सेशन न्यायालय के समक्ष विचारण (CrPC Sec.-225)
किसी मामले का विचारण या तो सेशन न्यायालय के समक्ष किया जाता है या फिर किसी प्रथम अथवा द्वितीय श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष। सेशन मामलों का विचारण तो अनन्य रूप से सेशन न्यायालय द्वारा ही किया जाता है। सेशन न्यायालय एवं न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालयों के समक्ष विचारण की प्रक्रिया में थोड़ा अन्तर पाया जाता है। संहिता की धारा 225 से 237 तक से सेशन न्यायालय के समक्ष विचारण की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। विचारण का संचालन-सेशन न्यायालय के समक्ष प्रत्येक विचारण में अभियोजन का संचालन लोक अभियोजक द्वारा किया जायेगा।अभियोजक के कथन द्वारा मामले का प्रारम्भ (CrPC Sec.-226)
सेशन न्यायालय के समक्ष मामला आने पर यदि अभियुक्त न्यायालय में उपस्थित हो अथवा लाया जाये तब लोक अभियोजक अभियुक्त के विरुद्ध लगाये गये आरोपों का उल्लेख करते हुए और यह कथन करते हुए कि अभियुक्त के दोष को किस साक्ष्य द्वारा सिद्ध करने का वह प्रस्ताव रखता है, अपने मामले का कथन आरंभ करेगा।अभियुक्त का उन्मोचन (CrPC Sec.-227)
न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत अभिलेखों एवं दस्तावेजों पर विचार करने के पश्चात् एवं अभियोजन व अभियुक्त दोनों पक्षों की सुनवाई कर लिये जाने के पश्चात् यदि न्यायालय को यह प्रतीत हो कि अभियुक्त को उन्मोचित करने के कारणों को लेखबद्ध करते हुये उसे उन्मोचित (Discharge) कर देगा।निम्नांकित दशाओं में सेशन न्यायाधीश अभियुक्त को उन्मोचित करने के लिए आबद्ध है-
- जहां अभियुक्त के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य नहीं हो,
- जहाँ अभियुक्त के विरुद्ध आगे कार्यवाही करने का पर्याप्त आधार नहीं हो,
- जहां अभियोजन पक्ष का मामला अवधि-बाधित (Time-barred) हो गया हो, एवं
- जहाँ वांछित पूर्व स्वीकृति प्राप्त नहीं की गई हो।
आरोप विरचित करना (CrPC Sec.-228)
यदि मामले का विचार करने एवं सुनवाई किए जाने के पश्चात् न्यायाधीश की राय हो कि यह उपधारणा करने का पर्याप्त आधार है कि अभियुका ने ऐसा अपराध किया है जो-- सेशन न्यायालय द्वारा अनन्य रूप से (Exclusively) विचारणीय नहीं है तो वह अभियुक्त के विरुद्ध आरोप विरचित कर विचारण के लिये उसे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को अंतरित कर सकेगा और तब प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट उस मामले का पुलिस रिपोर्ट पर संस्थिल वारंट-मामले के लिये निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार विचारण करेगा।
- यदि मामला अनन्य रूप से सेशन न्यायालय द्वारा विचारण योग्य है तो वह अभियुक्त के विरुद्ध लिखित रूप से आरोप विरचित करेगा। ऐसा आरोप अभियुक्त को पढ़कर सुनाया व समझाया जायेगा और उससे यह पूछा जायेगा वह आरोपित अपराध का दोषी होने का कथन करता है या विचारण चाहता है।
अभियुक्त को दोषसिद्ध किया जाना (CrPC Sec.-229)
यदि अभियुक्त दोषी होने का अभिवचन करता है तो न्यायालय उसके कथन को लेखबद्ध करते हुए विवेकानुसार दोषसिद्ध कर सकेगा।अभियोजन की साक्ष्य के लिये तिथि निश्चित किया जाना (CrPC Sec.-230)
- अभियुक्त दोषी होने के अभिवचन करने से इन्कार कर दे, यदि
- वह ऐसा अभिवचन न करे, या
- उसे अन्यथा दोषसिद्ध न किया जाए, या
- विचारण किए जाने का दावा करे।
अभियोजन के लिए साक्ष्य (CrPC Sec.-231)
नियत तिथि को न्यायाधीश अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्षियों को साक्ष्य लेने के लिये अग्रसर होगा। न्यायाधीश अपने विवेकानसार अन्य साक्षियों की परीक्षा तक किसी साक्षी की प्रतिपरीक्षा को स्थगित कर सकेगा या किसी साक्षी को अतिरिका प्रति-परीक्षा के लिये पुन: बुला सकेगा।अभियुक्त को दोषमुक्त किया जाना (CrPC Sec.-232)
अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्षियों को साक्ष्य लेने, अभियुक्त की परीक्षा करने एवं अभियोजन तथा अभियुक्त को सुनने के पश्चात न्यायाधीश को यदि यह प्रतीत हो कि प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर अभियुक्त का अपराध सिद्ध नहीं होता है तो वह अभियुक्त को दोषमुक्त करने का ओदश दे सकेगा।अभियुक्त द्वारा प्रतिरक्षा आरम्भ किया जाना (CrPC Sec.-233)
यदि अभियुक्त दोषमुक्त नहीं किया जाता है तो उसे अपनी प्रतिरक्षा प्रारम्भ करने एवं अपना साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए कहा जायेगा। यदि अभियुक्त कोई लिखित कथन प्रस्तुत कर न्यायाधीश द्वारा उसे अभिलेख में फाइल किया जायेगा। फिर अभियुक्त किसी साक्षी की उपस्थिति के लिए अथवा कोई दस्तावेज या अन्य कोई चीज पेश करने के लिए न्यायाधीश से समन जारी करने की प्रार्थना करें और न्यायाधीश का विचार हो कि ऐसी प्रार्थना-- तंग करने, अथवा
- न्याय के उद्देश्यों को विफल करने के प्रयोजन से नहीं की गई है वह ऐसी आदेशिका जारी करेगा।
मामले पर अन्तिम बहस (CrPC Sec.-234)
प्रतिरक्षा के ओर से प्रस्तुत साक्षियों की परीक्षा समाप्त हो जाने पर अभियोजन-पक्ष अपने मामले का उपसंहार करेगा और अभियुक्त या उसका अधिवक्ता उत्तर देने का अधिकारी होगा। यदि अपने उत्तर में अभियुक्त या उसका अधिवक्ता कोई वैधानिक प्रश्न उठाता है तो ऐसी दशा में अभियोजन-पक्ष न्यायालय की अनुमति से ऐसे वैधानिक प्रश्नों पर अपना निवेदन कर सकेगा।अभियुक्त को दोषसिद्ध या दोषमुक्त करना (CrPC Sec.-235)
उपर्युक्त सभी कार्यवाहियाँ समाप्त होने पर न्यायाधीश अपना निर्णय सुनायेगा। यदि अभियुक्त दोषसिद्ध किया जाता है तो न्यायाधीश दण्ड के प्रश्न पर अभियुक्त को सुनेगा एवं विधि के अनुसार दण्डादेश पारित करेगा। लेकिन यदि अभियुक्त को परिवीक्षा का लाभ दिया जाना हो तो उसे दण्ड के प्रश्न पर सुना जाना आवश्यक नहीं होगा।दण्ड के प्रश्न पर, अभियुक्त को सुनना एक औपचारिकता मात्र नहीं है। अभियुक्त के औपचारिक प्रश्न पूछ लेने मात्र से न्यायालय अपने कर्तव्य से मक्त नहीं हो जाता। न्यायाधीश का यह कर्तव्य है कि ऐसे समय वह न्यायालयीन दृष्टि से परे होकर इस बिन्दु पर विस्तृत सामाजिक दृष्टिकोण से विचार करे।
पूर्व दोषसिद्ध का आरोप लगाये जाने पर प्रक्रिया (CrPC Sec.-236)
यदि अभियुक्त पर पूर्व दोषसिद्धि का आरोप लगाया गया हो और अभियुक्त पूर्व दोषसिद्धि के आधार पर दोषसिद्ध किये जाने के कथन को स्वीकर नहीं करेगा तब न्यायाधीश उस अभियुक्त को मूल प्रकार से दोषसिद्ध करने के पश्चात पर्व दोषसिद्धि के बारे में साक्ष्य ले सकेगा और उस पर अपन निर्णय सुनायेगा। ऐसे निर्णय स्पष्ट तथा साक्ष्य पर आधारित होना चाहिए।
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