Bindi Shayari In Hindi | बिंदी शायरी

वो पायल पाँव में तेरे, वो बिंदी तेरे माथे पर
तसव्वुर बस यही अक्सर मेरी आँखों में होता है – सुजीत सहगल हासिल

Wo Payal Paaon Me Tere, Wo Bindi Tere Maathe Par
Tasavvur Bas Yahi Aksar Mere Aankho Me Khtm Hota Hai – Sujeet Sahgal Haasil

ये लाली और बिंदी क्यों भाते नहीं तुमको
इसी श्रंगार से तो जिस्म औरत का सँवरता है – ऋतु सिंह राजपूत रीत

Ye Laal Aur Bindi Kyon Bhaate Nahi Tumko
Isi Shringaar Se Toh Jism Aurat Ka Sawarata Hai – Ritu Singh Rajpoot Reet

माथे पर बिंदी काली होंटो पर लाली और एक वो तिल
मेरे लूटने का किया है तुमने इंतज़ाम सारा

Maathe Par Bindi Kaali Honthon Par Laali Aur Ek Wo Til
Mere Lutne Ka Kiya Hai Tumne Intezaam Saara


नवविवाहिता की बिन्दियाँ, अक्सर मिलती है कहीं
ग़लत पते की चिठ्ठी की तरह

Nav-vivahita Ki Bindiyaan, Aksar Milti Hai Kahin
Galat Pate Ki Chitthi Ki Tarah

बहुत तारीफ करता था मैं उसकी बिंदी की
लफ्ज़ कम पड़ गए जब उसने झुमके पहने

Bahut Taarif Karta Tha Mai Uski Bindi Ki
Lafz Kam Pad Gaye Jab Usne Jhumke Pahne

माथे पर बिंदी लगाकर आई हैं वो
बहुत दिन बाद खुद को सजा कर आई हैं

Maathe Par Bindi Lagakar Aayi Hai
Bahut Din Baad Khud Ko Sajakar Aayi Hai

आज हमारे चाँद में क्या नूर है
माथे पर बिंदी मांग में सिन्दूर है

Aaj Hamare Chaand Me Kya Noor Hai
Maathe Par Bindi Maang Me Sindoor Hai
 
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