बदनाम कर गया मुझको ये तेरा झूठा इश्क 
अब मैं पानी
भी पियू तो लोग शराबी कहते है
कभी न छोड़ कर जाने का वादा किया था उसने
बस इतना बताना भूल गई
कि एक हथेली से हमारा साथ
और
दूसरी हथेली से किसी और का साथ निभायेगी वो
वक़्त-बेवक्त
याद ना आया करो
इतनी फ़ुर्सत है तो चली आया करो।

जनाब मेरी शायरी लोगों को दिल
घर कर गयी हैं.
मुझे हो गया है किसी से मोहब्बत पर
बो मेरी नही किसी ओर की हो गयी हैं
हर कोई टूटी मोहब्बत की झूठी कहानी सुनाता है
अब कहाँ कोई प्रदीप के दिल को समझ पाता है
गुनाह भी करवाते हो
गुनेहगार भी ठहराते हो।
और पूछते हो रजा क्या है तुम्हारी?
अरे मैडम पहले आप बताओ
इतने बदल जाने की वजह क्या है तुम्हारी??
तेरे बगैर किसी और को देखना नही मुझे
सुख गया वो तेरा गुलाब मगर फेका नही मैने
इस शहर के लोगो में वफा ढूंढ रहे हो
तुम जहर की शिसी में दवा ढूंढ रहे हो
अगर मिल जाति हर किसी को मोहब्बत की मंजिल तो
इन रातों
के अंधेरे में शायरी कोन करता 

खर्चा हो गया है दिन
काम काज में लेकिन?
देख तेरे वास्ते मैने रात को बचा के रखा है
तेरी फर्क पड़ने से अब मुझ को फर्क नहीं पड़ता
क्योंकि जो मैंने खुद को बदला है वह एक बदला है
कुछ चीज हम
पुरानी छोड़ आए हैं…
आते आते उसकी आखों में पानी छोड़ आए है
हम भी चुपके से तुम्हारा नाम लेकर

गुजार देंगे यह जिंदगी और ?
जमाने को खबर तक ना होगी
कि मुझे सिर्फ तुमसे मोहब्बत है

पुछ लेते वो बस मिजाज मेरा
कितना आसान था इलाज मेरा

मुश्किल बस इतनी है कि
मुझे जताना नहीं आता
और लोग कहते हैं कि

हमें प्यार निभाना नहीं आता
️
️
छूट जाते है हाथ चलते चलते
तुम रूह से बंधे हो घबराना मत
जब रूह से ज़िस्म हारती है तो
मौत सिर्फ़ एक बार मारती है
ख़ुश रहने की कोशिश ना करो तो
ये ज़िंदगी बार-बार मारती है

तूने देखा
ही नहीं रूखसती के वक्त

कितने वास्ते थे मेरी आंखों में

दिल को करेंगे अब हम तर्क-ए-ताल्लुक पे राजी
ये सब रोज मोहब्बत
के सितम कोन सहे
तुम आओ तो सही
हम साथ बैठकर लंबी लंबी बाते करेंगे
हा वक्त
तो काफ़ी लगेगा पर ताजा सारी यादें करेंगे।
वो कहते है मजबूर है हम

पास होकर भी तुमसे दूर है हम
चुराली उन्होंने धड़कन भी हमारी
फिर भी कहते है बेकसूर है हम

सायद अब दिल टूटने लगा है
पर इश्क टूटा नहीं है
दिल की बात तुमसे चाह कर भी कह ना पाए
पर प्यार मेरा झूठा नही है
नजर
चाहता है दीदार करना
दिल चाहता है प्यार करना
क्या बताऊं इस दिल
का आलम
नसीब
में लिखा है इंतज़ार करना
उसने
पूछा भूल
गए हों क्या
मैंने
कहा तेरी यादें इजाजत कहाँ देती है

मुलाकात
से ही बना लो ज़िंदगी 
क्या पता ये मुलाकात
आखरी हो
मिल लो कभी-कभी चेहरे से भी
क्या पता अबकी बारी आखरी हो
दिल
में है जो दर्द
वो दर्द किसे बताएं,
हंसते हुए ये ज़ख्म किसे दिखाएँ,
कहती है ये दुनिया
हमे खुश नसीब
मगर इस नसीब की दास्ताँ किसे बताएं…!!

माना उदासियो में हूँ इन दिनो

फिर भी तुझे
सोचकर मुस्कुरा देता हूँ 


अब मैं पानी


कभी न छोड़ कर जाने का वादा किया था उसने

बस इतना बताना भूल गई

कि एक हथेली से हमारा साथ

दूसरी हथेली से किसी और का साथ निभायेगी वो

वक़्त-बेवक्त


इतनी फ़ुर्सत है तो चली आया करो।


जनाब मेरी शायरी लोगों को दिल

मुझे हो गया है किसी से मोहब्बत पर

बो मेरी नही किसी ओर की हो गयी हैं

हर कोई टूटी मोहब्बत की झूठी कहानी सुनाता है

अब कहाँ कोई प्रदीप के दिल को समझ पाता है

गुनाह भी करवाते हो


और पूछते हो रजा क्या है तुम्हारी?

अरे मैडम पहले आप बताओ

इतने बदल जाने की वजह क्या है तुम्हारी??
तेरे बगैर किसी और को देखना नही मुझे

सुख गया वो तेरा गुलाब मगर फेका नही मैने

इस शहर के लोगो में वफा ढूंढ रहे हो

तुम जहर की शिसी में दवा ढूंढ रहे हो

अगर मिल जाति हर किसी को मोहब्बत की मंजिल तो

इन रातों



खर्चा हो गया है दिन

देख तेरे वास्ते मैने रात को बचा के रखा है

तेरी फर्क पड़ने से अब मुझ को फर्क नहीं पड़ता

क्योंकि जो मैंने खुद को बदला है वह एक बदला है

कुछ चीज हम


आते आते उसकी आखों में पानी छोड़ आए है

हम भी चुपके से तुम्हारा नाम लेकर


गुजार देंगे यह जिंदगी और ?
जमाने को खबर तक ना होगी

कि मुझे सिर्फ तुमसे मोहब्बत है


पुछ लेते वो बस मिजाज मेरा

कितना आसान था इलाज मेरा


मुश्किल बस इतनी है कि

मुझे जताना नहीं आता

और लोग कहते हैं कि


हमें प्यार निभाना नहीं आता


छूट जाते है हाथ चलते चलते

तुम रूह से बंधे हो घबराना मत

जब रूह से ज़िस्म हारती है तो

मौत सिर्फ़ एक बार मारती है

ख़ुश रहने की कोशिश ना करो तो

ये ज़िंदगी बार-बार मारती है


तूने देखा



कितने वास्ते थे मेरी आंखों में


दिल को करेंगे अब हम तर्क-ए-ताल्लुक पे राजी

ये सब रोज मोहब्बत


तुम आओ तो सही

हम साथ बैठकर लंबी लंबी बाते करेंगे

हा वक्त


वो कहते है मजबूर है हम


पास होकर भी तुमसे दूर है हम

चुराली उन्होंने धड़कन भी हमारी

फिर भी कहते है बेकसूर है हम


सायद अब दिल टूटने लगा है

दिल की बात तुमसे चाह कर भी कह ना पाए

पर प्यार मेरा झूठा नही है

नजर


दिल चाहता है प्यार करना

क्या बताऊं इस दिल


नसीब


उसने



मैंने



मुलाकात


क्या पता ये मुलाकात


मिल लो कभी-कभी चेहरे से भी

क्या पता अबकी बारी आखरी हो

दिल



हंसते हुए ये ज़ख्म किसे दिखाएँ,

कहती है ये दुनिया


मगर इस नसीब की दास्ताँ किसे बताएं…!!


माना उदासियो में हूँ इन दिनो


फिर भी तुझे


