हैलो फ्रेंड्स कैसे हो आप सब आज हम बात करेंगे Ambe Ji Ki Aarti के विषय में अम्बे माता भगवान शिव की पत्नी का ही एक रूप थी। उन्होने महिषासुर नामक असुर का वध किया था।
नवरात्रि के नो दिनों में माँ अम्बे के नो रूपों की पूजा की जाती है। शुक्रवार के दिन माँ अम्बे की पूजा करना अच्छा माना जाता है तो चलिए बढ़ते है अम्बे माता की आरती की ओर जिसमे अम्बे माता के महत्व का वर्णन है।
तुमको निशदिन ध्यावत हर ब्रम्हा शिवरी।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
मांग सिन्दूर विराजत टीको मार्ग मद को।
उज्जवल से दोउ नैना,चन्द्रवदन निको।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
कनक सामान कलेवर रक्तांबर राजे।
रक्त पुष्प गल माला, कण्ठान पर सजे।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
केहर वाहन राजत, खडग खपर धारी।
सुर नर मुनि जन सेवत, तिनके दुखहारी।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर राजत सैम ज्योति।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
शुंभ-निशुंभ विदारे,महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे।
मधु कैटभ दैउ मारे, सुर भयहीन करें।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
ब्रम्हाणी,रुद्राणी तुम कमला रानी।
अगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
चौंसठ योगिन गावत, नृत्य करत भैरो।
बाजत ताल मृदंगा और बाजत डमरू।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति करता।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी।
मन वांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
कंचन थाल विराजत अगर कपुर बाती।
श्री माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योति।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
श्री अम्बे जी की आरती जो कोई नर गावे।
केहत शिवानंद स्वामी सुख सम्पति पावे।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
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नवरात्रि के नो दिनों में माँ अम्बे के नो रूपों की पूजा की जाती है। शुक्रवार के दिन माँ अम्बे की पूजा करना अच्छा माना जाता है तो चलिए बढ़ते है अम्बे माता की आरती की ओर जिसमे अम्बे माता के महत्व का वर्णन है।
अम्बे जी आरती इन हिंदी
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।तुमको निशदिन ध्यावत हर ब्रम्हा शिवरी।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
मांग सिन्दूर विराजत टीको मार्ग मद को।
उज्जवल से दोउ नैना,चन्द्रवदन निको।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
कनक सामान कलेवर रक्तांबर राजे।
रक्त पुष्प गल माला, कण्ठान पर सजे।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
केहर वाहन राजत, खडग खपर धारी।
सुर नर मुनि जन सेवत, तिनके दुखहारी।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर राजत सैम ज्योति।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
शुंभ-निशुंभ विदारे,महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे।
मधु कैटभ दैउ मारे, सुर भयहीन करें।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
ब्रम्हाणी,रुद्राणी तुम कमला रानी।
अगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
चौंसठ योगिन गावत, नृत्य करत भैरो।
बाजत ताल मृदंगा और बाजत डमरू।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति करता।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी।
मन वांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
कंचन थाल विराजत अगर कपुर बाती।
श्री माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योति।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
श्री अम्बे जी की आरती जो कोई नर गावे।
केहत शिवानंद स्वामी सुख सम्पति पावे।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
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