कब्र से भेजी सदा….
*****सुनो क्या तुम मुझे सुन सकती हों
मुझे मालूम है मुश्किल है बहुत मुश्किल है
मगर मेरे बिना दिल लगा लो ना
मेरी इक हसरत हैं पूरी करोगी
की मेरी कब्र पर आकर कभी तो मुस्करा लो ना
—-
मैं यही ठीक हू बिल्कुल ठीक हुँ
बस तुम्हें बता नहीं सकता
ओर मेने पूछा हैं खुदा से
ख़ुदा के मनसूबे तुम्हारे लिये
वो बोला कि वो मसररत अब देर तक
तुमसे छुपा नहीं सकता
यकीन मानो हम साथ बैठ कर लिख रहे हैं
—-
इक नयी सुबह तुम्हारे लिये
मैं अपनी जान इस जहां में लेकर आया ही नहीं हूँ
अरे तुम भूल तो नहीं गयी कि तुम जान हो मेरी
तो ख्याल रखो मेरी जान का
—-
तुम मिट्टी के इस तरफ भी पहचान हो मेरी
ओर मेरी एक तमन्ना है कि मेरी कब्र पर रखा
फूल अपनी जुल्फों मे लगाओ, सब्र लो तुम
हाँ तुम्हें अभी भी हक है उतना ही हक है
की इन फ़ूलों का रंग अपनी सफ़ेद सारी मे भर लो
—-
ये सुर्ख लाली आखों की उतरो
जो आखें रो रो कर लाल पड़ गयी
फ़िर रुकसार पर सजाओं इसे
ये बिंदी तन्हा तन्हा है अपने माथे पर जरा बिठाओ इसे
कल ही के जैसे लब तुम्हारे बन्द पड़े हैं
वक्त है अब खिलने का बताओ इसे
बेकसूर दिल को आखिर अब कब तक
बेकस(अकेला)रखोगी
किसी और से भी मिलना सीखाओ इसे
मैं तेरे पायल की झंकार सुनना चाहता हूं
—-
मेरे सीने पर टूटी तेरी चूडिय़ां चीखती बहुत हैं
बहुत हो गया बस अब मे तेरे कंगन कीं
खनकार सुनना चाहता हूं
अब ठीक हैं ना कोई बात नहीं
जिंदगी आख़िर में सबकी मेहमान ही तो होती हैं
मगर वो जो इतनी नफ़रतों के बाद भी इतनी
खामियों के साथ भी,
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इतनी गलतियों के बाद भी हमे कबूल करती है
देखों वो मौत भी रहमान होती हैं
सुनो अगर तुम अब भी मुझे महसूस करती हो
तो सुनो
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अपनी मेहमान से इस कदर रूठी ना रहो
अरे जिंदगी तरस गयी है उससे बात करो
ख़ुदा के वास्ते तुम मौत से पहले मत मरो
अच्छा ऐसा करो की जहा मे दफन हू ना
वहां बागीचा बना लो फिर मेरी कब्र पर खुशबु होगी
मग़र फूलों को टूटना नहीं पड़ेगा
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तू आती रहना तुझे भी रंगों से छूटना नहीं पड़ेगा
तू भी खोलकर देख कभी घर अपना तुझे भी सुकून रो रो
कर मेरी कब्र से लूटना नहीं पड़ेगा
तू नूर है बेकसूर हैं आसमान की तरफ देख तो तुझे अपने
पंखों से रूठना नहीं पड़ेगा….
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एक सवाल समाज की सोच से…
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की क्यु सादा स्वेत लिबास मेरे मरने पर ही तुझे मिला
आखिर क्यु तुझे सादा स्वेत लिबास मेरे
मरने पर ही तुझे मिला
तू मरती तो अपनी अर्थी मे भी लाल जोड़े मे होती
तू जलती जलती राख जोड़े मे होती
तू मरती तो जोड़ा पहले राख होता
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तू राख जोड़े मे होती हैं
तू मरती तो अच्छा होता मर ही जाती
मगर तेरी रूह भी आज़ाद जोड़े मे होती
क्युकी ये जीते जागते कफन लपेट कर यह
दुख मुझे समझ नहीं आता
तू जिंदा हैं तो इससे ज्यादा कुछ क्या कहु मैं
मुझे समझ नहीं आता अगर तू जिंदा हैं तो जी….
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