ट्रैकियोफाइटा क्या है? (हिंदी में जाने) । Tracheophyta in Hindi

हेलो दोस्तों, हमारे ब्लॉक में आपका स्वागत है, आज हम ट्रैकियोफाइटा क्या है? । Tracheophyta in Hindi और टेरिडोफाइटा, अनावृतबीजी, आवृत्तबीजी इन सभी के बारे में भी जानेंगे। तो चलिए शुरू करते है।

ट्रैकियोफाइटा क्या है? । Tracheophyta in Hindi

ट्रैकियोफाइटा प्रभाग में उन पौधों को सम्मिलित किया गया है, जिनमें संवहनी ऊतक पाए जाते हैं। इस प्रभाग के अब तक 2.75 लाख जातियों की खोज की जा चुकी है। इस प्रभाव को पुनः तीन उप प्रभागो में विभाजित किया गया है।

1. टेरिडोफाइटा । Pteridophyta In Hindi
2. अनावृतबीजी । Gymnosperm In Hindi
3. आवृतबीजी । Angiosperm In Hindi



1. टेरिडोफाइटा । Pteridophyta in Hindi

इस उप प्रभाव में अपुष्पोभिद् पादपों को रखा गया है, उप प्रभाव के सदस्यों में जल एवं खनिज लवण संवहन हेतु संवहन ऊतक पाए जाते हैं।

इस उप प्रभाग के पादपों में पाए जाने वाले प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं।
  1. किसी का शरीर जड़ तना एवं पत्ती में विभाजित रहता है।
  2. इनमें संवहन ऊतक जाइलम एवं फ्लोयम में बटा रहता है।
  3. इनमें पुष्प और बीज का निर्माण नहीं होता है।
  4. इनमें मुख्य पौधा बीजाणुबीजाणुद् भिद् होता है, जिसमें प्रायः जड़ तना तथा पत्ते होते हैं।
  5. इनमें भी जान बीजाणुधानीओ मैं उत्पन्न होते हैं।
  6. बीजाणुधानियाँ जिस पति पर उत्पन्न होती हैं उस पत्ते को बीजाणु पृण कहते हैं।
  7. युग्मोभिद् पौधे पर नर जननांग पुधानी तथा मादा जननांग स्प्रीधानी उत्पन्न होते हैं।
  8. जाईगोट में जाईगोस्पोर का निर्माण होता है।
  9. टेरीडोफाइटा को चार उपफाइलम में विभाजित किया गया है।
1. साइलोपिस्डा – जैसे – साईलोटम।
2. लाइकोपिस्डा – जैसे – लाइको पोडियम।
3. स्फिनोपिस्डा – जैसे – इक्वीसेटम।
4. टेरोपिस्डा – जैसे – ड्रायोप्टेसिसया फर्न।

टेरीडोफाइटा का आर्थिक महत्व । Economic Importance of Pteridophytes in Hindi

  1. लाइकोपोडियम के बीजाणु दवाई के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।
  2. मार्सिलिया तथा सिरेटोप्टेरिस जैसे टेरीडोफाइट्स का उपयोग सब्जी के रूप में होता है।
  3. टेरिडियम का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में होता है।
  4. सिलेजिनेला में पुनर्जीवन का गुण पाया जाता है इस कारण इसका उपयोग मेजो पर सजावट हेतु किया जाता है।
  5. इक्विसेटम नामक टेरीडोफाइट्स से सोना प्राप्त किया जाता है।

2. अनावृतबीजी । Gymnosperm in Hindi

अनावृतबीजी बीजीय पौधों का वह सब फाइलम जिसके अंतर्गत वे पौधे आते हैं। जेल में नग्न बीज आते हैं। अर्थात बीजाणु तथा उनसे विकसित बीज किसी खोल या फल में बंद नहीं होते हैं। इनमें अंडाशय का पूर्ण अभाव होता है। यह पुराने पौधों का वर्ग है इस उप प्रभाग में लगभग 900 जातियों को रखा गया है।

अनावृतबीजी के लक्षण । Gymnosperm Symptoms in Hindi

इसके प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं।
  1. इस उप प्रभाग के पौधे बहुवणी्य होते हैं।
  2. ये मरूदभिद् स्वभाव के होते हैं।
  3. इनमें स्पष्ट वार्षिक वलय बनते हैं।
  4. किन के बीजों में बीजावरण नहीं पाया जाता है।
  5. इसमें संवहन ऊतक पाए जाते है।
  6. यह नग्न बीजी तथा आशाखित होते हैं।
  7. इनमें वायु परागण होता है।
  8. इनमें साधारण तथा बहुभु्णता पाई जाती है।
  9. भ्रूण से मूलांकुर तथा प्रांकुर के साथ ही एक या एक से अधिक बीज पत्र बनते हैं।
  10. साइकस के कास्ठ मेनोजाइलिक तथा पाइनस में पिक्नोजाइलिक होती है।
  11. साइकब की कोरेलायड जड़ों से नीली हरित शैवाल एनाबीना तथा नास्टोक पाए जाते हैं जो सहजीवी संबंध प्रदर्शित करते हैं।
  12. सबसे बड़ा अंडाणु तथा शुक्राणु साइकस का होता है जो कि एक जिम्नोस्पर्म है।
  13. इनमें जननांग कोन्स या स्ट्रोविलाई के रूप में समूहित होते हैं ये कोन्स प्रायः एक लिंगी होती हैं नर शंकु माइक्रोस्पोरोफिल या लघु बीजाणु पृण तथा मादा शंकु गुरु बीजाणु परण का निर्माण करते हैं।

अनावृतबीजी का आर्थिक महत्व । Economic Importance of Gymnosperms in Hindi

  1. साइकस के तनो से मंड निकालकर खाने वाला साबूदाना का निर्माण किया जाता है।
  2. साइकस के बीज अंडमान दीप के जनजातियों द्वारा खाए जाते हैं।
  3. पाइनस से प्राप्त होने वाला चिलगोजा भी खाने के काम आता हैं।
  4. चीड़, सिकोया, देवदार, फर, स्प्रूस आदि की लकड़ी महत्वपूर्ण फर्नीचर बनाने के काम आते हैं।
  5. चीड़ के पेड़ से तारपीन का तेल देवदार के पेड़ से सेड्रेस तेल तथा जूनी पेरस की लकड़ी से सेडकास्ठ तेल प्राप्त किया जाता है।
  6. टेनिन का उपयोग चमड़ा एवं स्याही बनाने में होता है।
  7. कुछ शंकु पौधों से रोजिन प्राप्त किया जाता है।
  8. इफेड्रा के रस से इफेट्रीन नामक एलकेलायड प्राप्त किया जाता हैइफेट्रीन का उपयोग दमा तथा खांसी के रोगों में दवा के रूप में होता है।
  9. कोनिफर के मुलायम रेशेदार काष्ठ से लुगदी बनाकर फिर कागज बनाया जाता है।
  10. बहुत से जिम्नोस्पर्म के बगीचों, पार्क तथा घर की छतों पर सुंदरता की दृष्टि से लगाया जाता है।
  11. साइकस की पत्तियों से रस्सी तथा झाड़ू बनाई जाती हैं।

Important Facts about Gymnosperms in Hindi

  1. चिलगोजा को जिम्नोस्पर्म का मेवा कहा जाता है।
  2. साइकन को सागो पाम कहा जाता है।
  3. साइकन ताड़ जैसे मरूदमरूदभिदी पौधा है, जिसमें तना लंबा मोटा तथा आशाखित होता है। इसके सिरो पर अनेक हरी पत्तियां गोलाकार ढंग से एक मुकुट जैसी रचना होती है।
  4. कवक युक्त पाइनस की जड़ को माइको राइजल जड़े कहते हैं।
  5. शैवाल युक्त साइकस की जड़ कोरेलायड जड़ कहते हैं।
  6. सबसे मोटा तना टेक्सोडिएम मेक्सिकेनम नामक जिम्नोस्पर्म का होता है।
  7. सबसे अधिक संख्या में गुणसूत्र ओफियोग्लोसम नामक फर्न में होते हैं।
  8. साइकन को जीवित जीवाश्म कहा जाता है जिम्नोस्पर्म को बाह्य आकृति और आंतरिक संरचना के आधार पर साइकैड़ी तथा कानीफेरी नामक दो समूहों में बांटा गया है।
1. साइकैड़ी – जैसे – साइकस।
2. कानीफेरी – जैसे – पाइनस सीड्स गिंकगो आदि।
3. आवृत्तबीजी । Angiosperms In Hindi


इसे उप प्रभाग के अंतर्गत उन पौधों को सम्मिलित किया गया है। जिनमें बीज सदैव फल के अंदर होते हैं सेशाक झाड़ियां तथा व्रत तीनों प्रकार के होते हैं।

आवृतबीजी के प्रमुख लक्षण । Angiosperms Symtoms in Hindi

आवृतबीजी पौधे के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं।
  1. इनमें प्रजनन अंग पुष्प होता है।
  2. इनमें दोहरा निषेचन दृष्टिगत होता है।
  3. ये मृतोपजीवी, परजीवी, सहजीवी, कीटजीवी तथा स्वपोषी रूप में पाए जाते हैं।
  4. यह सामान्याता स्थलीय पौधे होते हैं।
  5. इसमें संवहन तंत्र अति विकसित होता है।

आवृतबीजी पौधों का वर्गीकरण । Angiosperm Classification in Hindi

आवृतबीजी पौधों को दो भागों में विभाजित किया गया है।

1. एकबीजपत्री । Monocotyledonae

2. द्विबीजपत्री । Dicotyledonae


एकबीजपत्री के प्रमुख लक्षण l Monocotyledonae Symptoms in Hindi

  1. इनके बीजो मे केवल एक बीज पत्र उपस्थित होता हैl
  2. इनकी जड़ें प्राय: अधिक विकसित नहीं होती हैंl
  3. इनके पुष्पों के भाग 3 या उनके गुणांक होते हैंl
  4. इनके संवहन पुल मैं कैंबियम नहीं पाया जाता हैl
एकबीजपत्री के महत्वपूर्ण कुल और पौधे

1. लिलिएसी – लहसुन,प्याज, शतावर, आदिl
2. ग्रेमिनी – गेहूं, मक्का, चावल, गन्ना, ज्वार, बाजरा, जो, दूब, घास, जई आदिl
3. पाल्मी – नारियल, ताल, सुपारी, खरबूजा आदिl
4 म्यूजेसी – केलाl

द्विबीजपत्री के प्रमुख लक्षण l Dicotyledonae symptoms in Hindi

  1. इनके बीजों में दो बीज पत्र पाए जाते हैl
  2. इनका संवहन पुल मैं कैंबियम पाए जाते हैl
  3. इनके पुष्पों के भागों में चार या पांच गुणांक होते हैंl
  4. इनमें द्वितीयक वृद्धि पाई जाती हैl
  5. इनकी पत्तियों में जालिकावत शिरा विन्यास होता हैl
  6. इन में पाए जाने वाले संवहन बंडल वलयाकार रूपों में व्यवस्थित रहता हैl
  7. इनका जड़ तंत्र आदि मूल एवं उसकी शाखाओं के साथ फैला रहता हैl
द्विबीजपत्री के महत्वपूर्ण कुल और पौधे
  1. क्रूसीफेरी- मूली, शलजम, सरसों, फूलगोभी आदिl
  2. मालवेसी- कपास भिंडी गुड़हल आदिl
  3. लेग्यूमिनेसी – कत्था, मटर, मूंगफली, सेम, सोयाबीन, अमलतास, लाजवंती, अशोक ,शीशम ,चना ,मूंग, नील आदिl
  4. कम्पोजिती – सूरजमुखी सलाद जीनिया जंगली भंगरा गुलदाउदी, गेंदा आदिl
  5. रूटेसी – नींबू, संतरा, मुसम्मी आदिl
  6. कुकुर विटेसी – तरबूज, खरबूजा, कदुआ ,परवल आदिl
  7. रोजेसी – सेब, नाशपाती, गुलाब, रसभरी आदिl
  8. मिरटेसी – अमरूद, यूकेलिप्टस, जामुन, मेहंदी आदिl
  9. अम्बेलीफेरी – धनिया, जीरा, लौंग, सौफ गाजर आदिl
  10. सोलेनेसी – आलू, बैंगन, लाल मिर्च ,तंबाकू,टमाटर धतुरा आदिl
  11. रेननकुलेसी – बटरकप, काला जीरा आदिl

Important Facts about Angiosperm in Hindi

  1. आवृत्तबीजी का अर्थ ढका हुआ बीज होता हैl
  2. आवृत्तबीजी पादप जगत का सबसे बड़ा समूह होता हैl
  3. मनुष्य के अधिकांश आवश्यकताओं की पूर्ति आवृतबीजी पौधों से ही होती हैl
  4. आवृत बीजी पौधों में भोजन का संचय या तो भ्रूणपोष या बीज पत्रों में होता हैl
  5. कुकुर बिटेसी को सब्जी कुल कहा जाता हैl
  6. बेलाडोना एक औषधि है जिसका उपयोग सिरदर्द निंद्रा लाने तथा सिहरन रोकने में होता है यह एटोरोपा बेलाडोना नामक पौधे की जड़ से प्राप्त होता हैl
  7. लौंग के तेल का प्रमुख घटक यूरिनल है जो दांत के दर्द को दूर करने में प्रयुक्त होता हैl
तो दोस्तों, आज हमने बताया की ट्रैकियोफाइटा क्या है? । Tracheophyta in Hindi और टेरिडोफाइटा, अनावृतबीजी, आवृत्तबीजी, इन सबके बारे में बताया है आशा करते है की आपको हमारा ये आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा, तो दोस्तों आप अपनी राय कमेंट के माध्य्म से दे सकते है, धन्यवादl
 
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