तुमने तो चुन लिया हमसफर नया
हम किसको चुनें,
हमें तो पूरी दुनियाँ तुम्हारा दीवाना कहती हैं।
लो तुम पर कर्ज रही हमारी वफ़ा,
कभी करना तुम भी किसीसे वफ़ा हमारी तरह,
और फिर भी जाने जाना दुनिया मे बेवफ़ा
सरहदे जमीं की होती होगी,
दिल की कोई सरहद नही होती।
खून फिर भी बहता हैं जनाब,
मुहोब्बत की जंग इतनी भी आसान नही होती।
दुनियादारी से सहूलियत मिल जाए तो बताना,
हम आपसे इश्क़ फरमाना चाहते हैं वक़्त हो तो बताना।
हम तो सफर का लुफ्त उठा रहे थे,
तुमसे निगाहे मिलने की ही तो देरी थी,
हम खुद ही खुद को लुटा देते तुम पर ,
पर तुम्हे तो राहजनी की जल्दी थी।
मत मिलाया कर तू उन्हें कभी ऐ! खुदा,
जिन्हें तू कभी मिला ही नहीं सकता।
हजारो चीखे, लाखो जख्म
एक वक्त के आड़ छुपे हैं,
तुमने फिर दिए हैं घाव कई,
इस बार वक़्त तुम्हे छुपाने पर तुला हैं।
अपने जज्बातों के कातिल तुम खुद ही रहोगे,
जब तुम किसी पत्थर दिल से दिल्लगी करते रहोगे।
महज एक इत्तेफाक था,
हमें उनसे प्यार था,
बस इतना ही काफी था,
आबाद सी जिंदगी जीनेवाला आज बरबाद था।
तुम्हे मुहोब्बत नापनी हैं , कोई बात नही,
तुम आसमाँ में तारे कितने हैं वही गिनके बतादो,
तुम्हारे नापने की काबिलियत पर शक हैं हमे।
पहले भी नजरे चुराते थे वो हमसे,
दावा मुहोब्बत का करते थे,
खैर वो बात ही अलग है।
वो हमसे बगावत करने चले थे,
हमने उनसे रिश्ता तोड़ उन्हें आबाद करदिया।
लो तुम पर कर्ज रही हमारी वफ़ा,
कभी करना तुम भी किसीसे वफ़ा हमारी तरह,
और फिर भी जाने जाना दुनिया मे बेवफ़ा
पहले उन्हें लोगोंकी हड्डियां तोड़नेका शौक था,
फिर उन्हें मुहोब्बत हुई,
अब वो हमारा दिल नई नई तरकीबोंसे तोड़ते हैं।
मुहोब्बत का अंजाम इतना हसीन हुआ कि
हम शायरी करने लगे,
ये जो अब हम अल्फाजोंमे पिरोते हैं,
जी हाँ दिल- शिगाफी ही हैं।
तसव्वुर तक मुझसे खफा खफा से हैं,
एक वही जरिया था तुमसे मिलने का।
वक़्त बहुत कम हैं,
थोड़ा वक्त निकाल लिया करो।
वक़्त के अपने रुतबे हैं,
फुरसत का लालच इसे ना दिखाया करो।
कमाल की खूबसूरत थी वो,
जुबां से ज्यादा आँखोंसे बोला करती थी।
यूँ तो बतियाने से भी डरती थी वो,
पर प्यार हमसे बेहिसाब किया करती थी।
चैत के महीने में भी,
वो अपनी मर्जी से बरसता हैं।
मुक्कमल हो ही जाए उनको उनकी मुहोब्बत,
या खुदा तुझे तेरे शहर का वास्ता हैं।
वक़्त वक़्त की बात हैं ना ,
कल तक लगता तुम्हारे लिए अहम हैं हम,
अब लगता हैं फ़क़त एक वहम है हम।
चुभन सी होती हैं दिल मे,
जब कोई अपना बेगाना बन जाता हैं
महज एक नफ़स ही काफी है,
उगाने फसल मुहोब्बत की।
महज एक राज ही काफ़ी हैं,
जलाने फसल मुहोब्बत की।
महफ़िल लगी हैं,
नुमाइश हो रही हैं दीवाने की।
मुनीब काफी हैं यहाँ,
पैमाइश करने को मुहोब्बत की।
ताखीर ज्यादा तुम ना करोगी,
तारीख ऐसी हमने भी चाही थी।
बंदिशे सारी तोड के निकला हूं,
एक ख्वाब है जो हासिल करने निकला हूं,
मुहोब्बत के जिक्र से भी जिन्हें नफरत हैं,
इस दिल को उन्हींसे मुहोब्बत हैं।
पल भर की मुलाक़ात थी हम दोनोंकी,
जिंदगी बदल गयी हम दो दिलोंकी।
राह भटका मुसाफिर था मैं,
रहनुमा सा साथ उसने दे दिया।
बड़ी अल्लहड़ सी लड़की हुआ करती थी वो,
फिर एक दिन मुहोब्बत कर बैठी।
बहुत खोई खोई सी रहने लगी थी वो,
ये कैसी गुस्ताखी वो कर बैठी।
कागज का ये लिबास बदन से उतार दो,
पानी बरस गया तो किसे मुंह दिखाओगे.
किसी के अंदर प्रेम जगाकर उसे छोड़ देना,
उसकी हत्या करने के बराबर होता है..!!
जिंदगी बड़ी अजीब सी हो गयी है,
जो मुसाफिर थे वो रास नहीं आये,
जिन्हें चाहा वो साथ नहीं आये।
तुम्हारी ख़ैरियत पूछूँ तो आख़िर किससे पूछूँ,
कोई दोस्त भी नहीं तुम्हारी तरफ़ का मेरा।
दूर तो कर दिया हैं…!!
अलग कर पाओगे क्या ?
खुशियों की आरज़ू मे मुक़द्दर सो गये,
आँधी ऐसी चली कि अपने भी खो गये,
जिंदगी मोहताज नहीं मंजिलों की,
वक्त हर मंजिल दिखा देता है,
मरता नहीं कोई किसी की जुदाई में,
वक्त सबको जीना सिखा देता है।
इश्क़ एक बहुत ज़हरीला जंगल है यारों
यहां सांप नहीं हमसफ़र डसा करते हैं।
वो मुझसे बिछड़ना चाहती थी
मैंने कहा दुआ कर मेरी मौत की।
हम किसको चुनें,
हमें तो पूरी दुनियाँ तुम्हारा दीवाना कहती हैं।
लो तुम पर कर्ज रही हमारी वफ़ा,
कभी करना तुम भी किसीसे वफ़ा हमारी तरह,
और फिर भी जाने जाना दुनिया मे बेवफ़ा

सरहदे जमीं की होती होगी,
दिल की कोई सरहद नही होती।
खून फिर भी बहता हैं जनाब,
मुहोब्बत की जंग इतनी भी आसान नही होती।
दुनियादारी से सहूलियत मिल जाए तो बताना,
हम आपसे इश्क़ फरमाना चाहते हैं वक़्त हो तो बताना।
हम तो सफर का लुफ्त उठा रहे थे,
तुमसे निगाहे मिलने की ही तो देरी थी,
हम खुद ही खुद को लुटा देते तुम पर ,
पर तुम्हे तो राहजनी की जल्दी थी।
मत मिलाया कर तू उन्हें कभी ऐ! खुदा,
जिन्हें तू कभी मिला ही नहीं सकता।
हजारो चीखे, लाखो जख्म
एक वक्त के आड़ छुपे हैं,
तुमने फिर दिए हैं घाव कई,
इस बार वक़्त तुम्हे छुपाने पर तुला हैं।
अपने जज्बातों के कातिल तुम खुद ही रहोगे,
जब तुम किसी पत्थर दिल से दिल्लगी करते रहोगे।
महज एक इत्तेफाक था,
हमें उनसे प्यार था,
बस इतना ही काफी था,
आबाद सी जिंदगी जीनेवाला आज बरबाद था।
तुम्हे मुहोब्बत नापनी हैं , कोई बात नही,
तुम आसमाँ में तारे कितने हैं वही गिनके बतादो,
तुम्हारे नापने की काबिलियत पर शक हैं हमे।
पहले भी नजरे चुराते थे वो हमसे,
दावा मुहोब्बत का करते थे,
खैर वो बात ही अलग है।
वो हमसे बगावत करने चले थे,
हमने उनसे रिश्ता तोड़ उन्हें आबाद करदिया।
लो तुम पर कर्ज रही हमारी वफ़ा,
कभी करना तुम भी किसीसे वफ़ा हमारी तरह,
और फिर भी जाने जाना दुनिया मे बेवफ़ा

पहले उन्हें लोगोंकी हड्डियां तोड़नेका शौक था,
फिर उन्हें मुहोब्बत हुई,
अब वो हमारा दिल नई नई तरकीबोंसे तोड़ते हैं।
मुहोब्बत का अंजाम इतना हसीन हुआ कि
हम शायरी करने लगे,
ये जो अब हम अल्फाजोंमे पिरोते हैं,
जी हाँ दिल- शिगाफी ही हैं।
तसव्वुर तक मुझसे खफा खफा से हैं,
एक वही जरिया था तुमसे मिलने का।
वक़्त बहुत कम हैं,
थोड़ा वक्त निकाल लिया करो।
वक़्त के अपने रुतबे हैं,
फुरसत का लालच इसे ना दिखाया करो।
कमाल की खूबसूरत थी वो,
जुबां से ज्यादा आँखोंसे बोला करती थी।
यूँ तो बतियाने से भी डरती थी वो,
पर प्यार हमसे बेहिसाब किया करती थी।
चैत के महीने में भी,
वो अपनी मर्जी से बरसता हैं।
मुक्कमल हो ही जाए उनको उनकी मुहोब्बत,
या खुदा तुझे तेरे शहर का वास्ता हैं।
वक़्त वक़्त की बात हैं ना ,
कल तक लगता तुम्हारे लिए अहम हैं हम,
अब लगता हैं फ़क़त एक वहम है हम।
चुभन सी होती हैं दिल मे,
जब कोई अपना बेगाना बन जाता हैं
महज एक नफ़स ही काफी है,
उगाने फसल मुहोब्बत की।
महज एक राज ही काफ़ी हैं,
जलाने फसल मुहोब्बत की।
महफ़िल लगी हैं,
नुमाइश हो रही हैं दीवाने की।
मुनीब काफी हैं यहाँ,
पैमाइश करने को मुहोब्बत की।
ताखीर ज्यादा तुम ना करोगी,
तारीख ऐसी हमने भी चाही थी।
बंदिशे सारी तोड के निकला हूं,
एक ख्वाब है जो हासिल करने निकला हूं,
मुहोब्बत के जिक्र से भी जिन्हें नफरत हैं,
इस दिल को उन्हींसे मुहोब्बत हैं।
पल भर की मुलाक़ात थी हम दोनोंकी,
जिंदगी बदल गयी हम दो दिलोंकी।
राह भटका मुसाफिर था मैं,
रहनुमा सा साथ उसने दे दिया।
बड़ी अल्लहड़ सी लड़की हुआ करती थी वो,
फिर एक दिन मुहोब्बत कर बैठी।
बहुत खोई खोई सी रहने लगी थी वो,
ये कैसी गुस्ताखी वो कर बैठी।
कागज का ये लिबास बदन से उतार दो,
पानी बरस गया तो किसे मुंह दिखाओगे.
किसी के अंदर प्रेम जगाकर उसे छोड़ देना,
उसकी हत्या करने के बराबर होता है..!!
जिंदगी बड़ी अजीब सी हो गयी है,
जो मुसाफिर थे वो रास नहीं आये,
जिन्हें चाहा वो साथ नहीं आये।
तुम्हारी ख़ैरियत पूछूँ तो आख़िर किससे पूछूँ,
कोई दोस्त भी नहीं तुम्हारी तरफ़ का मेरा।
दूर तो कर दिया हैं…!!
अलग कर पाओगे क्या ?
खुशियों की आरज़ू मे मुक़द्दर सो गये,
आँधी ऐसी चली कि अपने भी खो गये,
जिंदगी मोहताज नहीं मंजिलों की,
वक्त हर मंजिल दिखा देता है,
मरता नहीं कोई किसी की जुदाई में,
वक्त सबको जीना सिखा देता है।
इश्क़ एक बहुत ज़हरीला जंगल है यारों
यहां सांप नहीं हमसफ़र डसा करते हैं।
वो मुझसे बिछड़ना चाहती थी
मैंने कहा दुआ कर मेरी मौत की।