हेलो दोस्तों, हमारे इस Blog में आपका स्वागत है, हमारे इस ब्लॉग में आज हम आपको कवक क्या है?, Kavak Kya hai in hindi, प्राप्ति स्थान, कवक में पोषण की विधि, Kavak me Poshan ki Vidhi, कवक के प्रकार, Kavak ke Prakar, कवक का आर्थिक महत्व (Kavak ka Arthik Mahatva), लाइकेन किसे कहते है? (Lichen Kise Kahate Hain), लाइकेन के प्रकार, Laikan Ke Prakar, लाइकेन का आर्थिक महत्व (Laiken ka Arthik Mahatva), इन सबके बारे में बताएंगे, तो चलिए दोस्तों शुरू करते है
प्राप्ति स्थान – कवक संसार में उन सभी भागों में पाए जाते हैं यहां जीवित अथवा मृत कार्बनिक पदार्थ पाए जाते हैं गोबर पर उगने वाले कवक को कोप्रोफिलस कवक कहते हैं, नाखूनों तथा बालों में उगने वाले कवको को किरेटिनोफिलिक कहते है
सहजीवी (Symbiotic) – यह कवक दूसरे पौधों के साथ-साथ उगते है तथा एक दूसरे को लाभ पहुचाते हैं जैसे लाइकेन
परजीवी (Parasite) – यह कवक अपना भोजन जंतुओं एवं पौधों के जीवित ऊतकों से प्राप्त करते हैं, इस प्रकार के कवक सदैव हानिकारक होते हैं, जैसे पाक्सिनिया, अस्टिलेगो आदि
मृतोपजीवी (Saprophytic) – इस प्रकार के कवक अपना भोजन सदैव सड़े-गले कार्बनिक पदार्थो से प्राप्त करते है जैसे राइजोपस, पेनिसिलियम, मोर्चेल्ला आदि
2. एगेरिकस छत्रक, गुच्छी आदि कवको का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है!
3. एस्पर्जिलस, पेनिसिलियम जैसे कवको का उपयोग पनीर उद्योग में होता है!
4. यीस्ट का उपयोग अल्कोहल उद्योग में होता है!
5. कुछ यीस्ट जैसे सेकेरोमाइसिजिस सेरवीसी का उपयोग बेकरी उद्योग में डबल रोटी बनाने में होता है!
6. कवको से कई प्रकार के अम्लों का निर्माण किया जाता है ! जैसे – अस्पर्जिलस
7 . कवको से कई प्रकार के एंजाइम प्राप्त किए जाते हैं एस्परजिलस ओरजी से एमाइलेज और यीस्ट से इन्वेर्टेज प्राप्त किए जाते हैं
8. कवको से कई प्रकार के विटामिनो का संस्लेषण किया जाता है
9. कवको से कई प्रकार के एंटीबायोटिक का निर्माण किया जाता है!
10. कुछ कवक कीड़े मकोड़ो द्वारा रोग फैलाने में नियत्रण के काम में आते है !
2. दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाले कई प्रकार की वस्तुओं जैसे – कपड़ा, चमड़े, कागज, लकड़ी आदि को कवक नष्ट कर देते हैं
3. कुछ मशरूम जहरीले होते हैं जो देखने में सामान्य प्रतीत होते हैं किंतु धोखे से खाए जाने पर मृत्यु हो जाती है जैसे – अमीनेटा, फेलोरेडिस आदि
4. पौधों में होने वाले कई प्रकार के रोगों के लिए कवक मुख्य रूप से उत्तरदाई होते हैं सरसों का सफेद किट्ट रोग, मूंगफली का टिक्का रोग आदि पादप रोग विभिन्न प्रकार के कवको द्वारा होते हैं
5. कवक जंतुओं में भी कई प्रकार के रोग उत्पन्न कर देते हैं!
1. क्रस्टोस – इसमें थैलस चपटा तथा आधार लम्बा होता है!
2. फोलिओज़ – इसमें थैलस में शाखित पत्तियों के समान अतिवृद्धिया होती है
3. फ्रुटीकोज – इसमें थैलस काफी विकसित तथा जनन अंग उपस्थित होता है
1. कायिक 2. लैंगिग 3.अलैंगिक
लाइकेन वायु पर्दूषण के संकेतक होते है जहां वायु पर्दूषण अधिक होता है वहाँ पर लाइकेन नहीं उगते है !
2. कई लाइकेन खाद्य पदार्थ के रूप में प्रयोग किये जाते है
3. आर्चिल, लेकेनोरा जैसे – लाइकेन से नीला रंग प्राप्त किया जाता है
4. प्रयोगशाला में प्रयुक्त होने वाली लिटमस पेपर रोसेला नामक लाइकेन से प्राप्त किया जाता है
5. लोबेरिया, एरबेनिया, रेमेनिलाआदि लाइकेन का उपयोग इत्र बनाने में किया जाता है
6. परमेलिया सेक्सटिलिस का उपयोग मिरगी रोग की औसधि बनाने में होता है
7. असनिया नामक लाइकेन से प्रति-जैविक असनिक एसिड प्राप्त किया जाता है
दोस्तों, आज हमने आपको कवक क्या है?, Kavak Kya hai in hindi, प्राप्ति स्थान, कवक में पोषण की विधि, Kavak me Poshan ki Vidhi, कवक के प्रकार, Kavak ke Prakar, कवक का आर्थिक महत्व (Kavak ka Arthik Mahatva), लाइकेन किसे कहते है? (Lichen Kise Kahate Hain), लाइकेन के प्रकार, Laikan Ke Prakar, लाइकेन का आर्थिक महत्व (Laiken ka Arthik Mahatva) के बारे में बताया,आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा और आपको इससे बहुत कुछ सिखने को भी मिला होगा ! तो दोस्तों मुझे अपनी राय कमेंट करके बताया ताकि मुझे और अच्छे अच्छे आर्टिकल लिखने का सौभग्य प्राप्त हो !मुझे आपके कमेंट का इंतजार रहेगा ! धन्यवाद् !
कवक क्या है?, (Kavak Kya hai in hindi)
कवक हरितलवक रहित, संकेन्द्रिय, संवहन उत्तक रहित थैलोफाइटा है! कवक का अध्ययन माइकोलॉजी कहलाता है, पर्णरहित विहीन होने के कारण कवक अपना भोजन स्वयं नहीं बना पाते है अतः ये विविध पोषी होते हैं इसमें संचित भोजन ग्लाइकोजेन के रूप में रहता है, इनकी कोशिका भित्ति काइटिन की बनी होती है !प्राप्ति स्थान – कवक संसार में उन सभी भागों में पाए जाते हैं यहां जीवित अथवा मृत कार्बनिक पदार्थ पाए जाते हैं गोबर पर उगने वाले कवक को कोप्रोफिलस कवक कहते हैं, नाखूनों तथा बालों में उगने वाले कवको को किरेटिनोफिलिक कहते है
कवक में पोषण की विधि, Kavak me Poshan ki Vidhi
कवक के प्रकार, Kavak ke Prakar
पोषण के आधार पर तीन प्रकार के होते हैंसहजीवी (Symbiotic) – यह कवक दूसरे पौधों के साथ-साथ उगते है तथा एक दूसरे को लाभ पहुचाते हैं जैसे लाइकेन
परजीवी (Parasite) – यह कवक अपना भोजन जंतुओं एवं पौधों के जीवित ऊतकों से प्राप्त करते हैं, इस प्रकार के कवक सदैव हानिकारक होते हैं, जैसे पाक्सिनिया, अस्टिलेगो आदि
मृतोपजीवी (Saprophytic) – इस प्रकार के कवक अपना भोजन सदैव सड़े-गले कार्बनिक पदार्थो से प्राप्त करते है जैसे राइजोपस, पेनिसिलियम, मोर्चेल्ला आदि
कवक का आर्थिक महत्व (Kavak ka Arthik Mahatva)
लाभदायक क्रियाएँ (Profitable Actions)
1. कार्बनिक पदार्थों का नाश करना कवको का मुख्य लक्षण है! यह जंतु एवं पौधों के अवशेषों को विघटित कर देते हैं!2. एगेरिकस छत्रक, गुच्छी आदि कवको का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है!
3. एस्पर्जिलस, पेनिसिलियम जैसे कवको का उपयोग पनीर उद्योग में होता है!
4. यीस्ट का उपयोग अल्कोहल उद्योग में होता है!
5. कुछ यीस्ट जैसे सेकेरोमाइसिजिस सेरवीसी का उपयोग बेकरी उद्योग में डबल रोटी बनाने में होता है!
6. कवको से कई प्रकार के अम्लों का निर्माण किया जाता है ! जैसे – अस्पर्जिलस
7 . कवको से कई प्रकार के एंजाइम प्राप्त किए जाते हैं एस्परजिलस ओरजी से एमाइलेज और यीस्ट से इन्वेर्टेज प्राप्त किए जाते हैं
8. कवको से कई प्रकार के विटामिनो का संस्लेषण किया जाता है
9. कवको से कई प्रकार के एंटीबायोटिक का निर्माण किया जाता है!
10. कुछ कवक कीड़े मकोड़ो द्वारा रोग फैलाने में नियत्रण के काम में आते है !
हानिकारक क्रियाएं (Harmful Actions)
1. राइजोपस, पेनिसिलियम आदि के कई जातियां भोजन को नष्ट कर देती है2. दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाले कई प्रकार की वस्तुओं जैसे – कपड़ा, चमड़े, कागज, लकड़ी आदि को कवक नष्ट कर देते हैं
3. कुछ मशरूम जहरीले होते हैं जो देखने में सामान्य प्रतीत होते हैं किंतु धोखे से खाए जाने पर मृत्यु हो जाती है जैसे – अमीनेटा, फेलोरेडिस आदि
4. पौधों में होने वाले कई प्रकार के रोगों के लिए कवक मुख्य रूप से उत्तरदाई होते हैं सरसों का सफेद किट्ट रोग, मूंगफली का टिक्का रोग आदि पादप रोग विभिन्न प्रकार के कवको द्वारा होते हैं
5. कवक जंतुओं में भी कई प्रकार के रोग उत्पन्न कर देते हैं!
लाइकेन किसे कहते है? (Lichen Kise Kahate Hain)
लाइकेन थैलोफाइटा प्रकार की वनस्पति है जो कवक तथा शैवाल दोनों से मिलकर बनती है इसमें कवक तथा शैवालों का संबंध परस्पर सहजीवी जैसा होता है कवक, जल, खनिज-लवण, विटामिन्स आदि शैवालों को देता है और शैवाल प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा कार्बोहाइड्रेट का निर्माण कर कवक को देता है कवक तथा शैवाल के बीच इस तरह कै सहजीवी संबंध को हेलोटिज्म कहते हैंलाइकेन के प्रकार, Laikan Ke Prakar
आकार एवं संरचना के आधार पर लाइकेन को 3 वर्गों में विभाजित किया गया है1. क्रस्टोस – इसमें थैलस चपटा तथा आधार लम्बा होता है!
2. फोलिओज़ – इसमें थैलस में शाखित पत्तियों के समान अतिवृद्धिया होती है
3. फ्रुटीकोज – इसमें थैलस काफी विकसित तथा जनन अंग उपस्थित होता है
प्रजनन (Reproduction)
लाइकेन में 3 प्रकार से प्रजनन होता है1. कायिक 2. लैंगिग 3.अलैंगिक
लाइकेन वायु पर्दूषण के संकेतक होते है जहां वायु पर्दूषण अधिक होता है वहाँ पर लाइकेन नहीं उगते है !
लाइकेन का आर्थिक महत्व (Laiken ka Arthik Mahatva)
1. लाइकेन मृदा निर्माण की प्रक्रिया में सहायक होते है2. कई लाइकेन खाद्य पदार्थ के रूप में प्रयोग किये जाते है
3. आर्चिल, लेकेनोरा जैसे – लाइकेन से नीला रंग प्राप्त किया जाता है
4. प्रयोगशाला में प्रयुक्त होने वाली लिटमस पेपर रोसेला नामक लाइकेन से प्राप्त किया जाता है
5. लोबेरिया, एरबेनिया, रेमेनिलाआदि लाइकेन का उपयोग इत्र बनाने में किया जाता है
6. परमेलिया सेक्सटिलिस का उपयोग मिरगी रोग की औसधि बनाने में होता है
7. असनिया नामक लाइकेन से प्रति-जैविक असनिक एसिड प्राप्त किया जाता है
दोस्तों, आज हमने आपको कवक क्या है?, Kavak Kya hai in hindi, प्राप्ति स्थान, कवक में पोषण की विधि, Kavak me Poshan ki Vidhi, कवक के प्रकार, Kavak ke Prakar, कवक का आर्थिक महत्व (Kavak ka Arthik Mahatva), लाइकेन किसे कहते है? (Lichen Kise Kahate Hain), लाइकेन के प्रकार, Laikan Ke Prakar, लाइकेन का आर्थिक महत्व (Laiken ka Arthik Mahatva) के बारे में बताया,आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा और आपको इससे बहुत कुछ सिखने को भी मिला होगा ! तो दोस्तों मुझे अपनी राय कमेंट करके बताया ताकि मुझे और अच्छे अच्छे आर्टिकल लिखने का सौभग्य प्राप्त हो !मुझे आपके कमेंट का इंतजार रहेगा ! धन्यवाद् !