SHIZUKA AUR NOBITA | AMRITESH JHA | POETRY

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शायरी…

में उनसे बाते तो नहीं करता पर उनकी बाते लजाब करता हुपेशे से शायर हु यारो अल्फाजो से दिल का इलाज़ करता हु

***


मैंने उस चाँद को शर्माते देखा है शायद उसने भी आज गूँज को आते देखा है और कौन कहता है महज बादल ही आवारा होते है मैंने खुद चाँद को इनके पीछे जाते देखा है

*****

पोएट्री…

न जाने ज़िन्दगी का ये कोनसा दौर है

तू शिजुका है मेरी तेरा नोबिता कोई और है

सबसे बाते हसकर मुझसे बेरुखी से करते हो

जाना में उतनी ही मोहब्बत तुमसे

जितनी तुम देकिसुगि से करते हो

में तुम्हे भुला भी दू पर इस

दिल पर किसका ज़ोर है

तू शिजुका है मेरी तेरा नोबिता कोई और है


***

मेरे हर किस्से हर कहानी में तेरा ही ज़िक्र है

फिर न जाने कियू मुझे तेरी

और तुझे देकिसुगि की फ़िक्र है

तुझे उसके साथ देख कर न

जाने दिल में ये कैसा शोर है

तू शिजुका है मेरी तेरा नोबिता कोई और है


***

रेलशनलशिप तो छोड़ो यह

तो फ्रेंडज़ोने भी नहीं है

में मेरे दर्द दिखाऊ भी तो

किसको मेरे पास तो डोरेमोन भी नहीं है

डोरेमोन से ज्यादा खुशी मुझे तेरे होने की है

कभी पाया तो नहीं तुझको

पर डर तुझे खोने का है

तेरे मेरे बीच में न जाने ये कैसी ड़ोर है

तू शिजुका है मेरी तेरा नोबिता कोई और है


***

माना मेरे नहीं हो तुम फिर भी

तुम्हे चाहने में क्या हर्ज़ है

दर्द देकर तुम कहते हो की

जाना तुम्हे क्या दर्द है

दिल तोड़ने वालो को कियु

कभी सज़ा नहीं मिलती

कियु किसी कहानी में नोबिता

को शिजुका नहीं मिलती

ज़माने भर में ढूंढा मैंने मगर इस

दर्द का कहा कोई तोड़ है


***

तू शिजुका है मेरी तेरा नोबिता कोई और है

तू शिजुका है मेरी तेरा नोबिता कोई और है

तू शिजुका है मेरी तेरा नोबिता कोई और है


*****
 

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