समास किसे कहते है? (सरल भाषा में) । Samas in Hindi

हेलो दोस्तों, हमारे ब्लॉक में आपका स्वागत है, आज हम समास किसे कहते है? (सरल भाषा में) । Samas in Hindi, समास के भेद और संधि और समास में अंतर के बारे में जानेंगे। तो चलिए शुरू करते है।

समास किसे कहते है? । Samas in Hindi

दो या दो से अधिक शब्द मिलकर एक नया एवं सार्थक शब्द की रचना करते हैं। यह नया शब्द ही समास कहलाता है।

सामाजिक पद को विखंडित करने की क्रिया को विग्रह कहते हैं। जैसे – चौराहा का विग्रह होता है, चार राहो का समूह।

समास के नियमों से बना शब्द सामासिक शब्द कहलाता है।

समास रचना में प्राय 2 पद होते हैं पहले को पूर्व पद और दूसरे को उत्तर प्रद कहते हैं। जैसे – कठपुतली में पूर्व पद कठ है और उत्तर पुतली हैं। समास क्रिया में पदों के बीच की विभक्ति लुप्त हो जाती है। जैसे – काट की पुतली – कठपुतली, घोड़े का सवार – घुड़सवार।


समास के भेद । Samas Distinction in Hindi

समास के भेद । Samas Distinction in Hindi

समास के 6 भेद होते हैं।


1- अव्ययीभाव समास

2- तत्पुरुष समास

3- द्वंद्व समास

4- द्विगु समास

5- कर्मधारय समास

6- बहुव्रीह समास

1- अव्ययीभाव समास

जिस समास में पहला पद अव्यय प्रधान होता है तथा समस्त पद का काम करता है। उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।

पहचान – पहला पद अनु, आ, प्रति, भर, यथा, यावत, हर आदि से प्रारंभ होता है। जैसे – प्रतिदिन, आजन्म, यथासंभव, अनुरूप, प्रतिकूल, आदि।

उदाहरण –

समस्त पदसमास विग्रहपूर्व पद + उत्तर पद
1. अनुकूलकुल के अनुसारअनु+कूल
2. अनुरूपरूप के जैसाअनु+रूप
3. आज जन्मजन्म से लेकरआ+जन्म
4. पल-पलहर पलपल+पल
5. प्रतिकूलइच्छा के विरुध्दप्रति+कूल
6. यथाशक्तिशक्ति के अनुसारयथा+शक्ति
7. भरपेटपेट भर केभर+पेट
8. अनुरूपरूप के योग्यअनु+रूप
9. प्रतिदिनप्रत्येक दिनप्रत्येक+दिन

2. तत्पुरुष समास

इस समाज में दूसरा पद प्रधान होता है तथा विभक्त चिन्हों का लॉक या लुप्त हो जाता है। जिसे तत्पुरुष समास कहते हैं।

जैसे – धर्म ग्रंथ – धर्म का ग्रंथ
रचनाकार – रचना को करने वाला

पहचान – पूर्व पद और उत्तर पद के बीच में ”का” शब्द आता है। जैसे – धर्म ग्रंथ – धर्म का ग्रंथ

तत्पुरुष समास के भेद

तत्पुरुष समास के 6 भेद होते हैं।

A. कर्म तत्पुरुष

इस समास में कर्म कारक की विभक्ति में ”को” शब्द लुप्त या गायब होता है।

उदाहरण

पदसमास विग्रह
1. यश प्राप्तयश को प्राप्त
2. रथ चालकरथ को चलाने वाला
3. जेबकतराजेब को कतरने वाला

B. करण तत्पुरुष

करण तत्पुरुष समास में करण कारक की विभक्ति ”से” ”के द्वारा” लुप्त या गायब हो जाती है।

उदाहरण–

पदसमास विग्रह
1. शौकग्रस्तशौक से ग्रस्त
2. मनचाहामन से चाहा
3. सुररचितसुर द्वारा रचित
4. पददलितपद से दलित
5. करुणापूर्णकरुणा से पूर्ण


C. संप्रदान तत्पुरुष

इस समास में संप्रदान कारक की विभक्ति ”के लिए” गायब हो जाती है।

उदाहरण

पदसमास विग्रह
1. प्रयोगशालाप्रयोग के लिए शाला
2. गौशालागो के लिए शाला
3. परीक्षा भवनपरीक्षा के लिए भवन

D. अपादान तत्पुरुष

इस समास में अपादान कारक की विभक्ति ”से” गायब हो जाती है।

उदाहरण

पदसमास विग्रह
1. देशनिकालादेश से निकाला
2. धनहीनधन से हीन

E. संबंध तत्पुरुष

इस समास में संबंध कारक की विभक्ति ”का” ”के” ”की’‘ लुप्त या गायब हो जाती है।

उदाहरण

पदसमास विग्रह
1. राजाज्ञाराजा की आज्ञा
2. राजकुमारराजा का कुमार
3. ग्रहस्वामीग्रह का स्वामी

F. अधिकरण तत्पुरुष

इस समास में अधिकरण कारक की विभक्ति ”में पर” लुप्त या गायब हो जाती है।

उदाहरण

पदसमास विग्रह
1. पुरुषोत्तमपुरुषों में उत्तम
2. आपबीतीआप पर बीती
3. धरमवीरधर्म में वीर

3. कर्मधारय समास​

जिस समास के दोनों पदों में विशेष्य विशेषण या उपमेय उपमान संबंध हो तथा दोनों पदों में एक ही कारक की विभक्ति आवे, उसे कर्मधारय समास कहते हैं।

पहचान – समास विग्रह करने पर दोनों पद के बीच में ”है, जो” ”के समान” आदि शब्द आते हैं

उदाहरण

पदसमास विग्रह
1. नीलकमलनीला है जो कमल
2. कमलनयनकमल के समान नेत्र
3. परमानंदपरम है जो आनंद
4. महादेवमहान है जो देव
5. चंद्रमुखीचंद्र के समान मुख

कर्मधारय समास

3. द्वंद्व समास

द्वंद्व का शाब्दिक अर्थ है – युग्म या जोड़ा, इस समास में दो पद होते हैं तथा दोनों पदों की प्रधानता होती है। द्वंद्व समास कहते हैं।

पहचान – दोनों पदों के बीच योजक चिन्ह (-) का प्रयोग होता है और विग्रह करने पर ”और” ”अथवा” ”या” ”एवं” आता है।

उदाहरण

पदसमास विग्रह
1. लाभ-हानिलाभ या हानि
2. सुख-दुखसुख और दुख
3. ऊंच-नीचऊंच या नीच
4. राधा-कृष्णराधा और कृष्णा
5. खरा-खोताखरा या खोता

4. द्विगु समास​

इस समास का पहला पद संख्यावाचक होता है और संपूर्ण पद समूह का बोध कराता है जिसे द्विगु समास कहते हैं।

पहचान – इस समास में संख्या आती है जैसे – दो, चार, नौ आदि तथा समूह या समाहार का बोध होता है।

उदाहरण

पदसमास विग्रह
1. नवरत्ननौ रत्नों का समूह
2. पंचतत्वपांच तत्वों का समूह
3. दोपहरदो पहरों का समूह
4. त्रिकोणतीन कोणों का समाहार
5. चौराहाचार राहों का समूह

6. बहुव्रीहि समास

अन्य पद प्रधान समास ही बहुव्रीह समास कहलाता है इसमें दोनों पद किसी अन्य अर्थ को दर्शाते हैं और वे किसी अन्य संज्ञा के विशेषण की भांति कार्य करते हैं जिसे बहुव्रीह समास कहते हैं।

जिस समस्त पद में कोई पद प्रधान नहीं होता अर्थात दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं।

पहचान – इस समास में समास विग्रह करने पर ”है”, ”जो” ”अर्थात” ”जिसका” आदि का बोध होता हो

उदाहरण

पदसमास विग्रह
1. घनश्यामघन के समान श्याम है जो
2. विषधरविष को धारण करने वाला
3. त्रिलोचनतीन है लोचन जिसके
4. पीताम्बरपित है अम्बर जिसका
5. चतुर्भुजचार है भुजाये जिसकी
6. महावीरमहान वीर है जो
7. चक्रपाणिचक्र है पाणी में जिसके
8. दशाननदस है आनन जिसके


संधि और समास में अंतर​

अर्थ की दृष्टि से दोनों शब्द समान है अर्थात दोनों का अर्थ मेल ही होता है लेकिन दोनों में कुछ भिनत्तायें है –

अन्तर 1. – सन्धि वर्णों का मेल होता है और समास शब्दों का मेल होता है

अन्तर 2. – संधि में वर्णों के योग से वर्ण परिवर्तन होता है जबकि समास में वर्ण परिवर्तन नहीं होता है

अन्तर 3. – समास में बहुत से पदों के बीच में कारक चिन्ह का लॉप होता है
जैसे –

विद्या + आलय = विद्यालय – संधि
राजा का पुत्र = राजपूत – समाज

अन्तर 4. – संधि को तोड़ने की क्रिया संधि विच्छेद कहलाती है जबकि समाज के पदों को अलग करने की क्रिया समास विग्रह कहलाती है

दोस्तों आज हमने आपको समास किसे कहते है? (सरल भाषा में) । Samas in Hindi, समास के भेद और संधि और समास में अंतर के बारे मे बताया, आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा और आपको इससे बहुत कुछ सिखने को भी मिला होगा। तो दोस्तों मुझे अपनी राय कमेंट करके बताया ताकि मुझे और अच्छे अच्छे आर्टिकल लिखने का अवसर प्राप्त हो।मुझे आपके कमेंट का इंतजार रहेगा। धन्यवाद्।
 
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