देश में बलात्कार पर सजा का क्या कानून है? Explained Laws on Rape and Sexual Crimes

देश में बलात्कार पर सजा का क्या कानून है? Explained Laws on Rape and Sexual Crimes


भारत में किसी भी महिला से बलात्कार (Rape) किया जाना कानून के तहत गंभीर श्रेणी का अपराध माना जाता है। बलात्कार महिलाओं के खिलाफ होने वाला सबसे क्रूर अपराध है, जो न केवल उनकी शारीरिक अखंडता को नष्ट करता है, बल्कि व्यक्तिगत व सामाजिक संबंधों के उनकी विकास की क्षमता को बाधित कर उनके जीवन व जीविका को प्रभावित करता है। बलात्कार की शिकार महिला को मानसिक तथा मनोवैज्ञानिक संत्रास से गुजरना पड़ता है, इस अपराध को अंजाम देने वाले दोषी को कड़ी सजा का प्रावधान है। इस अपराध के लिये भारत दंड संहिता में धारा 376 के तहत सजा का प्रावधान है।


क्या है धारा 376 (IPC Sec 376 in Hindi)​

किसी भी महिला के साथ बलात्कार करने के आरोपी पर धारा 376 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। जिसमें अपराध सिद्ध होने की दशा में दोषी को कम से कम 7 साल व अधिकतम आजीवन कारावास की सजा दिए जाने का प्रावधान है।

धारा 375 दुष्कर्म को परिभाषित करती है​

जब कोई पुरुष किसी महिला के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध संभोग करता है तो उसे बलात्कार कहते हैं। किसी भी कारण से संभोग क्रिया पूरी हुई हो अथवा नहीं कानूनन वो बलात्कार ही कहलाएगा। इस अपराध को अलग-अलग हालात और श्रेणी के हिसाब से धारा 375, 376, 376क, 376ख, 376ग, 376घ के रूप में विभाजित किया गया है।

क्या कहती है धारा 375?​

यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की इच्छा के विरूद्ध, उसकी सहमति के बिना, उसे डरा धमका कर, दिमागी रूप से कमजोर या पागल महिला को धोखा देकर और उसके शराब या पदार्थ के कारण होश में नहीं होने पर उसके साथ संभोग करता है तो वो बलात्कार की श्रेणी में ही आएगा। यदि महिला की उम्र 16 वर्ष से कम है तो उसकी सहमति या बिना सहमति से होने वाला संभोग भी बलात्कार की श्रेणी में आता है। इस धारा के अंतर्गत यदि कोई पुरुष अपनी 15 वर्ष से कम उम्र की पत्नी के साथ संभोग करता है तो वो भी बलात्कार की श्रेणी में आता है। इस स्थिति में आरोपी को सजा हो सकती है।

हर स्थिति में लागू होता है ये कानून​

उपधारा (2) के अंतर्गत बताया गया है कि कोई पुलिस अधिकारी या लोक सेवक अपने पद और शासकीय शक्ति और स्थिति का फायदा उठाकर उसकी अभिरक्षा या उसकी अधीनस्थ महिला अधिकारी या कर्मचारी के साथ यौन-संबंध करेगा तो वो भी बलात्कार की श्रेणी में आएगा। यह कानून जेल, चिकित्सालय, राजकीय कार्यालयों बाल एवं महिला सुधार गृहों पर भी लागू होता है। दोषियों को कठोर कारावास की अधिकतम सजा हो सकती है। इन सभी आरोपों में दोषी पाए जाने वाले आरोपी को दस वर्ष से कम की सजा नहीं हो सकती है।

धारा 376(A) (IPC Sec 376A in Hindi)​

यदि कोई दोषी किसी स्त्री का बलात्कार करता है, वह बलात्कार करने में स्त्री की मृत्यु हो जाती है या फिर उसकी स्थिति विकृतशील हो जाती है तो ऐसी परिस्थिति में दोषी को धारा 376 ए के अंतर्गत न्यूनतम 20 वर्ष का कारावास और अधिकतम मृत्युदंड तक दिया जा सकेगा। आजीवन कारावास भी दिया जाएगा तो उसका अर्थ संपूर्ण शेष जीवन के कारावास से लगाया जाएगा।


धारा 376(B) (IPC Sec 376B in Hindi)​

पति सहमति के बिना अपनी ऐसी पत्नी के साथ जो पृथक्करण की डिक्री के कारण अन्यथा पति से अलग रह रही है, उसके साथ मैथुन करता है तो ऐसी परिस्थिति में धारा 376 बी का अपराध कारित होगा। इस अपराध में न्यूनतम 2 वर्ष का कारावास और अधिकतम 7 वर्ष तक के कारावास और उसके साथ जुर्माने से भी दंडित किया जा सकेगा।

हाल ही के कुछ मामलों में देखा गया कि पति के घर रह रही, पति के साथ रह रही पत्नी भी बलात्कार का मुकदमा पति पर दर्ज करवा सकती है, परन्तु बाद के प्रकरणों में उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय को पलट दिया।

धारा 376(C) (IPC Sec 376C in Hindi)​

कोई व्यक्ति जिस की स्थिति किसी स्त्री के साथ में भरोसे के नाते की हो या फिर प्राधिकार का मामला हो ,जैसे किसी अस्पताल का प्रबंधतंत्र हो, कर्मचारी हो कोई लोकसेवक हो, किसी जेल सुधारगृह या विधवागृह इत्यादि का कोई प्रबंधक हो, किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा जो विश्वास के नाते को भंग कर देता है और स्त्री के साथ में बलात्कार किया जाता है तो धारा 376सी के अंतर्गत उसे न्यूनतम 5 वर्ष पर अधिकतम 10 वर्ष के कारावास से दंडित किया जा सकता है।

धारा 376(D) (IPC Sec 376D in Hindi)​

सामूहिक बलात्कार (Gang Rape) इस समय देश में नासूर के सामान सामने आया है। पूरे समाज के लिए अत्यंत भयानक परिस्थिति है। इस परिस्थिति से निपटने के इंतजाम भारतीय दंड संहिता की धारा 376डी के अंतर्गत किए गए हैं। जहां किसी स्त्री से एक या अधिक व्यक्तियों द्वारा एक समूह गठित करके सामान आशय से बलात्कार किया जाता है, वहां पर कठोर अवधि के कारावास, जिसकी अवधि कम से कम 20 वर्ष की होगी और जो आजीवन कारावास जिसे शेष जीवन का कारावास अभिप्रेत हो वह भी दिया जा सकता है।

धारा 376(E) (IPC Sec 376E in Hindi)​

यदि किसी व्यक्ति द्वारा एक बार बलात्कार किया गया और उसे दोष सिद्ध कर दिया गया परंतु वही व्यक्ति पुनः बलात्कार करता है तो ऐसी परिस्थिति में दोषी को आजीवन कारावास जिसका अर्थ उस दोषी के बाकी जिंदगी जेल में बितानी होगी या फिर मृत्युदंड से दंडित किया जा सकेगा।

आपसी सहमति से बना संबंध बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है​

बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है अगर कोई शिक्षित और 18 वर्ष की उम्र से बड़ी लड़की रिलेशनशिप में सहमति से संबंध बनाती है तो रिश्ते खराब होने के बाद वो बलात्कार का आरोप नहीं लगा सकती है। न्यायालय के मुताबिक समाज में यौन संबंधों को सही नहीं माना जाता है तब भी यदि कोई महिला यौन संबंधों के लिये ‘न’ नहीं कहती है तो उसे सहमति से बनाया संबंध माना जाएगा।

नाबालिगों के मामले में कानून​

जनवरी 2018 में जम्मू-कश्मीर के कठुआ में एक आठ वर्षीय बच्ची के साथ हुए अपहरण, सामूहिक बलात्कार तथा हत्या के मामले के बाद पूरे देश में इसका विरोध हुआ तथा आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की गई। इसके बाद आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 पारित किया गया जिसमें पहली बार यह प्रावधान किया गया कि 12 वर्ष से कम आयु की किसी बच्ची के साथ बलात्कार के मामले में न्यूनतम 20 वर्ष के कारावास या मृत्युदंड की सज़ा का प्रावधान होगा। इसके तहत IPC में एक नया प्रावधान भी जोड़ा गया जिसके द्वारा 16 वर्ष से कम आयु की किसी लड़की के साथ हुए बलात्कार के लिये न्यूनतम 20 वर्ष का कारावास तथा अधिकतम उम्र कैद की सज़ा हो सकती है। IPC, 1860 के तहत बलात्कार के मामले में न्यूनतम सज़ा के प्रावधान को सात वर्ष से बढ़ाकर अब 10 वर्ष कर दिया गया है।

 
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