हेलो दोस्तों, हमारे ब्लॉक में आपका स्वागत है, आज हम आपको हमारे इस ब्लॉग में अविकारी शब्द किसे कहते हैं?। Avikari Shabd in Hindi, अविकारी शब्द परिभाषा, विशेषण और क्रियाविशेषण में अंतर, आदि के बारे में जानेंगे। तो चलिए शुरू करते है।अविकारी शब्द । avikari shabd in hindi
जैसे-
जैसे-
जैसे –
जैसे-
शब्द ‘कालवाचक क्रियाविशेषण’ है।
जैसे-
‘परिमाणवाचक क्रियाविशेषण हैं।
जैसे—
संबंधबोधक की परिभाषा
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ बताते हैं, वे संबंधबोधक कहलाते हैं।
जैसे-
जैसे –
उदाहरण देखिए-
को आपस में जोड़ा गया है।
समुच्चयबोधक की परिभाषा
वे शब्द, जो शब्दों, वाक्यों या वाक्यांशों को आपस में जोड़ते हैं, वे समुच्चयबोधक शब्द कहलाते हैं।
विभिन्न रूपों में समुच्चयबोधक शब्द।
1. दो समान शब्दों को आपस में जोड़ने वाले – और, एवं, तथा, जो कि, अर्थात
उदाहरण-
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उदाहरण देखिए –
विस्मयादिबोधक की परिभाषा
जो शब्द आश्चर्य (विस्मय), शोक, घृणा, प्रशंसा, प्रसन्नता, भय आदि भावों का बोध कराते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक शब्द कहते हैं।
विस्मयादिबोधक शब्दों के उदाहरण
दोस्तों, आज हमने आपको अविकारी शब्द किसे कहते हैं?। Avikari Shabd in Hindi, अविकारी शब्द परिभाषा, विशेषण और क्रियाविशेषण में अंतर आदि के बारे मे बताया, आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा। तो दोस्तों मुझे अपनी राय कमेंट करके बताया ताकि मुझे और अच्छे आर्टिकल लिखने का अवसर प्राप्त ह। धन्यवाद्।
अविकारी शब्द किसे कहते हैं?। Avikari Shabd in Hindi
अधिकारी का अर्थ – परिवर्तन न होना।अविकारी शब्द परिभाषा । Avikari Shabd ki Paribhasha
अविकारी शब्द वे होते हैं जिसमें लिंग, वचन, पुरुष, काल आदि की दृष्टि से कोई रूप परिवर्तन नहीं होता।अविकारी शब्द के प्रकार
अविकारी शब्द मुख्यतः 5 प्रकार के है।- क्रियाविशेषण
- समुच्चयबोधक
- संबंधबोधक
- विस्मयादिबोधक
1. क्रियाविशेषण । Kriya Visheshan in Hindi
क्रिया की विशेषता का बोध कराने वाले शब्दों को क्रियाविशेषण कहा जाता है।जैसे-
- घोड़ा तेज दौड़ता है।
- कछुआ धीरे धीरे चलता है।
- राम प्रतिदिन साइकिल चलाता है।
क्रियाविशेषण के भेद । Kriya Visheshan ke Bhed
क्रियाविशेषण के मुख्यतः 4 भेद होते हैं —- रीतिवाचक क्रियाविशेषण
- स्थानवाचक क्रियाविशेषण
- कालवाचक क्रियाविशेषण
- परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
A. रीतिवाचक क्रिया विशेषण । Ritivachak Kriya Visheshan in Hindi
ऐसे शब्द, जो क्रिया की ऐति या ढंग का बोध कराते है, रोतिवाचक क्रियाविशेषण कहलाते हैं।जैसे-
- वह अचानक हँस पड़ा।
- शादी के बाद रवि बदल गया।
- तेज चलो, ट्रेन चली जाएगी।
- बारिश जल्दी होगी।
B. स्थानवाचक क्रियाविशेषण । Sthan Vachak Kriya Visheshan in Hindi
जो शब्द क्रिया होने के स्थान का बोध कराते हैं, वे स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहलाते हैं।जैसे –
- विजय अलग खड़ा है।
- आइस क्रोम वाला घर के सामने खड़ा है।
- यहाँ बहुत प्रकाश है।
- पीछे मत देखो।
C. कालवाचक क्रियाविशेषण । Kal Vachak Kriya Visheshan in Hindi
जो शब्द क्रिया होने के काल (समय) का बोध कराते हैं, उन्हें कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।जैसे-
- यह काम शीघ्र करना है।
- मैं कल देहरादून जाऊँगा।
- तुम निरंतर परिश्रम करते रहो।
- रवि आज हमारे घर आएगा।
शब्द ‘कालवाचक क्रियाविशेषण’ है।
D. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण । Pariman Vachak Kriya Visheshan in Hindi
जो शब्द क्रियाविशेषण के परिमाण का बोध कराएँ, उन्हें परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।जैसे-
- तुम बहुत खाते हो।
- यह कम तोल रहा है।
- राम को हल्का बुखार है।
- नौकर अधिक काम करता है।
‘परिमाणवाचक क्रियाविशेषण हैं।
विशेषण और क्रियाविशेषण में अंतर । Visheshan Or Kriya Visheshan mein antar
विशेषण | क्रियाविशेषण |
---|---|
1. विशेषण शब्द संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता प्रकट करते हैं। | 1. क्रियाविशेषण शब्द क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं। |
2. विशेषण शब्दों का लिंग, वचन और कारक को दृष्टि से परिवर्तित हो जाता है। | 2. क्रियाविशेषण शब्दों का रूप परिवर्तित नहीं होता है। |
3. विशेषण शब्द संज्ञा या सर्वनाम से पहले लगते है। | 3. क्रियाविशेषण शब्द क्रिया से पहले लगते हैं। |
2. संबंधबोधक । Sambandh bodhak in hindi
संबंधबोधक भी एक अविकारी शब्द है। संबंधबोधक का अर्थ है – परस्पर संबंध का बोध कराने वालाजैसे—
- मोहन, राम जी के साथ दिल्ली गया था।
- तुम बस के अंदर जाओ।
- दवा के बिना आराम नहीं मिलता।
- एक के बाद दो आता है।
संबंधबोधक की परिभाषा
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ बताते हैं, वे संबंधबोधक कहलाते हैं।
संबंधबोधक के प्रकार
अर्थ की दृष्टि से संबंधबोधक शब्दों के निम्नलिखित प्रमुख रूप होते हैं- स्थानवाचक – के पीछे, के आगे, के नीचे के ऊपर के निकट, के भीतर के बाहर आदि।
- कालवाचक – के पहले के पश्चात के बाद, के उपरांत के मध्य आदि।
- दिशावाचक – की तरफ, के चारों ओर, के सामने, के आस-पास के निकट आदि।
- साधनवाचक – के हाथ, के सहारे, के द्वारा, से निर्मित आदि
- संगसूचक – के साथ, के संग, के समेत के सहित आदि।
- विरोधसूचक – के प्रतिकूल के विपरीत, के विरुद्ध, के खिलाफ आदि
- समतावाचक – की तरह, के समान, के अनुसार, के तुल्य के बराबर आदि।
- हेतुसूचक – के रहित, के सिवा के अलावा, के बिना आदि।
संबंधबोधक अव्यय के भेद
संबंधबोधक अव्यय के दो भेद है-- सामान्य संबंधबोधक
- विभक्तियुक्त संबंधबोधक
जैसे-
- राम भरोसे दिल्ली पहुँच ही जाऊँगा।
- वह वर्षों तक बेरोजगार रहा।
जैसे –
- मेरी दुकान के सामने एक बैंक है।
- पेड़ के नीचे कोई बैठा है।
संबंधबोधक और क्रियाविशेषण में अंतर
संबंधबोधक | क्रियाविशेषण |
---|---|
1. संबंधबोधक संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के अन्य शब्दों से करवाते हैं। | 1. क्रियाविशेषण क्रिया की विशेषता बताते हैं |
2. संबंधबोधक शब्दों के पहले विभक्ति-चिह्न लगते हैं। | 2. क्रियाविशेषणों के साथ विभक्ति-चिह्न नहीं लगते हैं। |
3. समुच्चयबोधक । Samuchaya bodhak in hindi
समुच्चयबोधक भी एक अविकारी शब्द है। समुच्चयबोधक को योजक भी कहा जाता है। योजक का अर्थ होता है “जोड़ने वाला”, अर्थात समुच्चयबोधक शब्दों, वाक्यों या वाक्यांशों को आपस में जोड़ता है।उदाहरण देखिए-
- मुझे कुर्सी और मेज दोनों चाहिएँ।
- कोशिश बहुत की परन्तु बचा नहीं।
- विश्वास बिना काम नहीं चलता।
- सच तो सामने आता है।
को आपस में जोड़ा गया है।
समुच्चयबोधक की परिभाषा
वे शब्द, जो शब्दों, वाक्यों या वाक्यांशों को आपस में जोड़ते हैं, वे समुच्चयबोधक शब्द कहलाते हैं।
विभिन्न रूपों में समुच्चयबोधक शब्द।
1. दो समान शब्दों को आपस में जोड़ने वाले – और, एवं, तथा, जो कि, अर्थात
उदाहरण-
- पिताजी और माताजी कल जाएँगे।
- राम, रवि तथा रोहित बाजार गए हैं।
उदाहरण-
- एक निबन्ध या जीवनी लिखो।
- सच बोल रहे हो अथवा झूठ, कल पता चला जाएगा।
उदाहरण-
- अभिषेक ने पूर्ण प्रयास किया परंतु सफल न हो सका।।
- मैं बोल नहीं सकता फिर भी कोशिश करूंगा।
उदाहरण-
- राम व्यायाम करता है इसलिए स्वस्थ है।
- तुम कठिन परिश्रम करो, नहीं तो फेल हो जाओगे।
उदाहरण-
- यदि आलस्य किया तो पीछे रह जाओगे।
- अनिल और सुनील भी मेरे भाई समान हैं।
उदाहरण-
- तुमने भी उसको देखा था यानी रवि सच बोल रहा था।
- मैंने उसे बहुत समझाया यहाँ तक कि किराया भी दिया।
- नौकर से कहो कि मेरे लिए चाय बनाए।
- रात को जल्दी सोना ताकि सुबह जल्दी उठो
4. विस्मयादिबोधक । Vismaya adi bodhak in hindi
विस्मयादिबोधक भी अविकारी शब्द ही हैं। विस्मय का अर्थ होता है – अचानक ये शब्द मन में अचानक आए के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इन शब्दों के आगे विस्मयादिबोधक-चिह्न (!)लगाया जाता है।उदाहरण देखिए –
- शाबाश! ऐसे ही तरक्की करते रहना।
- ओह! अभी घर से निकला ही था कि बेचारा मारा गया।
- बहुत अच्छे ! तुम तो बड़े मतलबी निकले।
- दुर! बेशर्मी को भी हद होती है, हट जाओ मेरे सामने से।
विस्मयादिबोधक की परिभाषा
जो शब्द आश्चर्य (विस्मय), शोक, घृणा, प्रशंसा, प्रसन्नता, भय आदि भावों का बोध कराते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक शब्द कहते हैं।
विस्मयादिबोधक शब्दों के उदाहरण
- विस्मय (आश्चर्य) बोधक – क्या, अरे, अहो, है, सच, ओहो आदि।
- शोकबोधक – ओह, उफ, आह, हाय, हे राम राम राम आदि।
- हर्षबोधक – वाह, धन्य, अहा आदि।
- प्रशंसाबोधक – शाबाश, वाह, अति सुंदर आदि।
- क्रोधबोधक – अरे, चुप, सुन आदि।
- भयबोधक – हाय, बाप रे आदि।
- चेतावनीबोधक – खबरदार, बचो, सावधान, होशियार आदि।।
- घृणाबोधक – छिः छिः, धिक्कार, उफ, धत आदि।
- इच्छाबोधक – काश, ईश्वर करे आदि।
- संबोधनबोधक – अजी, हे, अरे, सुनते हो, हाँ जो आदि।
- अनुमोदनबोधक – अच्छा, हाँ, हाँ हाँ, ठीक आदि।
- आशीर्वादबोधक – शाबाश, जीते रहो, सदा सुखी रहो आदि।।
दोस्तों, आज हमने आपको अविकारी शब्द किसे कहते हैं?। Avikari Shabd in Hindi, अविकारी शब्द परिभाषा, विशेषण और क्रियाविशेषण में अंतर आदि के बारे मे बताया, आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा। तो दोस्तों मुझे अपनी राय कमेंट करके बताया ताकि मुझे और अच्छे आर्टिकल लिखने का अवसर प्राप्त ह। धन्यवाद्।
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