हेलो दोस्तों, हमारे इस ब्लॉग में आपका स्वागत है, हमारे इस ब्लॉग में आज हम आपको पोषण किसे कहते हैं? । Nutrition in Hindi और जंतुओं में पोषण की विधियाँ तथा पोषण की आवश्यकता । Nutritional Requirements in Hindi एवं कार्बोहाइड्रेट क्या है? । Carbohydrates in Hindi, कार्बोहाइड्रेट के स्रोत आदि के बारे में बताएंगे, तो चलिए दोस्तों इन सबके बारे में जानते है
जीवो में पोषण दो विधियों द्वारा होता है।
उदाहरण- सभी हरे पौधे, प्रकाश संश्लेषी जीवाणु, पर्णहरिम युक्त जन्तु जैसे – यूग्लीना।
(I) शाकाहारी
इस समूह में वे जन्तु आते हैं जो पौधों या उनके भागों को भोजन के रूप में उपयोग करते हैं, जैसे – भेड़, बकरी, हिरण, हाथी, घोड़ा इत्यादि।
(II) मांसाहारी
इस समूह में वे जन्तु आते हैं जो दूसरे जन्तुओं को मारकर उनके ताजे मांस को भोजन के रूप में उपयोग करते हैं, जैसे – हाइड्रा, शेर, बाघ, चीत, इत्यादि।
(III) सर्वाहारी
इस समूह में वे जन्तु आते हैं जो पादपों तथा जन्तुओं दोनों को भोजन के रूप में उपयोग करते हैं, जैसे – कुत्ता, मनुष्य, तिलचट्टा, भेड़िया इत्यादि।
(IV) रक्तभक्षी
इस समूह में वे जन्तु आते हैं जो अन्य जन्तुओं का रक्त चूसकर अपना पोषण प्राप्त करते हैं। जैसे- जोंक, मच्छर, खटमल आदि।
(V) स्वजाति भक्षी
इस समूह में वे जन्तु आते हैं, जो अपनी ही जाति के जन्तुओं को खा जाते हैं। जैसे गिद्ध।
(VI) स्कैवेन्जर्स
इस समूह में वे जन्तु आते हैं, जो मृत जन्तु के मांस को भोजन के रूप में उपयोग करते हैं जैसे- चींटी, चील, गिद्ध इत्यादि ।
परजीवी पोषण करने वाले जीव 2 प्रकार के होते हैं|
(1) ऊर्जा उत्पादन – पोषण द्वारा प्राप्त भोज्य पदार्थों के ऑक्सीकरण से ऊर्जा प्राप्त होती है जिसके द्वारा जीवों की जैविक क्रियाओं का संचालन होता है।
(2) जीवद्रव्य का निर्माण – पोषण द्वारा अन्तर्ग्रहित पदार्थों से जीवन का आधार अर्थात् जीवद्रव्य का निर्माण किया जाता है। इन्हीं पदार्थों से क्षतिग्रस्त तथा नवीन ऊतकों का उत्पादन होता है।
(3) वृद्धि – पोषण द्वारा प्राप्त पदार्थों से ही जीवों में नयी कोशिकाओं का निर्माण अर्थात् वृद्धि होती है।
(4) उपापचयी नियंत्रण – पोषण क्रिया द्वारा अन्तर्ग्रहित पदार्थों जैसे-लवण एवं विटामिन की सहायता से ही उपापचयी क्रियाओं को नियन्त्रित किया जाता है।
(5) आनुवंशिकता – पोषण के द्वारा प्राप्त पदार्थों से ही आनुवंशिक पदार्थों अर्थात् DNA एवं RNA का संश्लेषण किया जाता है।
(6) रोगों से बचाव – पोषण द्वारा अन्तर्ग्रहित पदार्थ हमें रोगों से लड़ने में मदद करते हैं, जैसे- विटामिन एवं लवण।
(A) कार्बोहाइड्रेट, (B) प्रोटीन, (C) वसा, (D) विटामिन, (E) न्यूक्लिक अम्ल, (F) खनिज लवण, (G) जल
इनमें से जल एवं खनिज लवण अकार्बनिक व शेष कार्बनिक यौगिक होते हैं।
(1) ऊर्जा उत्पादक पदार्थ – ये ऑक्सीकरण द्वारा जैविक क्रियाओं के लिये आवश्यक ऊर्जा देते हैं। कार्बोहाइड्रेट तथा वसाएँ मुख्य रूप से इस श्रेणी में आते हैं।
(2) निर्माणकारी पदार्थ – वे पोषक पदार्थ हैं जो शरीर के टूट-फूट की मरम्मत और वृद्धि के काम आते हैं। इस श्रेणी में आते हैं। मुख्यत: प्रोटीन आते हैं।
(3) उपापचयी नियंत्रक – ये पदार्थ विभिन्न जैविक क्रियाओं का नियंत्रण एवं समन्वय करते हैं। विटामिन, जल एवं खनिज लवण इस श्रेणी में आते हैं।
कार्बोहाइड्रेट । Carbohydrates in Hindi
1. मोनोसैकेराइड्स – यह सरल कार्बोहाइड्रेट होते है जिनका अपघटन और अधिक सरल कार्बोहाइड्रेट में नहीं किया जा सकता है
2. ओलिगोसैकेराइड्स – यह 2-10 मोनोसैकेराइड्स के संघनन से बनते हैं और जलीय अपघटन के बाद इतनी ही मोनोसैकेराइड्स देते हैं
3. पोलिसैकेराइड्स – यह जटिल कार्बोहाइड्रेट है जो कई अणुओ के संघनन से बनते हैं
दोस्तों आज हमने आपको पोषण किसे कहते हैं? । Nutrition in Hindi और जंतुओं में पोषण की विधियाँ तथा पोषण की आवश्यकता और कार्बोहाइड्रेट क्या है? । Carbohydrates in Hindi, कार्बोहाइड्रेट के स्रोत आदि के बारे मे बताया, आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा और आपको इससे कुछ ना कुछ सिखने को भी मिला होगा, तो दोस्तों मुझे अपनी राय कमेंट करके बताये ताकि मुझे और अच्छे अच्छे आर्टिकल लिखने का अवसर प्राप्त हो, धन्यवाद्
पोषण किसे कहते हैं? । Nutrition in Hindi
जीवित रहने के लिए भोज्य पदार्थों के उपापचय द्वारा ऊर्जा प्राप्त करने की क्रिया को पोषण कहते हैं।जीवो में पोषण दो विधियों द्वारा होता है।
- 1. स्वपोषण
- 2. विषमपोषण
1. स्वपोषण । Autotrophic Nutrition Hindi
वह पोषण है जिसमें जीव अपने भोज्य पदार्थों का संश्लेषण या निर्माण स्वयं करता है, ऐसा पोषण करने वाले जीवों को स्वपोषी जीव कहते हैं।उदाहरण- सभी हरे पौधे, प्रकाश संश्लेषी जीवाणु, पर्णहरिम युक्त जन्तु जैसे – यूग्लीना।
2. विषम पोषण । Heterotrophic Nutrition in Hindi
वह पोषण है, जिसमें जीव अपने भोज्य पदार्थों का संश्लेषण स्वयं नहीं करते बल्कि ये इन्हें दूसरे जीवों से प्राप्त करते हैं, ऐसा पोषण करने वाले जीवों को विषमपोषी या परपोषी कहते हैं। सभी जन्तु तथा कवक और कुछ जीवाणु तथा कुछ एककोशिकीय जीव विषमपोषी होते हैं।जंतुओं में पोषण की विधियाँ
जन्तुओं में निम्नलिखित 3 प्रकार का पोषण पाया जाता है।(1) पूर्णभोजी पोषण
इस पोषण में जन्तु भोज्य पदार्थों को निगलकर अन्तर्ग्रहित करते हैं। इसके बाद भोजन का शरीर के अन्दर पाचन, अवशोषण तथा स्वांगीकरण होता है। भोज्य पदार्थों की प्रकृति के आधार पर इस पोषण को करने वाले जन्तुओं को निम्न मुख्य समूहों में बाँटते हैं।(I) शाकाहारी
इस समूह में वे जन्तु आते हैं जो पौधों या उनके भागों को भोजन के रूप में उपयोग करते हैं, जैसे – भेड़, बकरी, हिरण, हाथी, घोड़ा इत्यादि।
(II) मांसाहारी
इस समूह में वे जन्तु आते हैं जो दूसरे जन्तुओं को मारकर उनके ताजे मांस को भोजन के रूप में उपयोग करते हैं, जैसे – हाइड्रा, शेर, बाघ, चीत, इत्यादि।
(III) सर्वाहारी
इस समूह में वे जन्तु आते हैं जो पादपों तथा जन्तुओं दोनों को भोजन के रूप में उपयोग करते हैं, जैसे – कुत्ता, मनुष्य, तिलचट्टा, भेड़िया इत्यादि।
(IV) रक्तभक्षी
इस समूह में वे जन्तु आते हैं जो अन्य जन्तुओं का रक्त चूसकर अपना पोषण प्राप्त करते हैं। जैसे- जोंक, मच्छर, खटमल आदि।
(V) स्वजाति भक्षी
इस समूह में वे जन्तु आते हैं, जो अपनी ही जाति के जन्तुओं को खा जाते हैं। जैसे गिद्ध।
(VI) स्कैवेन्जर्स
इस समूह में वे जन्तु आते हैं, जो मृत जन्तु के मांस को भोजन के रूप में उपयोग करते हैं जैसे- चींटी, चील, गिद्ध इत्यादि ।
(2) मृतोपजीवी पोषण (Saprozoic nutrition)
इस पोषण में जन्तु सड़े-गले निर्जीव पदार्थों से निकले तरल कार्बनिक पदार्थों को पोषक पदार्थों के रूप में शरीर की बाहरी सतह से अवशोषित करके पोषण प्राप्त करता है, ऐसा पोषण करने वाला जन्तु मृतोपजीवी कहलाता है। गन्दी नालियों तथा सड़ते कूड़ा करकटों में पाये जाने वाले कीड़े-मकोड़ों में यह पोषण पाया जाता है।(3) परजीवी पोषण (Parasitic nutrition)
वह पोषण है जिसमें एक जन्तु जिसे परजीवी कहते हैं, किसी दूसरे जीवित जन्तु जिसे पोषक कहते हैं, से अपना भोजन ग्रहण करता है।परजीवी पोषण करने वाले जीव 2 प्रकार के होते हैं|
- बाह्य परजीवी
- अन्तः परजीवी
(4) मलभोजी पोषण (Caprozoic nutrition)
वह पोषण है जिसमें जीव भोजन के रूप में मल तथा विष्ठा को ग्रहण करता है। यह पोषण सुअर में पाया जाता है।पोषण की आवश्यकता । Nutritional Requirements in Hindi
पोषण जीवों को जीवित रखने के लिए एक आवश्यक जैविक क्रिया है जो जीवों की निम्न आवश्यकताओं की पूर्ति करती है।(1) ऊर्जा उत्पादन – पोषण द्वारा प्राप्त भोज्य पदार्थों के ऑक्सीकरण से ऊर्जा प्राप्त होती है जिसके द्वारा जीवों की जैविक क्रियाओं का संचालन होता है।
(2) जीवद्रव्य का निर्माण – पोषण द्वारा अन्तर्ग्रहित पदार्थों से जीवन का आधार अर्थात् जीवद्रव्य का निर्माण किया जाता है। इन्हीं पदार्थों से क्षतिग्रस्त तथा नवीन ऊतकों का उत्पादन होता है।
(3) वृद्धि – पोषण द्वारा प्राप्त पदार्थों से ही जीवों में नयी कोशिकाओं का निर्माण अर्थात् वृद्धि होती है।
(4) उपापचयी नियंत्रण – पोषण क्रिया द्वारा अन्तर्ग्रहित पदार्थों जैसे-लवण एवं विटामिन की सहायता से ही उपापचयी क्रियाओं को नियन्त्रित किया जाता है।
(5) आनुवंशिकता – पोषण के द्वारा प्राप्त पदार्थों से ही आनुवंशिक पदार्थों अर्थात् DNA एवं RNA का संश्लेषण किया जाता है।
(6) रोगों से बचाव – पोषण द्वारा अन्तर्ग्रहित पदार्थ हमें रोगों से लड़ने में मदद करते हैं, जैसे- विटामिन एवं लवण।
पोषक पदार्थ क्या है? । Nutrients in Hindi
वे पदार्थ जो जीवों में विविध जैविक कार्यों के सम्पादन एवं संचालन के लिये आवश्यक होते हैं, पोषक पदार्थ (nutrients in hindi) कहलाते हैं। हमारे शरीर को जैविक कार्यों के संचालन के लिये कई पोषक पदार्थों की आवश्यकता पड़ती है, जिन्हें हम संयुक्त रूप से भोजन (Food) के रूप में ग्रहण करते हैं। हमारे शरीर की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये हमारे भोजन में निम्नलिखित पोषक पदार्थों की आवश्यकता पड़ती है।(A) कार्बोहाइड्रेट, (B) प्रोटीन, (C) वसा, (D) विटामिन, (E) न्यूक्लिक अम्ल, (F) खनिज लवण, (G) जल
इनमें से जल एवं खनिज लवण अकार्बनिक व शेष कार्बनिक यौगिक होते हैं।
भोजन के प्रमुख घटक । Components of Food in Hindi
शरीर की आवश्यकता की पूर्ति अर्थात् उपयोगिता के आधार पर भोजन में उपस्थित पोषक पदार्थों को निम्न श्रेणियों में बाँटते हैं(1) ऊर्जा उत्पादक पदार्थ – ये ऑक्सीकरण द्वारा जैविक क्रियाओं के लिये आवश्यक ऊर्जा देते हैं। कार्बोहाइड्रेट तथा वसाएँ मुख्य रूप से इस श्रेणी में आते हैं।
(2) निर्माणकारी पदार्थ – वे पोषक पदार्थ हैं जो शरीर के टूट-फूट की मरम्मत और वृद्धि के काम आते हैं। इस श्रेणी में आते हैं। मुख्यत: प्रोटीन आते हैं।
(3) उपापचयी नियंत्रक – ये पदार्थ विभिन्न जैविक क्रियाओं का नियंत्रण एवं समन्वय करते हैं। विटामिन, जल एवं खनिज लवण इस श्रेणी में आते हैं।
कार्बोहाइड्रेट । Carbohydrates in Hindi
कार्बोहाइड्रेट क्या है? । Carbohydrates in Hindi
कार्बोहाइड्रेट्स कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के 1:2:1 के अनुपात में मिलने से बने कार्बनिक यौगिक हैं। ये खाद्य पदार्थों के मुख्य घटक हैं और इसमें शर्करा, स्टार्च या सेल्युलोज के रूप में पाये जाते हैं। हमारे शरीर के लिये आवश्यक ऊर्जा की लगभग 55-75% मात्रा की पूर्ति इन्हीं के द्वारा होती है। ये ऊतकों में ग्लाइकोजन के रूप में भी संचित रहते हैं।कार्बोहाइड्रेट के प्रकार । Types of Carbohydrates in Hindi
कार्बोहाइड्रेट तीन प्रकार के होते हैं1. मोनोसैकेराइड्स – यह सरल कार्बोहाइड्रेट होते है जिनका अपघटन और अधिक सरल कार्बोहाइड्रेट में नहीं किया जा सकता है
2. ओलिगोसैकेराइड्स – यह 2-10 मोनोसैकेराइड्स के संघनन से बनते हैं और जलीय अपघटन के बाद इतनी ही मोनोसैकेराइड्स देते हैं
3. पोलिसैकेराइड्स – यह जटिल कार्बोहाइड्रेट है जो कई अणुओ के संघनन से बनते हैं
कार्बोहाइड्रेट के स्रोत । Source of Carbohydrates in Hindi
हमारे भोजन में कार्बोहाइड्रेट्स का प्रमुख स्त्रोत विभिन्न प्रकार के धान्य जैसे- (गेहूँ, चावल, मक्का), आलू, अरबी, केला, आम, तरबूज, शक्कर, शहद, गन्ना, चुकन्दर, दूध आदि होते हैं।पोषण संबंधी आवश्यकताएं । Nutritional Requirements in Hindi
कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर की निम्नलिखित पोषक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।- ये ऑक्सीकरण द्वारा हमारे शरीर को ऊर्जा देते हैं। इनका ऑक्सीकरण ही श्वसन कहलाता है। इनकी एक ग्राम मात्रा के ऑक्सीकरण से लगभग 4 kcal ऊर्जा प्राप्त होती है। ये ऊर्जा के उत्पादन के लिये वसा और प्रोटीन की अपेक्षा ज्यादा उपयुक्त होते. हैं क्योंकि इनके अणुओं में अपेक्षाकृत अधिक ऑक्सीजन होती है। इस कारण समान ऑक्सीजन की मात्रा से ये वसा और प्रोटीन की अपेक्षा अधिक ऊर्जा देते हैं।
- ये शरीर में भोजन संचय की तरह कार्य करते हैं। हमारे शरीर के ऊतकों मुख्यत: कंकाली पेशियों में ये ग्लाइकोजन के रूप में संचित रहते हैं और आवश्यकता पड़ने पर अपघटित होकर ऊर्जा देते हैं।
- ये शरीर के लिये आवश्यक दूसरे पदार्थों जैसे-अमीनो अम्लों इत्यादि के संश्लेषण में कच्चे माल के रूप में प्रयोग किये जाते हैं।
- ये नाभिकीय अम्लों अर्थात् आनुवंशिक पदार्थों के निर्माण में भाग लेते हैं ।
- ये कई जन्तुओं में बाह्य कंकाल बनाते हैं। कोटों, केकड़ों इत्यादि का बाह्रा कंकाल काइटिन नामक कार्बोहाइड्रेट्स का बना होता है ।
- ये विटामिन C के निर्माण में काम आते हैं। इसके साथ ही ये कोशिका, कोशिकाद्रव्य तथा हमारे शरीर के प्रमुख घटक है।
- सेल्युलोज, हेमीसेल्युलोज एवं पेक्टिन पाचन नली में क्रमाकुंचन गति बढ़ाते हैं। लैक्टोज शर्करा आँत में जीवाणुओं को संख्या बढ़ाता है। ये जीवाणु विटामिन B कॉम्प्लेक्स का संश्लेषण करते हैं। लैक्टोज कैल्सियम के अवशोषण की दर को बढ़ाता है।
दोस्तों आज हमने आपको पोषण किसे कहते हैं? । Nutrition in Hindi और जंतुओं में पोषण की विधियाँ तथा पोषण की आवश्यकता और कार्बोहाइड्रेट क्या है? । Carbohydrates in Hindi, कार्बोहाइड्रेट के स्रोत आदि के बारे मे बताया, आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा और आपको इससे कुछ ना कुछ सिखने को भी मिला होगा, तो दोस्तों मुझे अपनी राय कमेंट करके बताये ताकि मुझे और अच्छे अच्छे आर्टिकल लिखने का अवसर प्राप्त हो, धन्यवाद्
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