आज फिर बहुत याद आ रहे हो तुम
दूर होकर भी नजाने कियू पास
आरहे हो तुम
चुना था मैंने तुम्हे जब तुम्हारी
सारी बत्तमीजीयो साथ
वो वक़त भी और था हम तुम
थे जब साथ – साथ
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बुक्स लेने के बहाने अक्सर घर पर
आजाया करते थे
जनाब वक़त – बेवक़त गली में हॉर्न भी
बजाया करते थे
फिर अचानक खो गया वो बुक्स
लेने – देने का सिलसिला
और मेरी गालिया भी सुनसान
सी हो गयी
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पता किया दोस्तों से तुम्हारी तोह पता चला
की एक नयी ज़िन्दगी बसाने जा रहे हो तुम
जाना आज फिर बहुत याद आ रहे हो तुम
दूर होकर भी नजाने कियू पास आरहे हो तुम
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चलो तुम्हे एहसास तो हुआ उस बेवाफ़ाई
का जो तुमने मेरे साथ की थी
उलझे हुए रिश्ते को सुझाने की कोशिश
पहली बार की थी
पर अब वक़त भी निकल चूका था और
हालत भी मेरे बस में न थे
मेरे हाथो में लगी थी मेहंदी और शादी के
कार्ड भी बट चुके थे
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चाहा कर भी उस बेवफाई की कीमत
अब नहीं चूका पाओगे
और अब तुम मुझे अपना किसी भी हालत
में नहीं बना पाओगे
ये सब कुछ जानते हुए भी मुझे को
आज़मा रहे हो तुम
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जाना आज फिर बहुत याद आ रहे हो तुम
दूर होकर भी नजाने कियू पास आरहे हो तुम
जाना आज फिर बहुत याद आ रहे हो तुम