इस कविता के बारे में :
इस काव्य ‘मेरी होली तेरे बिना बेरंग है’ को G Talks के लेबल के तहत ‘गूँज चाँद’ ने लिखा और प्रस्तुत किया है।*****
माना आज हर जगह रंग ही रंग है
मेरी होली तेरे बिना बेरंग है
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कही उड़ेगा गुलाल तो कही पानी बरसेगा
पर आज भी मेरा दिल तेरी याद में तरसेगा
जानती हु तू आ नहीं सकता कियुँकि
बोहोत सी मजबूरियां तेरे संग है
मेरी होली तेरे बिना बेरंग है
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आज फिरसे बोहोत से बहाने बनाने
पड़ेंगे मुझको और शायद कही लोगो के
फ़ोन भी काटने पड़ेंगे मुझको कियुँकि
मेरी हर खुशी और रंग तो सिर्फ तेरे
संग है मेरी होली तेरे बिना बेरंग है
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वो दिन भी याद आता है मुझे
जब हमने साथ होली मनाई थी
और मैंने अपने हाथो की छाप
तेरे कपड़ो पे लगायी थी
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आज भी मेरे दिल के कोने में
बसे सिर्फ वही रंग है
मेरी होली तेरे बिना बेरंग है
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मानती हु तू दूर है मुझसे पर है
यही कही आस पास तो क्या हुआ
जो इस होली तुम साथ नहीं पर
कभी तो होगी मुलाकात तब तक लड़नी
मुझे अकेली ही ये जंग है
मेरी होली तेरे बिना बेरंग है
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माना आज हर जगह रंग ही रंग है
मेरी होली तेरे बिना बेरंग है