आपने हनुमान चालीसा तो पढ़ा ही होगा ,हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसी दास द्वारा लिखित काब्यों में से एक है जिसमे रामायण काल में किये हनुमान जी कार्यो का वर्णन अवधी भाषा के श्लोक रूप में किया गया है , इसके एक श्लोक में सूर्य से पृथ्वी की दुरी के बारे जिक्र किया गया है, जो की बिलकुल आज की गड़ना के अनुसार Exact दुरी है।
इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्त्वपूर्ण काव्य है। महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में 46वाँ स्थान दिया गया,गोस्वामी तुलसी दास जी का जीवन काल 1511 से 1623 तक रहा है।
हनुमान चालीसा के एक श्लोक में सूर्य से पृथ्वी की Exact दुरी का वर्णन है ।
श्लोक
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
ये श्लोक अवधी भाषा में रचित है इसका भावार्थ यहाँ है की साँझ के समय हनुमान जी को जब भूख सताने लगी तब उन्हें पेड़ो के बिच सूर्य दिखे ,उनको मीठा फल समझ कर वो उन्हें खाने के लिए गए, इस श्लोक में गोश्वामी जी उनके पथ के दुरी का वर्णन किया है की जुग यानि युग सहस्त्र यानि हजार, जोजन यानि योजन पर भानु यानि इतनी दुरी पर सूर्य , लील्यो ताहि मधुर फल जानी यानि मुँह में ले लिया मीठा फल जानकर।
अब इसकी गड़ना अक्षरसः कर लेते है
1 युग = 1200 वर्ष
1 सहस्त्र = 1000
1 योजन = 8 मील
कुल गड़ना = यग x सहस्त्र x योजन = 1200x1000x8 मील =96000000 मील
1 मील यानि 1.6 किलोमीटर
96000000x 1.6=1536000000 यानि 15.36 करोड़ किलोमीटर
जो की पृथ्वी से सूर्य की Exact दुरी है
और जब सूर्य पृथ्वी से अधिकतम दुरी पर होता है तो उसे अपसौर (Aphelion) कहते है उस वक़्त सूर्य से पृथ्वी की दुरी 15.21 करोड़ किलोमीटर होती है।
गोश्वामी तुलसीदास कौन थे।
गोस्वामी तुलसीदास हिंदी साहित्य के महान कवि थे, गोस्वामी तुलसी दास की महत्वपूर्ण रचना श्रीरामचरितमानस है जिसमे गोस्वामी जी ने श्रीराम के चरित्र का वर्णन किया है । रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है।इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्त्वपूर्ण काव्य है। महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में 46वाँ स्थान दिया गया,गोस्वामी तुलसी दास जी का जीवन काल 1511 से 1623 तक रहा है।
अकबर और तुलसी दास जी की कहानी।
तुलसी दास जी हिन्दू धर्म के बहुत बड़े लेखक व प्रचारक थे , इसलिए मुग़ल बादशाह अकबर के नजर में खटक रहे थे जब 16 वी सदी में तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा को लिखा तब हनुमान चालीसा बहुत ज्यादे लोकप्रिय होने लगा, उसके तुरंत बाद बादशाह अकबर ने उन्हें पकड़कर कारागार में डाल दिया, कहा जाता है की गोस्वामी जी कैद करने के तुरंत बाद बादशाह अकबर के महल पे सैकड़ो बंदरों ने एक साथ हमला कर दिया बंदरों की भीड़ लगातार बढाती ही जा रही थी , तब अकबर को समझ आ गया की क्यों ऐसा हो रहा है ,उसने आदेश दिया की गोस्वामी जी को सम्मान के साथ रिहा कर दिया जाये , गोस्वामी के रिहा होते ही बंदरों की भीड़ भी धीरे धीरे ख़त्म हो गयी।हनुमान चालीसा में पृथ्वी से सूरज की दुरी का Exact वर्णन है, जिसे नासा के बैज्ञानिको ने भी स्वीकार किया है।
हनुमान चालीसा के एक श्लोक में सूर्य से पृथ्वी की Exact दुरी का वर्णन है ।
श्लोक
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
ये श्लोक अवधी भाषा में रचित है इसका भावार्थ यहाँ है की साँझ के समय हनुमान जी को जब भूख सताने लगी तब उन्हें पेड़ो के बिच सूर्य दिखे ,उनको मीठा फल समझ कर वो उन्हें खाने के लिए गए, इस श्लोक में गोश्वामी जी उनके पथ के दुरी का वर्णन किया है की जुग यानि युग सहस्त्र यानि हजार, जोजन यानि योजन पर भानु यानि इतनी दुरी पर सूर्य , लील्यो ताहि मधुर फल जानी यानि मुँह में ले लिया मीठा फल जानकर।
अब इसकी गड़ना अक्षरसः कर लेते है
1 युग = 1200 वर्ष
1 सहस्त्र = 1000
1 योजन = 8 मील
कुल गड़ना = यग x सहस्त्र x योजन = 1200x1000x8 मील =96000000 मील
1 मील यानि 1.6 किलोमीटर
96000000x 1.6=1536000000 यानि 15.36 करोड़ किलोमीटर
जो की पृथ्वी से सूर्य की Exact दुरी है
आज के विज्ञानं के अनुसार पृथ्वी से सूर्य की दुरी
जब सूर्य पृथ्वी के एकदम पास होता है तो उसे उपसौर यानि Perihelion कहते है उस वक़्त सूर्य से पृथ्वी की दुरी 14.70 करोड़ किलोमीटर होती है।और जब सूर्य पृथ्वी से अधिकतम दुरी पर होता है तो उसे अपसौर (Aphelion) कहते है उस वक़्त सूर्य से पृथ्वी की दुरी 15.21 करोड़ किलोमीटर होती है।
हनुमान चालीसा कैसे रहस्यमयी है।
आप सभी को मालूम होगा ,गैलीलियो ने दूरबीन की खोज की तभी लोग जान सके की सूर्य ही पृथ्वी का केंद्र है , जो की 1608-9 के आस पास किया था, तब तक लोग ये जान रहे थे पृथ्वी ही सौरमंडल का केंद्र है, ऐसे में लोग कैसे जान पातें की पृथ्वी से सूर्य की दुरी कितनी है , परन्तु तुलसी दास जी ने उस वक़्त ही बिना किसी उपकरण के सूर्य से पृथ्वी की दुरी का पता कैसे लगा लिया, इसका मतलब हमारे वेदो या ग्रंथो से ही उन्हें इसकी दुरी का पता चला होगा , इस रहस्य का पता आज तक नहीं चला, नासा के वैज्ञानिक भी हमारे ग्रंथो की स्टडी आज भी करते है।
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