मनुष्य में पाचन क्रिया (हिंदी में समझिये) । Digestion Process in Hindi

हेलो दोस्तों, हमारे इस ब्लॉक में आपका स्वागत है, आज हम जानेंगे मनुष्य में पाचन क्रिया (हिंदी में समझिये) । Digestion Process in Hindi के बारे में जानेंगे ।

मनुष्य में पाचन क्रिया । Digestion Process in Hindi

मनुष्य में भोजन का पाचन मुख्य से प्रारंभ हो जाता है। यह छोटी आंत तक जारी रहता है भोजन के मुख्य में अंतग्रहण के बाद उसके दांतो के द्वारा अच्छी तरह पीसा एवं चबायाया जाता है जिससे वह महीन कणों में विभक्त हो जाता है। मुख में स्थित लार ग्रंथियां द्वारा श्रमिक लार से दांतों द्वारा पीसा भोजन अच्छी तरह मिल जाता है। लार में दो एंजाइम टायलिन एवं लाइसोजाइम पाए जाते हैं इनमें से टायलिन भोजन में उपस्थित मंड को माल्टोज शर्करा में अपघटित करता है।

फिर माल्टेज नामक एंजाइम माल्टोज शर्करा को ग्लूकोज में परिवर्तित कर देता है। लाइसोजाइम नामक एंजाइम भोजन में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने का काम करता है। इसके अतिरिक्त लार में उपस्थित शेष पदार्थ बफर का कार्य करते हैं अब यह भोजन जीभ द्वारा उपस्थित में ठेल दिया जाता है जहां से अमाशय में पहुंच जाता है। अमाशय के भोजन के पहुंचने पर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल भोजन से मिलकर टाइलिन को निष्क्रिय कर देता है साथ ही साथ यह भोजन को अम्लीय बना देता है इसके अतिरिक्त हाइड्रोक्लोरिक अम्ल भोजन में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को भी नष्ट कर देता है। आमाशय में पहुंचा भजन भोजन जठर रस में मिलकर लुगदी के रूप में परिवर्तित हो जाता है। जठर रस में पेप्सिन रेनिन तथा म्यूसिन नामक एंजाइम उपस्थित होते हैं।


पेप्सिन भोजन में उपस्थित प्रोटीन को पहले प्रोटियोजेज तथा फिर पेप्टोन में परिवर्तित करता है रेनिन दूध में घुलनशील प्रोटीन केसीन को कैल्शियम पैराकैसिनेट मैं बदलकर दूध को दही में परिवर्तित करता है। म्यूसीन जठर रस के अम्लीय प्रभाव को कम करता है यह भोजन को चिकना बनाने का काम करता है तथा श्लेष्मा झिल्ली पर एक रक्षात्मक आवरण बनाता है जिससे पाचक एंजाइमों का प्रभाव आहारनाल पर नहीं पड़ता है। आमाशय में इसके पश्चात भोजन काइम कहलाता है आमाशय में काइम ग्रहणी में पहुंचता है यहां से सबसे पहले यकृत से स्रावित पित्त रस मिलता है।

पित्त रस में किसी भी प्रकार का एंजाइम नहीं पाया जाता है यह क्षारीय होता है तथा काइम की प्रकृति को भी अम्लीय क्षारीय बना देता है। यह काइम की चर्बी को जल के साथ मिलाकर इमल्शन बनाने में मदद करता है यह अग्न्याशय में स्रावित अग्न्याशय रस भी आकार काइम में मिलते है अग्न्याशय रस ट्रिप्सिन लाइपेज एमाइलेज तथा माल्टेज नामक एंजाइम होते हैं। प्रोटीन एवं उनको पालीपेप्टाइड्स एवं एमीनो अम्ल में परिवर्तित करता है एमाइलेज मंड को घुलनशील शर्करा में परिवर्तित करता है। इन एंजाइमों की क्रिया काइम पर होने के फलस्वरूप काइम काफी तरल हो जाता है और अब यह इलियम में पहुंचता है यहां आंत्र रस की क्रिया काइम पर होती है। आंत्र रस क्षारीय होता है एक स्वस्थ मनुष्य में प्रतिदिन लगभग 2 लीटर आंत्र रस में स्रावित में होता है।

आंत्र रस मैं निम्नलिखित प्रकार के अन्य उपस्थित होते हैं।

1. इरेप्सिन

  • यह शेष प्रोटीन एवं पेप्टोन को ऐमीनो अम्ल में परिवर्तित करता है।
2. माल्टेज
  • यह माल्टेज को ब्लू को शर्करा में परिवर्तित करता है।
3. लेक्टेस
  • यह लैक्टोज़ को ग्लूकोस एवं ग्लेक्टोस में परिवर्तित करता है।
4. लाइपेज

यह इमल्शीकृत वासाओ को ग्लिसरीन एवं फैटी एसिड्स में परिवर्तित करता है।

अवशोषण । Absorption of Food in Hindi

छोटी आंत का भोजन का पूर्ण पाचन हो जाता है। अर्थात भोज्य पदार्थ यहां इस रूप में परिवर्तित हो जाता है कि आहारनाल की दीवारों से अवशोषित कर सकें काइम के अवशोषण की मुख्य क्रिया छोटी आंत में ही होती है। छोटी आंत में स्थित रसाकुर की कोशिकाएं अवशोषित योग्य तरल कायम को अवशोषित करने के पश्चात रुधिर एवं लसीका में पहुंचा देते हैं। इस प्रकार पचे हुए काइम को ग्लूकोस तथा एमीनो अम्ल रुधिर कोशिकाओं में अवशोषित होकर रुधिर मिश्रित हो जाती है लेकिन वसा अम्ल एवं ग्लिसरीन लसीका में अवशोषित होते हैं। इसके बाद ये पदार्थ रुधिर भ्रमण द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंच जाते हैं।

बिना पचा काइम छोटी आंत से बड़ी आंत में पहुंच जाता है। बड़ी आंत काइम से जल को अवशोषित कर लेती है। शेष काइम मल के रूप में मलाशय में एकत्रित होकर गुदा द्वारा बाहर निकल दिया जाता है।
 
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