मस्तिष्क किसे कहते हैं? । Brain in Hindi

हेलो दोस्तों, हमारे इस ब्लॉग में आपका स्वागत है, हमारे इस ब्लॉग में आज हम आपको मस्तिष्क किसे कहते हैं? । Brain in Hindi, मस्तिष्क की संरचना, मस्तिष्क के कार्य के साथ साथ मेरुरज्जु किसे कहते हैं? । Spinal Cord in Hindi, मेरुरज्जु के कार्य आदि के बारे में जानेंगे, तो चलिए दोस्तों इन सबके बारे में जानते है।

मस्तिष्क किसे कहते हैं? । Brain in Hindi

मस्तिष्क पूरे शरीर तथा स्वयं तंत्रिका तंत्र का नियंत्रण कक्ष है जो मनुष्य का सम्भवत: सबसे अधिक विशेषीकृत अंग है। यह खोपड़ी के मस्तिष्क बॉक्स में सुरक्षित रहता है और मुलायम तंत्रिकीय ऊतकों का बना होता है। इसका कुल भार लगभग 1400 ग्राम होता है। इसके चारों तरफ मस्तिष्कावरण नामक एक 3 स्तरों की बनी झिल्ली पायी जाती है, इसकी सबसे बाहरी स्तर को दृढ़तानिका या Dura mater, बीच की स्तर को जालतानिका या Arachnoid और अंदर की स्तर को मृदुतानिका या Pia mater कहते हैं। ड्यूरामेटर संयोजी ऊतकों की बनी एक कठोर रचना होती है जो क्रेनियम की दीवार से चिपकी रहती है। पायामेटर पतली तथा मस्तिष्क की बाहरी सतह से चिपकी रहती है, इसमें रुधिर वाहिकाओं का जाल फैला रहता है जिनके द्वारा मस्तिष्क को O2 तथा भोज्य पदार्थों को पहुँचाया जाता है।


क्रेनियम की अस्थियों तथा ड्यूरामेटर के बीच एक सँकरी गुहा पायी जाती है जिसे Epineural space कहते हैं इसी प्रकार ड्यूरामेटर एवं पायामेटर के बीच की गुहा को अधि-दृढ़तानिका गुहा कहते हैं। जालतानिका एवं मृदुतानिका के बीच की गुहा को अधिजाल तानिका गुहा कहते हैं । इन सभी गुहाओं में लसीका के समान प्रमस्तिष्क मेरु द्रव अथवा सेरीब्रो स्पाइनल द्रव नामक एक विशिष्ट तरल पदार्थ भरा होता है जो मस्तिष्क को बाहरी झटकों से बचाता है। दो स्थानों पर पायामेटर मस्तिष्क की पतली दीवारों से जुड़कर अँगुलाकार उभारों के रूप में मस्तिष्क की गुहा में लटकी रहती है। इन स्थानों को रक्तक जालक कहते हैं। इन स्थानों पर से सेरिब्रोस्पाइनल द्रव मस्तिष्क गुहा में पहुँचता है।

मस्तिष्क की संरचना । Structure of brain in hindi

मानव मस्तिष्क 3 भागों से मिलकर बना होता है।
  1. अग्र मस्तिष्क या Fore Brain
  2. मध्य मस्तिष्क या Mid Brain
  3. पश्च मस्तिष्क या Hind Brain

(1) अग्र मस्तिष्क । Forebrain in hindi

यह मस्तिष्क का सबसे अगला भाग होता है और 4 भागों प्रमस्तिष्क, हाइपोथैलेमस, घ्राणपिण्ड (Olfactory lobe) एवं डायन सेफैलान का बना होता है।

(i) प्रमस्तिष्क (Cerebrum)

मनुष्य का प्रमस्तिष्क सबसे अधिक विकसित होता है और कुल मस्तिष्क का 2/3 भाग बनाता है। प्रमस्तिष्क की बाह्य सतह पर अनेक वलन पाये जाते हैं, इन वलनों को ग्यारी या Gyrux) कहते हैं। मनुष्य का प्रमस्तिष्क एक मध्यवर्ती विदर या Median fissure द्वारा 2 स्पष्ट भागों में बँटा होता है। इन भागों को प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध कहते हैं। प्रत्येक प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध दरारों या खाँचों द्वारा 5 पिण्डों में विभाजित रहता है जिन्हें क्रमश: फ्रॉण्टल, पैराइटल, टेम्पोरल, ऑक्सीपिटल और इन्सुला पिण्ड कहते हैं लेकिन इन्सुला पिण्ड बाहरी सतह से दिखायी नहीं देता। प्रमस्तिष्क के मध्य में एक गुहा पायी जाती है, गुहा के चारों तरफ का प्रमस्तिष्क 2 भागों का बना होता है। इसका बाहरी भाग कॉर्टेक्स कहलाता है और तंत्रिका कोशिकाओं का बना होता है। जबकि इसका भीतरी भाग श्वेत पदार्थ कहलाता है और तंत्रिका सूत्रों का बना होता है। दोनों प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध श्वेत पदार्थ के तन्तुओं के बने अनुप्रस्थ पट्ट कॉर्पस कैलोसम द्वारा जुड़े होते हैं। कार्पस कैलोसम केवल स्तनियों में पाया जाता है। प्रमस्तिष्क का कॉर्टेक्स भाग विभिन्न कार्यों, के नियन्त्रण एवं समन्वय के नियन्त्रण एवं समन्वय के लिए कई क्षेत्रों – प्रेरक क्षेत्र, संवेदी क्षेत्र, श्रवण क्षेत्र, दृष्टिक्षेत्र, घ्राण क्षेत्र और वाक् क्षेत्र में बँटा रहता है। इन क्षेत्रों की तंत्रिका कोशिकाओं की क्रियाशीलता के कारण ही मनुष्य में याददाश्त, बुद्धि एवं निर्णय लेने की क्षमता आती है।

(ii) हाइपोथैलेमस (Hypothalamus)

प्रमस्तिष्क गोलार्द्धं के आधार के ठीक पीछे मस्तिष्क का फर्श व पाश्र्व भाग हाइपोथैलेमस कहलाता है। यह भाग भूख और प्यास का आभास कराने के साथ, ताप की मात्रा तथा भावात्मक क्रियाओं का ज्ञान कराता है। यह कुछ न्यूरोहॉर्मोन्स का भी स्रावण करता है जो पीयूष ग्रन्थि के अग्र भाग के स्रावण को प्रेरित करते हैं। यह पीयूष ग्रन्थि के पश्च भाग में बनने वाले हॉर्मोनों का संश्लेषण करके इन्हें रुधिर में छोड़ देता है।

(ii) घ्राणपिण्ड (Olfactory lobe)

प्रमस्तिष्क गोलार्द्धं के अग्र सिरे पर दो पिण्ड पाये जाते हैं, जिन्हें घ्राण पिण्ड कहते हैं, ये गन्ध उद्दीपन को ग्रहण करते हैं।

(iv) डाएनसेफेलॉन (Diencephalon)

प्रमस्तिष्क गोलार्द्धां के नीचे एक छोटा-सा भाग डायनसेफैलॉन स्थित होता है जो प्रतिपृष्ठ सतह से एक कीप जैसी रचना इन्फण्डीबुलम से ढका रहता है। इस इन्फण्डीबुलम से एक थैली सदृश रचना जुड़ी होती है जिसे हाइपोफाइसिस कहते हैं। हाइपोफाइसिस और इन्फण्डीबुलम एक साथ मिलकर ही पीयूष काय बनाते हैं जो कि एक प्रमुख अन्तःस्रावी ग्रन्थि है। पीयूष काय के सामने ऑप्टिक काएज्मा पाया जाता है जो वास्तव में दोनों दृष्टि तंत्रिकाओं का कटान बिन्दु है।


(2) मध्य मस्तिष्क । Midbrain in hindi

यह 2 भागों प्रमस्तिष्क तन्तु एवं दृष्टि पिण्ड या Corpora quadrigemina का बना होता है मध्य मस्तिष्क मस्तिष्क के बीच में स्थित होता है प्रमस्तिष्क गोलार्द्धा को अनुमस्तिष्क एवं पॉन्स से जोड़ता है। होता है।

मध्य मस्तिष्क के अधर एवं पार्श्वतल पर श्वेत पदार्थों से निर्मित दो तन्त्रिका तन्तुओं के पूलों या समूहों की पट्टियाँ पायी जाती हैं, जिन्हें प्रमस्तिष्क तन्तु कहते हैं। इन्हें क्रूरा सेरीबी भी कहा जाता है। प्रमस्तिष्क तन्तु प्रमस्तिष्क के कॉर्टेक्स को मस्तिष्क के शेष भागों तथा मेरुरज्जु से जोड़ते हैं और पश्च मस्तिष्क के अग्र भाग से प्रारम्भ होकर आगे की ओर प्रमस्तिष्क गोलार्द्धां तक फैले रहते हैं।

मध्य मस्तिष्क का पृष्ठ भाग चार गोल पिण्डों का बना होता है, जिन्हें दृष्टि पिण्ड या कॉर्पोरा क्वाड्रीजेमाइना कहते हैं। सभी गोल पिण्ड ठोस होते हैं। इनमें गुहा नहीं पायी जाती है। मध्य मस्तिष्क में एक सँकरी गुहा आइटर होती है जो आगे की तरफ डायोसील और पीछे की ओर पश्च मस्तिष्क की गुहा से जुड़ी होती है।

(c) पश्च मस्तिष्क । Hindbrain in hindi

यह मस्तिष्क का सबसे पिछला भाग है और 3 भागों का बना होता है –
  1. अनुमस्तिष्क (Cerebellum)
  2. पॉन्स (Pons)
  3. मेडुला ऑब्लांगेटा (Medulla oblongata)
मेडुला ऑब्लांगेटा मस्तिष्क का सबसे पिछला भाग होता है और खोपड़ी के मस्तिष्क बॉक्स से बाहर निकलकर मेरुरज्जु बनाता है। इसमें श्वसन, हृदय गति, रुधिर वाहिकाओं के संकुचन तथा शिथिलन, Vomitting और भोजन निगलने इत्यादि क्रियाओं के केन्द्र पाये जाते हैं। मेडुला ऑब्लांगेटा के ऊपर एवं प्रमस्तिष्क के पिछले भाग के नीचे अनुमस्तिष्क स्थित होता है, यह एक बड़ी, ठोस और वलयित रचना है जो पश्च मस्तिष्क की पृष्ठ सतह बनाती है। अनुमस्तिष्क तीन पालियों में विभक्त रहता है। इसका केन्द्रीय भाग Vermis कहलाता है, इसके दोनों तरफ दो पालियाँ स्थित होती हैं, जिन्हें पार्श्वपालियाँ कहते हैं। यह पेशियों के संकुचन तथा शिथिलन क्रियाओं का नियंत्रण एवं समन्वय करता है। पॉन्स अनुमस्तिष्क के ठीक सामने और मेडुला ऑब्लांगेटा के ऊपर स्थित होती हैं और अनुमस्तिष्क के दोनों भागों एवं मेडुला ऑब्लांगेटा तथा मध्य मस्तिष्क को जोड़ती है।

मस्तिष्क की गुहाएँ (Cavities of the brain)

मस्तिष्क एक खोखली रचना है जिसके अन्दर एक बड़ी गुहा पायी जाती है। इस गुहा का नामकरण मस्तिष्क के विभिन्न भागों के आधार पर करते हैं। सेडुला ऑब्लांगेटा की गुहा को चतुर्थ गुहा कहते हैं जो कि मेरुरज्जु के केन्द्रीय नाल के फैलने से बनती है। इस गुहा की छत एक पतली संवहनीय झिल्ली के समान दीवार की बनी होती है जिससे पायामेटर एक उभार के रूप में इस गुहा में लटकती रहती है, इस उभार को पश्च रक्तक जालक कहते हैं। चतुर्थ गुहा की छत सेरीब्रोस्पाइनल द्रव को स्रावित करती है। इसमें तीन छोटे-छोटे छिद्र भी पाये जाते हैं जिनसे होकर सेरीब्रोस्पाइनल द्रव मस्तिष्कावरण के अवकाशों में जाता है।

मध्य मस्तिष्क में गुहा नहीं के बराबर एक सँकरे स्थान के रूप में पायी जाती है जिसे Iter कहते हैं। यह चतुर्थ गुहा को अग्रमस्तिष्क के पिछले भाग की गुहा, जिसे तृतीय गुहा या Diocoel कहते हैं, से जोड़ती है। तृतीय गुहा में भी पश्चरक्तक जालक के ही समान एक उभार पाया जाता है जिसे अग्र रक्तक जालक कहते हैं। दोनों ही रक्तक जालक की कोशिकाएँ मस्तिष्क की गुहा में सेरीब्रोस्पाइनल द्रव का स्रावण करती हैं, इसके साथ ही ये रुधिर वाहिनियों और मस्तिष्क की गुहा के बीच के द्रव के मध्य सम्बन्ध स्थापित करते हैं। दोनों प्रमस्तिष्क गोलार्द्धां में भी दो गुहाएँ पायी जाती हैं। इन गुहाओं को पार्श्व गुहाएँ कहते हैं जो प्रथम तथा द्वितीय गुहा को व्यक्त करती हैं । ये दोनों गुहाएँ संयुक्त रूप से एक छिद्र के द्वारा तृतीय गुहा में खुलती हैं। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि मस्तिष्क के बीच में एक खोखली गुहा पायी जाती है, जिसमें सेरीब्रोस्पाइनल द्रव भरा होता है। यह गुहा ही मेरुरज्जु में नियमित होकर केन्द्रीय नाल (Central canal) बनाती है और इसमें भी सेरीब्रोस्पाइनल द्रव भरा होता है।

मस्तिष्क के कार्य । Brain Function in Hindi

मस्तिष्क के भिन्न-भिन्न भाग अलग-अलग कार्यों का सम्पादन करते हैं, जो निम्नवत् हैं –

(1) अग्र मस्तिष्क का घ्राणपिण्ड गन्ध का ज्ञान कराता है।

(2) प्रमस्तिष्क के कार्य –

यह मस्तिष्क का सबसे विकसित भाग है जो निम्न कार्यों को करता है।
  • यह चेतना, बुद्धि, विचार, स्मृति एवं इच्छाशक्ति का केन्द्र है और सोचने, समझने, विचारने, पहचानने, याद रखने, स्मरण करने, चिन्तन करने, ऐच्छिक गतियों को संचालित करने इत्यादि क्रियाओं को संचालित करता है।
  • यह बोध का केन्द्र है तथा व्यक्ति के हँसने या रोने पर भो इसी का नियन्त्रण होता है ।
  • संवेदनाओं के आवेगों का अर्थ व निर्णय तथा इनका प्रत्युत्तर भी इसी के द्वारा होता है ।
  • इसमें विविध प्रकार की संवेदनाओं के लिये अलग अलग केन्द्र होते हैं, जैसे-दर्शन केन्द्र, श्रवण केन्द्र, घ्राण केन्द्र। ये सभी केन्द्र अलग-अलग कार्यों को नियंत्रित करते हैं। ये केन्द्र अलग-अलग पालियों में स्थित होते हैं ।
  • यह सर्दी, गर्मी, स्पर्श, प्रकाश आदि के प्रति अनुक्रियाओं को प्रेरित करता है।
  • यह तंत्रिका तंत्र के शेष भागों पर नियंत्रण रखता है।
  • यह विविध भावों- जैसे क्रोध, ममता, लोभ, प्रेम आदि का केन्द्र होता है।
  • इसकी फ्रॉण्टल पालि ऐच्छिक क्रियाओं के लिये कंकालीय पेशियों को निर्देश देती है। इसके अलावा अनैच्छिक पेशियों की गति तथा स्वायत्त तंत्रिका तंत्र का नियंत्रण भी फ्रॉण्टल ही करती है।
(3) अग्र मस्तिष्क का डायनसेफैलान भाग के कार्य
  • भूख, प्यास, नींद, ताप, थकावट, संभोग, घृणा, तृप्ति इत्यादि कार्यों के साथ स्वायत्त तंत्रिका तंत्र से अनैच्छिक कार्यों का भी नियंत्रण करता है, यह उपापचयी क्रियाओं का भी नियंत्रण करता है ।
  • अग्र मस्तिष्क का हाइपोथैलमस भाग भूख, प्यास एवं ताप का नियंत्रण करने के साथ पीयूष ग्रन्थि के कुछ हॉर्मोनों का स्रावण भी करता है।
(4) मध्य मस्तिष्क की कॉर्पोरा क्वाड्री जेमाइना के कार्य

दृष्टि, श्रवण एवं प्रतिवर्ती क्रियाओं का नियंत्रण करता है।

(5) अनुमस्तिष्क के कार्य
  • यह कंकाली पेशियों के संकुचन एवं शिथिलन का नियमन करता है।
  • यह प्रमस्तिष्क द्वारा ऐच्छिक गतियों का नियमन करता है।
  • यह शरीर के सन्तुलन एवं साम्यावस्था का नियमन करता है।
  • यह शारीरिक गतियों को स्थिरता प्रदान करता है।
(6) मेडुला ऑब्लांगेटा के कार्य

मेडुला ऑब्लांगेटा शरीर की अनैच्छिक क्रियाओं का केन्द्र है अर्थात् यह फेफड़े तथा हृदय के धड़कने, आहारनाल की क्रमाकुंचन गति इत्यादि क्रियाओं पर नियंत्रण करता है । यह मस्तिष्क के शेष भागों तथा मेरुरज्जु के बीच प्रेरणाओं का आदान प्रदान भी करता है।

मेरुरज्जु । Spinal Cord in Hindi


मेरुरज्जु किसे कहते हैं? । Spinal Cord in Hindi

मस्तिष्क के मेडुला ऑब्लांगेटा का पिछला भाग पतला होकर खोपड़ी के फोरामेन मैगनम छिद्र से बाहर आ जाता है और कशेरुकाओं के बीच स्थित तंत्रिकीय नाल में एक मुलायम डोरी के रूप में कशेरुक दण्ड के अन्तिम सिरे तक फैला होता है, इसे मेरुरज्जु कहते हैं। मेरुरज्जु का अन्तिम सिरा एक पतले सूत्र के रूप में होता है जिसे अन्त्य सूत्र कहते हैं मस्तिष्क के समान ही मेरुरज्जु के चारों तरफ भी तीन स्तरों – ड्यूरामेटर, अरेक्नॉयड और पायामेटर का बना आवरण पाया जाता है। अरेक्नॉयड स्तर के दोनों तरफ के अवकाशों में मस्तिष्क के समान ही सेरीब्रोस्पाइनल द्रव भरा होता है, जो मेरुरज्जु को बाहरी धक्कों से बचाता है।

मेरुरज्जु खोखली, बेलनाकार तथा पृष्ठ व प्रतिपृष्ठ सतहों पर चपटी होती है। इसकी दोनों सतहों पर मध्य में एक-एक खाँच पायी जाती है, जिसे क्रमशः पृष्ठ तथा प्रतिपृष्ठ विदर (Dorsal and ventral fissure) कहते हैं। संरचनात्मक दृष्टि से अनुप्रस्थ काट में देखने पर इसके मध्य में एक सँकरी नाल पायी जाती है, जिसे केन्द्रीय नाल कहते हैं। यह नाल मस्तिष्क की गुहा का ही बढ़ा हुआ भाग है। इस नाल के छत तथा फर्श को क्रमश: पृष्ठ तथा प्रतिपृष्ठ कॉमीशर (Dorsal and ventral commissures) कहते हैं। केन्द्रीय नाल में भी मस्तिष्क की गुहा के ही समान सेरीब्रोस्पाइनल द्रव भरा होता है। मेरुरज्जु की दृढ़तानिका कशेरुकाओं से चिपकी नहीं होती बल्कि दोनों के, बीच द्रव से भरी एक गुहा पायी जाती है, जिसे Epidural cavity कहते हैं। केन्द्रीय नाल के चारों तरफ मेरुरज्जु का मोटा भाग दो स्तरों में बँटा होता है, भीतरी स्तर को धूसर पदार्थ तथा बाहरी स्तर को श्वेत पदार्थ कहते हैं। धूसर पदार्थ तंत्रिका कोशिकाओं के कार्यों, उनके डेण्ड्रॉन्ल तथा न्यूरोग्लिया के प्रवर्थों का बना होता है। जबकि श्वेत पदार्थ मेड्यूलेटेड तंत्रिका तन्तुओं और न्यूरोग्लिया के प्रवर्धी का बना होता है। इस भाग का श्वेत रंग मेड्यूलेटेड आवरण के कारण ही होता है। इसके मेड्यूलेटेड तन्तु वास्तव में धूसर पदार्थ की तंत्रिका कोशिकाओं के एक्सॉन हैं धूसर पदार्थ चतुर्भुजी आकार का होता है जिसके पृष्ठ तथा प्रतिपृष्ठ कोनों को क्रमशः पृष्ठ तथा प्रतिपृष्ठ शृंग कहते हैं। पृष्ठ शृंगों से पतले-पतले संवेदी तथा प्रतिपृष्ठ शृंग से पतले ही पतले प्रेरक तन्तु निकलते हैं, इन तन्तुओं को पृष्ठ एवं प्रतिपृष्ठ मूल कहते हैं। एक तरफ के पृष्ठ तथा प्रतिपृष्ठ मूल आपस में मिलकर एक मेरुरज्जु तंत्रिका बनाते हैं। पृष्ठ मूल में एक उभार पाया जाता है जिसे पृष्ठ मूल गुच्छक कहते हैं। यह संवेदी तंत्रिका कोशिकाओं के कार्यों को व्यक्त करता है।

मेरुरज्जु के कार्य । Spinal Cord Function in Hindi

यह निम्नलिखित मुख्य कार्यों को करती है
  • मेरुरज्जु प्रतिवर्ती क्रियाओं का नियंत्रण एवं समन्वय करती है।
  • यह मस्तिष्क से आने-जाने वाले उद्दीपनों का संवहन करती है।
  • यह मेरुरज्जु तंत्रिकाओं एवं मस्तिष्क के बीच सम्बन्ध स्थापित करता है।
  • यह अनैच्छिक क्रियाओं का नियन्त्रण एवं समन्वय करता है।
दोस्तों, आज हमने आपको मस्तिष्क किसे कहते हैं? । Brain in Hindi, मस्तिष्क की संरचना, मस्तिष्क के कार्य के साथ साथ मेरुरज्जु किसे कहते हैं? । Spinal Cord in Hindi, मेरुरज्जु के कार्य आदि के बारे मे बताया, आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा, तो दोस्तों मुझे अपनी राय कमेंट करके अवश्य बताये ताकि मुझे और अच्छे आर्टिकल लिखने का अवसर प्राप्त हो, धन्यवाद्.
 
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