जीवाणु किसे कहते हैं? । Bacteria in hindi

हेलो दोस्तों, हमारे इस Blog में आपका स्वागत है, हमारे इस ब्लॉग में आज हम आपको जीवाणु किसे कहते हैं? । Bacteria in hindi, जीवाणु की संरचना, जीवाणु के लक्षण, , जीवाणु के प्रकार, जीवाणु में प्रजनन, जीवाणुओं का आर्थिक महत्व, इन सबके बारे में बताएंगे, तो चलिए दोस्तों शुरू करते है –

जीवाणु किसे कहते हैं? । Bacteria in hindi

यह हरित लवक रहित एककोशकीय या बहुकोशकीय प्रोकैरियोटिक सूक्ष्म जीव होते है, जीवाणु वास्तव में पौधे नहीं होते है, इनकी कोशिका भित्ति का रासायनिक संगठन पौधों की कोशिका के रासायनिक संगठन से बिल्कुल भिन्न होता है, यद्यपि कुछ जीवाणु प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते हैं, लेकिन उनमें विद्यमान बेक्टेरियोक्लोरोफिल पौधों में उपस्थित क्लोरोफिल से बिल्कुल भिन्न होता है।

जीवाणु की खोज 1683 में होलैंड की वैज्ञानिक एंटोनी वॉन ल्यूवेन्हॉक ने की थी, ल्यूवेन्हॉक को जीव विज्ञान का पिता भी कहा जाता है। हरेन्बर्ग ने 1829 में इन्हें जीवाणु नाम दिया, लुइ पाश्चर ने किण्वन पर कार्य किया और बताया कि यह जीवाणु द्वारा ही होता है। उन्होंने यह भी बताया कि पदार्थों का सड़ना और अनेक रोगों का कारण सूक्ष्म जीव होते है। जीवाणु के अध्ययन को जीवाणु विज्ञान कहा जाता है।


यह अतिसूक्ष्म होते है, एवं प्राय सभी जगह पाए जाते हैं, यह अनुकूल तथा प्रतिकूल दोनों ही परिस्थितियों में पाए जाते हैं, यह मानव द्वारा सांस लेने की वायु, पीने के जल, भोजन में मौजूद रहते हैं। यह मिट्टी में दूसरे जीवित वस्तुओं में, मृत जैव पदार्थों में भी उपस्थित रहते हैं। मानव के मुंह में भी कई प्रकार के जीवाणु पाए जाते हैं।

जीवाणु की संरचना । Structure of Bacteria In Hindi

इसका संपूर्ण शरीर एक ही कोशिका का बना होता है, इसके चारों ओर एक कोशिका भित्ति पाई जाती है, कोशिका भित्ति के नीचे कोशिका झिल्ली होती है, यह प्रोटीन एवं फास्फोलिपिड की बनी होती है। इसके कोशिका द्रव्य में माइटोकॉन्ड्रिया, एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम तथा अन्य विकसित कोशिकांग का अभाव होता है। इनमें कोशिका भित्ति तथा क्रोमोसोम का भी अभाव होता है। इनमें प्राथमिक प्रकार का केन्द्रक पाया जाता है, जिसे न्यूक्लाइड कहते हैं।

जीवाणु के लक्षण । Bacteria symptoms In Hindi

1. विषाणु को छोड़कर जीवाणु सबसे सरलतम जीव है।

2. यह सभी स्थानों पर पाए जाते हैं।

3. यह एक कोशिकीय जीव है जो एकल या समूह में पाए जाते हैं।

4. इनकी कोशिका भित्ति मोटी तथा काइटिन की बनी होती है।

5. इनमें सत्य केन्द्रक का अभाव होता है।

6. यह परजीवी, मृतोपजीवी अथवा सहजीवी होते हैं।

जीवाणु में पोषण । Bacteria Nutrition in Hindi

जीवाणु में पोषण मुख्यतः दो प्रकार का पाया जाता है।

1. स्वपोषी पोषण । Autotrophic Nutrition in Hindi

इस प्रकार के पोषण में जीवाणु अपने भोजन का निर्माण स्वयं करते हैं, इसके अंतर्गत दो प्रकार के पोषण पाए जाते हैं।

प्रकाश संश्लेषी । Photosynthetic Nutrition

इस प्रकार के पोषण के अंतर्गत जीवाणु प्रकाश ऊर्जा का उपयोग करके अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, जैसे – क्रोमेटियम, रोडोस्पिरिलम आदि।

रसायन संश्लेषी । Chemosynthetic Nutrition

इस प्रकार के पोषण के अंतर्गत जीवाणु अकार्बनिक पदार्थो के ऑक्सीकरण से ऊर्जा प्राप्त करते हैं, जैसे – नाइट्रोसोमोनस।


2. विषमपोषी पोषण । Heterotrophic Nutrition in Hindi

इस प्रकार के पोषण के अंतर्गत जीवाणु अपना भोजन दूसरे जीवो से प्राप्त करते है।

यह तीन प्रकार के होते हैं।

1. परजीवी। Parasite Nutrition in hindi

इस प्रकार के पोषण में एक जीवाणु दूसरे जिव पर आश्रित रहते है और रोग कारक होते हैं, जैसे – माइकोबैक्टेरियम।

2. सहजीवी । Symbiotic Nutrition in hindi

इस प्रकार के पोषण में जीवाणु अन्य जीवों के शरीर में रहकर भोजन प्राप्त करते है, लेकिन उसको किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाता। जैसे – राइजोबियम।

3. मृतोपजीवी । Saprophytic Nutrition in hindi

इस प्रकार के पोषण में जीवाणु मृत अवशेषों से भोजन प्राप्त करते है, जैसे – लैक्टोबैसिलस

जीवाणु में प्रजनन । Bacteria Reproduction in Hindi

जीवाणु में प्रजनन निम्नलिखित विधियों द्वारा होता है।

अलैंगिक प्रजनन । Asexual Reproduction in Bacteria In Hindi

जीवाणुओं में अलैंगिक जनन द्वीविभाजन द्वारा, कोनिडिया द्वारा एवं अन्तः बीजाणु द्वारा होता है, द्वीविभाजन प्रक्रिया में एक जीवाणु कोशिका सम्मान प्रकार के दो संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाती हैं, अधिकांश खाद पदार्थों के खराब होने के कारण उनमें उपस्थित जीवाणुओं का तेजी से प्रजनन होता है, कुछ जीवाणुओं में प्रतिकूल परिस्थितियों में दृढ़ भित्ति वाली अत्यंत रोधी संरचना बनती है, जिसे अन्तः बीजाणु कहते हैं अनुकूल परिस्थितियों होने पर अन्तः बीजाणु से कोशिका बाहर निकल जाती है, और वृद्धि करने लगती है

लैंगिक प्रजनन । Sexual Reproduction in Bacteria In Hindi

जीवाणु में न तो युग्मक का निर्माण होता है, और न ही निषेचन होता है, इनमें केवल अनुवांशिक पदार्थों का आदान-प्रदान होता है, इसे अनुवांशिक पुनर्योजन कहते हैं

जीवाणु में अनुवांशिक पुनर्योजन तीन विधियों द्वारा होता है।

संयुग्मन

जीन वाहन

रूपांतरण



जीवाणुओं का आर्थिक महत्व । Economic Importance of Bacteria in Hindi

लाभदायक जीवाणु

1. भूमि की उर्वरता में वृद्धि

2. दूध का दही में परिवर्तन

3. सिरका के निर्माण में

4. तंबाकू की पत्ती में सुगंध एवं स्वाद बढ़ाने में

5. चाय की पत्तियों के क्यूरिंग में

6. रेशो की रेटिंग में

7. लैक्टिक अम्ल के निर्माण में

8. प्रतिजैविक ओषधियो के निर्माण में

9. सड़े गले पदार्थो एवं मृत अवशेषो में

हानिकारक जीवाणु

1. भोजन विषाक्तन

2. विनाइट्रीकरण

3. पोधो में रोग

4. पशुओ में रोग

5. मानव रोग

FAQ SECTION

जीवाणु क्या होते हैं?
यह हरित लवक रहित एककोशिकीय या बहुकोशिकीय प्रोकैरियोटिक सूक्ष्म जीव होते है

जीवाणु से कौन कौन से रोग होते है?
बैक्टीरिया से होने वाली कुछ प्रमुख बीमारियों में बैक्टीरियल मेनिनन्जाइटिस, निमोनिया, टीबी, कॉलेरा, स्ट्रेप थ्रोट, आदि शामिल हैं।

जीवाणु की खोज की थी?
1683 में एंटोनी वॉन ल्यूवेन्हॉक ने

जीव विज्ञान का पिता किस वैज्ञानिक को कहा जाता है?
ल्यूवेन्हॉक को

जीवाणु के अध्ययन को कहा जाता है?
जीवाणु विज्ञान

जीवाणुओं की कोशिका भित्ति किसकी बनी होती है?
कोशिका भित्ति का निर्माण सेलूलोज, पेक्टोज तथा अन्य निर्जीव पदार्थों द्वारा होता है। कोशिका भित्ति का मुख्य कार्य कोशिका को आकार या आकृति प्रदान करना एवं प्रोटोप्लाज्म की रक्षा करना होता है

जीवाणुओं में अलैंगिक जनन किसके द्वारा होता है?
द्वीविभाजन द्वारा, कोनिडिया द्वारा एवं अन्तः बीजाणु द्वारा

यह भी पढ़ेंविषाणु क्या है। Virus in hindi

दोस्तों आज हमने आपको जीवाणु किसे कहते हैं? । Bacteria in hindi, जीवाणु की संरचना, जीवाणु के लक्षण, जीवाणु के प्रकार, जीवाणु में प्रजनन, जीवाणुओं का आर्थिक महत्व,के बारे में बताया,आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा और आपको इससे बहुत कुछ सिखने को भी मिला होगा , तो दोस्तों मुझे अपनी राय कमेंट करके बताया ताकि मुझे और अच्छे अच्छे आर्टिकल लिखने का सौभग्य प्राप्त हो, मुझे आपके कमेंट का इंतजार रहेगा ,धन्यवाद्
 
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