कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर | Kanhaiyalal Mishra Prabhakar

स्वतंत्र-संग्राम की ज्योति और पत्रकारिता की साधना में जिन साहित्यकारों और गद्य शैलियों का अभ्युदय हुआ, उसमें कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी का विशेष स्थान है| हिंदी में लघुकथा, स्मरण, रेखाचित्र और रिपोर्ताज की अनेक विधाओं का उन्होंने पवर्तन और पोषण किया है| ये एक आदर्शवादी पत्रकार रहे हैं| अंत उन्होंने पत्रकारिता को भौतिक स्वार्थों की सिद्धि का साधन ना बनाकर उच्च मानवीय मूल्यों की खोज और स्थापना में ही लगाया है|

कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर | Kanhaiyalal Mishra Prabhakar

kanhaiyalal mishra prabhakar ka jivan parichay | कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का जीवन परिचय​

कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी का जन्म 29 मई, 1986 ई. में सहारनपुर स्थित देवबंद ग्राम के एक सामान्य ब्राह्मण परिवार में हुआ था| इनके पिता पंडित रमादत्त मिश्र की आजीविका पूजा-पाठ और पुरोहिताई थी| पर विचारों की महानता और व्यक्तित्व की दृढ़ता में वे श्रेष्ठ थे| उनका जीवन अत्यंत सरल और सात्विक था| पर प्रभाकर जी की माता का स्वभाव बड़ा उग्र था| जिनका नाम मिश्री देवी था| अपने एक स्मरण `मेरे पिताजी’ में लेखक ने दोनों का परिचय देते हुए लिखा है की — `वे दूध मिश्री तो मां लाल मिर्च’ इनकी शिक्षा प्राय व्यर्थ ही हुई| एक पत्र में उन्होंने लिखा है………. `हिंदी शिक्षा (सच माने) पहली पुस्तक के दूसरे पाठ ख ट म ल खटमल, ट म टम टमटम फिर| फिर साधारण संस्कृत| बस हरि ओम| यानी बाप पढ़ें ना हम| उस किशोरा अवस्था में जबकि व्यक्तित्व के गठन के लिए विद्यालय की शरण की आवश्यकता होती है, प्रभाकर जी ने राष्ट्रीय संग्राम में भाग लेना ही अधिक पसंद किया| जब खुर्जा के संस्कृत विद्यालय में पढ़ रहे थे, तब इन्होंने प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेता मौलाना आसिफ अली का भाषण सुना, जिसका इन पर इतना असर हुआ कि ये परीक्षा छोड़कर चले आए| उसके बाद उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र-सेवा में लगा दिया| ये सन 1930 से 1932 ई. तक और सन 1942 ई. में जेल में रहे और निरंतर राष्ट्र के उच्च नेताओं के संपर्क में आते रहे| इनके लेख इनके राष्ट्रीय जीवन के मार्मिक स्मरणों की जीवंत झांकियां हैं| जिनमें भारतीय स्वाधीनता के इतिहास के महत्वपूर्ण पृष्ठ भी है| स्वतंत्रता के बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन पत्रकारिता में लगा दिया| 9 मई, सन 1995 ई. को इस महान साहित्यकार का निधन हो गया|


kanhaiyalal mishra prabhakar ka sahityik parichay | कन्हैयालाल मिश्र का साहित्यिक परिचय​

प्रभाकर जी का गद्य इनके जीवन से ढलकर आया है| इनकी रचनाओं में कालगत आत्मपरकता, चित्रात्मकता की प्रमुखता दिखाई देती है| पत्रकारिता के क्षेत्र में इन्हें अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हुई है| स्वतंत्रता आंदोलन के दिनों में अनेक सेनानियों का स्मरण उन्होंने लिखा है| इन्होंने लेखन के अतिरिक्त वैयक्तिक स्नेह और संपर्क से भी हिंदी के अनेक नए लेखकों को प्रेरित और प्रोत्साहित किया था|

इनके व्यक्तित्व की दृढ़ता, विचारों की सत्यता, अन्याय के प्रति आक्रोश, सहृदयता, उदारता और मानवीय करुणा की झलक इनकी रचनाओं में देखने को मिलती है| अपने विचारों में ये उदार राष्ट्रवादी और मानवतावादी है| इसलिए देश-प्रेम और मानवीय निष्ठा के अनेक रूप इनके लेखों में मिलते हैं| इन्होंने हिंदी गध को नए मुहावरे, नए लोकोक्तियां और नई शक्तियां भी है| कविता इन्होंने नहीं लिखी पर कवि की भावुकता और करुणा इनके गद्य में झलकती है| यथार्थ जीवन की दर्दभरी अनुभूतियो से इनके गध में भी कविता का संदर्भ भर उठता है| इसलिए इनके शब्द-निर्माण में जगह-जगह चमत्कार है| परिस्थिति चित्रण में नाटकीयता है| इनके वाक्य-विन्यास में भी विविधता रहती हैं| पात्र और परिस्थिति के साथ उन्होंने वाक्य-रचना बदली है| विनोद की परिस्थिति में छोटे वाक्य, चिंतन की मनस्थिति में लंबे वाक्य और भावुकता के क्षणों में व्याकरण के कठोर बंधन से मुक्त कवित्वपूर्ण वाक्य रचना की है|

प्रभाकर जी की भाषा सामान्य रूप से तत्सम शब्द प्रधान, शुद्ध और साहित्यिक खड़ी बोली है| इन्होंने उर्दू, अंग्रेजी आदि भाषाओं के साथ देशज शब्दों एवं मुहावरों का भी प्रयोग किया है| सरलता, मार्मिकता, चुटीलापन, व्यंग्य और भावों को व्यक्त करने की क्षमता उनकी भाषा की प्रमुख विशेषताएं है|वर्णनात्मक, भावनात्मक, नाटक-शैली के रूप में उनकी रचनाओं में देखने को मिलते हैं| इनका हिंदी साहित्य में विशेष योगदान था और महत्वपूर्ण स्थान था तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
इन्होंने अनेक महत्वपूर्ण रचनाएं की है जिसका विवरण इस प्रकार है|

कन्हैयालाल मिश्र की रचनाएं​

  • रेखाचित्र — `नई पीढ़ी के विचार’, `जिंदगी मुस्कुराई’, `माटी हो गई सोना’, `भूले बिसरे चेहरे’
  • लघु-कथा — `आकाश के तारे’, `धरती के फूल’,
  • स्मरण — `दीप जले शंख बजे’
  • ललित निबंध — `क्षण बोले कण मुस्कुराए’, `बाजे पायलिया के घुंघरू’
  • संपादन उन्होंने `नया जीवन’ और `विकास’ नामक दो समाचार पत्रों का संपादन किया हैं| इन पत्रों में प्रभाकर जी ने सामाजिक, राजनैतिक और शैक्षिक समस्याओं पर आशावादी और निर्भीक विचारों को प्रस्तुत किया |
  • अन्य विशेष रचनाएं — `महके आंगन चहके द्वार’ इनकी एक महत्वपूर्ण कृति है|
  • अन्य रचनाएं — `रॉबर्ट नर्सिंग होम’ इसमें लेखक ने इंदौर के रॉबर्ट नर्सिंग होम की एक साधारण घटना को इस प्रकार मार्मिक रूप में प्रस्तुत किया है कि वह हमें सच्चे धर्म अर्थात मानव-सेवा और समता का पाठ पढ़ानेवाली बन गई है|

• संक्षिप्त परिचय​

  • जन्म – 29 मई,1906 ई.
  • जन्म स्थान – देवबंद सहारनपुर
  • पिता का नाम – पंडित रमादत्त मिश्र
  • माता का नाम – मिश्री देवी
  • संपादन – `ज्ञानोदय’, `नया जीवन, `विकास’
  • लेखन विधा – गद्य-साहित्य
  • भाषा – तत्सम प्रधान, शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली
  • शैली – भावनात्मक, वर्णनात्मक, नाटकीय
  • प्रमुख रचनाएं – आकाश के तारे, धरती के फूल, माटी हो गई सोना, जिंदगी मुस्कुराई,
  • मृत्यु 9 मई, सन 1995 ई.

FQA​

1. कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का जन्म कहां हुआ?
इनका जन्म सन 1906 में सहारनपुर स्थित देवबंद नामक ग्राम में हुआ|

2. कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर के माता पिता का नाम
इनके पिता का नाम पंडित रमादत्त मिश्र तथा माता का नाम मिश्री देवी था|

3. कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर की भाषा शैली
इनकी भाषा तत्सम प्रधान शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली थी|

4. किसका भाषण सुनकर कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी ने संपूर्ण जीवन राष्ट्र सेवा लगा दिया?
जब ये खुर्जा के संस्कृत विद्यालय में पढ़ रहे थे, तब इन्होंने प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेता मौलाना आसिफ अली का भाषण सुना, जिसका इन पर इतना असर हुआ कि ये परीक्षा छोड़कर चले आए, और अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र-सेवा में लगा दिया|
 
मॉडरेटर द्वारा पिछला संपादन:

सम्बंधित टॉपिक्स

सदस्य ऑनलाइन

अभी कोई सदस्य ऑनलाइन नहीं हैं।

हाल के टॉपिक्स

फोरम के आँकड़े

टॉपिक्स
1,845
पोस्ट्स
1,886
सदस्य
242
नवीनतम सदस्य
Ashish jadhav
Back
Top