाढ़ है। नूह को इस दुनिया से जाके 2 साल हो गए है। तब इब्राहीम का जन्म हुआ था।
अब इब्राहीम बड़े हो गाएं थे। एक दिन अल्लाह ने उनसे कहा अपना सब कुछ छोड़ दो और उस देश या जगह जाओ जो तुम्हें दिखा रहा हू। हजरत इब्राहीम ने सब कुछ छोड़ कर वाह जाने का फैसला किया पर उनके कुछ परिवार के लोगों ने भी साथ जाने का फैसला किया था। और यही से उनका सफर शुरू हुआ था।
7. लूत : Lut
ऊपर जिस इब्राहीम की बात हमने की थी उसी इब्राहीम के भातीजे साहब थे हजरत लूत। हजरत लूत नाबुवत मिलने के बाद सदुम के नबी बने थे। इब्राहीम के रिश्तेदारों मे सफर करने चलने वालों मे से हजरत लूत भी शामिल थे। और वो लोग सफर करते हुए मूलके शाम आए थे। हजरत लूत को नाबुवत हजरत इब्राहीम के दुआ देने से मिली थी। हजरत इब्राहीम ने हाजत लूत की नाबुवात के लिए दुआ की थी।8. इस्माइल : Ismail
उम्र – 137 सालइस्माईल को भी तीनों धर्म का नबी (पैगमबर) माना जाता है। जिसमे यहूदी, इस्लामिक, और ईसाई धर्म शामिल है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार इस्माईल हजरत इब्राहीम के बेटे थे। अल्लाह इब्राहीम के बोहोत बड़े भक्त थे, अल्लाह से बड़ी मोहोबत थी उनको। अपनी मोहबत साबित करने के लिए उन्होंने बोहोत सी कुर्बानिया दी थी। जिसमे एक बार उन्होंने अपने बेटे सहित अपि बीवी को साफा मरवा नाम की कहानी पर छोड़ के आगए।
तब इस्माईल की उम्र दूध पीते शिशु जितनी ही थी। अब इस्माईल को पनि की प्यास सता रही थी। उनकी मा इस पहाड़ से उस पहाड़ पर भागती फिरती रहेटी पनि की तलाश मे पर पनि नसीब नहीं हो रहा था। अल्लाह ने उनकी तकलीफ देख इस्माईल की एडी रगड़ने की जगह से पनि के फ़ौवारे पैदा कर दिए जिस का नाम जम जम पड गया था।
अपको बता दु की बकरा ईद मनाने की वजह भी हजरत इस्माईल और इब्राहीम से जुड़ी है।
जानिए क्यू मानते है बकरा ईद :
9. इशहाक : Is’haq
उम्र – 180 सालहजरत इशहाक की भी मान्यता तीनों धर्मों मे है। पर उन्हे यहूदी और ईसाई धर्म मे भगवान का दर्ज दिया गया है। पर इस्लामिक मान्यता मे भगवान यानि अल्लाह सिफ़ एक है। और हाजत इशहाक को नबी यानि पैगमबर का दर्ज दिया गया है। इनका उल्लेख कुरान मे 15 मर्तबा अलग अलग कारणों मे आया है।
10. याक़ूब : Yaqub
उम्र – 144 सालहजरत याकूब को भी इस्लाम में एक नबी का दर्जा दिया गया है। हजरत याकूब हजरत इब्राहीम के पोते है। और उनके नाना हजरत लूत है। हजरत याकूब को याकूब नाम इस तरह मिला की वो अपने भाई के साथ पैदा हुआ थे। पर जब पैदा हुआ तो उनके दोनों हाथ उनके भाई के एडी से जुड़े थे। और इसलिए उनका नाम याकूब पड़ा क्यू की याकूब नाम का मतलब एडी होता है।हजरत याकूब की चार शादियां हुई थी। और उनकी चारो बीवियां उनके मामा की बेटियां थीं जिनका नाम लायान था। इन औरतों से हजरत याकूब के 14 बच्चे हुए थे।
11. यूसुफ : Youcef
उम्र – 110 सालक़ुरान के अनुसार हजरत युसुफ का किस्सा बोहोत अच्छा किस्सा बताया गया है बाकी किस्से में से। आपको बतादू की ऊपर जो हजरत याकूब की बात हम कर रहे थे उन्हीं के बेटे है हजरत युसुफ। युसुफ उनके पिता के चहेते बेटे थे। हजरत युसुफ को अल्लाह ने ख्वाब ताबीर का इल्म अता किया था। युसुफ के चहेते होने के कारण उनके भाइयों में जलन पैदा हुई।
इस कारण उनके भाइयों ने उन्हें जंगल में ले जा कर एक कुवे में गिरा दिया। और उनके कपड़े पर एक बकरी का खून लगा कर के सपने पिता को कहा एक भेड़िया ने उनके भाई युसुफ को मार दिया। पर हजरत याकूब नबी थे समज चुके थे। युसुफ की मौत से वे बोहोत रोए और रोने के कारण उनकी आंखे चली गई। उनके भाई रोज वाह जाके देखते की युसुफ बाहर तो नहीं आ गए। वो कुल तीन दिनों तक कूवे में रहे थे।
12. अयूब : Ayub
उम्र -146 सालअनस के बेटे थे हजरत अय्यूब हज़रत इस्हाक़ के ईश की औलादों में से है। हजरत अय्यूब की माता हजरत लुत की वंशज है। हजरत अय्यूब बड़े खूबसूरत थे। उनके बाल घुंघराले थे। वो उचाई में लंबे थे और अच्छे खासे फुर्तीले थे। हज़रत अय्यूब को 14 बच्चे थे जिनमें 7 बेटे और 7 बेटीया थी।
हजरत अय्यूब बड़े अदब वाले मिज़ाज के थे। लोगों के साथ हमेशा अदब से पेश आते थे। लोगों की मदद करते उनके साथ तरीके से रहेते। किसी की बेईजती उन्होंने कभी नहीं की।
13. शुऐब : Shu’aib
उम्र – 254 सालहजरत शोएब का कुरान में ग्यारह बार नाम लिया गया है। हजरत शोएब को पुराने नबियों में से भी कहा गया है। उन्हें एक समुदाय को सुधारने और अल्लाह की बताए नेक रस्ते पर चलाने भेजा गया उन्होंने उस समुदाय को समझाया चेतावनी दी पर वो नहीं माने। अल्लाह ने उस समुदाय पर बड़ा जलजला नाजिल कर दिया।
उन्हें इस समुदाय ने बहुत कष्ट दिया परेशान किया अल्लाह की ना फर्मनी की बुत की पूजा की आखिर में अल्लाह ने उन्हें जमीन ने धसा दिया।
14. मूसा : Musa
उम्र – 123 सालहजरात मूसा को भी तीनों धर्म में मान्यता दी जाती है यहूदी, इस्लाम और ईसाई। जहा उन्हें प्रमुख नबियों में से एक कहा गया है। उन्होंने यहूदी धर्म को बनाया या उसकी शुरुवात की थी। इनकी कहानी का वर्णन इस्लामिक ग्रंथ और ईसाई ग्रंथ दोनों में दिया गया है। मूसा ने यहूदियों को अल्लाह द्वारा “दस आदेश” दिये जो आज भी यहूदी धर्म में प्रमुख है। उनकी परवरिश भी उनके दुश्मन के घर हुई जिसको वो खत्म करने आए थे। उनका गहरा तालुक फिरोंन और उसकी मौत से है।
15. हारून : Harun
उम्र – 119 सालक़ुरान और इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत हारून इस्लाम के पैगंबरों में से एक है। हजरत हारून हजरत मूसा के मौसी के बेटे थे। हजरत मूसा जब बोहोत बड़ी परेशानी से गुजरे तो हजरत हारून ने उनका साथ कभी नहीं छोड़ा था। उन्होंने यहूदी धर्म की बोहोत से गीत भी लिखे। उन्हें यहूदी धर्म में योद्धा भी कहा गया है और भवन निर्माता भी। इस्लाम धर्म में भी, दाऊद को एक नबी माना गया है।
16. जुल्किफली : zulkifli
कोई मालूमात नहि हैं ???17. दाऊद : Dawud
उम्र – 100 सालदाउद इसराईलियों के राजा और इस्लाम के नबी है। तीनों धर्म इस्लाम ईसाई और यहूदी धर्म मे दाऊद को एक अल्लाह का भक्त माना जाता है। दाउद ने बहुत से यहूदी धर्म के गीत लिखे है। जिसे वो आज भी अपनी पूजा मे पढ़ करते है। यहूदी उन्हे एक महान योद्धा के रूप मे भी देखते है। और उन्होंने जो भवन निर्माण किया था। उस कारण से उन्हे भवन बनाने वाला भी कहा जाता है। इस्लाम और कुरान के हिसाब से उन्हे एक नबी भी कहा जाता है। बोहोत सी कहानिया इस्लाम और यहूदी धर्म मे दाउद के लिए ली गई है।
18. सुलेमान : Sulayman
उम्र – 180 सालहजरत सुलेमान हजरत दाऊद के बेटे थे। इस्लाम के अनुसार सुलेमान एक नबी थे। सुलेमान ने यरूशलेम के बड़े मंदिरों के निर्माण किए। और महेलो के भी निर्माण किए। उन्होंने फराऊन की बेटी के साथ साथ और बहुत सी विदेशी राजकुमारियों के साथ भी शादी की।
19. इल्यास : Il’yas
कोई मालूमात नहि हैं20. ऐलयास : Elyas’a
कोई मालूमात नहि हैं21. यूनुस : Younes
कोई मालूमात नहि हैं22. जकारिया : Zakaria
उम्र – 300 सालहजरत जकारिया सुलेमान के वंशज में से है। उन्होंने अल यशबी नाम की लड़की से शादी की जिनका तालुक हारून के वंशज से था। हजरत ईसा की मां मरियम के संरक्षक थे हजरत जकारिया। वे हेक्कल के ट्रस्टी भी थे। उन्होंने अपनी ज़िन्दगी बढ़ाई का काम के निकली थी।Adss
23. याह्या : Yahya
उम्र – 95 सालहजरत याह्या एक यहूदी नबी में से एक है। इनको जॉन द बैपटिस्ट के नाम से भी जाना गया है। इस्लाम के और ईसाइयों के हिसाब से हजरत याह्या हजरत ईसा के आने के बारे में बताते है। धार्मिक मान्यता के हिसाब से जकारिया के बेटे थे हजरत याह्या। अपने मा बाप के प्रति उनका वेहवर बोहोत जड़ा ही अच्छा था।इस्लामिक मान्यता के अनुसार जिस दिन हजरत याह्या पैदा हुआ तो अल्लाह ने उनके आने के साथ शांति भी भेजी। मतलब वे शांति के प्रतीक थे। और कुरान के हिसाब से वे बाकी नबियों के साथ ही उठाए जाएंगे।
24. ईसा : Isa
उम्र – 33 सालहजरत ईसा को इस्लाम और ईसाई धर्म में मान्यता मिली थी। ईसा मरियम के बेटे थे। और इस्लाम के अनुसार वे दुनिया में भेजे गए नबियों में से एक है। और ईसाई धर्म में उन्हें ईसा मसीह के नाम से जाना गया है। ईसाई धर्म में वे भगवान के रूप में गए है। मोहम्मद के बाद दूसरे सबसे जादा मान्यता दिए जाने वाले नबी है हजरत ईसा। ईसा के द्वारा बाइबिल आई है। जो मनुष्य को दी गए चार पवित्र किताबो में से एक है। हजरत ईसा का जिक्र बोहोत बार क़ुरान में किया गया है। जितना मोहम्मद का भी नहीं किया गया है।
25. पैगंबर मुहम्मद
उम्र (हयात)- 63 सालहजरत मोहम्मद इस्लाम के इस्लाम के आखरी नबी और सबसे जड़ा मान्यता वाले नबी में से है। वो अमेना के बेटे है। उनका जन्म अरब में 570ई में लगभग हुआ था। अलख ने उन्हें नबुवत 40 साल की उम्र में दी थी। उनके माता पिता बचपन में ही गुजर गए। उन्होंने इस्लाम का प्रचार किया और इस्लाम को सबसे जदा फैलाया है। बुत पूजा को ख़तम करने का काम हजरत मोहम्मद ने करवाया था।
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