संज्ञा की परिभाषा, भेद, प्रकार और उदाहरण

संज्ञा (Sangya in Hindi)​

संज्ञा (sangya): जिस शब्द में व्यक्ति, प्राणी, स्थान, दशा, वस्तु, भाव, गुण आदि के नाम का ज्ञान होता है, उसे हम संज्ञा कहते है।

संज्ञा के उदाहरण (Sangya Ke Udahran)​

व्यक्ति: मोहन, राजू, नेहा, गौतम, धोनी, विराट आदि।
प्राणी: गया, भैस, शेर, बाघ, भालू, हाथी, बंदर आदि।
स्थान: उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि।
वस्तु: घड़ी, ताला, ब्रश, बर्तन, कुर्सी, कंघी, चाभी आदि।
भाव: व्यथा, भय, क्रोध, उत्साह, आश्चर्य आदि।
गुण: सुंदरता, ईमानदार, बेईमान आदि।


पद के प्रकार (Padh Ke Prakar)​

हिंदी में पड़ के पांच प्रकार के होते है, नीचे देख सकते है।
  • संज्ञा
  • सर्वनाम
  • विशेषण
  • क्रिया
  • अव्यय

संज्ञा किसे कहते है (Sangya Kise Kahate Hain)​

जिस शब्द से किसी प्राणी, स्थान, वस्तु और दशा के नाम को संज्ञा कहते है, जैसे कि लड़की, लड़का, बैल, चिड़िया आदि।

संज्ञा की पहचान (Sangya Ki Pahchan)​

संज्ञा में दो वाचक होते है, निचे देख सकते है।
  • प्राणी वाचक शब्द: गाय, भैस, लड़का, लड़की, राजू, नेहा, कौआ आदि।
  • अप्राणी: पेन, पेंसिल, पुस्तक, बैग, कपाट, कंप्यूटर, कुर्सी आदि।

संज्ञा के उदाहरण (Sangya Ke Udahran)​

  • राजू बाहर जा रहा है – राजू व्यक्ति का नाम है।
  • आम बहुत मीठा है – आम एक फल का नाम है।
  • गाय घास खा रही है – गाय एक पशु है।
  • उत्तर प्रदेश में लिट्टी चोखा बहुत प्रसिद्ध है – उत्तर प्रदेश एक राज्य का नाम है।
  • टेबल के ऊपर मोबाइल रखा है – टेबल एक वस्तु का नाम है।
  • बेईमानी अच्छी बात नही है – बेईमानी एक भाव का नाम है।

संज्ञा के प्रकार (Sangya Ke Prakar)​

संज्ञा के भेद: संज्ञा के पांच भेद होते है, नीचे देख सकते है।
  1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
  2. जातिवाचक संज्ञा
  3. भाववाचक संज्ञा
  4. द्रव्यवाचक संज्ञा
  5. समूहवाचक संज्ञा

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyaktivachak Sangya)​

जिस संज्ञा शब्द से किसी विशेष प्राणी, वस्तु, स्थान आदि का ज्ञान होता है, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है, जैसे – सीता, आम, गंगा, टेबल, किताब आदि।
  • लक्षमण खाना खा रहा है – लक्ष्मण एक लड़के का नाम है।
  • सिमरन स्कूल जा रही है – सिमरन एक लड़की का नाम है।
  • कपाट में कपड़े रखे है – कपाट एक वस्तु है लेकिन यह एक नाम को सूचित कर रहा है इसलिए यह व्यक्तिवाचक है।
  • डाइनिंग टेबल पर खाना रखा है – डाइनिंग टेबल एक वस्तु है लेकिन यह एक नाम को सूचित कर रहा है इसलिए यह व्यक्तिवाचक है।
  • राजस्थान में सबसे ज्यादा ऊंट पाए जाते है – राजस्थान एक राज्य है किंतु पूरा देश नही है इसलिए यह व्यक्तिवाचक है।

व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण (Vyaktivachak Sangya Ke Udahran)​

  • विराट कोहली बहुत अच्छा क्रिकेट खेलते है।
  • राहुल को फुटबॉल खेलना पसंद है।
  • नेहा बैटमिंटन खेलना चाहती है।
  • अक्षय कुमार की नई फिल्म आने वाली है।
  • सोनू राजस्थान घूमने जाने वाला है।
  • महाराष्ट्र एक राज्य है।
  • अंजली कॉलेज गई है।

2. जातिवाचक संज्ञा (Jativachak Sangya)​

जिस शब्द से किसी स्थान, प्राणी, वस्तु आदि की पूरी जाति का बोध करते है, तो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते है, जैसे – पुरुष, छात्र, पशु, मित्र, नदी, नारी आदि।
  • राहुल ने जर्सी गाय ख़रीदी – जर्सी गाय एक प्राणी की जाती का नाम है।
  • रोहित गंगा नदी देखने जा रहा है – गंगा नदी एक स्थान है। भारत में अनेक नदिया है।
  • नेहा पुस्तकालय से एक पुस्तक लाना – पुस्तक एक वस्तु है। पुस्तकालय में अनेक पुस्तक पाए जाते है।

जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण (Jativachak Sangya Ke Udahran)​

  • राहुल ने जर्सी गाय खरीदना चाहता है।
  • इस पेड़ पर पक्षी आती जाती रहती है।
  • सड़क पर अनेक गाड़ियां चलती रहती है।
  • उत्तर प्रदेश में अनेक नदिया है।

3. भाववाचक संज्ञा (Bhavvachak Sangya)​

जिन संज्ञा शब्द से किसी भाव, गुण, अवस्था, धर्म, दशा आदि का बोध करने वाले शब्द को भाववाचक संज्ञा कहते है, जैसे –
  • इस बुढ़ापे के कौन जीना चाहेगा – बुढ़ापे जीवन की एक अवस्था है।
  • वह उत्साह से भरा हुआ है – उत्साह एक भाव है।
  • वह सुंदरता से भरी हुई है – सुंदरता एक गुण है।
  • उसे आश्चर्य हो रहा है – आश्चर्य एक गुण या दशा है।

भाववाचक संज्ञा के उदाहरण (Bhavvachak Sangya Ke Udahran)​

  • राहुल ने बेदर्दी से बैल को पिट डाला।
  • नेहा के आवाज में बहुत मिठास है।
  • राहुल बहुत मेहनत करता, बहुत जल्द उसे सफलता मिलने वाली है।
  • रोहित उत्साह के साथ खेल रहा है।
  • गौरव एक ईमानदार लड़का है।

4. द्रव्यवाचक संज्ञा (Dravyavachak Sangya)​

जिस संज्ञा शब्द में किसी द्रव्य, सामग्री, पदार्थ आदि का बोध होता है, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है, जैसे कि
  • गेंहू बहुत महंगा हो गया है – गेंहू एक भोजन सामग्री है।
  • दाल बहुत सस्ता हो गया है – दाल एक भोजन सामग्री है।
  • सोना का भाव बड़ गया है – सोना आभूषण के लिए एक द्रव्य है।
  • नामक बहुत सस्ता हो गया है – नामक एक भोजन पदार्थ है।
  • दूधवाले ने आज दूध नही लाया – दूध एक पदार्थ है।
  • राहुल दाल में घी डालो – घी भोजन की सामग्री है।
  • तांबा और पीतल के भाव क्या चल रहा है – तांबा और पीतल एक द्रव्य या पदार्थ है।

द्रव्यवाचक संज्ञा के उदाहरण (Dravyavachak Sangya Ke Udahran)​

  • राहुल के पास सोने और चांदी के आभूषण है।
  • रोहित दुकान से तेल लेकर आओ।
  • मुझे घी बहुत पसंद है।
  • उसे चावल बहुत पसंद है।
  • मुझे दूध के साथ रोटी खाना पसंद है।

5. समूहवाचक या समुच्चयबोधक संज्ञा (Samuhvachak Ya Samucchbodhak Sangya)​

जिस शब्द से किसी एक व्यक्ति का बोध न होकर पूरे समूह/ समाज का बोध हो, उसे समूहवाचक या समुच्चयबोधक संज्ञा कहते है, जैसे –
  • सेना हमारे देश की रक्षा करती है – सेना में कई सैनिक होते है। इसमें समूह की बात हो रही है।
  • पुस्तकालय में अनेक पुस्तक रखे गए है – पुस्तकालय में कई पुस्तल होते है। इसमें भी समूह की बात हो रही है।
  • हमारे परिवार में चार लोग है – एक परिवार में अनेक सदस्य होते है। इसमें भी समूह की बात हो रही है।
  • गाय का झुंड उछल-कूद मचा रहा है – झुंड में कई गाय शामिल है।

समूहवाचक संज्ञा के उदाहरण (Samuhvachak Sangya Ke Udahran)​

  • भारतीय सेना ने चीनियों के छक्के छुड़ा दिए।
  • गाय का झुंड उछल-कूद मचा रहे है।
  • मेरे परिवार में कुल पांच सदस्य है।
  • आज रेलवे स्टेशन पर भीड़ जमा हो गयी।
  • हिरण हमेशा झुंड में सफर करती है।

भाववाचक संज्ञा बनाना (Bhavvachak Sangya Banana)​

जातिवाचकभाववाचकविशेषणभाववाचकक्रियाभाववाचक
आदमीआदमीयतउचितऔचित्यगिरनागिरावट
ईश्वरऐश्वर्यतपस्वीतपस्याचलनाचलन
गुरूगुरूत्वमहामहानतादौडनादौड़
चिकित्सकचिकित्सासुन्दरसुंदरतापूजनापूजा
भ्रातृभ्रातृत्वजालिमजुल्मपढनापढाई
युवकयौवनभूखाभूखबोलनाबोल
वत्सवात्सल्यसफेदसफेदीहँसनाहँसी
संस्कृतिसंस्कारआलसीआलस्यअहमअंहकार
कुमारकौमार्यप्यासाप्यास
घरघरेलूविधवावैधव्य

संज्ञा की पहचान (Sangya Ki Pahchan)​

संज्ञा में कुछ शब्द प्राणीवाचक और कुछ शब्द अप्राणिवाचक होता है। इसमें कुछ शब्द गणनीय और कुछ शब्द अगणनीय होती है।

प्राणीवाचक संज्ञा (Pranivachak Sangya)​

जिस शब्द में सजीव वस्तु का बोध हो, जिसमें प्राण हो उसे प्राणीवाचक संज्ञा कहते है, जैसे –
  • गाय
  • राहुल
  • नेहा
  • चिड़िया
  • मोर
  • शेर
  • घोड़ा

अप्राणिवाचक संज्ञा (Apranivachak Sangya)​

जिस वस्तु में प्राण न हो, उसे अप्राणिवाचक संज्ञा कहते है, जैसे –
  • टेबल
  • पेन
  • मकान
  • गाड़ी
  • बैग
  • कुर्सी
  • जूता
  • पहाड़

गणनीय संज्ञा (Ganniya Sangya)​

जिस संज्ञा शब्द से व्यक्ति, वस्तु, पदार्थ आदि की गणना की जा सकती है, उसे गणनीय संज्ञा कहते है, जैसे –
  • लड़का
  • पेन
  • बैल
  • गाड़ी
  • पुस्तक
  • गाय

अगणनीय संज्ञा (Aganniya Sangya)​

जिस संज्ञा शब्द से व्यक्ति, पदार्थ, वस्तु आदि की गणना नही की जा सकती है, उसे अगणनीय संज्ञा कहते है, जैसे –
  • पानी
  • दूध
  • हवा
  • मिट्टी

संज्ञा के विकार Sangya Ke Vikar)​

संज्ञा के तीन विकार होते है, नीचे देख सकते है।
  1. लिंग
  2. वचन
  3. कारक

लिंग (Ling)​

संज्ञा के जिस रूप में पुरुष या स्त्री जाति का बोध हो उसे लिंग कहते है। लिंग के दो भेद होते है।
  • पुल्लिंग
  • स्त्रीलिंग

पुल्लिंग (Pulling)​

संज्ञा के जिस रूप से पुरूष जाति का बोध हो, उसे पुल्लिंग कहते है, जैसे
  • कान – राहुल का कान दुख रहा है।
  • झुमका – मेरे कान का झुमका अच्छा है ना।
  • पपीता – मुझे पपीता बहुत पसंद है।
  • जल – राहुल, पापा घर आ गए है, उन्हें जल देदो।
  • दही – यह दही बहुत खट्टा है।
  • दिन – आज का दिन मेरे लिए बहुत अच्छा रहा।

पुल्लिग शब्दों की सामान्य पहचान (Pulling Shabdon Ki Samanya Pahchan)​

  • शरीर के अवयवों के नाम: सिर, मस्तक, मुँह, कान, बाल, नाखून, दाँत, होंठ, गाल, हाथ, पैर, पाँव आदि।
  • देशों के नाम: भारत, चीन, जापान, अमेरिका, इंग्लैंड, पाकिस्तान, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका आदि।
  • पर्वतों के नाम: हिमालय, विन्ध्य, सह्याद्रि, अरावली आदि।
  • समुद्रों के नाम: हिंद महासागर, अरब सागर, प्रशांत महासागर, काला सागर आदि ।
  • महीनों के नाम: जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सप्तबेर, अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर।
  • दिनों के नाम: रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार और शनिवार।
  • वृक्षों के नाम: आम, पीपल, बरगद, नारियल, कदंब, बबूल आदि।
  • अनाजों के नाम: गेहूँ, जौ, चावल, बाजरा, चना, उड़द, मक्का, मटर आदि।
  • द्रव पदार्थों के नाम: पानी, शरबत, दूध, दही, मक्खन, तेल, घी आदि।
  • धातुओं के नाम: सोना, लोहा, पीतल, तांबा, काँसा, सीसा, जस्ता आदि।
  • रत्नों के नाम: हीरा, माणिक, नीलम, पुखराज, पन्ना, मूंगा, मोती आदि।

स्त्रीलिंग (Striling)​

संज्ञा के जिस रूप से स्त्री जाति का बोध हो, उसे स्त्रीलिंग कहते है, जैसे –
  • आंख – राहुल ने मुझे आंख मारा।
  • नाक – मेरे नाक बहुत दुख रहा है।

स्त्रीलिंग शब्दों की सामान्य पहचान (Striling Shabdon Ki Samanya Pahchan)​

  • नदियों के नाम: गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, कृष्णा, कावेरी आदि।
  • तिथियों के नाम: दूज, तीज, एकादशी, पूर्णिमा, अमावस आदि।
  • नक्षत्रों के नाम: अश्विनी, कृतिका, रोहिणी, आर्द्रा आदि।
  • कुछ मनोभावों के नाम: दया, करुणा, लज्जा, तृष्णा, व्यथा, पीड़ा, खुशी, ममता आदि ।
  • भाषाओं के नाम: हिंदी, संस्कृत, गुजराती, मराठी, तमिल आदि।
  • मसालों के नाम: हल्दी, धनिया, मिर्च, मेथी, इलायची आदि।
  • खाद्य पदार्थों के नाम: रोटी, दाल, पूड़ी, कचौड़ी, खीर, जलेबी, मलाई, खिचड़ी आदि।

उदाहरण (Udahran)​

पुल्लिगस्त्रीलिंग
शिष्यशिष्या
प्रियप्रिया
बालबाला
सुतसुता
महोदयमहोदया
सदस्यसदस्या
छात्रछात्रा
सुलतानसुलताना
बालकबालिका
सेवकसेविका

वाक्य में प्रयोग (Vakya Me Prayog)​

पुल्लिगस्त्रीलिंग
उसका पति नौकरी करता है।उसकी पत्नी नौकरी करती है।
वह लड़का पत्थर मार रहा है।वह लड़की पत्थर मार रही है।
भाई रुपये लेकर आ रहा है।बहन रुपये लेकर आ रही है।
हाथी नीचे बैठ गया।हथिनी नीचे बैठ गयी।

उभयलिंग (Ubhayling)​

कुछ शब्द ऐसे होते है जो दोनों लिंगो में प्रयोग होते है। इन शब्दों में लिंग परिवर्तन नही होता, जैसे –
  • प्रधानमंत्री
  • राष्ट्रपति
  • मैनेजर
  • इंजीनियर

वचन (Vachan)​

शब्द के जिस रूप में किसी वस्तु के एक या अनेक होने का बोध हो, उसे वचन कहते है। वचन के दो भेद होते है।
  • एकवचन
  • बहुवचन

एकवचन (Ekvachan)​

शब्द में जिस रूप में केवल एक व्यक्ति या वस्तु का बोध हो, उसे एकवचन कहते है।

बहुवचन (Bahuvachan)​

शब्द में जिस रूप से एक से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं का बोध हो, उसे बहुवचन कहते है।

उदाहरण (Udahran)​

एकवचनबहुवचन
किताबकिताबें
दीवारदीवारें
बूंदबूंदें
बातबातें
पुस्तकपुस्तकें
तलवारतलवारें
आँखआँखें
किरणकिरणें
सड़कसड़कें
चीजचीजें

कारक (Karak)​

संज्ञा अथवा सर्वनाम के जिस रुप से उसका सम्बन्ध वाक्य की क्रिया या किसी अन्य शब्द के साथ जाना जाए, उसे कारक कहते हैं।

कारकों के नाम, विभक्तियाँ, लक्षण और उदाहरण​

Sr. Noकारकों के नामविभक्तियाँलक्षणउदाहरण
1कर्तानेक्रिया को करने वालाराकेश ने पुस्तक पढ़ी।
2कर्मकोजिस पर क्रिया का प्रभाव पड़ता है।माँ ने पुत्र को बुलाया।
3कारणसेक्रिया के साधन के अर्थ में।हम अपने आँखों से देखते हैं।
4सम्प्रदानको, के लिएजिसके लिए क्रिया की जाती है।राहुल रोहित के लिए मिठाई लाया।
5अपादानसेकिसी वस्तु से अलग होने का भावपेड़ से फल गिरा।
6सम्बन्धका, के, को, रा, रे, रीअन्य शब्द के साथ संबंध का बोधयह सोनू जी का घर है।
7अधिकरणमैं, परक्रिया के आधार के अर्थ मेंमेघा वन में रहता है।
8सम्बोधनहे, अजी, अरे आदिकिसी को पुकारने के अर्थ मेंअरे लड़की, इधर आ।

कारक चिन्ह प्रयोग (Karak Chinha Prayog)​

कर्ता कारक: संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से क्रिया के करने वाले का बोध होता है, उसे कर्ता कारक कहते है। इसकी विभक्त ने है, जैसे-
  • रोहित ने पुस्तक पढ़ी है।
  • राहुल स्कूल जाता है।
कर्म कारक: संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप पर क्रिया के व्यापार का फल पड़ता है, उसे कर्म कारक कहा जाता हैं। इसकी विभक्ति को है, जैसे –
  • लक्ष्मण को नाचना पसंद है।
  • उस लड़के ने कुत्ते को मारा।
करण कारक: संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से कर्ता के काम करने के साधन का बोध हो, उसे करण कारक कहा जाता है। इसकी विभक्ति से या द्वारा है, जैसे –
  • मुझे आज यहां से अपने घर जाना है।
  • राम ने बाण से बालि को मारा
सम्प्रदान कारक: संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप के लिए क्रिया की जाए, उसे सम्प्रदान कारक कहते है। इसकी विभक्ति के लिए या को है, जैसे –
  • मैंने अपने बच्चों के लिए गुड़िया लाई।
  • अध्यापक ने विधार्थियों के लिए कुछ पुस्तकें लाए।
अपादान कारक: संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से किसी वस्तु के दूर हटने या अलग होने का बोध हो, उसे अपादान कारक कहा
जाता है। इसकी विभक्ति से है। जैसे –
  • गंगा नदी हिमालय से निकलती है।
  • राजू पहाड़ से नीचे गिर गया।
सम्बन्ध कारक: संज्ञा या सर्वनाम का जो रुप एक वस्तु का दूसरी वस्तु के साथ सम्बन्ध प्रकट करे, उसे सम्बन्ध कारक कहा जाता है। इसकी विभक्ति का, के, की, रा, रे, री है, जैसे –
  • यह राहुल की गाड़ी है।
  • यह मेहता का घर है।
अधिकरण कारक: संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से क्रिया के आधार का बोध हो, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। इसकी विभक्ति में या पर है, जैसे –
  • आज अखबार में अच्छी खबर छपी है।
  • मुम्बई में एक घर खोज रहा हूं।
सम्बोधन कारक: संज्ञा का जो रुप चेतावनी या किसी को पुकारने का सूचक हो, उसे सम्बोधन कारक कहते है। इसकी विभक्ति अरे, , हे, वाह! आदि है, जैसे –
  • अरे राहुल! जरा इधर आना।
  • हे, ईश्वर! उसकी मदद करना।

FAQs​

संज्ञा की परिभाषा क्या है
जिस शब्द में व्यक्ति, प्राणी, स्थान, दशा, वस्तु, भाव, गुण आदि के नाम का ज्ञान होता है, उसे हम संज्ञा कहते है।

संज्ञा के कितने भेद होते है
संज्ञा के पांच भेद होते है, जैसे की व्यक्तिवाचक संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, भाववाचक संज्ञा, द्रव्यवाचक संज्ञा और समूहवाचक संज्ञाI
 
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