हेलो दोस्तों, हमारे ब्लॉक में आपका स्वागत है, आज हम जानेंगे की वाष्पोत्सर्जन क्या है? । Transpiration In Hindi और वाष्पोत्सर्जन के प्रकार, वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक और वाष्पोत्सर्जन का महत्व भी जानेंगे। तो चलिए शुरू करते है।
1. पत्रिय वाष्पोत्सर्जन । Leaf Transpiration In Hindi
वाष्पोत्सर्जन क्या है? । Transpiration In Hindi
पौधों के वायवीय भागों से जल का वाष्प के रूप में उड़ना वाष्पोत्सर्जन कहलाता है। दूसरे शब्दों में – वाष्पोत्सर्जन वह क्रिया है जिसमें पादप सतह से जलवाष्प के रूप में उड़ता है, जल पौधों में अस्थाई होता है जल की पर्याप्त मात्रा वाष्प के रूप में पत्ती की निम्न सतह पर उपस्थित रंध्रों के माध्यम से निष्कासित हो जाती है। पत्ती में वाष्पोत्सर्जन द्वारा हुई जल हानि की क्षतिपूर्ति जड़ से परिवहन द्वारा हुई नई आपूर्ति द्वारा होती रहती है वास्तव में पत्ती की कोशिकाओं से जल के वाष्पित होने से कर्षण उत्पन्न होता है जो जल को जाइलम से खींचता है इस प्रकार वाष्पोत्सर्जन की क्रिया जड़ से पत्तियों तक जल के ऊपर की ओर पहुंचने में सहायक है। अनुकूलतम अवस्थाओं में पत्ती द्वारा उसके भार के समान जल के वाष्पोत्सर्जन में 1 घंटे से भी कम समय लगता है। एक वृक्ष अपने जीवन काल में औसतन अपने भार का 100 गुना जल वाष्पित करता है। पादप द्वारा अवशोषित जल का 1 से 2% भाग ही प्रकाश संश्लेषण एवं अन्य उपापचयी क्रियाओं में उपयोग होता है वाष्पोत्सर्जन में जल का वाष्प बनकर उड़ने के अलावा ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान पत्तियों में उपस्थित छोटे छिद्रो के द्वारा होता है। सामान्यतः यह रंध्र दिन में खुले रहते हैं और रात में बंद हो जाते हैं रंध्र का बंद होना और खुलना रक्षक कोशिकाओं की स्पीति में बदलाव से होता है।वाष्पोत्सर्जन के प्रकार । Types of Transpiration in Hindi
वाष्पोत्सर्जन मुख्यतः 4 प्रकार का होता है।1. पत्रिय वाष्पोत्सर्जन । Leaf Transpiration In Hindi
- पत्रिय वाष्पोत्सर्जन लगभग 80 – 90% पत्तियों पर उपस्थित रन्ध्रों के द्वारा होता है।
- यह पौधों की त्वचा या छाल द्वारा होता है। इससे कुल जल की लगभग 3 – 8% हानि होती है।
- काष्ठीय तने तथा कुछ फलो में वात रन्ध्र पाए जाते हैं। इन वात रन्ध्र के द्वारा वाष्पोत्सर्जन होता है परंतु जल की हानि नगण्य होती है
- बिंदु स्त्राव सामान्यतः रात्रि के समय होता है इसमें पत्तियों के किनारों से जल बूंद – बूंद के रूप में निकलता है। बिंदु स्त्राव के द्वारा निकलने वाले जल में कुछ कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थ भी मौजूद रहते हैं।
वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक । Factors Affecting Transpiration in Hindi
- 1. प्रकाश की तीव्रता बढ़ने से वाष्पोत्सर्जन की दर बढ़ती है।
- 2. तापक्रम के बढ़ने से वाष्पोत्सर्जन की दर बढ़ती है।
- 3. आद्रता के बढ़ने से वाष्प उत्सर्जन की दर घटती है।
- 4. वायु की गति तेज होने पर वाष्पोत्सर्जन तीव्र गति से होता है।
वाष्पोत्सर्जन का महत्व । Transpiration Importance in Hindi
- 1. यह खनिज लवणों को जड़ से पत्तियों तक पहुंचाने में सहायता करता है।
- 2. यह पौधे का तापमान संतुलित रखने में सहायता करता है।
- 3. यह जल अवशोषण एवं रसारोहण में मदद करता है।
- 4. यह वायुमंडल को नम बनाकर जल चक्र को पूरा करने में मदद करता है।
- 5. प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिए यह जल कासंभरण करता है।
- पौधों में भोजन की दर को अगेन ऑटो मीटर द्वारा मापा जाता है।
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