हेलो दोस्तों, हमारे इस Blog में आपका स्वागत है, हमारे इस ब्लॉग में आज हम आपको मनुष्य का श्वसन तंत्र । Human Respiratory System In Hindi के बारे में बताएंगे और इसके साथ-साथ मनुष्य के श्वसन तंत्र के अंग के बारे में भी बताएंगे। तो चलिए दोस्तों सुरु करते है।
वक्षीयगुहा के पसलियों के संकुचन एवं शिथिलन से वक्षीयगुहा का आयतन बढ़ता एवं घटता है जिसके कारण वायु फेफड़े के अंदर प्रवेश करती है और बाहर निकलती हैं।
1 – वाह्य अन्तरापर्शुक पेशी।
2 – अन्त:अन्तरापर्शुक पेशी।
दोस्तों आज हमने आपको मनुष्य का श्वसन तंत्र । Human Respiratory System In Hindi के बारे में और इसके साथ-साथ मनुष्य के श्वसन तंत्र के अंग के बारे मे बताया, आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा और आपको इससे बहुत कुछ सिखने को भी मिला होगा। तो दोस्तों मुझे अपनी राय कमेंट करके बताया ताकि मुझे और अच्छे अच्छे आर्टिकल लिखने का सौभग्य प्राप्त हो।मुझे आपके कमेंट का इंतजार रहेगा। धन्यवाद्।
मनुष्य में श्वसन तंत्र को समझाइए? । Human Respiratory System In Hindi
मनुष्य का श्वसन तंत्र कई अंगों से मिलकर बना है, अंगों में सबसे महत्वपूर्ण अंग फेफड़ा या फुफ्फुस होता है, जहां पर गैसों का विनिमय होता है। इस कारण इसे फुफ्फुसीय श्वसन भी कहा जाता है। मनुष्य के श्वसन तंत्र के अंतर्गत वे सभी अंग आते हैं, जिनसे होकर वायु का आदान-प्रदान होता है। मनुष्य में नासिका छिद्र स्वरयंत्र श्वासनली तथा फेफड़ा मिलकर श्वसन अंग कहलाते हैं।मनुष्य के श्वसन तंत्र के अंग । Respiratory System Parts in Hindi
1. नासिका । Nostrils In Hindi
मनुष्य में नासिक का मुख द्वार के ठीक ऊपर स्थित होता है, इसमें दो लगभग गोलाकार वाह्य नासिका छिद्र होते हैं, जो अंदर की ओर दो अलग-अलग नासिका वेश्मो में खुलते हैं। दो नासिका वेश्म एक ऊंची लंबवत अस्ति की बनी नाशा पट्टिका के द्वारा एक दूसरे से अलग होते हैं। नासिका वेश्म में छोटा अग्रभाग जिसमें वाह्य नासिका छिद्र खुलता है। प्रघ्राण या प्रकोष्ठ कहलाता है इस भाग में समान सामान्य रोम युक्त त्वचा का स्तर होता है। प्रघ्राण के पीछे नासा वेश्म का छोटा ऊपरी भाग घ्राणक्षेत्र तथा मध्य और निचला भाग श्वसन क्षेत्र कहलाता है। मनुष्य में घ्राण क्षेत्र अत्यंत छोटा होता है जिसके कारण मनुष्य में सूंघने की क्षमता कुछ निम्न स्तनधारियों की तुलना में कम होती है। नासिका वेश्म की दीवार टेढ़ी-मेढ़ी घुमावदार प्लेट की तरह होती है जिसे कांची कहते हैं। नासिका वेश्मो में महीनम्यूकस मेंम्ब्रेन का स्तर होता है जो म्यूकस का स्राव करते हैं। श्वसन क्षेत्र में स्थित श्वसन के नीचे महीन रक्त कोशिकाओं का जाल फैला रहता है। नासिका वेश्म अंदर की ओर ग्रसनी में कंठद्वार के समीप खुलता है। ग्रसनी कंठद्वार के ठीक नीचे एक छोटी रचना स्वरयंत्र में खुलती है ।2. स्वरयंत्र । Larynx In Hindi
श्वसन मार्ग का वा भाग जो ग्रसनी को श्वासनली से जोड़ता है कंठ या स्वरयंत्र कहलाता है। इसका मुख्य कार्य ध्वनि का उत्पादन करना है ध्वनि उत्पादन के अतिरिक्त यह खांसने में निगलने श्वासोच्छवास तथा श्वसन मार्ग के सुरक्षा करने में सहायक होता है। स्वरयंत्र के प्रवेश द्वार पर एक पतला एवं पत्ती के समान कपाट होता है जिसे एपिग्लोटिस कहते हैं। जब कुछ अंदर निगलना होता है तो एपिग्लोटिस द्वार बंद कर लेता है जिससे भोजन श्वासनली में प्रवेश नहीं कर पाता है। यह क्रिया स्वत: संपन्न होती है ।3. श्वासनली । Trachea In Hindi
स्वरयंत्र श्वासनली या ट्रेकिया से जुड़ा होता है दूसरे शब्दों में स्वरयंत्र पीछे की ओर श्वासनली या ट्रेकिया में खुलता है। श्वासनली लगभग 11 cm लंबी नली है जिसका व्यास 16 mm का होता है। श्वासनली की पतली दीवार को मजबूती प्रदान करने के लिए बहुत से उपास्थि के बने अपूर्ण वलय क्रम से इसकी सम्पूर्ण लम्बाई में सजे होते हैं। ये वलय श्वासनली से वायु के बाहर निकलते समय उसे पिचकने से रोकते हैं श्वासनली नीचे की ओर वक्षगुहा में पहुंचती है जहां यह विभाजित होकर दो श्वासनियो मैं बंट जाती है। श्वासनियो मैं भी श्वास नली की तरह उपास्थीय वलय होते हैं। प्रत्येक श्वसनी फेफड़े में प्रवेश कर तुरंत श्वसनिकाओ में विभाजित हो जाती है। नासिका से श्वसनिकाओ तक श्वसनतंत्र का संपूर्ण आंतरिक भाग पक्ष्माभिकामय एपिथीलियम का बना होता है। फेफड़े के अंदर प्रत्येक श्वसनिका पुनः पतली शाखाओं में विभाजित हो जाती है जिन्हें वायुकोष्ठिका वाहिनियां कहते हैं। ये वाहिनियां अनेक छोटे-छोटे वायुकोष में खुलती हैं इस प्रकार मनुष्य के फेफड़ों में श्वसन गैसों के आदान-प्रदान के लिए लगभग 400 से 800 वर्ग फीट सतह उपलब्ध होती है।4. फेफड़ा । Lungs In Hindi
मनुष्य के वक्षगुहा मैं एक जोड़ी शंक्वाकार फेफड़े होते हैं मनुष्य का फेफड़ा स्पंजी गुलाबी थैलीनुमा रचना है जो हृदय के इधर उधर प्लूरल गुहाओं में स्थित होता है। प्लूरल गुहा के चारों और प्लूरल मेम्ब्रेन का पतला आवरण होता है जिसे पैराइटल प्लूरा कहते हैं। फेफड़ा और प्लूरा के मध्य म्यूकस जैसा चिकना तरल पदार्थ पाया जाता है जो फेफड़े के फेलने और फिर वास्तविक रूप मैं लौटने से होने वाले घर्षण को कम करता है। मनुष्य के प्रत्येक फेफड़े में लगभग 300 करोड़ वायुकोष या एल्विओलाई होते हैं। दायां फेफड़ा थोड़ा लंबा एवं बायां फेफड़ा थोड़ा छोटा होता है। दायां फेफड़ा तीन पोलियो एवं बायां फेफड़ा दो पोलियो का बना होता है। प्लूरल मेम्ब्रेन फेफड़ों की सुरक्षा करते हैं फेफड़े कुंचनशील होते हैं और यदि हम श्वासनली में फूंक मारे तो फेफड़े गुब्बारे की भांति फैल जाते हैं।वक्षीयगुहा के पसलियों के संकुचन एवं शिथिलन से वक्षीयगुहा का आयतन बढ़ता एवं घटता है जिसके कारण वायु फेफड़े के अंदर प्रवेश करती है और बाहर निकलती हैं।
5. डायफ्राम । Diaphragm In Hindi
वक्षीयगुहा का निचला फर्श एक पतले पट द्वारा बंद रहता है जिसे डायफ्राम कहते हैं यह वक्ष एवं उदर के बीच गुम्बद के समान पेशीय सेप्टम है यह देहगुहा के दो भागों में बांटती है। अग्र वक्ष गुहा एवं पश्च उदर गुहा। यह वक्षगुहा की तरफ उठा रहता है उच्छवास के समय डायफ्राम संकुचित चपटा हो जाता है।6. पसलियां तथा पर्शुक पेशियां । Ribs and Hamstrings in Hindi
स्तनधारियों मे वक्षीगुहा एक बंद बक्से के समान गुहा होता है जो वक्ष और कशेरुक दंड अधरतल पर स्टर्नम और पसलियों से पश्च और डायफ्राम अग्र और गर्दन में घिरी होती है पास पास की पसलियों के बीच दो प्रकार की पेशियां पाई जाती है।1 – वाह्य अन्तरापर्शुक पेशी।
2 – अन्त:अन्तरापर्शुक पेशी।
दोस्तों आज हमने आपको मनुष्य का श्वसन तंत्र । Human Respiratory System In Hindi के बारे में और इसके साथ-साथ मनुष्य के श्वसन तंत्र के अंग के बारे मे बताया, आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा और आपको इससे बहुत कुछ सिखने को भी मिला होगा। तो दोस्तों मुझे अपनी राय कमेंट करके बताया ताकि मुझे और अच्छे अच्छे आर्टिकल लिखने का सौभग्य प्राप्त हो।मुझे आपके कमेंट का इंतजार रहेगा। धन्यवाद्।
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