मनुष्य में उत्सर्जन तंत्र (हिंदी में समझिये) । Excretory System In Human In Hindi

हेलो दोस्तों, हमारे ब्लॉक में आपका स्वागत है, आज हम मनुष्य में उत्सर्जन तंत्र (हिंदी में समझिये) । Excretory System In Human In Hindi और नेफ्रॉन की संरचना । Nephron Structure in Hindi को जानेंगे। तो चलिए शुरू करते है।

उत्सर्जन तंत्र किसे कहते हैं? । Excretory System In Human In Hindi

मनुष्य के उत्सर्जन तंत्र में निम्नलिखित अंग आते हैं।
  1. वृक्क
  2. फेफड़ा
  3. त्वचा
  4. यकृत
  5. आंत

1. वृक्क । Kidney In Hindi

मनुष्य एवं अन्य स्तनधारियों में मुख्य उत्सर्जी अंग एक जोड़ा बराक होता है, जो रुधिर परिसंचरण में उत्सर्जित पदार्थों को हटाने साथ ही साथ रुधिर में लाभदायक त्वचा को बनाए रखने के लिए भली भात अनुकूलित होता है। बराक सेम के बीज के आकार का होता है। उदर गुहा में पीठ की ओर कमर के क्षेत्र में कशेरुक दंड के दोनों और एक एक बराक स्थित होता है। इसके चारों तरफ पेरिटेनियम नामक घिल्ली पाई जाती है। वयस्क मनुष्य में प्रत्येक बराक। 4 से 5 इंच लंबा,2 इंच चौड़ा और लगभग 1.5 इंच मोटा होता है। इसका भार लगभग 140 ग्राम होता है इसका बाहरी धरातल उत्तल होता है तथा भीतर धरातल अवतल होता है। वृक्क चारों ओर से मोटी वसा परतों दौरा अच्छादित होते हैं जो उनकी सुरचा करती है। बराक के भीतरी अवतल सतह हैलाम कहलाती है। वृक्क के लंबवत काटने पर या दो भागों में विभाजित हो जाता है भारी भाग जो अपेक्षाकृत पतला होता है कार्टेक्स कहलाता है। जबकि भेज तेरी मोटा दो तिहाई भाग में मेंडुल कहलाता है मेंडुला संकृपी रचनाओं से भरा होता है जिसे पिरामिड कहते हैं। सभी पिरामिड एक थैली नुमा गुहा में डिस्ट रहते हैं या गुहा व्रत के भीतरी अवतल धरातल पर स्थित होती है इस गुहा को वृक्क पेल्विस कहते हैं। वृक्क पालियस से एक लंबी तथा सकरी वाहिनी निकलती है जिसे मूत्र वाहिनी कहते हैं दोनों और के मूत्र वाहिनी या मूत्रसाय में खुलते हैं। प्रत्येक वृक्क में लगभग 1,30,000 सुचम्म नलिकाए हैं जिस वृक्क नेफ्रान कहते हैं। नेफ्रॉन वृक्क की क्रियात्मक इकाई हैं नेफ्रॉन को उत्सर्जन इकाई भी कहा जाता है। इमरान काहे रुधिर रासायनिक संगठन का वास्तविक नियंत्रण करता है।


नेफ्रॉन की संरचना । Nephron Structure in Hindi

प्रत्येक नेफरान में एक छोटी थलीनुमा सरचना है जिसे बोमेन संपुट कहते हैं। बोमन संपुट कर्ताक्स क्षेत्र में स्थित होता है। इस ब्रोमेन संपुट से एक सुचम् कुंडली नलिका निकलती हैं जो सीधी होकर वृक्क में पैलियस मैं प्रवेश करती है। इसके पश्चात यह नलिका चौड़ी होकर एक पास बनाती है जिसे हैनले लूप कहते हैं। इसके बाद यह नलिका फिर वृक्क के कर्ताक्स भाग में चली जाती है। कर्तास भाग में या फिर से कुंडली हो जाती है और तब या एक बड़ी वाहिनी में खुलती हैं जिसे संगठक वाहिनी कहते हैं। संघात्मक वाहिनी एक सीधी नली होती है जिसमें कई नेफ्रॉन की नलिका में खुलती हैं यह द्रव को वृक्क पेलियस में ले जाती है। सभी संग्राहक वाहिनिया वृक्क पैलियस में खुलती हैं। वृक्क पैलियस में से एक वाहिनी जिसे मूत्र वाहिनी कहते हैं, निकलता है जो मूत्राशय में खुलता है।

वृक्क की रुधिर की आपूर्ति

महाधमनी से वृक्क धमनी रुधिर को वृक्को के भीतर ले जाती है। प्रत्येक वृक्क में धमनी प्रवेश करने के बाद अनेक पतली शाखाओं में विभाजित हो जाती है जिन्हें वृक्क कहते हैं। अभिवाही धमनिया बार-बार विभाजित होकर महीन कोशिकाओं का एक गुच्छा बनाती है जिसे कोशिका गुच्छ कहते हैं केशिकाएं कोशिका कुछ के बाद पुनः संयोजित होकर अपवाही धमनिका बनाती है जो नेफ्रॉन के विभिन्न जालिका भागो को ढक लेते हैं कोशिकाएं पुनः संयोजित होकर वृक्क शिरिकाएं बनाती है। यह वृक्क शिरा में खुलते हैं वृक्क शिरा वृक्क से रुधिर को इकट्ठा का हृदय में ले जाती है।

नेफ्रॉन के कार्य करने की विधि

वृको को भीतर नेफ्रॉन द्वारा दो महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं।
  • 1. रुधिर से सभी उत्सर्जी पदार्थों को हटाना।
  • 2. रुधिर में आवश्यक पोषक तत्वों को बनाए रखना रुधिर से उत्सर्जित पादपों को दो भागों में हटाया जाता है।
A. निस्यंदन
B. पुनरावशेषण

A. निस्यंदन । Filtration

निस्यंदन की क्रिया कोशिकागुच्छ मैं संपन्न कोशिकागुच्छ एक छत्री की तरह है। प्रत्येक मिनट में रक्त का लगभग 1 लीटर जिसमें 500 ml प्लाज्मा होता है कोशिकागुच्छ से होकर बहता है। इसका लगभग 10 % भाग छनता है। अभीवाही धमनिका जिसका व्यास आपवाही धमनिका से अधिक होता है गुच्छ मैं रक्त का दाब बढ़ जाता है जिसके फलस्वरूप छनने की क्रिया को अल्ट्राफिल्टरेशन कहते हैं। अल्ट्राफिल्टरेशन द्वारा रुधिर की प्लाज्मा से ग्लोमेंग्लोमेंरूलस द्वारा विभिन्न घटक छान लिए जाते हैं रुधिर प्लाज्मा से जल ,ग्लूकोस,
खनिजखनिज- लवण आदि छान लिए जाते हैं केवल रुधिर कोशिकाएं एवं प्लाजमा, प्रोटीन नहीं छन पाती और रुधिर में ही रह जाती हैं। छने हुए द्रव को निस्यंदन कहते हैं। यह निस्यंदन रुधिर प्लाज्मा की ही तरह होता है किंतु इसमें रुधिर कोशिकाएं और प्लाज्मा प्रोटीन अनुपस्थित होते हैं। निस्यंदन बोमेन संपुट की गुहा मैं इकट्ठा होता है जहां से यह नेफ्रॉन की नालिका मैं चला जाता है। इसे निस्यंदन के कारण रुधिर के बहुत अधिक लाभदायक घटक छान लिए जाते हैं परंतु इनका निदान अगले चरण में हो जाता है। इस प्रकार के चयनात्मक निस्यंदन को जिसमें कुछ पदार्थ छाने जाते हैं और कुछ नहीं डाइलिसिस कहते हैं प्रत्येक कोशिकागुच्छ एक डाइलिसिस थैली का कार्य करती हैं।

B. पुनरावशेषण । Reabsorption

बोमेन संपुट मैं छनने के बाद रुधिर नेफ्रॉन के बाहर मौजूद कोशिकाओं के जाल से होकर प्रवाहित होता है। नेफ्रॉन के विभिन्न नालिकाओं से गुजरते समय निस्यंद मैं उपस्थित अनेक लाभदायक तत्वों को नालिकाओं के चारों ओर मौजूद रुधिर कोशिकाओं द्वारा पुनः सोखकर रुधिर परिसंचरण मैं लौटा दिया जाता है। इस क्रिया को पुनरावशेषण कहते हैं। निस्यंद अधिकांश जल का अवशोषण परासरण द्वारा होता है। अन्य अवशोषित होने वाले लाभदायक तत्व ग्लूकोस, विटामिन, हार्मोन, खनिज लवण इत्यादि होते हैं। हाल की खोज से पता चला है कि 100 ml निस्यंद से लगभग 99 ml द्रव पुनरवशोषण हो जाता है पुनरवशोषण के पश्चात कभी-कभी नालिका की कोशिकाओं से कुछ उत्सर्जी पदार्थ स्त्रवित होते हैं जो निस्यंद से मिल जाते हैं इसे ट्यूबलर भृवण कहते हैं।


मूत्र की संरचना एवं प्रकृति । Urine Composition in Hindi

नेफ्रॉन या वृक नालिका मैं रुधिर से छनकर आए जल एवं शेष उत्सर्जी पदार्थों के मिश्रण को मूत्र कहते हैं। मनुष्य का मूत्र पारदर्शी एवं हल्के पीले रंग का होता है इसके पीले रंग हीमोग्लोबिन के अपघटन से निर्मित यूरोक्रोम नामक वर्णक के कारण होता है। मूत्र के गंध का इनमें उपस्थित कार्बनिक पदार्थ होता है। एक सामान्य व्यक्ति में 2 घंटे में लगभग 1.5 लीटर मूत्र बनता है सामान्यता मूत्र की मात्रा मनुष्य द्वारा ग्रहण किए गए जल की मात्रा भोजन की प्रकृति उनकी शारीरिक एवं मानसिक तथा ताप पर निर्भर करती है। सामान्यता या ताजा मूत्र अम्लीय प्राकृति का होता है। इसका ph मान 4.5 से 8.6 के मध्य होता है। इसके आपेक्षिक घनत्व जल से थोड़ा अधिक होता है। व्यक्ति में जल 96% यूरिया 2% प्रोटीन, वसा, शर्करा, एवं दूसरे कोलयड्स (13%) यूरिक अम्ल(0.5%) के साथ अत्यल्प मात्रा में क्रियेटिनेन,सोडियम, पोटेशियम कैल्शियम, मैग्नीशियम, क्लोरीन सल्फेट, फास्फेट , अमोनिया आयोडीन ,नाइट्रोजन आदि पाए जाते हैं।

ड्यूरेसिस मूत्रस्त्राव की मात्रा के बढ़ जाने को ड्यूरेसिस कहते हैं। वे पदार्थ जो इनका क्रियाविंत करते हैं उन्हें ड्यूरेटिक कहते हैं। यूरिया ड्यूरेटिक पदार्थ होता है जो मूत्रस्त्राव को भी प्रभावित करता है। मूत्रस्त्राव का सीधा संबंध सामान्य रक्त में यूरिया की मात्रा पर निर्भर करता है मैनीटाँल, सुक्रोज, ग्लूकोज, कैफ़ीन आदि अन्य ड्यूरेटिक पदार्थ है।

वृक्क के कार्य । Kidney Function in Hindi

वृक्क के कार्य निम्नलिखित महत्वपूर्ण कार्य है।
  • 1. वृक्क स्तनधारियों एवं अन्य कशेरुकी जंतुओं में उपापचय क्रिया के फल स्वरूप उत्पन्न विभिन्न अपशिष्ट पदार्थों को मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकालता है।
  • 2. यह रक्त में हाइड्रोजन आयन सांद्रता का नियंत्रण करता है।
  • 3. यह रक्त में परासरणी दाब तथा उसकी मात्रा का नियंत्रण करता है।
  • 4. यह रुधिर तथा ऊतक द्रव्य में जल तथा लवणों की मात्रा को निश्चित कर रुधिर दाब बनाए रखता है।
  • 5. रुधिर के विभिन्न पदार्थों का वर्णनात्मक उत्सर्जन कर वृक शरीर के रासायनिक अखंडता बनाए रखता है।
  • 6. शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने की अवस्था में विशेष एंजाइम लवण से वृक नामक हार्मोन द्वारा लाल रूधिराणुओ के तेजी से बनने मे सहायक होता है।
  • 7. यह कुछ पोषक तत्वों के अधिशेष भाग जैसे शर्करा एमिनो अम्ल आदि का निष्कासन करता है।
  • 8. यह बाहरी पदार्थों जैसे दवाइयां विश्व इत्यादि जिनका शरीर में कोई प्रयोजन नहीं होता है का निष्कासन करता है।
  • 9. शरीर में परासरण नियंत्रण द्वारा वृक जल की निश्चित मात्रा को बढ़ाएं रखता है।

2. फेफड़ा । Lungs in Hindi

मनुष्य में वैसे तो फेफड़ा स्वसन तंत्र से संबंधित अंग है लेकिन यह स्वसन के साथ-साथ उत्सर्जन का भी कार्य करता है। फेफड़ा द्वारा दो प्रकार के गैसीय पदार्थों कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल वाष्प का उत्सर्जन होता है। कुछ पदार्थ जैसे- लहसुन, प्याज, और कुछ मसाले जिनमें कुछ वाशबेसिन घटक पाए जाते हैं इनका उत्सर्जन फेफड़ों के द्वारा होता है।

3. त्वचा । Skin In Hindi

त्वचा में उपस्थित तैलीय ग्रंथियां एवं ग्रंथियां क्रमश सीबन एवं पसीने का श्राव करती है। सीबन एवं पसीने के साथ अनेक उत्सर्जी पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं।

4. यकृत । Liver in Hindi

यकृत कोशिकाएं आवश्यकता से अधिक अमीनो अम्ल तथा रुधिर की अमोनिया को यूरिया में परिवर्तित करके उत्सर्जन के मुख्य भूमिका निभाता है। इसके अतिरिक्त यकृत तथा प्लीहा कोशिकाएं टूटी फूटी रुधिर कोशिकाओं को विखंडित कर उन्हें रक्त प्रवाह से अलग करती हैं। यकृत कोशिकाएं हीमोग्लोबिन का विखंडन कर उन्हें रक्त प्रवाह से अलग करती है।

किडनी में कितने नेफ्रॉन होते हैं?​

किडनी में 1.15 मिलियन कोशिकाएं होती हैं. इन्हें ही नेफ्रॉन कहा जाता है

हमारे सम्पूर्ण शरीर में किडनी का क्या काम होता है?​

अपशिष्ट उत्पादों को हटाकर रक्त की शुद्धि करना किडनी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है

नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थ के उन्मूलन को कहते है?​

मलोत्सर्जन

ऐसे पदार्थ जो मूत्र स्राव की मात्रा को कम कर देता है क्या कहलाता है?​

एंटीड्यूरेटिक

नेफ्रॉन के कौन-कौन से कार्य है?​

रुधिर से सभी उत्सर्जी पदार्थों को हटाना
रुधिर में आवश्यक पोषक तत्वों को बनाए रखना

वृक्क के कार्य है?​

यह रक्त में हाइड्रोजन आयन सांद्रता का नियंत्रण करता है
यह रक्त में परासरणी दाब तथा उसकी मात्रा का नियंत्रण करता है
शरीर में परासरण नियंत्रण द्वारा वृक जल की निश्चित मात्रा को बढ़ाएं रखता है

रक्त का शुद्धिकरण होता है?​

किडनी में

मनुष्य में रक्त कहां छनता हैं?​

बोमेन सम्पुट में

दोस्तों आज हमने आपको मनुष्य में उत्सर्जन तंत्र । Excretory System In Human In Hindi के बारे में और इसके साथ-साथ नेफ्रॉन की संरचना । Nephron Structure in Hindi के बारे मे बताया, आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा और आपको इससे बहुत कुछ सिखने को भी मिला होगा। तो दोस्तों मुझे अपनी राय कमेंट करके बताया ताकि मुझे और अच्छे अच्छे आर्टिकल लिखने का सौभग्य प्राप्त हो।मुझे आपके कमेंट का इंतजार रहेगा। धन्यवाद्।
 
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