हेलो दोस्तों, हमारे इस ब्लॉग में आपका स्वागत है। हमारे इस ब्लॉग में आपको मराठो का इतिहास । Maratha Empire in Hindi के साथ – साथ शिवाजी की विजयें और शिवाजी के उत्तराधिकारी आदि के बारे में बताएंगे, तो दोस्तों एक एक करके इन सबके बारे में जानते है।
मराठो के इतिहास । Maratha Empire in Hindi से जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य
अफजल खां की शक्ति को कुचल कर छत्रपति शिवाजी ने पन्हाला के दक्षिण के प्रदेश पर अधिकार जमा लिया। इसके बाद बीजापुर के नवाब ने शिवाजी की शक्ति को कुचलने के लिए अनेक बार सेना भेजी तथा अंतिम बार स्वयं सेना का नेतृत्व किया और एक युद्ध लड़ा।
शिवाजी और उनका पुत्र संभाजी मई, 1666 ई. में आगराके लिए प्रस्थान किया, किन्तु मुगल सम्राट से जिस स्वागत की उन्हें अपेक्षा थी, वह उनको नहीं मिली। और उन्हें बंदी बना लिया गया, लेकिन शिवाजी ने धैर्य और साहस नहीं छोड़ा। और वह आगरा से भाग निकले। 1670 ई. में शिवाजी ने दूसरी बार सूरत में भारी लूट-पाटकरना प्रारम्भ कर दिया। 1672 ई. में मराठों ने सूरत से चौथ वसूलने लगे और 1674 ई. तक मराठों ने दक्षिण में मुगलों की सत्ता को समाप्त कर ही दिया और 1674 ई. में शिवाजी ने रायगढ़ में रीति रिवाजो के अनुसार अपना राज्याभिषेक करवाया और उन्हें पुरे महाराष्ट्र का एकमात्र छत्राधिपति घोषित किया गया। इसी समय एक नया संवत् भी प्रारम्भ हुआ। 1680 ई. तक शिवाजी ने जिंजी, वेलूर और अन्य महत्त्वपूर्ण किलों पर भी अधिकार करना प्रारम्भ कर दिया। और फिर 1680 ई. में छत्रपति शिवाजी की मृत्यु हो गई।
मराठो के इतिहास । Maratha Empire in Hindi से जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य
मराठो का इतिहास । Maratha Empire in Hindi
छत्रपति शिवाजी (Chhatrapati Shivaji History in Hindi)
मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी का जन्म 20 अप्रैल, 1627 को शिवनेर के दुर्ग में हुआ। इनके पिता का नाम शाहजी भोंसले तथा माता का नाम जीजाबाई था। शाहजी भोंसले का अहमदनगर और बीजापुर से राजनीतिक संघर्ष में महत्त्वपूर्ण स्थान था। जीजाबाई देवगिरि के महान् जागीरदार यादवरावजी की पुत्री थी। स्वभाव एवं व्यवहार से वह बड़ी ही धार्मिक थी। अपने पुत्र शिवाजी के चरित्र निर्माण में उनका बड़ा ही महत्त्वपूर्ण योगदान था। वह अपने पुत्र को बाल्यकाल से ही रामायण, महाभारत तथा अन्य प्राचीन काल के हिन्दू वीरों की कथा और कहानियां के बारे में बताया करती थी। माता जीजाबाई ने अपने जीवन और शिक्षा द्वारा अपने पुत्र शिवाजी को हिन्दुओं की तीन परम पवित्र वस्तुओं यथा – ब्राह्मण, गाय और नारी जाति की रक्षा के लिए प्रेरित एवं उत्साहित किया।मराठो के इतिहास । Maratha Empire in Hindi से जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य
- शिवाजी का पहला आक्रमण 1643 ई. में बीजापुर के सिंहगढ़ किले पर हुआ और उन्होंने किले पर कब्ज़ा कर लिया।
- अफजल खां से शिवाजी की प्रथम भेंट प्रतापगढ़ के पास ‘पार’ नामक स्थान पर हुई और वहां पर 2 नवम्बर, 1659 ई. में शिवाजी ने उसकी हत्या कर दी।
- शिवाजी ने ही कोंडाना किले का नाम सिंहगढ़ रखा था।
शिवाजी की विजयें । Victories of Shivaji in Hindi
शिवाजी की विजय और प्रगति 19 वर्ष की आयु से ही आरंभ हो गयी। 1646 ई. में उन्होंने बीजापुर रियासत में फैली अव्यवस्था का लाभ उठाकर तोरण किले पर अधिकार कर लिया। इसके बाद शिवाजी ने रायगढ़ के किले को जीतकर उसका उद्दार किया। उन्होंने ने ही अपने चाचाजी से संभाजी मोहते से सूपा का किला को जीता। दादाजी कोण्डदेव की मृत्यु के बाद शिवाजी ने अपने पिता की सारी जागीर पर अधिकार कर लिया।बीजापुर से संघर्ष (1659-1662 ई.)
बीजापुर का प्रमुक शत्रु शिवाजी था। अतः अफजल खां के नेतृत्व में एक बड़ी सेना का निर्माण किया गया। इस सेना को शिवाजी को जीवित या मृत पेश करने की आज्ञा प्रदान की गई। अफजल खां ने बहुत ही चालाकी और होसियारी से शिवाजी की हत्या की योजना बनाई, किन्तु वह उसमें असफल रहा। शिवाजी ने ही उसकी हत्या कर दी। हत्या के तुरंत बाद पहले से ही तैयार खड़ी मराठा सेना बीजापुर की सेना पर सिमटी और उसका संहार कर दिया।अफजल खां की शक्ति को कुचल कर छत्रपति शिवाजी ने पन्हाला के दक्षिण के प्रदेश पर अधिकार जमा लिया। इसके बाद बीजापुर के नवाब ने शिवाजी की शक्ति को कुचलने के लिए अनेक बार सेना भेजी तथा अंतिम बार स्वयं सेना का नेतृत्व किया और एक युद्ध लड़ा।
शिवाजी और मुगल
मुगल सम्राट औरंगजेब ने 1660 ई. में शाइस्ता खां को दक्षिण का नया राज्यपाल नियुक्त किया। अप्रैल 1663 ई. में शिवाजी ने धोखे से पूना में शाइस्ता खां के निवास स्थान पर धावा बोल दिया। शाइस्ता खां को इस हमले का बिल्कुल भी आभास न था। शिवाजी ने शाइस्ता खां पर हमला किया जिससे उसका अंगूठा कट गया। शाइस्ता खा के पुत्र की हत्या कर दी गई। दिसम्बर 1663 ई. में शाहस्ता खां को दक्षिण से बंगाल में भेज दिया।सूरत पर आक्रमण (1664 ई. )
1664 ई. में शिवाजी ने सूरत पर आक्रमण किया और भयंकर तरीके से लूट पाट की। अंग्रेजी और डच कंपनियां लूट से बच गयीं।राजा जयसिंह और शिवाजी
औरंगजेब ने मार्च, 1665 ई. में राजा जयसिंह को दक्षिण की बागडोर सौंपी। राजा जयसिंह ने ही शिवाजी को चारों ओर से घेर लिया और शिवाजी की राजधानी रायगढ़ मुसीबत में पड़ गई। अतः शिवाजी ने राजा जयसिंह से संधि करने में अपनी इच्छा जताई। और इस प्रकार जून, 1665 ई. में पुरन्दर की संधि हुयी। इस संधि के अनुसार शिवाजी ने 23 किले मुगलों को देकर 12 किले अपने अधिकार में रखे। शिवाजी के पुत्र सम्भाजी को मुगलो के दरबार में पांच हजारी मनसबदार बनाया और एक जागीर दे दी गई।शिवाजी और उनका पुत्र संभाजी मई, 1666 ई. में आगराके लिए प्रस्थान किया, किन्तु मुगल सम्राट से जिस स्वागत की उन्हें अपेक्षा थी, वह उनको नहीं मिली। और उन्हें बंदी बना लिया गया, लेकिन शिवाजी ने धैर्य और साहस नहीं छोड़ा। और वह आगरा से भाग निकले। 1670 ई. में शिवाजी ने दूसरी बार सूरत में भारी लूट-पाटकरना प्रारम्भ कर दिया। 1672 ई. में मराठों ने सूरत से चौथ वसूलने लगे और 1674 ई. तक मराठों ने दक्षिण में मुगलों की सत्ता को समाप्त कर ही दिया और 1674 ई. में शिवाजी ने रायगढ़ में रीति रिवाजो के अनुसार अपना राज्याभिषेक करवाया और उन्हें पुरे महाराष्ट्र का एकमात्र छत्राधिपति घोषित किया गया। इसी समय एक नया संवत् भी प्रारम्भ हुआ। 1680 ई. तक शिवाजी ने जिंजी, वेलूर और अन्य महत्त्वपूर्ण किलों पर भी अधिकार करना प्रारम्भ कर दिया। और फिर 1680 ई. में छत्रपति शिवाजी की मृत्यु हो गई।
शिवाजी के उत्तराधिकारी । Shivaji’s Successor in Hindi
संभाजी (1680-1689 ई.)
शिवाजी के बड़े पुत्र संभाजी तथा छोटे पुत्र राजाराम के बीच उत्तराधिकार के युद्ध में पहले पुत्र को विजय प्राप्त हुई जबकि दूसरा पुत्र को कैद कर लिया गया। संभाजी ने औरंगजेब के विद्रोही पुत्र अकबर को सहारा दिया लेकिन अकबर अपने पिता के विरुद्ध असफल रहा तथा उसे फारस जाकर भागना पड़ा और संभाजी को भी संग्रामेश्वर में एक मुगल अमीर द्वारा पकड़कर हत्या कर दी।राजाराम (1689-1700 ई.)
राजाराम को रायगढ़ के मंत्रियों की मदद से कैद से आजाद करवा कर गद्दी पर बैठाया गया। 1689 ई. में मुगलो के आक्रमण के कारण वह जिन्जी भाग गया। संभाजी की पत्नी तथा पुत्र को मुगलों ने कैद में कर लिया गया। जिन्जी पर मुगलों ने 1698 ई. में अधिकार कर लिया गया तथा राजाराम विशालगढ़ (महाराष्ट्र) में भाग गया। राजाराम की मृत्यु सतारा में हुई, जो जिन्जी के बाद राजधानी बना ली गयी थी। राजाराम के प्रशासनिक परिवर्तन में ‘प्रतिनिधि’ नामक एक नया पद की शुरुआत की गयी, जिससे मंत्रियों की कुल संख्या 9 रखी गयी थी।शिवाजी-11 तथा ताराबाई (1700-1707 ई.)
राजाराम के बाद गद्दी पर उनका अवयस्क पुत्र शिवाजी आया, जिसकी संरक्षक एवं डाल उसकी मां ताराबाई थी। उसने बरार (1703 ई.), बड़ौदा (1706 ई.), तथा औरंगाबाद पर आक्रमण करके रायगढ़, सतारा तथा सिंहगढ़ आदि किलों को मुगलों से आजाद करके जित लिया।मराठो के इतिहास । Maratha Empire in Hindi से जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य
- 14 जून 1674 ई. को शिवाजी ने काशी के विख्यात विद्वान ब्राह्मण गंगा से अपना राज्याभिषेक रायगढ़ में करवाया तथा छत्रपति की उपाधि को धारण किया।
- 1669 ई. में शिवाजी ने वरिया सारंग के नेतृत्व में अपने जल बेड़े को अंजीरा पर आक्रमण करने के लिए आदेश दिया ।
- शिवाजी ने कोलाबा में एक जहाजी बेड़े का निर्माण भीकरवाया, जो दरियासारंग (मुसलमान) तथा नायक (हिन्दू) के अधीन दो भागों में बटा था।
- शिवाजी की राजस्व व्यवस्था अहमदनगर राज्य के मलिक अम्बर द्वारा अपनाई गई रैयतवाड़ी प्रथा पर अधारित थी।
- शिवाजी के निर्देश पर अन्नाजी दत्तो ने विस्तृत भू-सर्वेक्षण किया।
- लगान के लिए शिवाजी का राज्य 16 प्रांतों में बांटा गया था।
- 1681 में औरंगजेब के विद्रोही पुत्र अकबर को शरण दिए जाने के कारण औरंगजेब ने 11 मार्च, 1689 ई. को सम्भाजी की हत्या करवा दी तथा उसकी राजधानी पर कब्जा कर उसकी पत्नी येशुबाई तथा पुत्र शाहू को गिरफ्तार कर रायगढ़ किले में कैद करवा दिया।
- 1699 में जिंजी के बाद सतारा मराठों की राजधानी बनी।
- मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी थे ।
- शिवाजी का जन्म 6 अप्रैल 1627 ई.में शिवनेर दुर्ग में हुआ था ।
- इनके पिता का नाम शाहजी भोसले तथा माता का नाम तुकाबाई मोहिते था ।
- शिवाजी के गुरु कोंडदेव थे ।
- इन्होने रायगढ़ को 1656 ई. में अपनी राजधानी बनाया ।
- शिवाजी को राजा की उपाधि औरंगजेब ने दी थी।
- इसने सूरत को 1664 ई.एवं 1670 ई. में लूटा था।
- शिवाजी और महाराजा जयसिंह के मध्य पुरन्दर की संधि 1665 ई. को हुयी थी।
- इसने पन्हाला दुर्ग को 1672 ई. में बीजापुर से छीना था।
- 3 अप्रैल 1680 ई. को शिवाजी की मृत्यु हो गयी थी।
- शिवाजी के मंत्रिमंडल को अष्टप्रधान कहा जाता था ।
- इसका उत्तराधिकारी सम्भाजी था।
- दिल्ली पर आक्रमण करने वाला प्रथम पेशवा बाजीराव प्रथम था, जिसने 1737 ई. को दिल्ली पर धावा बोला था ।
- यह मस्तानी नामक महिला से संबंध होने के कारण चर्चित रहा था ।
- बाजीराव प्रथम की मृत्यु 1740 ई. को हो गयी थी।
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