में पंडित जी का बेटा था वो काज़ी साहब की बेटी थी.. Amritesh Jha | Poetry

में पंडित जी का बेटा था वो काज़ी साहब की बेटी थी.. Amritesh Jha | Poetry


शायरी..

में उनसे बाते तो नहीं करता पर उनकी बाते लजाब करता हु पेशे से शायर हु यारो अल्फाजो से दिल का इलाज़ करता हु


*****

उन्हें तो मैं उस खुदा से भी छीन लता पर उनकी बातो ने मुझे कायर बना रखा है यु तो मुझे शौक नहीं है शायरी का पर उनकी आँखों ने मुझे शायर बना रखा है

पोएट्री..​

में मंदिर में बैठा था वो मज्जिद में बैठी थी

में पंडित जी का बेटा था वो काज़ी साहब की बेटी थी

*****

में बुलेट पे चल कर आता था वो बुरखे

में गुज़रती थी

में कायल था उसकी आँखों का वो

मेरी नज़र पे मरती थी

में खड़ा रहता था चोराहे पर वो भी

छत पर चढ़ती थी

में पूजा कर आता था मजारों की वो

मंदिर में नमाज़ पड़ती थी


में पंडित जी का बेटा था वो काज़ी

साहब की बेटी थी

*****

वो होली पे मुझे रंग लगाती में ईद

का जश्न मनाता था

वो वैष्णो देवी जाती थी में हाजी

अली हो आता था

वो मुझको क़ुरान सुनाती में उसको

वेद समझाता था

वो हनुमान चालीसा पड़ती थी में सबको

आज़ान सुनाता था


में पंडित जी का बेटा था वो काज़ी

साहब की बेटी थी

*****

उसे मांगता था में मेरे रब से वो अल्लाह से

मेरी दुआ करती थी

ये सब उन् दिनों की बात है जब वो

मेरी हुआ करती थी

फिर इस मज़हबी इश्क़ का

ऐसा अंजाम हुआ

वो मुसलमानो में हो गयी और में हिन्दुओ

में बदनाम हो गया

में मंदिर में रोता था वो

मज्जिद में रोती थी


में पंडित जी का बेटा था वो काज़ी

साहब की बेटी थी

*****

रोते रोते हम लोगो की तब शाम

ढला करती थी

अपने अब्बू से छुपकर वो मज्जिद के पीछे

मिला करती थी

में पिघल जाता था बर्फ सा वो जब भी

छुआ करती थी

ये सब उन् दिनों की बात है जब वो मेरी

हुआ करती थी


में पंडित जी का बेटा था वो काज़ी

साहब की बेटी थी

*****

कुछ मजहबी कीड़े आकर हमारी

दुनिया उजाड़ गए

जो खुदा से न हरे थे वो खुदा के

बन्दों से हर गए

जितने की कोई गुंजाईश न थी में इश्क़

का हरा बाज़ी था

जो उसका निकाह कराने आया था वो उसी

का बाप काज़ी था


*****

जो गूँज रही थी मेरे कानो में वो उसकी

शादी की सहनाई थी

में कालिया बिछा रहा था रहो में आज

मेरी जान की विदाई थी

में वही मंदिर में बैठा था पर आज

वो डोली में बैठी थी


में पंडित जी का बेटा था वो काज़ी

साहब की बेटी थी

में पंडित जी का बेटा था वो काज़ी

साहब की बेटी थी*****
 

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