ऊतक क्या है? कार्य एवं प्रकार। Tissue In Hindi

हेलो दोस्तों, हमारे इस Blog में आपका स्वागत है, और हमारे इस ब्लॉग में आज हम आपको ऊतक क्या है? । Tissue In Hindi और ऊतक के कार्य एवं प्रकार के बारे में बताएंगे और इसके साथ-साथ इसके वर्गीकरण के बारे में भी बताएंगे की इनको कितने भागो में बांटा है, तो चलिए दोस्तों सुरु करते है।

ऊतक क्या है? । Tissue In Hindi

समान उत्पत्ति तथा समान कार्य को संपादित करने वाली कोशिकाओं के समूह को ऊतक कहते हैं, इस शाखा की स्थापना इटली के वैज्ञानिक मारसेलो मेलपीघी ने की थी, उत्तक शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम बिचत ने किया था।

पौधों के शरीर में प्रत्येक ऊतक का एक विशिष्ट कार्य होता है, सभी ऊतक शीर्षस्थ कोशिकाओं के समूह में विभाजन से उत्पन्न होते हैं, तथा धीरे-धीरे अपने कार्यों के अनुरूप अनुकूलित हो जाते हैं।


ऊतक के प्रकार । Type of Tissue In Hindi

उत्तक दो प्रकार के होते हैं।

A. विभाज्योतिकी ऊतक । Meristematic Tissue

B. स्थायी ऊतक । Permanent Tissue


A. विभाज्योतिकी ऊतक । Meristematic Tissue In Hindi

यह ऊतक ऐसी कोशिकाओं का समूह होता है, जिनके बार-बार सूत्री विभाजन करने की क्षमता होती है, यह ऊतक अवयस्क जीवित कोशिकाओं का बना होता है, इस उत्तक की कोशिकाओं छोटी, अंडाकार या बहुभुजी होती है, और इसकी भित्ति सेल्यूलोज की बनी होती है, प्रत्येक कोशिका कण युक्त कोशिका द्रव्य से भरी रहती है, इन कोशिकाओं में प्राय रसधानी अनुपस्थित रहती है, इसमें एक बड़ा केन्द्रक होता है, तथा कोशिकाओं में बीच अंतर कोशकीय स्थान नहीं पाया जाता है।

यह तीन प्रकार के होते हैं।

1. शीर्षस्थ विभज्योतिकी उत्तक । Apical Meristem Tissue In Hindi

यह उत्तक जड़ एवं तने के शीर्ष भाग में उपस्थित होता है, तथा लंबाई में वृद्धि करता है, यह उत्तक प्राथमिक विभज्योतिकी से बनता है, इससे कोशिकाएं विभाजित एवं विभेदित होकर स्थाई उत्तक बनाते हैं, इससे पौधों में प्राथमिक वृद्धि होती है

2. पार्श्वस्थ विभज्योतिकी उत्तक । Lateral Meristem Tissue In Hindi

यह उत्तक जड़ तथा तने के पार्श्व भाग में होता है, एवं द्वितीयक वृद्धि करता है, इससे संवहन ऊतक बनते हैं, जो भोजन संवहन का कार्य करते हैं, एवं संवहन ऊतकों के कारण तने की चौड़ाई में वृद्धि होती है, संवहन ऊतक में अवस्थित कैंबियम एवं वृक्ष के छाल के नीचे का कैंबियम पार्श्वस्थ विभज्योतिकी उत्तक की का उदाहरण है

3. अंतर्वेशी विभज्योतिकी उत्तक । Intercalary Meristem Tissue In Hindi

यह उत्तक स्थाई उत्तक के बीच बीच में पाया जाता है, यह पत्तियों के आधार में या टहनी के पर्व के दोनों और पाए जाते हैं, यह वृद्धि करके स्थाई उत्तको में परिवर्तित हो जाते हैं

B. स्थाई उत्तक । Permanent Tissue In Hindi

विभज्योतिकी ऊतक की वृद्धि के फल स्वरुप स्थाई उत्तक का निर्माण होता है, जिसमें विभाजन की क्षमता नहीं होती है, लेकिन कोशिका का रूप एवं आकार निश्चित रहता है, यह मृत्य या सजीव होते हैं, कोशिका भित्ति पतली या मोटी होती है, कोशिका द्रव्य में बड़ी रसधानी रहती है, उत्पत्ति के आधार पर स्थाई उत्तक दो प्रकार के होते हैं

प्राथमिक तथा द्वितीयक

स्थाई उत्तक दो प्रकार के होते हैं।

1. सरल उत्तक । Simple Tissue

2. जटिल उत्तक । Complex Tissue


1. सरल उत्तक । Simple Tissue In Hindi

यह उत्तक समरूप कोशिकाओं का बना होता है

यह 3 प्रकार का होता है

1. मृदूतक ऊतक
2. स्थूलकोन ऊतक
3. दृढ़ उत्तक उत्तक


1. मृदूतक ऊतक । Parenchyma Tissue In Hindi

यह अत्यंत सरल प्रकार का स्थाई उत्तक होता है, इस ऊतक की कोशिकाएं, जीवित, गोलाकार, अंडाकार, बहुभुजी या अनियमित आकार की होती है, इस उत्तक की कोशिका में सघन कोशिका द्रव्य एवं एक केंद्रक पाया जाता है, इनकी कोशिका भित्ति पतली एवं सेल्यूलोज की बनी होती है, इस प्रकार की कोशिकाओं के बीच अंतर कोशकीय स्थान रहता है, कोशिका के मध्य में एक बड़ी रसधानी रहती है, यह नए तने, जड़े एवं पत्तियों के एपिडर्मिस और कोर्टेक्स में पाया जाता है, कुछ मृदूतक में क्लोरोफिल पाया जाता है, जिसके कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया संपन्न होती है

मृदूतक के कार्य

  • 1. यह एपिडर्मिस के रूप में पौधों का संचरण करता है
  • 2. पौधे के हरे भागो में खासकर पत्तियों में यह भोजन का निर्माण करता है
  • 3. यह उत्तक संचित क्षेत्र में भोजन का संचय करता है
  • 4. यह ऊतक भोजन के पार्श्व चालन में सहायक होता है
  • 5. इन में पाए जाने वाले अंतर कोशकीय स्थान गैसीय विनिमय में सहायक होते हैं

2. स्थूल कोण उत्तक । Collenchyma Tissue In Hindi

इस उत्तक की कोशिकाएं केंद्रकयुक्त, लंबी या अंडाकार या बहूभोजी तथा रसधानियुक्त होती है, इनमें हरित लवक होता है, एवं भित्ति में किनारों पर सैलूलोज होने से स्थूलन होता है, इन में अंतर कोशकीय स्थान बहुत कम होता है, यह उत्तक पौधे के नए भागों पर पाया जाता है, लेकिन जड़ों में नहीं पाया जाता है

स्थूल कोण उत्तक के कार्य

  • 1. यह पौधों को यांत्रिक सहायता प्रदान करता है
  • 2. जब इन में हरित लवक पाया जाता है तब यह भोजन का निर्माण करता है

3. दृढ़ ऊतक । Sclerenchyma Tissue In Hindi

इस उत्तक की कोशिकाएं मृत, लंबी, सकरी तथा दोनों सिरों पर नुकीली होती है, इनमें जीव द्रव्य नहीं होता है, एवं इनकी भित्ति लिग्निन के जमाव के कारण मोटी हो जाती है, यह भित्तियां इतनी मोटी होती है कि कोशिका के भीतर कोई आंतरिक स्थान नहीं रहता है, यह कोर्टेक्स परिसाइकिल समवन बंडल में पाया जाता है, दृढ़ ऊतक पौधों के तना, पत्तियों के सिरा, फलो तथा बीजों के बीजावरण तथा नारियल के बाहरी रेशेदार छिलके में पाए जाते हैं, जिन पौधों से रेशा उत्पन्न होता है उनमें यह उत्तर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है

दृढ़ ऊतक के कार्य

  • 1. यह पौधों को यांत्रिक सहारा प्रदान करता है
  • 2. यह पौधों के आंतरिक भागों की रक्षा करता है
  • 3. पौधों के बाह्य परतों में यह रक्षात्मक उत्तक के रूप में कार्य करता है
  • 4. यह पौधों को सामर्थ्य, दृढ़ता एवं लचीलापन प्रदान करता है

2. जटिल उत्तक । Complex Tissue In Hindi

दो या दो से अधिक प्रकार के कोशिकाओं से बने उत्तक जटिल स्थाई उत्तक कहलाते हैं, यह एक इकाई के रूप में एक साथ कार्य करती है, यह जल, खनिज लवणों तथा खाद्य पदार्थ को पौधों के विभिन्न अंगों तक पहुंचाते हैं
यह दो प्रकार के होते हैं

A. जाइलम । Xylem

B. फ्लोएम । Phloem

जाइलम एवं फ्लोएम मिलकर समवन मंडल का निर्माण करते हैं


A. जाइलम । Xylem In Hindi

यह उत्तक पौधों के जड़, तना एवं पत्तियों में पाया जाता है, इसे चालन उत्तक भी कहते हैं

यह चार विभिन्न प्रकार के तत्वों से बना होता है

वाहिनिकाय, वाहिकाएं, जाइलम तंतु तथा जाइलम मृदूतक

B. फ्लोएम । Phloem In Hindi

जाइलम की भांति फ्लोएम भी पौधों की जड़, तना एवं पत्तियों में पाया जाता है, यह पतियों द्वारा तैयार भोज्य पदार्थ को पौधों के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है, यह एक संचयक ऊतक है, जो पौधों को यांत्रिक संचयन प्रदान करता है

फ्लोएम निम्नलिखित 4 तत्वों का बना होता है

चालनी नलिकाएं, सह कोशिकाएं, फ्लोएम तंतु तथा फ्लोएम मृदूतक


FAQ SECTION

उत्तक शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किया था?
बिचत ने

उत्तक किसे कहते हैं?
कोशिकाओं का ऐसा समूह जो उद्भव व कार्य की दृष्टि से समान होता है , ऊत्तक कहलाता है।

विभज्योतक उत्तक कितने प्रकार के होते हैं?
क्षेत्र के अनुसार विभज्योतक उत्तक 3 प्रकार के होते हैं – शीर्षस्थ, अंतर्विष्ट और पार्श्व विभज्योतक।

सरल ऊतकों के कितने प्रकार हैं?
सरल ऊतकों के 3 प्रकार हैं – मृदूतक, स्थूलकोण एवं दृढ़ ऊतक।

ऊतक के क्या कार्य है?
यह शरीर को आकृति प्रदान करते है, तथा आधार का र्निमाण करते है। हृदय, फेफडे आदि को सुरक्षित रखने का कार्य भी करते है तथा पेशियों को आधार प्रदान भी करते है।

जाइलम एवं फ्लोएम मिलकर किसका निर्माण करते हैं?
समवन मंडल का

दृढ़ ऊतक के क्या-क्या कार्य है?
यह पौधों को यांत्रिक सहारा प्रदान करता है।
यह पौधों के आंतरिक भागों की रक्षा करता है।
पौधों के बाह्य परतों में यह रक्षात्मक उत्तक के रूप में कार्य करता है।
यह पौधों को सामर्थ्य, दृढ़ता एवं लचीलापन प्रदान करता है।

मृदूतक के क्या-क्या कार्य है?
यह एपिडर्मिस के रूप में पौधों का संचरण करता है।
पौधे के हरे भागो में खासकर पत्तियों में यह भोजन का निर्माण करता है।
यह उत्तक संचित क्षेत्र में भोजन का संचय करता है।
यह ऊतक भोजन के पार्श्व चालन में सहायक होता है।

दोस्तों, हमारे इस Blog में आज हमने आपको ऊतक क्या है? । Tissue In Hindi और ऊतक के कार्य एवं प्रकार के बारे में बताया और इसके साथ-साथ इसके वर्गीकरण के बारे में भी बताया की इनको कितने भागो में बांटा है, आदि इन सबके बारे में बताया , तो दोस्तों आपको हमारा ये आर्टिकल कैसे लगा हमे कमेंट करके जरूर बताये, हमे आपके कमेंट का इंतजार रहेगा, धन्यवाद
 
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