एक ही पल में नजरों से नजरे टकरा गई,
जो हम करना नही चाहते थे हमसे वो खता हो गई
मुहोब्बत कर के दिल टुटनेसे डरते हो,
गम की बारिश से घबराते हो,
ये तो वही बात हुई कि ,
आग में गिरो और जलो भी नही.

वाह क्या कमाल सोचते हो।
यूँ तो मोहब्बत
मुझे कुछ खास रास नही आती,
पर तुमसे मुलाक़ात क्या हुई हमारी अक्स तक आपकी हो गई।
कुछ तब्दीलियां जिंदगी में यूं हँसी हुई,
फासला वक़्त में, नजदीकियां दिलो मे बढ़ गई,
प्रदीप, प्रदीप ना रहा
कुछ इस कदर वो आप मे समा गया।
मुक्कदर में हो या ना हो,
तुम इस दिल
मे हमेशा हो,
किस्मत को मंजूर हो या ना हो,
तुम इस नादान की आखिरी मंजिल हो।
उफ्फ मैडम का Gussa तो देखो,
हमारी एक मुस्कान और उनका गुस्सा गायब
दुनिया वालों के लिए होगा वो अदीब,
मेरे लिए तो वो मेरा हबीब हैं ।

बाहर गहरा सन्नाटा व खामोशी,
अंदर तूफान सा शोर,
मुहोब्बत के यही सितम हैं,
मेहबूब के आगे किसका चला हैं जोर।
तुम्हारे मुहोब्बत की बारिश में भीग जाउ,⛈⛈
तुम्हारे इंतजार की धूप में जल भी जाउ,
तुम्हारी महक इन हवाओंसे चुरा लाऊ,

तुम्हारी अदा इन फिजाओंसे छीन लाऊ,
खूबसूरत वो नही उसका हर अंदाज हैं,

मासूम सी उसकी मुस्कान ही मेरे बेचैन दिल का राज हैं।
तुम जो यूँ मुहोब्बत बरसाते हो ना मुझ पर,

बस इसीने आदतो ने बिगाड़ रखा है मुझे।
वो मुहोब्बत अलग ही परवान चढ़ती हैं,
जिसमें जुदाई का मौसम लम्बा ठहरा हो।
सुना हैं तौर तरीकों के पक्के हो,
सच बताना कही किसी से मुहोब्बत तो नही कर बैठे हो।
वो मुहोब्बत हैं जनाब
लाख मोड लो मुँह तुम।
अगले पल उसकी आगोश में होंगे,
फिर चाहें कई लगालो पहरे तुम।

वो मेरी आदत में एक परहेज लीख गया,✍
मेरी चाहत में वो अपना नाम लिख गया।

लिखना तो हम महज एक शेर चाहते थे,
पर तुम एक खूबसरत गजल की हकदार थी।
मुहोब्बत हावी होजाती है मुझ पर,
जब जिक्र तुम्हारा होता हैं।
हैवानियत हावी होजाती हैं मुझ पर,
जब जिक्र तुम्हारा किसी गैर से होता हैं।
मुहोब्बत को तेजाब से कम ना समझ,
तेरी तबियत को जला कर ही मानेगी
अनजान सा कोई वो शक़्स हैं,
जिसमे गुमनाम सा मेरा अक्स हैं।
दिल नही मानो मयखाना हो,
नशा हो तुम, नशे में हैं हम।
ये मस्तमौला आलम , ये आवारा समा,
ये दीवानगी की धुन, उसमे मदहोश बलमा।
कुछ बाते कभी बताई नही जाती,
महसूस की जाती हैं,
मुहोब्बत कभी दिखाई नही जाती,
उनकी हरकतों में झलकती जाती हैं।
रात के भी अपने अलग ही अंदाज हैं,
कभी वीरानी तो कभी तूफानी सौगात हैं।
आसमां में चांद तो एक ही होता है,
पर किसी के लिए मेहबूब,
किसी के लिए चूड़ी का टूटा हुआ टुकड़ा होता है।
मुहोब्बत मेरा लत बन चुका हैं,

और तुम मेरी आदत बन चुकी हो।
सावली सूरत हैं उनकी,
मोहिनी मूरत हैं उनकी,
दिलचस्प सीरत हैं उनकी,
कुछ ऐसी ही तारीफ हैं उनकी।

Love Shayari writing
ये जो तन्हाई का आलम हैं,
साहब यही मुहोब्बत का अंजाम हैं।
हमें देखकर वो जो दिलसे मुस्कुराते हैं,
कभी उन्हें मायूस ना करना खुदा,
मयख़ाने के चक्कर लगाना तो आम बात हैं,
हमारे मेहबूब तो आँखोंसे जाम पिलाते हैं।
कुदरत की हसीन बनावट हैं इश्क़,
खुदा की खूबसूरत इनायत हैं इश्क़,
ना तू उसे जिस्मफिरोशी से तोल,
जिस्म से बहुत दूर हैं इश्क़।
मैंने पूछा इश्क़ करते हो? कितना ?
उसने कहा आसमां का विस्तार हैं जितना।
मैंने पूछा इंतजार करलोगे? कैसे ?
उसने कहा चातक जैसे करता हैं इंतजार बारिश का।🌧
तलब सी होगयी हैं लगता हैं अब मुझे,
तुमने कुछ इस कदर मुझे अपनी बनाया हैं।
इश्क़ मुक्कमल होने ही वाला था,
की कमबख्त नींद ने धोखा दे दिया।
तुम्हारी मुहोब्बत ने मेरी आदतें बिगाड़ दी हैं,

दिन हो या रात, दिल की प्यास बुझती ही नही हैं।
तुम्हारी नजाकत भरी बाते,
❤
मुझे काफी उलझा देती हैं।
तुम्हारी मुहोब्बत में चूर नजरें,
मुझे काफी सहमा देती हैं।
तुम्हारी दिलकश अदाएँ,

मुझे तुमसे लिपटी रखती हैं।
तुम्हारी हर शरारत भरी हरकत,
मुझे सिर्फ तुम्हारी बनाए रखती हैं।
दुनिया की चौखटे काफी ऊँची हैं,
उन्हें लांघ कर तुम मेरे हो पाओ,
तो हाँ तुम कबूल हो मुझे।

दुनिया मे कटघरे हर जगह हैं,
उनसे जीत कर तुम मेरे हो पाओ,
तो हाँ तुम कबूल हो मुझे।
हसरते तुम्हे पानेकी ना होती,

तुम अगर मेरी मुहोब्बत ना होती।
तुम अगर तुम्हारे जैसी ना होती,
यकीन मानो तुम वाकई मेरी मुहोब्बत ना होती।
तुम्हे देखती
❤हूं जब जब मैं,
खो जाती हूँ तब तब मैं,
मेरे तसव्वुर में भी तेरा एक किरदार हैं,

जो तेरा होकर भी सिर्फ मेरा हैं।
जो हम करना नही चाहते थे हमसे वो खता हो गई

मुहोब्बत कर के दिल टुटनेसे डरते हो,

गम की बारिश से घबराते हो,
ये तो वही बात हुई कि ,
आग में गिरो और जलो भी नही.


वाह क्या कमाल सोचते हो।
यूँ तो मोहब्बत

पर तुमसे मुलाक़ात क्या हुई हमारी अक्स तक आपकी हो गई।

कुछ तब्दीलियां जिंदगी में यूं हँसी हुई,

फासला वक़्त में, नजदीकियां दिलो मे बढ़ गई,
प्रदीप, प्रदीप ना रहा

कुछ इस कदर वो आप मे समा गया।
मुक्कदर में हो या ना हो,
तुम इस दिल

किस्मत को मंजूर हो या ना हो,
तुम इस नादान की आखिरी मंजिल हो।

उफ्फ मैडम का Gussa तो देखो,

हमारी एक मुस्कान और उनका गुस्सा गायब
दुनिया वालों के लिए होगा वो अदीब,
मेरे लिए तो वो मेरा हबीब हैं ।


बाहर गहरा सन्नाटा व खामोशी,
अंदर तूफान सा शोर,

मुहोब्बत के यही सितम हैं,
मेहबूब के आगे किसका चला हैं जोर।

तुम्हारे मुहोब्बत की बारिश में भीग जाउ,⛈⛈
तुम्हारे इंतजार की धूप में जल भी जाउ,
तुम्हारी महक इन हवाओंसे चुरा लाऊ,


तुम्हारी अदा इन फिजाओंसे छीन लाऊ,

खूबसूरत वो नही उसका हर अंदाज हैं,


मासूम सी उसकी मुस्कान ही मेरे बेचैन दिल का राज हैं।

तुम जो यूँ मुहोब्बत बरसाते हो ना मुझ पर,


बस इसीने आदतो ने बिगाड़ रखा है मुझे।

वो मुहोब्बत अलग ही परवान चढ़ती हैं,

जिसमें जुदाई का मौसम लम्बा ठहरा हो।
सुना हैं तौर तरीकों के पक्के हो,

सच बताना कही किसी से मुहोब्बत तो नही कर बैठे हो।

वो मुहोब्बत हैं जनाब

लाख मोड लो मुँह तुम।
अगले पल उसकी आगोश में होंगे,
फिर चाहें कई लगालो पहरे तुम।


वो मेरी आदत में एक परहेज लीख गया,✍
मेरी चाहत में वो अपना नाम लिख गया।


लिखना तो हम महज एक शेर चाहते थे,
पर तुम एक खूबसरत गजल की हकदार थी।
मुहोब्बत हावी होजाती है मुझ पर,

जब जिक्र तुम्हारा होता हैं।
हैवानियत हावी होजाती हैं मुझ पर,

जब जिक्र तुम्हारा किसी गैर से होता हैं।
मुहोब्बत को तेजाब से कम ना समझ,

तेरी तबियत को जला कर ही मानेगी

अनजान सा कोई वो शक़्स हैं,

जिसमे गुमनाम सा मेरा अक्स हैं।
दिल नही मानो मयखाना हो,

नशा हो तुम, नशे में हैं हम।
ये मस्तमौला आलम , ये आवारा समा,

ये दीवानगी की धुन, उसमे मदहोश बलमा।
कुछ बाते कभी बताई नही जाती,
महसूस की जाती हैं,

मुहोब्बत कभी दिखाई नही जाती,
उनकी हरकतों में झलकती जाती हैं।

रात के भी अपने अलग ही अंदाज हैं,

कभी वीरानी तो कभी तूफानी सौगात हैं।

आसमां में चांद तो एक ही होता है,

पर किसी के लिए मेहबूब,

किसी के लिए चूड़ी का टूटा हुआ टुकड़ा होता है।

मुहोब्बत मेरा लत बन चुका हैं,


और तुम मेरी आदत बन चुकी हो।
सावली सूरत हैं उनकी,

मोहिनी मूरत हैं उनकी,
दिलचस्प सीरत हैं उनकी,
कुछ ऐसी ही तारीफ हैं उनकी।




ये जो तन्हाई का आलम हैं,

साहब यही मुहोब्बत का अंजाम हैं।

हमें देखकर वो जो दिलसे मुस्कुराते हैं,

कभी उन्हें मायूस ना करना खुदा,

मयख़ाने के चक्कर लगाना तो आम बात हैं,
हमारे मेहबूब तो आँखोंसे जाम पिलाते हैं।

कुदरत की हसीन बनावट हैं इश्क़,

खुदा की खूबसूरत इनायत हैं इश्क़,
ना तू उसे जिस्मफिरोशी से तोल,
जिस्म से बहुत दूर हैं इश्क़।

मैंने पूछा इश्क़ करते हो? कितना ?

उसने कहा आसमां का विस्तार हैं जितना।

मैंने पूछा इंतजार करलोगे? कैसे ?

उसने कहा चातक जैसे करता हैं इंतजार बारिश का।🌧
तलब सी होगयी हैं लगता हैं अब मुझे,
तुमने कुछ इस कदर मुझे अपनी बनाया हैं।
इश्क़ मुक्कमल होने ही वाला था,

की कमबख्त नींद ने धोखा दे दिया।
तुम्हारी मुहोब्बत ने मेरी आदतें बिगाड़ दी हैं,


दिन हो या रात, दिल की प्यास बुझती ही नही हैं।
तुम्हारी नजाकत भरी बाते,

मुझे काफी उलझा देती हैं।
तुम्हारी मुहोब्बत में चूर नजरें,

मुझे काफी सहमा देती हैं।
तुम्हारी दिलकश अदाएँ,


मुझे तुमसे लिपटी रखती हैं।
तुम्हारी हर शरारत भरी हरकत,
मुझे सिर्फ तुम्हारी बनाए रखती हैं।

दुनिया की चौखटे काफी ऊँची हैं,

उन्हें लांघ कर तुम मेरे हो पाओ,
तो हाँ तुम कबूल हो मुझे।


दुनिया मे कटघरे हर जगह हैं,
उनसे जीत कर तुम मेरे हो पाओ,
तो हाँ तुम कबूल हो मुझे।
हसरते तुम्हे पानेकी ना होती,


तुम अगर मेरी मुहोब्बत ना होती।

तुम अगर तुम्हारे जैसी ना होती,

यकीन मानो तुम वाकई मेरी मुहोब्बत ना होती।

तुम्हे देखती

खो जाती हूँ तब तब मैं,

मेरे तसव्वुर में भी तेरा एक किरदार हैं,


जो तेरा होकर भी सिर्फ मेरा हैं।